6 समस्याएं जो बताती हैं, आपकी आंतों के बैक्टीरिया नियंत्रण से बाहर हो गए हैं
आपकी आँतों (intestine) में माइक्रोब का पूरा एक कुनबा रहता है। ये आंतों की वनस्पति (intestinal flora) या आंतों के बैक्टीरिया (intestinal bacteria) कहलाते हैं।
अक्सर इनकी अहमियत को नजरअंदाज कर दिया जाता है। पर ये आपकी पाचन प्रक्रिया के साथ-साथ रोग प्रतिरोध क्षमता यानी इम्यून सिस्टम में बड़ी भूमिका निभाते हैं।
एक स्वस्थ व्यक्ति में बैक्टीरिया का यह समूह पाचन के पीएच (digestive PH) को सही बनाए रखने में फायदेमंद साबित होता है। साथ ही, यह बीमारी पैदा करने वाले संक्रामक रोगाणुओं के खिलाफ एक सुरक्षा की दीवार भी बनाता है।
खानपान की गलत आदतों, एंटीबायोटिक का सेवन और तनाव के कारण आँतों के बैक्टीरिया की गतिविधि बाधित हो सकती है। यह आंतों के बैक्टीरिया समूह में एक किस्म का असंतुलन पैदा करता है। यह आपकी सेहत को खतरे में डालता है।
परिणाम के तौर पर इसकी गंभीर प्रतिक्रिया होती है। शुरू में तो ये बहुत मामूली लग सकती हैं, लेकिन कुछ समय बाद समस्या क्रॉनिक रूप ले लेती है और इलाज करना मुश्किल हो जाता है।
इसलिए यह जान लेना ज़रूरी है कि स्थिति नियंत्रण से बाहर हो जाने पर आपके शरीर में यह कैसे प्रकट होती है। ज़रूरत हो तो हालात पर काबू पाने के लिए पर्याप्त समय लगाएं।
1. पाचन से जुड़े रोग (Digestive illnesses)
बैक्टीरिया इंटेस्टाइन में रहते हैं। कभी-कभी उनका यह असंतुलन नेगेटिव रिएक्शन का कारण बनता है।
ऐसा इसलिए होता है कि क्षतिग्रस्त सूक्ष्मजीव बढ़ने की कोशिश में अपने सही अनुपात से ज्यादा ग्रोथ कर लेते हैं। इस तरह ये भोजन को तोड़ने और पोषक तत्वों को शरीर द्वारा अवशोषित किये जाने की प्रक्रियाओं को प्रभावित करते हैं।
नतीजतन एसिड जूस और विषाक्त पदार्थों की मात्रा बढ़ जाती है। इसके कुछ लक्षण निम्न हैं:
- गैस और पेट फूलना
- विकृत पेट (distended abdomen)
- पेट में जलन
- अम्ल प्रतिवाह (acid reflux)
- डूअडेनम में अल्सर
- गैस्ट्राइटिस
- दस्त (diarrhea)
- इर्रिटेबल बॉवेल सिंड्रोम
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2. संज्ञानात्मक समस्याएं (Cognitive problems)
भले ही कई लोगों को इस बारे में जानकारी न हो, इंटेस्टाइन के साथ मस्तिष्क की गतिविधियों का करीबी लिंक है। इस वजह से बैक्टीरिया का यह असंतुलन ब्रेन के कार्यों (cognitive functions) में नकारात्मक प्रतिक्रियाएं पैदा कर सकता है।
माइक्रोबियल फ्लोरा (वनस्पतियाँ) कई अहम न्यूरोट्रांसमीटर के उत्पादन में भाग लेता है। जब ये वनस्पतियां असंतुलित हो जाती हैं, तो आपको मेमोरी से जुड़ी समस्याएं और कुछ दूसरे लक्षण पैदा हो सकते हैं जो सोच प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं।
3. पोषक तत्वों की कमी (Nutritional deficiencies)
आंतों में रहने वाले स्वास्थ्यवर्द्धक बैक्टीरिया विटामिन के सही उत्पादन के लिए मौलिक ज़रूरत हैं। विटामिन के साथ-साथ ये खनिज, और आवश्यक पोषक तत्वों के बनने में भी अहम भूमिका रखते हैं।
एक बार जब ये बैक्टीरिया नियंत्रण से बाहर और क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, पाचन प्रक्रिया में खलल पड़ती है। इससे पोषक तत्वों को बेहतर तरीके से अवशोषित करने की शरीर की क्षमता घट जाती है।
