एटिपिकल डिप्रेशन: सबसे मुश्किल डायग्नोसिस वाले रोगों में से एक
एटिपिकल डिप्रेशन (Atypical Depression) यानी अप्रतिरूपी अवसाद डिप्रेशन की एक टाइप है। इसे पहचानना बहुत मुश्किल होता है क्योंकि इसके लक्षण उन समस्याओं जैसे थकान, स्ट्रेस या फिर मेटाबोलिज्म से जुड़ी समस्याओं से मिलते-जुलते हो सकते हैं।
हालाँकि, यहाँ पर याद रखने वाली बात यह है कि जब हम इस प्रकार की भावनात्मक समस्याओं के बारे में बात करते हैं, तो लोगों को ठीक से यह पता नहीं होता कि उन्हें क्या हुआ है।
इसके अलावा, जो हो रहा है वह मामूली थकान या केवल एक बुरे पल के कारण नहीं हो सकता है।
आपका प्राइमरी केयर फिजीशियन बेशक वह पहला व्यक्ति है जिसे इन लक्षणों के बारे में पता होना चाहिए। आपको याद रखना होगा कि कभी-कभी ये लक्षण खुद को बढ़ता हुआ मोटापा या सुस्ती (drowsiness) की आड़ में छिपाकर आपका ध्यान भटका सकते हैं।
आज के आर्टिकल में हम इस समस्या के बारे में विस्तार से चर्चा करना चाहते हैं और उन चीजों पर प्रकाश डालना चाहते हैं जिनके बारे में आपको पता होना चाहिए।
एटिपिकल डिप्रेशन: जब शरीर दुखता है क्योंकि आत्मा दुखी है
अधिकांश हेल्थ प्रोफेशनल्स के पास डिप्रेशन की पहचान करने के लिए एक बुनियादी प्रोटोकॉल होता है: बार-बार नकारात्मक विचारों का आना, बेबसी महसूस करना, अनिद्रा और आत्मघाती ख्याल।
वहां से, वे एक बहुत सटीक पहचान कर सकते हैं और साबित कर सकते हैं कि रोगी किस प्रकार के डिप्रेशन से पीड़ित है। तब ही, वे औषधीय और चिकित्सीय उपचार तय कर सकते हैं जिनका पालन किया जाना चाहिए।
फिर भी, जब तक एक इंसान अपने आत्मघाती विचारों को व्यक्त नहीं करता, तब तक एटिपिकल डिप्रेशन नहीं साबित होता। बेशक, यह एक चेतावनी है जो मरीज़ और उनके परिवार दोनों से मदद मांगता है।
हालांकि, इससे पहले, रोगी के जीवन की गुणवत्ता कई तरह से प्रभावित हो चुकी होती है।
शारीरिक लक्षण (Physical symptoms)
एटिपिकल डिप्रेशन वाले लोगों में अक्सर बिना किसी स्पष्ट कारण के वजन बढ़ जाता है। यह सामान्य से अधिक भूख लगने या परेशान होने के लिए काफी नहीं है। रोगी का मेटाबोलिज्म वास्तव में बदल जाता है। जिससे फैट का जमाव आसान हो जाता है।
इसका एक और आम लक्षण थकान और शरीर में होने वाला दर्द है, खासकर बाहों और पैरों में। वे बहुत ज्यादा भारीपन महसूस कर सकते हैं, इतना ज्यादा कि दिन में कई बार उनके लिए चलना-फिरना मुश्किल हो सकता है।
यह थकान आपको अपने रोज़मर्रा के कामों को न करने की इच्छा या इच्छा में कमी का कारण बनती है। नतीजतन आप खुद को अपनी आम सामाजिक गतिविधियों से अलग कर सकते हैं।
अतिनिद्रा (Hypersomnia)
एटिपिकल डिप्रेशन वाले लोग बहुत लंबे समय तक सो सकते हैं।
वे लगातार 10 घंटे तक सो सकते हैं। यह उन्हें लगातार थकान और कमज़ोरी की हालत में बनाये रखता है। उन्हें वास्तविकता से अलग अनुभव भी हो सकते हैं।
अतिसंवेदनशीलता (Hypersensitivity)
यह मानसिक विक़ार आपको चिड़चिड़ा, सनकी बनाता है और पॉजिटिव भावनाओं को महसूस करने से रोकता है।
