'लव हार्मोन' ऑक्सीटोसिन का एक काला पक्ष जिसे आपको जानना चाहिए

दूसरे तत्त्वों के स्राव को बढ़ावा देकर ऑक्सीटोसिन हमारे दिमाग में एक ड्रग की तरह काम कर सकता है। यह हमें इतना मस्त कर सकता है कि हम अपने जीवन की दिशा को ही भूल सकते हैं। क्योंकि यह हमारे भीतर कई तरह की संवेदनाओं का एक कॉकटेल पैदा करता है।
'लव हार्मोन' ऑक्सीटोसिन का एक काला पक्ष जिसे आपको जानना चाहिए

आखिरी अपडेट: 03 जुलाई, 2018

बहुत कम शब्द हैं जो उस तेज़, पवित्र और जादुई अनुभूति का सही वर्णन कर सकते हैं, जो ऑक्सीटोसिन से उत्पन्न होती है। इसे ‘लव हार्मोन’ भी कहते हैं। यह एक ही साथ बहुत जैविक और भावनात्मक, दोनों ही है।

ऑक्सीटोसिन (Oxytocin) को कभी-कभी लव हार्मोन, प्रेम का हार्मोन, हग मॉलिक्यूल (आलिंगन का अणु), केमिस्ट्री ऑफ हैप्पीनेस और पेरेंटिंग का केमिकल फॉर्मूला भी कहते हैं।

उदाहरण के लिए, जन्म देने के समय ऑक्सीटोसिन की बहुत अहमियत होती है। यह स्तनपान को शुरू करने और माँ और बच्चे के बीच गहरा सम्बंध स्थापित करने में अहम भूमिका निभाता है। बेशक, यह सम्बंध मानव जाति और कई दूसरे स्तनधारियों के अस्तित्व के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है।

इसलिए यह छोटा सा लव हार्मोन, जो हाइपोथैलेमस में बनता है और जिसका स्राव पोस्टीरियर पिट्यूटरी ग्लैंड करती है, सबसे ज्यादा जाना-माना शारीरिक पदार्थ है। असल में यह प्यार का केमिकल रसायन है।

लेकिन क्या हो अगर हम आपको बता दें कि ऑक्सीटोसिन में एक ऐसा पक्ष छिपा हुआ है जो बहुत पॉज़िटिव नहीं है? क्या आप मानेंगे कि इसका एक ऐसा पहलू है जो बहुत सेहतमंद नहीं है और जिसका आपकी भावनात्मक पूर्णता पर नेगेटिव असर भी हो सकता है?

ऑक्सीटोसिन लॉ हॉर्मोन

 

हमें विश्वास है कि यह एक ऐसा विषय है जिसके बारे में बहुत से लोगों की दिलचस्पी होगी। यहाँ पर हम आपको इस बहुमुखी हार्मोन के बारे में और जानकारी देंगे ताकि आप इसका बेहतर आकलन कर सकें।

प्रेम का हार्मोन और निर्भरता वाले रिश्ते

अगर आपने कभी ऐसे अन्तरंग रिश्ते  का अनुभव किया है जो  निर्भरता पर आधारित था, तो आपको मालूम हो जाना चाहिये कि शायद आप ऑक्सीटोसिन के कुछ सबसे खराब पहलुओं के असर में जी रहे थे। इस तरह के रिश्ते में जुनून की भावना अपनी पहचान और प्रायोरिटी, दोनों को मिटा देती है। एकं तरह से आप दूसरे व्यक्ति के बंदी भी बन सकते हैं और अपने जीवन के ज़रूरी पहलुओं को भूल सकते हैं।

यह आपको एक आसान मेटाफर और बहुत सतही किस्म की तुलना लग सकती है। पर न्यूरोसाइकोलॉजिस्ट वास्तव में ही, आमतौर पर ऐसी आसक्ति की तुलना मादकता या नशे के साथ करते हैं।

हमने जिस स्थिति का वर्णन किया है, वह ऑक्सीटोसिन की अधिक मात्रा की वजह से होने वाले नशे के समान है। इस हालत में आप एक ऐसे प्यार पर निर्भर हो जाते हैं जो दुःख देता है, लेकिन जिससे आप अपने को छुड़ा नहीं सकते हैं।

ऑक्सीटोसिन और सामाजिक रिश्ते

इस रसायन को नानोपेप्टाइड (ऐसा एक पेप्टाइड जिसमें नौ एमिनो एसिड होते हैं) वर्ग में रखा जाता है।

  • यह एक हार्मोन और एक सेरिब्रल ट्रांसमीटर की तरह काम करता है। इस छोटे से पेप्टाइड को शुक्रिया, क्योंकि इसकी वजह से हम अपने सामाजिक सम्बंधों से जुड़े हुए फैसले ले पाते हैं। हम उदारता, हमदर्दी या परोपकार जैसी विशेषताओं का प्रदर्शन करने वाले सामाजिक रीतियों से व्यवहार करते हैं।
  • इसलिए अभी कुछ समय पहले तक, रोजमर्रा के सामाजिक सम्बंधों, यहाँ तक कि उनके साथ भी जिनको हम सबसे ज्यादा प्यार करते हैं और जो हमारे सबसे करीब हैं, की वजह से होने वाली स्ट्रेस और एंग्जायटी को कम कम करने की मुख्य चाबी ऑक्सीटोसिन में मानी जाती थी। इसका स्राव मस्तिष्क करता है।
  • लेकिन नये रिसर्च ने अब दिखा दिया गया है कि ऑक्सीटोसिन में एक बुरा पक्ष भी छिपा है। इसके अलावा यह कम स्वस्थ रिश्तों को बढ़ावा देने का उलटा काम करता है। इनमें, पारस्परिक जुनून दोनों साथियों को धीरे-धीरे लेकिन निश्चित आत्म-विनाश की ओर ले जाता है।

