माइग्रेन के कारण, लक्षण, डायग्नोसिस और ट्रीटमेंट

इस आर्टिकल में माइग्रेन के बारे में जानने योग्य तमाम बातों का पता लगाएं।
माइग्रेन के कारण, लक्षण, डायग्नोसिस और ट्रीटमेंट

आखिरी अपडेट: 30 अगस्त, 2019

मौजूदा आबादी का बड़ा हिस्सा रेगुलर माइग्रेन से पीड़ित है। यह न्यूरोलोजिकल बीमारी उनके जीवन की क्वालिटी पर असर डालती है। इससे उनका मूड प्रभावित हो सकता है। इससे डिप्रेशन और आइसोलेशन हो सकता है।

इस लेख में माइग्रेन से होने वाले सिरदर्द के कारणों के साथ-साथ उनके डायग्नोसिस और इलाज की खोज करें।

माइग्रेन (Migraine) क्या है?

माइग्रेन (Migraine) क्या है?

माइग्रेन एक न्यूरोलॉजिकल गड़बड़ी है जिसकी विशेषता गहरा सिरदर्द है। कुल मिलाकर कई लोग जो ऐसे सिरदर्द से पीड़ित हैं, अक्सर उन्हें स्ट्रेस, टेंशन या एंग्जायटी से जोड़कर देखते हैं।

माइग्रेन सिर के एक या दोनों तरफ लोकल पेन के रूप में होता है। आमतौर पर यह ऐसा दर्द है जो पीड़ित व्यक्ति को पूरी तरह से अक्षम कर देता है और आबादी के एक बड़े हिस्से (18% वयस्क महिलाओं और 6% वयस्क पुरुषों) को चपेट में लेता है।

क्लासिक माइग्रेन जिसे “औरा माइग्रेन” के रूप में भी जाना जाता है, अक्सर दृष्टि से जुड़े लक्षणों के साथ शुरू होता है। संवेदी समस्याएं जैसे कि रोशनी के कौंध या ब्लाइंड स्पॉट (अंध बिंदु) के रूप में उभरते हैं। ये लक्षण आमतौर पर 10 से 30 मिनट तक रहते हैं।

माइग्रेन के सिरदर्द के कारण

कुल मिलाकर जो लोग माइग्रेन से पीड़ित हैं वे कई तरह के पैटर्न और दर्द का अनुभव करते हैं। इसके अलावा रोगी जीवन भर कई प्रकार के माइग्रेन से जुड़े दर्द से पीड़ित हो सकता है।

यह जानना बहुत महत्वपूर्ण है कि इस समस्या के कारण क्या हो सकता है। आखिरकार यह आपको इसकी तीव्रता को रोकने या कम करने की सुविधा दे सकता है।

इस न्यूरोलॉजिकल रोग के कारण या ट्रिगर हैं:

  • धूम्रपान और शराब की लत।
  • स्ट्रेस
  • नींद से जुड़ी समस्या।
  • तेज गंध की एक्सपोजर।
  • अचानक जलवायु में बदलाव।
  • कुछ खाद्य पदार्थों (MSG, कृत्रिम स्वीटनर, सोया, डेयरी प्रोडक्ट, कैफीन, चॉकलेट, खट्टे फल, केले, एवोकैडो आदि) का सेवन।
  • तेज रोशनी में बहुत देर तक एक्सपोजर।
  • कुछ दवाएं।

माइग्रेन के सिरदर्द के लक्षण

कुल मिलाकर इस रोग के लक्षण बहुत ही विशिष्ट और पहचानने योग्य होते हैं:

  • इसका एक बड़ा लक्षण एक तरह का तेज सिरदर्द है जो सिर, गर्दन और चेहरे की मांसपेशियों से फैलता है। यह दर्द 4 से 72 घंटों तक रह सकता है।
  • मतली और उल्टी (Nausea and vomiting)।
  • फोटोफोबिया और फेनोफोबिया। माइग्रेन के कारण रोशनी और आवाज के प्रति अति संवेदनशीलता आ जाती है।
  • त्वचा में पीलापन।
  • थकान।
  • धकधकी (Palpitations)।
  • देखने योग्दृय लक्षण: फ्लैश, ब्लाइंड स्पॉट्स, जिगज़ैग लाइनें, नज़रों का आंशिक नुकसान या आंखों में दर्द।
  • मनोवैज्ञानिक बदलाव: स्ट्रेस, एंग्जायटी, अनिद्रा (इनसोम्निया), डिप्रेशन और यहां तक ​​कि घबराहट और आक्रामकता।

