ऐसे व्यक्ति को खोने से न डरें जो आपके होने से खुद को भाग्यशाली नहीं समझता

जिन लोगों के साथ रहकर आपको दुःख के सिवाय और कुछ नहीं मिलता है ऐसे लोगों से अलग होने में आपको अफसोस नहीं होना चाहिए। जो आपकी कद्र करना नहीं जानते, जिनके साथ आपको अपनी अहमियत का अहसास नहीं होता है ऐसे लोगों का आपके समय पर रत्ती भर भी हक नहीं है।
ऐसे व्यक्ति को खोने से न डरें जो आपके होने से खुद को भाग्यशाली नहीं समझता

आखिरी अपडेट: 31 मई, 2018

ऐसे लोगों को छोड़ने से डरने की कोई बात नहीं है जो सीधे आपकी ओर देखते हुए भी वास्तव में आपको नहीं देख रहे होते हैं। जो लोग आपको बातें सुनकर भी अनसुनी कर देते हैं, उन्हें खोने से न डरें। आपके होने से अगर कोई अपने को भाग्यशाली नहीं समझता है तो ऐसे व्यक्ति को अलविदा कहने में आपको बिलकुल नहीं झिझकना चाहिए।

आखिर इस दुनिया में आपका कुछ अस्तित्व है। आप भरे-पूरे, मुकम्मल, सम्मानित और साहस से समृद्ध होने होने के लिए पैदा हुए थे। आपको संतुष्ट और संपन्न होने का पूरा हक है। आपकी अपनी मर्यादा है। इसको ठेस पहुंचाने वाला कोई भी व्यक्ति उस समय का हकदार नहीं है जो आप उसकी फ़िक्र में गुजारते हैं। उसके बारे में सोचने पर एक पल भी नहीं गंवाना चाहिए।

हम सभी ने कभी न कभी ऐसी स्थिति का सामना किया है जब दूसरे व्यक्ति ने हमारी कद्र नहीं की है। हमें कभी न कभी ऐसा अनुभव प्रेम संबंधों में हुआ हो सकता है, शायद दोस्ती में हुआ हो सकता है, या यहाँ तक कि सबसे नुकसानदेह रूप में अपने परिवार के बीच।

जिन लोगों को हम प्यार करते हैं और जिनके हम बहुत करीब होते हैं उनसे हम अपेक्षा करते हैं कि वे हमें सिर आँखों पर बैठायेंगे। लेकिन जब वे हमारी पीठ ठोंकने की जगह हमें नीचा दिखाते हैं या हमें मूली-गाजर समझते हैं तो हमें दिन में तारे दिखाई देने लगते हैं।

जैसा कि आप जानते हैं मनुष्य एक भावनात्मक प्राणी है। इसलिए हम सभी को लाड़-प्यार की जरूरत होती है। सबको अपनी इज्जत प्यारी होती है। सबका अपना स्वाभिमान होता है।

लेकिन दूसरे लोग हमारी अवहेलना कर सकते हैं और हमें अकेला महसूस करा सकते हैं। उनकी वजह से हम अपनी स्वाभाविक शोखी खो सकते हैं। कभी-कभार माता-पिता भी ऐसी गलती करते हैं जिसके कारण बच्चे कलेजा थामकर रह जाते हैं।

ज़रूरी नहीं है कि वे हमें अस्वीकार कर रहे हों। फिर भी हमें महसूस होता है कि यह भावनात्मक संबंध खोखला है। हमें ऐसा लग सकता है कि हम इस रिश्ते में जितना दे रहे हैं उतना हमें वापस नहीं मिल रहा है। यह हमारे आत्म सम्मान के लिए बहुत नुकसानदेह हो सकता है।

इसके अलावा हमें ऐसी परिस्थिति में ठीक से प्रतिक्रिया करना भी नहीं आता है। ज्यादातर मामलों में  जो व्यक्ति ऐसा अनुभव कर रहा है वह अपने मन की बात किसी को नहीं बताना चाहता। जाहिर है कि दूसरे व्यक्ति की ओर से स्थिति को सुधारने के लिए कुछ करने की संभावना नहीं होती है।

आज हम सब प्रकार के मानवीय रिश्तों के इस आम विनाशकारी पहलू पर गहराई से गौर करेंगे।

वे हमारे पास होते हैं लेकिन हमें अकेला महसूस होता है

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। उसे अपने साथ वालों से संबंध स्थापित करने की गहरी ज़रूरत होती है। हमारा परिवार, दोस्त, साथी और अन्य लोग हमारी भावनात्मक सलामती के खंभे हैं।  सबको इस बात की ज़रूरत महसूस होती है कि इस दुनिया में उनका भी कोई है, वे भी किसी न किसी से जुड़े हुए हैं।

हम जीवन के बारे में कैसे सीखते हैं और कैसे बड़े होते हैं इसमें बंधुत्व का अहम स्थान है। बचपन के दिन दोस्ती के जादू से भरे होते हैं। बड़े होकर हमें कोई जीवन-साथी मिल जाता है और हम अपना नया परिवार बसाते हैं।

हम एकांत के द्वीप नहीं हैं और न ही हो सकते हैं। हम समाज के अभिन्न अंग हैं। हमें प्यार के पारस्परिक आदान-प्रदान की ज़रूरत होती है।

यह बात अलग है कि सबका प्यार जताने का तरीका अलग होता है। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें दूसरों का खयाल रखना आता ही नहीं है। उन्हें यह बात मालूम नहीं है कि पारस्परिक ऊर्जा, जिसमें बराबरी से प्यार लिया और दिया जाता है, किसी भी रिश्ते में कितनी ज़रूरी होती है।

