बच्चे को सिखाएं कि जब वे खो जाएं तो क्या करें
एक बच्चे का खोना हर माता-पिता के लिये सबसे बुरा सपना होता है। चाहे यह सार्वजनिक स्थान हो या आपके अपने आस-पड़ोस में, यह एक ऐसी स्थिति है जिससे किसी भी परिवार को नहीं गुजरना चाहिए। फिर भी, जितना हम समझते हैं यह उसे ज्यादा होता है। अपने बच्चे की उम्र पर ध्यान दिये बिना उसे यह बताना ज़रूरी है कि अगर खो जायें तो उसे क्या करना चाहिए।
इसके लिये एक सही योजना का होना ज़रूरी है ताकि जब कभी भी ऐसी स्थिति आये तो परिवार के सदस्यों के मन में कोई भ्रम पैदा न हो।
इसका मतलब अपने बच्चों को ओवर-प्रोटेक्ट करना नहीं है, न ही उन्हें नर्वस करना है। यह बस एक साधारण सा सवाल है जो यह सुनिश्चित करता है कि आपका बच्चा जानता है कि क्या करना है और सुरक्षित कैसे रहना है।
ऐसा करके आप उन्हें ऐसे हथियार मुहैया करवायेंगे जो उनके परिपक्व और आत्मनिर्भर हो जाने पर उनके लिये उपयोगी साबित होंगे।
एक बच्चे को कौन सिखा सकता है कि उसे क्या करना चाहिए?
चाहे वह आपका बच्चा हो, भतीजी हो, भतीजा हो या आपके पड़ोसी का बच्चा हो, अगर आप खोए हुए बच्चों की लिस्ट को आगे नहीं बढ़ाना चाहते हैं तो आपका अपने आसपास के लोगों पर अच्छा प्रभाव होना जरूरी है। रोकथाम के कुछ स्टैण्डर्ड तरीके हैं जिन्हें आप अपने परिवार और छोटे बच्चों वाले किसी भी दोस्त के साथ शेयर कर सकते हैं।
एक टीचर, नैनी, स्पोर्ट्स कोच और जो भी लोग बच्चों की जिम्मेदारी संभालते हैं, उनके पास एक आकस्मिक योजना होनी चाहिए। यह बच्चे के खोने के जोखिम को कम करेगा। वे बहुत आसानी से भटक जाते हैं।
आपके बच्चे की उम्र का ख्याल रखते हुए, आपको उन्हें चीजों को एक ऐसी भाषा में समझाना होगा, जिसे वे आसानी से समझेंगे। नियम और गाइड साफ़ और सरल होने चाहिए।
बुनियादी दिशानिर्देश क्या-क्या हैं?
जब कभी भी आपका बच्चा खोता है, भले ही बस कुछ मिनटों के लिए ऐसा हो, उस समय तनाव और चिंता असहनीय हो जाती है। आपके द्वारा दी जा सकने वाली सभी चेतावनियों या पूरा ध्यान रखने के बावजूद एक बच्चे के खोने का ख़तरा हमेशा बना रहता है।
यह मुख्य रूप से तीन से पांच साल तक के बच्चों के साथ ज्यादा होता है। उनकी जिज्ञासा उन्हें आसानी से हमसे दूर कर देती है।
आइए जानते हैं कि क्या करना है:
क्या करना है इस बारे में उनसे बात करें
यह चर्चा घर पर होनी चाहिए। यहां तक कि अगर आपका बच्चा किसी और के साथ है, तो यह ज़रूरी है कि उन्हें पता हो, अगर वे खो जाएँ तो क्या करना है।
यह उन्हें डराने के लिए नहीं है। इन बातों को शांतिपूर्ण और सकारात्मक तरीके से सिखाया जाना चाहिए।
आप उन्हें बता सकते हैं कि कुछ सेकंड के लिए खो जाना और किसी बड़े से अलग हो जाना बहुत मामूली है। आपके बच्चे को यह समझ आना चाहिये कि, आपके द्वारा बताई गयी बातों का पालन करने से उन्हें ढूंढने में आसानी होगी।
उन्हें सुरक्षित तरीके से मदद मांगना सिखायें