इस तरह माइग्रेन पीड़ित व्यक्ति को कोई एक्टिविटी करने की इजाज़त नहीं देता है। कुछ दूसरे आम लक्षण भी हैं उभर सकते हैं:

  • सिर चकराना (Dizziness)।
  • खुजली, झुनझुनी और गुदगुदी।
  • अनैच्छिक बॉडी मूवमेंट।
  • अस्पष्ट भाषण।

डायग्नोसिस

इसकी डायग्नोसिस रोगी के लक्षणों पर निर्भर करती है। मरीज की डायग्नोसिस करने के लिए डॉक्टर को बहुत ब्यौरेवार मेडिकल हिस्ट्री की ज़रूरत होती है। स्वाभाविक रूप से रोगी का अपने दर्द के बारे में जानकारी देना बहुत महत्वपूर्ण है।

आमतौर पर ज्यादातर रोगियों को इस स्थिति की डायग्नोसिस करने के लिए न्यूरोलॉजिस्ट से मिलने की ज़रूरत नहीं होती है। सिर्फ उन मामलों में जहां दूसरे किस्म का सिरदर्द या किसी दूसरी बीमारी का संदेह है, इमेजिंग टेस्ट की ज़रूरत हो सकती है। इन मामलों में विशिष्ट टेस्ट एमआरआई और कैट स्कैन होते हैं।

माइग्रेन ट्रीटमेंट

इस स्थिति से मुकाबले के लिए दो ट्रीटमेंट स्ट्रेट्जी हैं: औषधीय इलाज और नेचुरल ट्रीटमेंट।

औषधीय इलाज

दवा का चुनाव माइग्रेन के कारण पर निर्भर करता है:

  • पेन किलर और एंटी इन्फ्लेमेटरी ड्रग्स : आइबुप्रोफेन, एस्पिरिन, पेरासिटामोल आदि। हालांकि ये दवाएं सिर्फ हल्के या मीडियम माइग्रेन पर ही असरदार साबित होती हैं।
  • एंटीएमेटिक्स (Antiemetics) या वमनरोधी दवाएं : आमतौर पर इनका उपयोग उल्टी और मतली को रोकने के लिए किया जाता है।
  • एंटीहाइपरटेन्सिव ड्रग्स : आम तौर पर इनका इस्तेमाल हाई ब्लडप्रेशर के कारण होने वाले माइग्रेन के लिए किया जाता है।
  • एंटीडिप्रेसन्ट : ये डिप्रेशन या स्ट्रेस के कारण होने वाले माइग्रेन और सिरदर्द के लिए सबसे अच्छे हैं।

नेचुरल थेरेपी

माइग्रेन के इलाज के लिए नेचुरल थेरेपी हमेशा मरीजों की डाइट पर आधारित होती हैं। कुल मिलाकर नेचुरल फ़ूड का सेवन बढ़ाना और प्रोसेस्ड प्रोडक्ट (पेस्ट्री, स्नैक्स, प्रीक्यूक्ड फ़ूड इत्यादि) में कमी लाना ज़रूरी है। इसके अलावा ग्लूटेन या लैक्टोज इनटॉलेरेंस जैसे संभावित फ़ूड इनटॉलेरेंस पर काबू पाना महत्वपूर्ण है।

नेचुरल थेरेपी हार्मोनल सिस्टम, लिवर फंशन, किडनी,  इंटेसटाइन और भावनाओं के इलाज के लिए पूरे हेल्थ को ध्यान में रखती है। दूसरी तकनीकों के अलावा एक्यूपंक्चर, होम्योपैथी, मैग्नेट थेरेपी और क्रोमोथेरेपी, सभी अच्छे नतीजे दे सकते हैं।



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