मैं खुद को अनचाहे रिश्तों से दूर कर रहा हूं क्योंकि मैं खुद से प्यार करता हूं
ईमानदारी और सच्चे ईमान से ये कहने से पहले कि “मैं तुमसे प्यार करता हूं”, आपको एक पल के लिए पहले खुद को बताना चाहिए कि “मैं खुद से प्यार करता हूं, और मुझे पता है, मैं खुशी का हकदार हूँ।”
जीवन के इन दो अन्तरंग घनिष्ठ क्षेत्रों को एक-दूसरे से अलग अलग करना आसान नहीं है। आपकी और आपके साथी की ज़रूरतें, दोनों ही समान रूप से मिली-जुली होती हैं। हालाँकि आपको अपने आत्मविश्वास और पहचान पर नजर रखनी चाहिए।
अगर आप कभी ऐसे समय से गुजरें हैं जब आपको किसी ऐसे व्यक्ति को पीछे छोड़ना पड़ा था जिसे आप प्यार करते थे, क्योंकि आप जानते थे कि उस संबंध को बनाए रखना आपके लिए तकलीफ़देह और आत्म-घाती था, तो मुझे यकीन है कि आप जानते होंगे की यह फैसला करना आसान नहीं होता।
लेकिन जो हर किसी को जानना चाहिए, ख़ास रूप से टीनएजर्स को जो अपने पहले रोमांटिक रिश्ते शुरू कर रहे हैं, वह यह है कि सच्चा प्यार चोट नहीं पहुंचाता है।
प्यार खूबसूरत, सहज और बुद्धिमता भरा होना चाहिए। इसलिए “मैं तुमसे प्यार करता हूं” और “मैं खुद से प्यार करता हूं” ये दोनों बातें पानी और सिरके की तरह नहीं हैं। आइए इस बारे में थोड़ा विचार करते हैं।
मैं खुद से इतना प्यार करता हूँ कि तहे दिल से आपको प्यार कर सकता हूँ
जो लोग खुद को प्यार नहीं करते हैं उन्हें एक ईमानदार और हेल्दी रिश्ता बनाने में मुश्किल हो सकती है। जाहिर है कि हममें से कोई भी सम्मानपूर्ण और सच्ची खुशी पैदा करने वाले प्रेम, सम्बन्ध और आपसी समझ के मामलों के ज्ञानी नहीं हैं।
प्यार हर दिन फलता-फूलता है, लेकिन केवल तभी जब दोनों साथी चाहते हैं और जब वे केवल अपनी खुद की ही जरूरतों को पूरा करने के बारे में नहीं सोचते।
वे लोग जो खुद से प्यार नहीं करते हैं
- जो लोग खुद को प्यार नहीं करते, वे अपनी ही खामियों और भावनात्मक जरूरतों को पूरा करने के लिए दूसरों की तलाश करते हैं।
- जब किसी ऐसे व्यक्ति के साथ आप रोमांटिक रिश्ते में हों जो खुद को प्यार नहीं करता है, तो अपने आत्म-सम्मान और पहचान को पाना नामुमकिन सा हो जाता है। क्योंकि आप अपना ध्यान उस व्यक्ति को खुश करने के लिए, अपनी सारी ऊर्जा को लगा देते हैं।
- कभी-कभी, जब आप किसी ऐसे व्यक्ति से प्यार करते हैं जो खुद से प्यार नहीं करता है, तो आप आखिरकार इस सोच तक पहुँचते हैं कि आप उन्हें “बचाने” जा रहे हैं और आप उनकी समस्याओं का उत्तर हैं और उनकी अंधेरी जिंदगी में प्रकाश लाएंगे।
- लेकिन इस मामले में आखिर होता यह है कि आप भावनात्मक रूप से खोखले हो जाते हैं और खुद को भूलने के कगार पर पहुँच जाते हैं।
आप खुद को इतना प्यार करते हैं कि आप वैसे प्यार किये जाते हैं जिसके आप हकदार हैं
एक परिपक्व रिश्ता जागरूक रिश्ता होता है। न तो दोनों में कोई दूसरे को ब्लैकमेल करता है, न वहां कोई “मेरा-तुम्हारा” होता है, और बहुत कम ही ऐसा सुनाई पड़ता है, “क्योंकि मैंने ऐसा कह रहा हूँ।”
एक परिपक्व रिश्ते में आप आसानी से कह सकते हैं, “मैं खुद से प्यार करता हूं” क्योंकि आपको पता है कि यह केवल तभी होता है जब आप अपने को पूरा महसूस करते हैं और अकेला होने के ख्याल से डरते नहीं हैं, और जब आप जानते हैं कि अपनी खुशी पैदा करनी है। क्योंकि तभी आप दूसरे व्यक्ति को अपना सर्वश्रेष्ठ दे पाएंगे।
- अगर आप खुद से प्यार करते हैं तो आप जबरन अपने डर को शांत करने नहीं जायेंगे, अपनी कमियों को भरने के लिए या हर बार सांस लेने की जरूरत होने पर कुछ “हवा के झोंके” पाने के लिए अपने फ़रिश्ते को मजबूर नहीं करेंगे।
आपको क्षमा करता हूँ, लेकिन मैं आपको छोड़ रहा हूँ
हम शुरुआत में ही जिक्र कर रहे थे, हममें से अधिकांश को किसी ऐसे व्यक्ति को छोड़ना पड़ा है जिसे हम किसी समय प्यार करते थे। उस दूरी का कारण बेवफाई हो सकती है, रिश्ते के बोझ से बनी थकान हो सकती है या यह अहसास कि हम जिस प्यार के लायक हैं, वैसा प्यार हमें नहीं मिल रहा है।
इस रोमांटिक कनेक्शन को तोड़ने का कारण जो भी क्यों न रहा हो, लेकिन इसे एक दूसरे को क्षमा करते हुए खत्म किया जाना चाहिए। यह मुश्किल हो सकता है, आप महसूस कर सकते हैं कि आप अपना आत्म खो रहे हैं। यह बहुत दर्दनाक है, लेकिन आपके जीवन में इस अध्याय को बंद करने का एकमात्र तरीका यही है।
आपका अपना प्यार और मर्यादा ही आपके दिल के लिए सही पोषण हैं। वे आपको सबसे मुश्किल पलों में भी हमेशा समझदारी से काम करने में मदद करते हैं।
आत्म-विश्वास के अभाव में आप अकेले हो जाने के खौफ़ से बिलकुल जहरीले रिश्ते को भी बनाए रख सकते हैं, जिस व्यक्ति को आप प्यार करते हैं उसे छोड़ने का खौफ़, और भले ही वे आपको दुखी करते हैं, आप उनका साथ ही चुनते हैं क्योंकि आप अपने उस दूसरे के बिना अधूरा होने से डरते हैं।
आपको बिल्कुल इस तरह की स्थितियों में नहीं फँसना चाहिए। अपने लिए प्यार ऐसी चीज़ है जो आपको ताकत देता है और आपको उन चीज़ों को छोड़ने में मदद करता है जिनका कोई भविष्य नहीं होता, जो चीज़ें आपका साथ नहीं देतीं, और जो आपको खुशी से ज्यादा आँसू देती हैं।
मत भूलें : हर दिन यह याद करना स्वार्थी होने की निशानी नहीं है कि “मैं खुद से प्यार करता हूं, और मैं खुशी पाने का हक़दार हूं।”
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