प्यार और ऑब्सेशन : आप क्या महसूस कर रहे हैं?
प्रेम इतना प्रबल एहसास होता है कि कभी-कभी वह आपके काबू से बाहर चला जाता है। वह लगातार हमारा पीछा करते रहने वाले जुनून (Obsession) में तब्दील हो जाता है। आप अपने जुनून के शिकंजे में हैं या अपने प्यार के कोमल आगोश में, इस बात का फैसला कर पाना आसान नहीं होता।
आज हम चाहते हैं, प्यार और जुनून के बुनियादी फर्क पर आप गौर करें। ऐसा करके हम अपने मन की पहेली को बेहतर ढंग से सुलझा पाते हैं।
प्यार या जुनून (Love or obsession)?
दुनिया से अलग-थलग हो जाने वाला रोग
किसी इंसान के लिए आपकी दीवानगी जब से हद से ज़्यादा बढ़ जाती है, तब आपके रिलेशनशिप के इर्द-गिर्द एक दीवार बन खड़ी होती है। वह दीवार आपके रिश्ते के लिए अच्छी नहीं होती। दूसरों से कटे-कटे रहने के उस एहसास से आपका दम घुटने लगता है। इसके लिए ज़िम्मेदार होती है हरेक चीज़ को अपने काबू में रखने की आपकी चाह।
नतीजतन अपने रिलेशनशिप का लुत्फ़ उठाने की जगह आप पाते हैं कि शंकायें और शतर्कता आपके मन में घर कर चुके हैं। दरअसल सच्चे प्यार वाले किसी रिश्ते में तो ईमानदारी ही मायने रखती है।
ऑब्सेशन और आत्मविश्वास
कहीं न कहीं, आपके जुनून का नाता आपमें आत्मविश्वास की कमी से भी होता है। हममें कहीं कोई न कोई कमी होती है। हमें किसी ऐसी चीज़ की ज़रूरत महसूस होती है, जो हमारे पास नहीं है। हमारी वह ज़रूरत ही एक जुनून में तब्दील हो जाती है। अपने व्यक्तित्व को कहीं गुम न हो जाने दें: खुद को पूरा करने के लिए आपको किसी की ज़रूरत नहीं होती।
आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि अपने आपमें आप पहले से ही पूरे हैं। वहीं, बात जब प्यार की आती है तो उसमें हम किसी की खोज खुद को पूरा करने के लिए न करके खुद में निखार लाने के लिए करते हैं।
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इकरार ही प्यार का दूसरा नाम है
ब्रेकअप हमेशा अपने साथ एक दर्द भरा दौर लाता है। उस दौर से गुज़रने के अलावा आपके पास और कोई चारा नहीं होता। हाँ, देर-सवेर आप उस सच को स्वीकार कर ही लेते हैं। मगर जुनून के साथ ऐसा नहीं होता। आपको दर्द तो होता है, पर अपने अतीत को भुलाने को आप तैयार नहीं हो पाते। अपनी यादों के चंगुल में आप फंसे और बंधे रह जाते हैं। कई बार किसी थेरेपी के बगैर आप अपने हालात से समझौता ही नहीं कर पाते।
आपका साथी भी आख़िर एक इंसान ही है
यह तो ज़ाहिर-सी बात है। लेकिन जुनून के मामले में यह बात इतनी ज़ाहिर नहीं होती। ऐसे में, आपका साथी आपकी संपत्ति की तरह हो जाता है। आपको लगने लगता है कि उसपर सिर्फ़ और सिर्फ़ आपका ही हक़ है। इसके पीछे कारण होती है उसके माध्यम से अपनी कमी की भरपाई करने की हमारी चाह।
अंदर ही अंदर आपको लगता है कि आपका साथी आपका “कर्जदार” है व आप उसके बिना जी नहीं सकते। अपनी इसी ज़रूरत के चलते आप उसे किसी इंसान के तौर पर न देखकर अपनी संपत्ति की तरह देखने लगते हैं। प्यार का मतलब तो अपने प्रेमी को अपने दिल में बसाकर जीना होता है। प्यार में आपके प्रेमी को भी उतने ही अधिकार और छूट होती है, जितनी कि आपको।
चालाकी से काम निकालने का इरादा
कभी-कभी रिलेशनशिप में एक व्यक्ति की अपने साथी में दिलचस्पी कम या बिल्कुल ख़त्म हो जाती है। अगर उस रिलेशनशिप का आधार प्यार हो तो इससे दुखी हो उठाना लाज़मी है। लेकिन कभी न कभी आप अपने मन को समझाकर उस ब्रेअकप को स्वीकार कर ही लेते हैं।
लेकिन जुनून के मामले में हमेशा ऐसा नहीं होता। बल्कि उसका इस्तेमाल तो अपने साथी के खिलाफ़ किसी हथियार के तौर पर किया जाता है। ऐसा करके दिलचस्पी की उस कमी के लिए वे अपने साथी को कसूरवार महसूस करवाते हैं।
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बातचीत की अहमियत
बातचीत और हमदर्दी किसी भी अच्छे रिश्ते की नींव होते हैं। पहियों की भांति वे उस लगातार चालू रखते हैं। पर जुनून पर आधारित रिलेशनशिप्स में बातचीत व संपर्क का नामोनिशान भी नहीं होता। वहां तो यह डर मौजूद होता है कि आपका साथी आपसे दूर हो जाएगा, कहीं और चला जाएगा या आपको छोड़ देगा।
इसीलिए आपको लगने लगता है कि सब कुछ ठीक है। हालात के प्रति आँखें मूंदकर आप वास्तविक परेशानी से मुंह मोड़ लेते हैं। मगर अंत में यह आपको थका कर चूर कर देता है, क्योंकि अंदर ही अंदर आप जानते हैं कि हालात बिल्कुल भी अच्छे नहीं हैं।
क्या कभी आपने “प्यार” के इन दो रंगों को महसूस किया है या फ़िर आप अपने जुनून को ही प्यार समझ बैठे हैं? अपने रिश्ते को ऑब्सेशन की हद तक ले जाने वाले लोग अक्सर अपने दिल पर काफ़ी चोट खा बैठते हैं। उनकी ज़रूरतें जो पूरी नहीं हो पाती। वे किसी को बदलने या कुछ और करने का कोई मौका ही नहीं दे पाते। अपने साथी के लिए आख़िर उन्होंने हर चीज़ दांव पर जो लगा दी होती है।
लेकिन इस समस्या की जड़ में होती है अपने आप को भुला देने की उनकी भूल। इसका इकलौता समाधान है खुद को दुबारा खोज निकालना। ऑब्सेशन न ही कभी प्यार था और न ही कभी प्यार होगा। आपको इस फर्क को समझकर उसे अपने मन में बैठा लेना चाहिए। ऐसा करके आप पहले से ज़्यादा आज़ाद व खुश रह सकेंगे।
- Honari, B., & Saremi, A. A. (2015). The Study of Relationship between Attachment Styles and Obsessive Love Style. Procedia – Social and Behavioral Sciences. https://doi.org/10.1016/j.sbspro.2014.12.617
- Solomon, R. C. (2002). Reasons for love. Journal for the Theory of Social Behaviour. https://doi.org/10.1111/1468-5914.00173