महिलाओं में हाई ब्लड प्रेशर : 5 अहम बातें

उच्च रक्तचाप कई कारकों पर निर्भर करता है। इसलिए अच्छा है कि उन कारकों पर निगाह रखा जाए जिन्हें हम कंट्रोल कर सकते हैं। अगर यह बीमारी हमारे परिवार में हैं, तो उच्च रक्तचाप के नेगेटिव प्रभावों से बचाव के लिए हमें एक्सपर्ट की सलाह भी लेनी चाहिए।
महिलाओं में हाई ब्लड प्रेशर : 5 अहम बातें

आखिरी अपडेट: 20 दिसंबर, 2018

कई लोग गलती से मान बैठते हैं कि हाई ब्लड प्रेशर मुख्यतः पुरुषों को शिकार बनाता है। जबकि सच यह है कि यह बीमारी लिंगभेद के बिना दोनों को बराबर प्रभावित करती है।

तथ्य तो यह है कि महिलाओं में उच्च रक्तचाप अक्सर “खामोश” बीमारी बनकर आता है, कई समस्याओं का कारण बनने पर भी वक्त रहते जिसकी डायग्नोसिस नहीं हो पाती।

यहाँ एक तथ्य का जिक्र करना ज़रूरी है। जब महिलाएं मेनोपाज से गुजरती हैं, तो हमउम्र पुरुषों के मुकाबले हाई ब्लड प्रेशर का शिकार होने की संभावना उनमें ज्यादा रहती है।

इसलिए यह अहम है कि ऐसी महिलाएं अपने डॉक्टरों से नियमित जांच कराती रहें।

इसके अलावा घर पर ब्लड प्रेशर मॉनिटर होना बहुत उपयोगी होता है। इससे आप किसी भी समय अपने रक्तचाप की जांच कर सकती हैं।

अपने रक्तचाप को मॉनिटर करने के लिए आप जो भी प्रयास करती हैं, भले ही वह बहुत मामूली क्यों न हो, अपनी बेहतर देखभाल में आपकी मदद करेगा। यहाँ हम हाई ब्लड प्रेशर के बारे में 5 तथ्यों की व्याख्या करने वाले हैं। अगर आप एक महिला हैं तो इन्हें ध्यान में रखना आपके लिए बहुत अहम होगा।

1. हाई ब्लड प्रेशर वाली महिलाओं की तादाद बहुत ज्यादा है

पिछले दो दशकों में महिलाओं में हाई ब्लड प्रेशर के मामले बहुत बढ़े हैं। यह निस्संदेह एक ज्वलंत तथ्य है जो हमारा ध्यान खींचता है और जिसे हमें याद रखना चाहिए।

इसके कारण निम्न कारण हो सकते हैं:

  • तम्बाकू सहित धूम्रपान यह अब महिलाओं में आम बात है।
  • पेशे के दबाव समेत फैमिली प्रेशर, मसलन बच्चों या परिवार के सदस्यों की देखभाल करना। इनसे महिलाओं के बीच रक्तचाप दर में वृद्धि हो सकती है।
  • डॉक्टरों का कहना है, अभी भी औसतन 40 से 50 वर्ष की आयु वाले पुरुषों के बीच रक्तचाप की दर ऊँची होती है।
  • हालांकि, मेनोपाज जैसे बहुत से कारकों के कारण 50 से 60 वर्ष की उम्र वाली महिलाओं में हाई ब्लड प्रेशर की दर इसी उम्र वाले पुरुषों से ज्यादा है।

2. गर्भनिरोधक और हाई ब्लड प्रेशर

मेयो क्लिनिक द्वारा की गयी अहम स्टडी जैसे कई अध्ययनों की मानें तो गर्भनिरोधक गोली उन महिलाओं का ब्लड प्रेशर बढाती हैं जो इसका सेवन करती हैं।

अगर हम मोटे हैं और वजन ज्यादा है, तो इसका शिकार होने की  संभावना ज्यादा होती है। हालांकि, ऐसे अन्य कारण भी हैं जो इसके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं:

  • 35 से ज्यादा उम्र का होना।
  • परिवार में हाई ब्लड प्रेशर का इतिहास।

अगर आप इस समय ओरल गर्भ निरोधक लेती हैं, तो इससे जुड़े संभावित साइड इफेक्ट के बारे में जानने के लिए डॉक्टर की सलाह लेने से न झिझकें।

3. महिलाओं में हाई ब्लड प्रेशर और मेनोपाज

मेनोपाज से पहले किसी महिला के जीवन में उसका रक्तचाप आमतौर पर स्टेबल रहता है। अगर वह स्मोकिंग नहीं करती है या बहुत तनाव में नहीं है, तो यह स्थिति बनी रहती है।

हालांकि, नेचुरल या सर्जिकल मेनोपाज से गुजरने पर महिला का रक्तचाप बढ़ता है। सर्जिकल मेनोपाज की ज़रूरत तब होती है जब मेडिकल कारणों से ओवेरी को निकालना पड़ता है।