ऑक्सीटोसिन और अल्कोहल: वे पदार्थ जिनकी अधिकता से हम आपा खो देते हैं

यह तथ्य कि प्यार कभी-कभी वास्तविक केमिकल जहाजी-विनाश होता है, सिर्फ एक काव्यात्मक अतिरंजना नहीं है, यह एक स्पष्ट हकीकत है।

  • यह जानी-मानी बात है कि दिमागी स्तर पर ऑक्सीटोसिन और अल्कोहल कई समानतायें शेयर करते हैं।
  • दोनों ही प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स और लिम्बिक स्ट्रक्चर में गाबा न्यूरोट्रांसमीटर्स के ट्रांसमिशन के दौरान हस्तक्षेप करते हैं। एंग्जायटी और स्ट्रेस के असर को बढ़ाने में दोनों ही सक्षम हैं। इतना ही नहीं, कुछ प्रकार के व्यवहार को करने में हमें जो डर लगता है, उसे दोनों ही कम करने में सक्षम हैं।
  • दोनों के असर से हमको ज्यादा सुरक्षित महसूस होता है। हममें हिम्मत आती है और नयी चीजें करके देखने की जबरदस्त इच्छा होती है।
ऑक्सीटोसिन और अल्कोहल

इसलिए, भावुक उत्साह पर टिका प्यार और एक बीमार ऑब्सेशन करीब-करीब मदहोश होने जैसा होते हैं। यह हमारे सही संतुलन हासिल करने या हालात के बारे में निष्पक्ष नजरिया बना पाने की दिशा में दीवार बन जाता है।

लोगों पर होने वाले ऑक्सीटोसिन के तीव्र असर की ओर न्यूरोलॉजिस्ट और साइकोलॉजिस्ट दोनों का ही ध्यान गया है।

इससे पहले कि आप कोई ऐसा नया ड्रिंक बनाने या मार्केटिंग करने के बारे में सोचें जिसमें अल्कोहल की जगह ऑक्सीटोसिन का इस्तेमाल किया गया हो, आपको बता दें कि यह व्यावहारिक विकल्प नहीं है।

फिर भी, यह बिलकुल सच है कि डिप्रेशन की कुछ अवस्थाओं और कुछ क्लिनिकल समस्याओं का इलाज करने में इसके उपयोग की गुंजाइश है।       

प्रेम बहुत ही पावरफुल दवा है

हम जानते हैं, जब हम प्रेम में होते हैं, तो हमारा मस्तिष्क एक जादुई स्राव करता है। इसमें डोपामाइन (dopamine), सेरोटोनिन, नॉरएपिनेफ्रीन (norepinephrine) नाम वाले पदार्थों की लम्बी सूची शामिल होती है।

  • इन तमाम न्यूरोट्रांसमीटर को धन्यवाद दीजिये, क्योंकि इनके कारण हमें ज्यादा उर्जा, ज्यादा पैशन महसूस होता है। कुछ नया करके देखने की ज्यादा इच्छा होती है।
  • पर ऑक्सीटोसिन एक ऐसा पदार्थ है जो इन सबमें मध्यस्थता करता है। यह इन केमिकल तत्त्वों के स्राव को बढ़ावा देता है, फिर वे इकट्ठे होकर फेनाइलएथिलेमाइन (phenylethylamine) नाम के एक और भी जबरदस्त असरदार एजेंट के उत्पादन को बढ़ावा देते हैं।
  • शायद आपको यह जानकर ताज्जुब होगा कि यह अंतर्जात रासायनिक कम्पाउंड, एम्फैटेमिन (amphetamine) ग्रुप का है, और हमारे दिमाग में करीब-करीब 4 साल के लिए प्रचुर मात्रा में बना रहता है।
ऑक्सीटोसिन

यह जबरदस्त जुनून के शुरू वाले उस दौर को स्पष्ट कर सकता है, जब हम एक ग्रह के चारों ओर घूमने वाले सेटेलाईट की तरह होते हैं, और यूनिवर्स में मौजूद किसी और चीज को नहीं देख पाते हैं।

यह एकदम नॉर्मल चीज है। लेकिन यह एक ऐसी अवस्था है जिसके बारे में ध्यान रखना चाहिये कि हम अपने आतंरिक कंपास को न खोयें और यह न भूलें कि हमारा नार्थ पोल किधर है।

प्रेम में होना एक जादुई अनुभव हो सकता है। हमें ध्यान रखना चाहिये कि अपनी जगह को न खोयें और नशे में डूबी भावनाओं के भंवर में न फंसे जो दिमाग में ऑक्सीटोसिन की जबरदस्त बाढ़ आने पर होता है।




यह पाठ केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए प्रदान किया जाता है और किसी पेशेवर के साथ परामर्श की जगह नहीं लेता है। संदेह होने पर, अपने विशेषज्ञ से परामर्श करें।