आर्थ्रोसिस रोकने के लिए 6 फायदेमंद टिप्स
क्या आप आर्थ्रोसिस को रोकना चाहते हैं?
आर्थ्रोसिस (Ahtrosis) हड्डी या बोन सिस्टम का एक रोग है जो पुरुष और महिलाओं दोनों को होता है। बुजुर्गों में यह ज्यादा आम है। यह कार्टिलेज और संलग्न हड्डी के डिजेनेरेशन या विकृत होने से होता है।
कार्टिलेज डिजेनेरेशन 50 और 55 वर्ष की उम्र के बीच होता है। इस उम्र में इसके लक्षण ज्यादा साफ होते हैं।
कार्टिलेज कोलाजेन से बना होता है और इसका बुनियादी काम हड्डियों को आपस में रगड़ने से रोकना है।
जब यह टिशू गायब या विकृत हो जाता है, तब हड्डियों के आपस में रगड़ने के कारण दर्द होता है। सूजन और जोड़ों में विकार होने का खास कारण यही है।
यह रोग जब क्रॉनिक बीमारी बन जाता है, तब पीड़ित व्यक्ति की गतिशीलता को नुकसान पहुँचता है। इसलिए समय पर इसका इलाज किया जाना चाहिए। इस मायने में, हमें जोड़ों के दर्द या मुश्किलों की अहमियत को कम करके नहीं आंकना चाहिए। क्योंकि बीमारी को रोक देना इलाज करने से बेहतर है।
कैसे जानें आपको आर्थ्रोसिस है?
युवा व्यक्तियों में इसका दिखाई देना मुश्किल है। फिर भी, ज्यादातर मामलों में आर्थ्रोसिस के लक्षण कुछ विशेष जोड़ों में होना शुरू होते हैं। हमें इन पर ध्यान देना चाहिए :
- हाथ और उँगलियां
- लम्बर एरिया
- हिप्स
- घुटने
- कोहनियाँ
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आर्थ्रोसिस रोकने के लिए टिप्स (Prevent Arthrosis)
1. कैल्शियम खाइए
हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए कैल्शियम खाना बेहद जरूरी है। इसलिए हमें अपने दैनिक डाइट के लिए इसे ध्यान में रखना पड़ेगा।
आर्थ्रोसिस रोकने के लिए हमारी मदद करने के अलावा, यह ऑस्टियोपोरोसिस जैसे दूसरे डिजेनेरेटिव रोगों को रोक या विलंबित कर सकता है। महिलाओं में यह बहुत आम है। इसलिए डाइट में किसी सप्लिमेंट को शामिल करने की संभावना पर विचार करना चाहिए।
2. सब्जियों से भरपूर डाइट
हमें आर्थ्रोसिस रोकने के लिए फलों और सब्जियों से भरपूर डाइट जरूर लेना चाहिए। ये हड्डियों को और आमतौर पर शरीर को कई मिनरल और विटामिन देते हैं।
इन खाद्यों में विटामिन C की मौजूदगी सबसे ज्यादा है :
- साइट्रस फल (संतरा, चकोतरा, टैन्जेरिन)
- स्ट्रॉबेरी
- सेलरी
- गाजर
- बंदगोभी
- ब्रोकली
3. वजन कम करना
मोटापा इस बीमारी का एक दूसरा कारण है जो आजकल बड़े पैमाने पर स्वास्थ्य समस्या के रूप में मौजूद है।
मोटापा, शरीर का भार सम्भालने वाले घुटनों पर बहुत ज्यादा दबाव डाल सकता है। इससे कार्टिलेज का नुक्सान होता है।
4. व्यायाम
यदि सही तरीके से किया जाए, तो रोजाना व्यायाम करना इस तरह के रोगों से बचने और आर्थ्रोसिस रोकने के लिए बढ़िया उपाय है। यदि जिम मे व्यायाम करते हैं तो हमारा पोस्चर बहुत अच्छा होना चाहिए। इससे हमारी हड्डियों और कार्टिलेज़ पर बुरा असर नहीं होगा।
यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि जब हम जॉगिंग करते हैं तब हमें अपनी चाल की ओर से सचेत रहना चाहिए और अपने वजन के अनुसार दूरियों का हिसाब रखना चाहिए।
इन व्यायामों की सलाह दी जाती है :
- पिलेट्स
- योगा
- स्ट्रेचिंग
- तैरना
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5. सही पोस्चर
यदि हम दिन भर बैठ कर काम करते हैं, तो हमारा पोस्चर सही होना चाहिए। हमें सुनिश्चित करना चाहिए कि कुर्सियाँ अर्गनामिक हैं। यदि हम आदर्श पोस्चर का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं तो इसे ठीक करना पड़ेगा।
हरेक घंटे या पचास मिनट पर एक्टिव ब्रेक लेने की सलाह दी जाती है। काम जारी रखने के लिए हमें स्ट्रेचिंग करना चाहिए। यदि किसी प्रकार के काम या अभ्यास या खेल की वजह से हमारा पोस्चर ठीक नहीं रहता, तब हम पर ज्यादा आसानी से आर्थ्रोसिस के शिकार बनेंगे।
6. डॉक्टर से मिलना
जब हमें दर्द का कोई लक्षण दिखाई देता है, तब किसी विशेषज्ञ डॉक्टर से मिलना उचित है। यदि बीमारी है तो इससे पता चल जाएगा, और यह भी जान जाएँगे कि यह कितनी गंभीर है। आपको यह जानकारी भी होगी कि रोग से राहत पाने के लिए क्या इलाज लेना चाहिए। तब, हमें आगे की कार्यवाही करने के लिए समय-समय पर डॉक्टर से मिलना जारी रखना चाहिए।
यदि हमें कभी फ्रैक्चर या ट्रॉमा हुआ है और वह उचित तरीके से ठीक नहीं हुआ है, तब अच्छी तरह से निरोग नहीं होने के कारण आर्थ्रोसिस सीधे कार्टिलेज पर असर करता है।
7. कार्टिलेज का पोषण कीजिए
आजकल ऐसे न्यूट्रिशनल सप्लिमेंट मौजूद हैं जो हमारे शरीर का पोषण करने में मदद करते हैं। इस मामले में हम ग्लुकोज़ामाइन, हाइड्रोलाइज्ड कोलाजेन और हायालुरॉनिक एसिड के इस्तेमाल की सलाह देते हैं। इस तरह हम कार्टिलेज को खुराक और पोषण देंगे जो हमारे शरीर की हड्डियों को ढकता है।
अच्छे स्वास्थ्य के लिए अच्छे पोषण और अच्छी आदतों के साथ, बढ़िया जीवन जीना अहम है। ध्यान में रखना होगा कि कोई भी लक्षण दिखाई देने पर इलाज के लिए हमें भरोसे के डॉक्टर से मिलना चाहिए।
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