डाइवर्टिक्युलाइटिस से निपटने के प्राकृतिक उपाय
डाइवर्टिक्युलाइटिस, आपके पाचन को प्रभावित कर देने वाला एक रोग होता है। हमारी आँतों की दीवार में मौजूद डाइवर्टिक्युला नाम की थैलियों के सूज जाने पर हम इससे ग्रस्त हो जाते हैं। परेशानी का सबब बन जाने वाली इस बीमारी से लड़ने के तरीकों की खोज रोगियों को अक्सर रहती है।
विशेषज्ञ इस बीमारी के कारण से वाकिफ़ नहीं हैं। लेकिन कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इसके पीछे बहुत ज़ोर लगाकर मलत्याग करने का हाथ होता है। हमारी आँतों की दीवारों पर पड़ने वाले दबाव से उनमें सूजन और जलन पैदा हो सकती है।
इसके सबसे आम लक्षण हैं:
- मल में खून का होना
- दस्त
- कब्ज़
- जी मचलना
- पेट को छूने पर दर्द होना
अगर आप इस समस्या से परेशान हैं तो यकीनन आप इन लक्षणों को कम कर ठीक हो जाना चाहेंगे। उसके लिए सबसे पहले आपको अपने डॉक्टर से मिलना चाहिए। उसके बाद नीचे दिए घरेलू नुस्खों को आज़माकर उन लक्षणों से आप राहत पा सकते हैं।
आलू
स्वाद के मामले में आलू भले ही सबसे फीकी सब्ज़ियों में से एक हो, लेकिन डाइवर्टिक्युलाइटिस के मरीज़ों को उसे खाने की सलाह दी जाती है।
वो इसलिए कि आलू में सूजन-रोधी एजेंटों और स्टार्च की भारी मात्रा होती है। ये तत्व आपकी पाचन-क्रिया में सहायक होते हैं।
ध्यान रखें कि आपको तले हुए आलू हरगिज़ नहीं खाने चाहिए। अगर आप आलूओं को तलकर खाने के बारे में सोच रहे थे तो इस बात का ध्यान रखें कि उनमें मौजूद ग्रीज़ से तो आपकी हालत और भी ख़राब हो जाएगी। आलू के संभावित फायदों को वह बेअसर भी कर देगी।
पके, भुने और पिसे हुए आलू सबसे अच्छे विकल्प होते हैं।
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पपीता और नाशपाती
आपकी पाचन-क्रिया में सबसे मददगार खाद्य पदार्थों में इन फलों का नाम भी आता है। पपीते और नाशपाती का मेल स्वादिष्ट होता है। इतना ही नहीं, उनमें पोषक तत्वों की भरमार होती है।
अपने जैविक कंपाउंडों की बदौलत ये फल आपके मलाशय की सफ़ाई कर देते हैं।
इन फलों को एक बेमिसाल जोड़ी बनाने के पीछे कुछ और कारण भी होते हैं। वे फाइबर की उच्च मात्रा से युक्त होते हैं। उनमें विटामिनों और मिनरलों की भी अच्छी-खासी मात्रा होती है। इन्हीं वजहों से डाइवर्टिक्युलाइटिस के लक्षणों से लड़ने में वे आपके शरीर की मदद कर पाते हैं।
विटामिन सी
अपने अंदरूनी कामों के लिए आपके शरीर को एक भारी मात्रा में विटामिन सी की ज़रूरत होती है। इसीलिए विटामिन सी के अपने स्तर पर आपको ध्यान देना ही चाहिए।
विटामिन सी के कई कार्यों में से एक यह होता है कि आपके शरीर की वह नयी कोशिकायें बनाने में मदद करता है, आपके तंत्रिका तंत्र में स्फूर्ति का संचार करता है और आपके शरीर की लगभग हरेक प्रक्रिया में इस्तेमाल किया जाता है।
जौ
डाइवर्टिक्युलाइटिस से ग्रस्त लोगों को इस अनाज को अपने आहार में शामिल करना चाहिए।
जौ में सूजनरोधी गुण होते हैं। आपके रोग से मुकाबला करने वाले उसमें कई और कंपाउंड भी होते हैं। पर साथ ही, आपको इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि कुछ तरह के अनाज आपकी हालत के लिए नुकसानदेह भी साबित हो सकते हैं।
जौ को सूप, मुरब्बे, अन्य प्रकार के अनाज और दालों, या आपके मन में आने वाली किसी भी चीज़ के साथ खाया जा सकता है। आपकी कल्पना ही आपकी सीमा है।
इस खाद्य पदार्थ को अपने आहार में शामिल न करने का अब आपके पास कोई बहाना नहीं होगा।
लहसुन
लहसुन, सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किए जाने वाले घरेलू नुस्खों में से एक होता है। डाइवर्टिक्युलाइटिस समेत कई शारीरिक रोगों के इलाज में उसका इस्तेमाल किया जाता है।
उसमें मौजूद सक्रिय तत्व बेहद ताकतवर होते हैं। हमारे संपूर्ण शरीर को वे संक्रमणों से बचाए रखते हैं।
इस बात का ध्यान रखें कि आपके पेट में सूजन हो जाने का मतलब होता है कि आपका डाइवर्टिक्युलाइटिस बद से बदतर होता जा रहा है। लहसुन खाने से इस परेशानी पर आप लगाम लगा सकते हैं। इस उपाय से आप एंटीबायोटिक्स की अपनी मात्रा को भी कम कर सकते हैं।
मसालेदार खाने से परहेज़ करें
अगर आप तीखे खाने या फ़िर मसालेदार खान-पान के शौक़ीन हैं तो अपनी हालत में सुधार आ जाने तक उनसे परहेज़ करने में ही आपकी भलाई होगी। डाइवर्टिक्युलाइटिस से छुटकारा न पाने के पीछे के कई कारणों में से एक है मसालेदार खाने का नियमित सेवन।
मसालेदार खाने के सेवन से आपके शरीर के प्रभावित अंगों पर और भी बुरा असर पड़ सकता है। ऐसे में, स्वास्थ्य-लाभ की आपकी प्रक्रिया लंबी होती चली जाती है। और तो और, आपकी बीमारी के लक्षण भी बदतर हो जाते हैं।
इसीलिए ठीक हो जाने तक ऐसे खाने से आपको एक हाथ की दूरी बनाए रखनी चाहिए। अपने इस छोटे-से बलिदान से अगर आपको डाइवर्टिक्युलाइटिस से छुटकारा मिल जाता है, तो इसमें हर्ज़ ही क्या है?
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ऑरेगैनो
अपने खाने पर ऑरेगैनो डालकर उसके स्वाद में चार चाँद लगा देना एक अच्छा ख्याल होता है। इस मसाले से डाइवर्टिक्युलाइटिस के मरीज़ों को अपनी बीमारी और उसके लक्षणों का मुकाबला करने में काफ़ी मदद मिलती है।
ऑरेगैनो में कमाल के एंटीबैक्टीरियल और एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं। आपकी अंतड़ियों को प्रभावित करने वाले किन्हीं परजीवियों और संक्रमणों को वह आपके शरीर से निकाल बाहर करता है। ऐसा करके अपने डाइवर्टिक्युलाइटिस से निपटना आपके लिए थोड़ा आसान हो जाता है।
अरंडी का तेल (कास्टर ऑइल)
अपने मलाशय की सफ़ाई कर लेना बैक्टीरियल संक्रमण से निजात पाने का एक अच्छा उपाय होता है। ऐसा करने का एक विकल्प होता है अरंडी के तेल का इस्तेमाल।
लेकिन साथ ही, आपको इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि यह एक बेहद ताकतवर तेल होता है। यह इतना ज़बरदस्त होता है कि आपकी आँतों में मौजूद आपके शरीर के लिए फायदेमंद बैक्टीरिया भी इससे प्रभावित हो सकता है।
इसीलिए आपको किसी की निगरानी में ही इसका सेवन करना चाहिए। अनुपयुक्त ढंग से लिए जाने पर यह तेल आपकी सेहत के लिए खतरनाक भी साबित हो सकता है।
डाइवर्टिक्युलाइटिस से निपटने में एक अच्छे निदान की अहमियत
डाइवर्टिक्युलाइटिस के लक्षण भी पाचन-तंत्र की अन्य बीमारियों जैसे ही होते हैं, जैसे कि क्रोन्स रोग। इसीलिए डाइवर्टिक्युलाइटिस को कोई और पाचक रोग समझ लेने की गलती बहुत आम होती है।
अगर आपको शक है कि आपको डाइवर्टिक्युलाइटिस है तो हमारा आपको यही सुझाव कि आप कि अपने डॉक्टर से मिलें।
मलाशय के संक्रमणों के पीछे बड़ी-बड़ी बीमारियों का हाथ हो सकता है।
अगर आपको डाइवर्टिक्युलाइटिस से संबंधित लक्षण हैं तो अपने डॉक्टर की सलाह ज़रूर लें। आपकी सेहत का वास्तविक मूल्यांकन वे ही कर सकते हैं।
अपने डॉक्टर द्वारा बताए इलाज के साथ-साथ इन नुस्खों को भी अपनाते रहें।
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