हम हमेशा अपने बच्चों को अनजाने लोगों से बात नहीं करने के लिए कहते हैं। लेकिन अगर वे खो जाते हैं, तो हमें चाहिये कि उन्हें सिखायें कि किसी ऐसे आदमी की पहचान कैसे करें जिससे वे सुरक्षित तरीके से संपर्क कर सकें।
- उन्हें बताएं कि वे किसी ऐसे व्यक्ति के पास जा सकते हैं जो बच्चों के साथ हो।
- अगर उन्हें कोई भी आदमी बच्चों के साथ नहीं दिखता है, तो वे किसी अकेली महिला या सिक्योरिटी ऑफिसर से संपर्क कर सकते हैं।
- फिर उन्हें उस आदमी को बताना होगा कि वे खो गए हैं, उन्हें अपना पूरा नाम, अपने माता-पिता का नाम और उनका फोन नंबर बताना होगा। जाहिर है, इन सारी जानकारियों को अच्छी तरह से याद रखने के लिए आपको भी उनके साथ मेहनत करनी होगी।
उन्हें बतायें कि जब वे खो जाते हैं तो एक जगह पर रहें
कभी-कभी, जो चीज स्थिति को और ज्यादा ख़राब करती है वह यह कि जब कोई बच्चा खो जाता है तो वह एक जगह से दूसरी जगह घूमता है।
आपको उन्हें यह सिखाना होगा कि सबसे अच्छा उस जगह पर रहना है जहां उन्होंने आपको आखिरी बार देखा था। आपको हर बार घर से निकलते समय उन्हें यह बात याद दिलानी चाहिये।
उन्हें भरोसा दिलाएं कि आप आयेंगे और उन्हें ढूंढ लेंगे चाहे वे जहां कहीं भी हों।
आपका बच्चा आपके द्वारा बताई गयी बातें समझ चुका है यह सुनिश्चित करने का एक सरल तरीका उनके साथ इसका अभ्यास करना है। हर बार जब भी आप बाहर जायें, उनसे पूछें कि अगर वे खो जाएँ तो वे क्या करेंगे।
आप उनसे इस तरह के सवाल भी पूछ सकते हैं:
- अगर आपको कोई भी आदमी बच्चों के साथ न दिखाई दे तो आप किसके पास जाएंगे?
- अगर कोई आदमी आपसे आपके माता-पिता को खोजने के लिए अपने साथ चलने के लिए कहे तो आप क्या करेंगे?
इस तरह के सवालों की प्रैक्टिस करें ताकि आप सुनिश्चित हो जायें कि आपका बच्चा जानता है कि वास्तव में उसे क्या करना है।
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आखिरी सुझाव
ऊपर बताये गये दिशानिर्देशों के साथ-साथ अपने बच्चे को हमेशा आपका हाथ पकड़कर चलने के लिए मनाना भी समझदारी है। उनके कपड़ों पर उनका नाम, आपका नाम और आपके फोन नंबर का एक लेबल लगाना भी एक अच्छा विचार है।
बहुत छोटे बच्चे जो इन सारी जानकारियों को ठीक से याद नहीं रख पाते हैं, उन्हें ये सभी जानकारियाँ एक कागज़ में लिखकर देना भी एक अच्छा विचार हो सकता है। जब वे खो जाते हैं तो वे इसे किसी बड़े आदमी को दिखा सकते हैं।
इसके अलावा, आपको यह पता होना चाहिये कि आख़िर में जब आप अपने बच्चे को ढूंढ लेते हैं तो आपको क्या करना है। उन पर गुस्सा करना और चिल्लाना बहुत गलत होगा। याद रखें, बच्चों का मकसद खो जाना नहीं होता है।
अंत में, जब आप उन्हें ढूंढ लेते हैं, तो यह सही समय है यह दिखाने का कि आप उनसे कितना प्यार करते हैं और आप कितने खुश हैं कि आपने उन्हें ढूंढ लिया। बाद में, जब सब कुछ ठीक हो जाये, तो आप साथ मिलकर चीजों का विश्लेषण कर सकते हैं।
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