  • एस्ट्रोजेन ( estrogen) की कमी का सम्बन्ध हाई ब्लड प्रेशर से पाया गया है। एक विशिष्ट संरचना पर ध्यान केंद्रित करें तो इसकी व्याख्या मिल जाती है। यह है एंडोथेलियम (endothelium)।
  • एंडोथेलियम का काम कुछ नसों (vessels) में फैलाव और सिकुड़ने को नियंत्रित करना है। इसके कारण आपका रक्तचाप स्थिर रहता है और जीवन की गुणवत्ता अच्छी होती है।
  • हालांकि, जब महिलाएं मेनोपाज से गुजरती हैं, तो यह संरचना कम सक्रिय होती है। इससे आर्टरी की दीवारें ज्यादा कठोर हो जाती हैं और हमारा रक्तचाप को बढ़ता है।

एस्ट्रोजेन की यह कमी हमारा वजन भी बढ़ाती है। दुर्भाग्य से पेट के चारों ओर जमा होने वाला फैट भी रक्तचाप को बढ़ाता है।

महिलाओं में हाई ब्लड प्रेशर : लक्षण

4. महिलाओं में उच्च रक्तचाप के लक्षण

  • सिरदर्द, जो सुबह और शाम को तेज होता है
  • थकान (Fatigue)
  • आँखों में सूजन
  • नज़र का धुंधलापन
  • तेज धड़कन (Palpitations)
  • कान बजना
  • एंग्जायटी
  • ध्यान केंद्रित करने में ज्यादा कठिनाई
  • सीढ़ियाँ चढ़ने समेत किसी भी एक्टिविटी के दौरान थका हुआ महसूस करना और साँसों का तेज हो जाना।
  • अनिद्रा (Insomnia)।
  • मूत्र में रक्त का आना। यह तब ज्यादा दिखता है जब हाई ब्लड प्रेशर पहले से ही आपके गुर्दे को प्रभावित कर चुका हो।
  • चक्कर आना
  • सामान्य कमजोरी का अनुभव

मेनोपाज से गुजरने पर ये सभी लक्षण तेज हो सकते हैं।

5. उच्च रक्तचाप का इलाज कैसे करें

महिलाओं में हाई ब्लड प्रेशर : इलाज

सबसे पहले यह पता लगाना अहम है कि परिवार में उच्च रक्तचाप का कोई इतिहास है या नहीं। ऐसा हो तो आपको अपने डॉक्टर को यह बता देना चाहिए ताकि वह नियमित रूप से इसकी जांच कर सकें।

नीचे बताये गए उपायों का कड़ाई से पालन करना अहम होगा :

  • हर समय बैठे रहने से बचें। उदाहरण के लिए, आपको हर दिन कम से कम आधे घंटे चलना चाहिए।
  • यदि धूम्रपान करते हैं, तो अभी छोड़ दीजिये।
  • अपने आहार में नमक की मात्रा घटायें।
  • एक दिन में कम से कम 2 लीटर पानी पियें।
  • एक गिलास पानी के साथ नींबू पीकर दिन की शुरुआत करें।
  • आर्टीचोक (Artichoke), गाजर, ब्रसेल स्प्राउट, बैंगन, मटर, मसूर आदि खाएं।
  • अपने कैसेरोल या सलाद में लहसुन डालें।
  • वालनट्स और केला भी रक्तचाप को कम करने में उपयोगी हैं।
  • नाश्ते में हरी सेब के साथ ओट्स खाएं।
  • अपनी कॉफी और कुछ किस्म की चाय का सेवन सीमित मात्रा में ही करें।
  • बहुत अधिक तनाव न लें।
  • वजन बढ़ाने से बचें।

निष्कर्ष के तौर पर अगर आप एक महिला हैं और करीब-करीब मेनोपाज तक पहुंच चुकी हैं या पहले ही इसे पार कर चुकी हैं, तो याद रखें, यह आपके जीवन में बहुत ही अहम स्टेज है। इस दौरान आपका एक ही लक्ष्य होना चाहिए: अपनी केयर करना।



  • Brodkin, K. (2012). Hipertensión Arterial, Diagnostico y Tratamiento. Organización Panamericana de La Salud.
  • Willis, F. (2010). Hipertensión. In Tratado de medicina de urgencias pediátricas. https://doi.org/10.1016/b978-84-8086-225-7.50076-1
  • Fornet, I. (2003). Hipertensión arterial y embarazo. Actualizaciones En Anestesiologia y Reanimacion.
  • Valero Zanuy, M. Á. (2013). Nutrición e hipertensión arterial. Hipertension y Riesgo Vascular. https://doi.org/10.1016/j.hipert.2012.09.004

यह पाठ केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए प्रदान किया जाता है और किसी पेशेवर के साथ परामर्श की जगह नहीं लेता है। संदेह होने पर, अपने विशेषज्ञ से परामर्श करें।