आप एक दूरी ही से अच्छी खबरों, आराम के पलों, हँसी और त्योहारों को देख सकते हैं। वे कष्टदायक या समझ से बाहर महसूस हो सकते हैं।
रोगियों के मन में ख़तरनाक (catastrophic) ख्याल आ सकते हैं। उन्हें यह लग सकता है कि वे जो कुछ भी शुरू करते हैं वह हमेशा बुरे नतीजे के साथ ख़त्म होगा, इसलिए कोई भी क्रिया या प्रतिक्रिया करके फायदा नहीं है क्योंकि उनका किसी भी चीज़ पर नियंत्रण नहीं है।
गहरी चिंता का दौर (Times of great anxiety)
गहरी चिंता भी इस तरह के डिप्रेशन से भी जुड़ी होती है।
काफी अजीब बात है, एटिपिकल डिप्रेशन से पीड़ित व्यक्ति को यह अच्छे से पता होता है कि वे कितने असुरक्षित हैं, और वे इसे लेकर बुरा महसूस करते हैं। यह एक सेल्फ-रिजेक्शन का कारण बनता है जो एंग्जायटी को और ज्यादा बढाता है।
महीनों तक तनाव, घबराहट और चिंता के साथ-साथ सुस्ती और थकान भरे दौर से गुजरना आम है।
स्वाभाविक रूप से, इसका उनके काम और सामाजिक जीवन पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
एटिपिकल डिप्रेशन किस वजह से होता है?
एटिपिकल डिप्रेशन पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं को भी प्रभावित करता है।
जैसा कि इस तरह की बीमारी में हमेशा होता है, कुछ लोग होते हैं जो मदद मांगते हैं और कुछ होते हैं जो बेहतर तरीके से इसे नियंत्रित कर पाते हैं या भावनात्मक राहत महसूस करते हैं।
दूसरी ओर, एटिपिकल डिप्रेशन का कोई एकमात्र या खास कारण नहीं होता है। यह एक बहुआयामी सच है।
चलिये, इसके संभावित कारणों की विस्तार से जांच करते हैं।
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संभावित कारण
आमतौर पर इसके पीछे कोई जेनेटिक कारण होता है। अगर आपके माता-पिता इस बीमारी से पीड़ित हैं, तो इसकी बहुत ज्यादा संभावना है कि जब भी आप किसी कठिन परिस्थिति का सामना कर रहें हों, तो आप भी इस समस्या से पीड़ित हो सकते हैं। इसमें नुकसान, ब्रेकअप, कोई दर्दनाक घटना आदि शामिल हो सकती हैं।
एक्सपर्ट्स बताते हैं कि यह आमतौर पर दो फैक्टर्स के संयोजन के रूप में विकसित होता है: कोई दुर्घटना या गुमचोट और एक आनुवंशिक विक़ार।
बाकी समय, यह बहुत सारी चीजों की अधिकता का नतीजा हो सकता है। पारिवारिक समस्याएं, अपने जीवन से खुश न होना, रोज़ाना की स्ट्रेस, और अपनी भावनाओं को काबू करने में होने वाली कठिनाई इस समस्या का कारण बन सकती हैं।
इलाज
एटिपिकल डिप्रेशन आमतौर पर दिखाई देता है और दो वर्षों के दौरान ग़ायब हो जाता है।
इस बीमारी के इलाज के लिए एक बहुआयामी (multidimensional) पद्धति मौजूद है। इसमें दवाइयाँ, मनोवैज्ञानिक इलाज, सामाजिक मदद और लाइफ-स्टाइल में बदलाव शामिल हैं।
यह डिप्रेशन की ही एक उप-श्रेणी है। इसका मतलब है कि पीड़ित व्यक्ति एक चुनौती का सामना कर रहा है जिसके लिए उसे परिवार और क़रीबी दोस्तों, अच्छी देखभाल, धैर्य और सहानुभूति की आवश्यकता होती है।
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