शुरू में इस पर ध्यान देना मुश्किल होता है क्योंकि शरीर में पोषक तत्वों का रिजर्व मौजूद है। समय बीतने पर लक्षणों की एक श्रृंखला उभरती है जो बैक्टीरिया की मात्रा में अहम कमी का संकेत देती है।
इस स्थिति में शरीर में होने वाली सबसे आम कमियाँ ये हैं:
- विटामिन D, K, B7, और B12
- मिनरल : मैग्नीशियम और कैल्शियम
4. त्वचा की समस्याएं (Skin problems)
अब तक त्वचा की समस्यायें उभरने से जुड़े कई आंतरिक और बाहरी कारण ज्ञात हैं।
इनमें त्वचा की समस्याओं के साथ आंतों की सेहत का एक करीबी संबंध है। यह पोषक तत्वों को शुद्ध करने और अवशोषण करने में योगदान देता है।
नीचे दी गयी त्वचा समस्यायों में से कोई भी आपके शरीर में आंतों के बैक्टीरिया के असंतुलन की ओर से सचेत कर सकती हैं।
- मुँहासे (Acne)
- रोजेसी (Rosacea)
- सोरायसिस (Psoriasis)
- खुजली (Eczema)
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5. ऑटोइम्यून रोग (Autoimmune diseases)
ऑटोइम्यून बीमारियां आमतौर पर पुरानी होती हैं। ऐसा इसलिए होता है कि शरीर जिन तत्वों को सेहत के लिए खतरनाक मानता है, उनके खिलाफ लड़ने की अपनी कोशिश में उन पर हमला करता है।
इसलिए यह उनके पता लगने और इलाज को मुश्किल बना देता है क्योंकि शुरू में इससे कुछ आम बीमारियों का भ्रम होता है।
भले ही इनकी जड़ें अलग-अलग हों सकती हैं और इनका विश्लेषण किसी डॉक्टर द्वारा ही किया जाना चाहिए, आपको इस संभावना को खारिज नहीं करना चाहिए कि यह आंतों से जुड़ी हो सकती है।
यह उस बैक्टीरिया में बदलाव के कारण होता है जो टिशू की सूजन को बढ़ा देता है। यह लक्षणों के विकास को और बदतर स्थिति में ले जा सकता है।
कुछ बीमारियाँ इस प्रकार हैं:
- रूमेटाइड आर्थराइटिस (rheumatoid arthritis)
- हाशिमोतो थायरॉइड (Hashimoto Thyroid)
- इर्रिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (Irritable bowel syndrome)
- सीलिएक रोग (celiac disease)
- टाइप 1 मधुमेह (type 1 diabetes)
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6. क्रॉनिक स्ट्रेस
तनाव वह भावनात्मक असंतुलन है जो कई आंतरिक और बाहरी कारणों से जुड़ा होता है।
हालांकि यह कुछ स्थितियों में टाला नहीं जा सकता, यह आंतों के बैक्टीरिया में असंतुलन होने पर उसकी प्रतिक्रिया के रूप में भी हो सकता है।
इन मामलों में कॉर्टिसोल (cortisol) के स्राव में वृद्धि होती है, जिससे विषाक्त पदार्थों की मात्रा बढ़ जाती है। यह उन हार्मोन के उत्पादन को प्रभावित करता है जो सेहत को ठीक रखने से संबंधित हैं।
लोग लम्बे समय तक बार-बार लौट कर आने वाले स्ट्रेस से पीड़ित होते हैं, इसे नियंत्रित करने के उपाय करने के बावजूद। यह आंतों की कमजोर सेहत का एक जबरदस्त संकेत है।
यह पता लगाएं कि इन समस्याओं में से कौन सी आदतों में सुधार करने से आपकी आंतों के सेहत को बढ़ावा देने में मदद मिल्गेगी।
आंतो के बैक्टीरिया में असंतुलन से बचने के लिए अच्छा खानपान और विषाक्त पदार्थों (toxins) के लगातार संपर्क से बचाव कुछ सबसे सरल उपाय हैं।
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