ऐसे लोगों के साथ रहकर हमें लगता है;

  • हमारी बातों और दृष्टिकोण को महत्त्व नहीं दिया जाता है।
  • दूसरे व्यक्ति को, चाहें वह साथी, दोस्त, माँ, बहन या कोई और हो, इस बात की कोई परवाह नहीं है कि हमारे साथ क्या होता है, हम कैसे हैं, हम क्या सोचते हैं या हमें कैसा महसूस होता है।

जब लोग हमारे एकदम पास होते हैं और हमें नज़रअंदाज़ कर देते हैं, तो हमें अरक्षित महसूस होता है। हमारी हालत कटी-पतंग की तरह हो जाती है।

हमें इस तरह की स्थिति का सामना करने का तरीका ज़रूर मालूम होना चाहिए, क्योंकि कभी न कभी हम सभी को ऐसी स्थिति से गुजरना पड़ता है।

कभी-कभी एकांत का चुनाव ही सबसे अच्छा विकल्प होता है

ऐसी स्थिति में सबसे पहले, हम जो एकांत खुदगर्जी से चुनते हैं और जो एकांत हम पर थोपा जाता है, इन दोनों का अंतर समझना जरूरी है।

पहले वाले विकल्प में हम खुद नयी योजनायें अपनाने का रास्ता चुनते हैं।

  • बेशक यह एक साहस का काम है जिसमें आप खतरा उठाकर भी अनजान रास्ते पर कदम रखते हैं। लेकिन क्योंकि हम खुद यह निश्चय करते हैं और अपने लिए करते हैं, इसलिए यह जबरदस्त पॉज़िटिव होता है। इससे हमें अपनी ताकत और संयम का आभास होता है।
  • मगर जब हमारे साथ चलने वाले लोग हमसे साथ उचित व्यवहार नहीं करते और इस बात की ओर इशारा करते हैं कि हमारा उनके जीवन में कोई महत्त्व नहीं है, तो कोई बड़ा निश्चय लेना ही पड़ता है।

दूसरों के नेगेटिव ऐटीच्यूड या भावनात्मक अभाव के कारण थोपा गया अकेलापन किसी रिश्ते के लिए बेशक सबसे विनाशकारी होता है।

इस तरह की स्थिति में जल्द फैसला लेकर हम अपने आत्म सम्मान को नेगटिव असर से बचा सकते हैं।

याद रहे, जो लोग आपकी कद्र नहीं करते हैं उनकी संगति के मुकाबले आत्म-संतुष्टि देने वाला एकांत लाख दर्जे अच्छा है।

आपको उतना ही प्यार मिलता है जिसके योग्य आप अपने को बनने देते हैं

कभी न कभी हमलोगों ने अपने आसपास वालों में इस बात को देखा होगा कि वे अपने को सिर्फ उतना ही लेने देते हैं जितने के वे अपने को काबिल समझते हैं।

इन आम वाक्यों को शायद आपने सुना होगा :

  • “हाँ, वह मनमौजी है और उसकी अपनी बुरी आदतें हैं लेकिन हमारा भावनात्मक संबंध है।”
  • “हम सबके अपने-अपने खराब दिन होते हैं, लेकिन जिस शैतान को आप जानते हैं वह अनजान शैतान से बेहतर है।”
  • “मैं इस व्यक्ति के साथ निभा रहा हूँ क्योंकि सच्चाई तो यह है कि मुझे अकेले रहना नहीं आता है।”

धीरे-धीरे ये लोग अनायास ही ऐसे हानिकारक रिश्तों के साथ समझौता कर लेते हैं। वे अपने को इससे ज्यादा पाने की ख्वाहिश करने नहीं देते हैं। वे सोचते हैं कि उनकी किस्मत ही फूटी हुई है इसलिए उन्हें इनको स्वीकार करना ही पड़ेगा।

यह बहुत बड़ी गलती है। कोई भी तिरस्कार करने लायक नहीं होता है और न ही कोई किसी और की उपस्थिति में अकेलापन महसूस करने के योग्य होता है। हम सब परिपूर्ण, सुस्पष्ट और सच्ची खुशी पाने के योग्य हैं। यह खुशी हमें किसी साथी की संगति में या उसके बिना भी मिल सकती है।

पहले हमें वैसा व्यक्ति बनना सीखना चाहिए जैसा हम बनने के योग्य हैं

जो लोग आपकी कद्र नहीं करते हैं उनको छोड़ने में संकोच न करें

एक बार हम सचमच अपनी कद्र करना सीख गए तो यह बहुत आसान हो जायेगा। आप बिलकुल डरें नहीं, न ही ऐसे लोगों से अलग होने में संकोच करें। जो आपके उत्साह को नहीं बढ़ाता है, जो आपको उतना प्यार नहीं करता है जितना उसे करना चाहिए, जो आपको जीवन को सुंदर बनाने वाले एक अद्भुत उपहार की तरह नहीं समझता है, उसे अलविदा कहने में न हिचकिचायें।

आप बहुत ज्यादा पाने के योग्य हैं, इसलिए उससे कम में समझौता न करें। अपने बहुमूल्य आत्म-सम्मान और अपनी भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक सलामती का ख़याल रखें। जो भी आपकी गरिमा का उल्लंघन करे उसे पीछे छोड़ दें।

आखिर जिंदगी बहुत छोटी है। इसलिए जिन चीजों पर हमारा सच में अधिकार है उनके बिना जीवन व्यर्थ करने का समय नहीं है, वे हैं शांति, सलामती और व्यक्तिगत संतोष।



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