चक्र क्या हैं और ये किसलिये होते हैं?
चक्र पर बात करने से पहले यह बता दें कि पिछले कुछ सालों में बहुत से लोगों ने ऐसी थेरेपी में ज्यादा दिलचस्पी दिखायी है जो ओरिएंटल मेडिसिन की सुविधा उपलब्ध कराते हैं। ओरिएंटल थियरी अलग-अलग स्वास्थ्य समस्याओं को ठीक करने के लिए शारीरिक, मानसिक और ऊर्जा के संतुलन को पाने के सिद्धांत पर आधारित है।
भले जी वह लोगों की इसके बारे में जानने की इच्छा हो या फिर उस तकलीफ का इलाज़ पाने की इच्छा जिसे ट्रेडिशनल दवाएं ठीक नहीं कर पातीं, बहुत से लोगों ने इस वैकल्पिक ट्रीटमेंट को आजमाना चाहा है।
इस प्रकार, लोगों ने “ऊर्जा” और “चक्र” जैसे शब्दों की खोज की है।
लेकिन चक्र होते क्या हैं?
इस आर्टिकल में हम इस सवाल का जवाब देंगे।
चक्र क्या होते हैं? (What Are Chakras?)
“चक्र” शब्द संस्कृत से लिया गया है और इसका मतलब है “सर्किल” या “डिस्क।”
हिंदू धर्म के अनुसार चक्र ऊर्जा के 7 केंद्र होते हैं जो मानव शरीर के अलग-अलग हिस्सों में मौजूद होते हैं।
ये नियामक “वाल्व” की तरह काम करते हैं और आपके शरीर में ऊर्जा के प्रवाह को बनाये रखने में मदद करते हैं। स्थिति अनुसार इनकी शक्ति और गति दोनों अलग-अलग होती हैं।
भारत में माना जाता है,साँस द्वारा ली गयी हवा या “प्राण वायु” आपके शरीर के अन्दर चलती है और ऊर्जा के इन सभी अलग-अलग बिंदुओं को मजबूती मिलती है।
चक्रों का काम आपके शरीर के अलग-अलग अंगों के कार्य को ऑप्टिमाइज़ करने के लिए प्राण ऊर्जा को लेना, इकठ्ठा करना और बांटना है।
चक्र कहाँ-कहाँ होते हैं और उनके काम क्या हैं?
ये रीढ़ की हड्डी से होते हुए सिर की शिखा तक स्थित होते हैं।
कुछ लोग जो बौद्ध या हिंदू धर्म को मानने वाले हैं, वे इन एनर्जी पॉइंट को नीचे से ऊपर की ओर शरीर के 6 हिस्सों यानी 6 चक्रों में गिनते हैं।
हालांकि दूसरे लोगों का मानना है कि एक सातवां चक्र भी होता है जो आपके सिर के शीर्ष बिंदु पर मौजूद होता है।
आगे हम प्रत्येक चक्र और उसके कार्यों के बारे में जानेंगे।
मूलाधार चक्र
यह चक्र मलद्वार (anus) और जननांग (genitals) के बीच होता है। यह एड्रेनल कॉर्टेक्स से जुड़ा होता है।
- इसे लाल रंग द्वारा दिखाया जाता है और इसका तत्व पृथ्वी है।
- डर इसमें असंतुलन पैदा कर देता है। इस चक्र को संतुलित करने के लिए आपको अपने अन्दर के डर को पूरी तरह से बाहर करना होगा।
स्वाधिष्ठान (Sacral) चक्र
यह चक्र सेक्रम (कमर के पीछे की तिकोनी हड्डी) में स्थित होता है। यह सुप्रारेनल (अधिवृक्क) ग्रंथियों से जुड़ा होता है।
- इसका रंग नारंगी है और इसका तत्व पानी माना जाता है।
- यह पाप के प्रभाव से बंद हो जाता है। आपको इसे चलने देना होगा तथा इसकी ऊर्जा को चालू करने के लिये माफ़ करना सीखना होगा।
मणिपुर चक्र
यह आपकी नाभि में स्थित है। यह स्प्लीन, लीवर और पेट से जुड़ा होता है।
- इसका रंग पीला और तत्व आग को माना गया है।
- शर्म इसे अवरुद्ध कर देती है।
अनाहत या हृदय (Heart) चक्र
यह चक्र दिल के आस-पास हो सकता है। यह थाइमस ग्रंथि से जुड़ा होता है।
- इसका रंग हरा है और इसका तत्व हवा है।
- दर्द (Pain) इसे असंतुलित करता है। यह आपके दिल की भावनाओं से जुड़ा होता है।
विशुद्धि या कंठ (Throat) चक्र
आप इसे गले के नजदीक महसूस कर सकते हैं। यह थायराइड ग्रंथि से जुड़ा होता है।
- इसका रंग नीला माना जाता है, और इसका तत्व आकाश (ether) है।
- इसका सम्बन्ध कम्युनिकेशन से है।
आज्ञाचक्र या तृतीय नेत्र (Third Eye) चक्र
आप इस चक्र को अपनी दोनों आंखों के बीच पा सकते हैं। यह पिट्यूटरी ग्रंथि से जुड़ा होता है।
- बैंगनी रंग इससे जुड़ा हुआ है।
- इसका सम्बन्ध आपके अन्दर के ज्ञान से है। भ्रम या गलतफहमी से यह असंतुलित हो जाता है।
सहस्त्रार या शीर्ष (Crown) चक्र
यह आपके सिर के सबसे ऊपरी हिस्से में होता है। इसका सम्बन्ध भी पिट्यूटरी ग्रंथि, काज़्मिक एनर्जी (ब्रम्हांड की ऊर्जा) के केंद्र से होता है।
- इसे बैंगनी और नीले रंगों से दिखाया जाता है।
- यह सांसारिक क्रियाओं से असंतुलित हो जाता है।
चक्रों को शुद्ध रखना क्यों जरूरी है?
चक्रों का सम्बन्ध आपके विचारों, भावनाओं और आपकी आदतों से होता है। जब आप इन चक्रों को संतुलित कर लेते हैं, तो आपकी वाइटल एनर्जी को ताकत मिलती है और आप बेहतरीन शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का मज़ा ले पाते हैं।
अगर आपकी भावनाएं या जीवनशैली ठीक नहीं हैं, तो आपके चक्र दूषित होने लगते हैं और उनमें असंतुलन पैदा होने लगता है। यह असंतुलन आपको अपने शारीरिक स्वास्थ्य और रिश्तों पर दिखाई दे सकता है।
जब आपके चक्र शुद्ध होते हैं (जब आपके ऊर्जा प्रवाह में कोई रुकावट नहीं होती है, तो आप नीचे बताये गये फायदे पा सकते हैं:
- बेहतर मानसिक शुद्धता (clarity),
- अच्छी नींद,
- वाइटल एनर्जी की निरंतरता,
- बेहतर स्वास्थ्य और लम्बी उम्र,
- संवेदनशीलता और अंतर्ज्ञान (intuition),
- बेहतर एकाग्रता (concentration),
- सृष्टि (यूनिवर्स) से जुड़ाव,
- डर और गुस्से से आजादी।
अपने चक्रों को शुद्ध कैसे करें
आजकल चक्रों को संतुलित करने के लिए तरह-तरह की थेरेपी मौजूद हैं। उनमें सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली हैं:
- ध्यान और योग,
- क्वार्ट्ज (एक प्रकार का चमकीला पत्थर) बाथ,
- डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज।