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नेचुरल रेसिपी जो ख़त्म करेगी नाखूनों की फंगस

4 मिनट
अगर आपको इन्फेक्शन का कोई भी लक्षण दिखाई दे, तो उस फंगस यानी फफूंद से लड़ने वाले इस इलाज को अपनाकर आप मध्यावधि या लम्बे समय तक की कम्प्लीकेशन से बच सकते हैं।
नेचुरल रेसिपी जो ख़त्म करेगी नाखूनों की फंगस
प्रकाशित: 16 जुलाई, 2018 13:30

जब समस्या नाखूनों की फंगस से मुकाबले की हो, तो इसके संक्रमण के बारे में पता चलते ही तुरंत कार्रवाई करना बहुत ज़रूरी होता है। इस लेख में हम अल्कोहल और प्राकृतिक चीजों से बनी एक ख़ास रेसिपी आपके साथ शेयर करना चाहते हैं। यह ट्रीटमेंट नाखून में लगी फफूंद से लड़ने में आपकी मदद करेगा।

नाखून में फंगस लगने की स्थिति को ऑनिकोमाइकोसिस (onychomycosis) कहते हैं। यह डर्मैटोफाईट, यीस्ट या गैर डर्मैटोफाईट के हमले के कारण होता है। ये परजीवी उमस भरे गर्म वातावरण में तेजी से फैलते हैं।

वैसे तो नाखूनों की फंगस के लक्षण शुरुआत में नहीं दिखते। धीरे-धीरे पता चलता है कि नाखूनों में पीलापन आ गया है और वे कुछ मोटे हो गए हैं। उनके आसपास की त्वचा सूजी हुई दिखाई पड़ती है। इस फंगस का ट्रीटमेंट जरूरी होता है। वरना आप अपने नाखूनों से ही हाथ धो सकते हैं।

इसे भी पढ़ें:

पैरों के फंगस को जड़ से खत्म करने के 3 शानदार नुस्ख़े

नाखूनों की फंगस से लड़ने के लिए एक सलाह

यह दवा एंटीसेप्टिक और एंटीटिफंगल गुणों वाली ऐसी प्रोडक्ट है जो बाहरी इस्तेमाल के लिए होती है। यह इंफेक्शन करने वाले सूक्ष्म जीवों को खत्म करने में मदद करती है। कुल मिलाकर, यह कुछ पारंपरिक एंटीफंगल ट्रीटमेंट की तरह ही काम करती है।

अल्कोहल के फायदे

नाखूनों की फंगस: अल्कोहल

इस प्राकृतिक ट्रीटमेंट में ज्यादा जान डालने के लिए हम 90% एथिल अल्कोहल इस्तेमाल करेंगे। इसे आमतौर पर सभी फर्स्ट एड किट में इस्तेमाल किया जाता है। इसमें इन्फेक्शन और बैक्टीरिया को खत्म करने वाले ऐसे गुण होते हैं जो जख्म पर लगाए जाने से इन्फेक्शन होने से रोकते हैं। यह कई तरह के बैक्टीरिया और फफूंद के विरुद्ध काफी प्रभावशाली होता है, हालांकि यह बैक्टीरिया के स्पोर से नहीं लड़ता।

इसके अलावा, यह ऑनिकोमाइकोसिस की ट्रीटमेंट में एक सहायक की तरह इस्तेमाल होता है। इसके प्रभाव को बढ़ाने के लिए आपको इसे दूसरी सामग्रियों के साथ मिलाना पड़ता है।

पढ़ें:

पैर पर लगे फंगस और घट्ठे को इस अद्भुत घरेलू ट्रीटमेंट से दूर करें

हाइड्रोजन पेरॉक्साइड के फायदे

हाइड्रोजन पेरॉक्साइड एक ऐसा प्राकृतिक प्रोडक्ट है जिसे इन्फेक्शन से बचाव के लिए बाहरी चोटों पर इस्तेमाल किया जाता है। इसके बैक्टीरिया और फफूंद नाशक गुण नाखूनों और पैरों में लगी फफूंद से लड़ने में बहुत ही कारगर हैं। इसलिए अक्सर इसे नाखूनों की फंगस के ट्रीटमेंट में इस्तेमाल किया जाता है।

हाइड्रोजन पेरॉक्साइड फंगस की वजह से आए पीलेपन को भी कम करने में मदद करता है। साथ ही, यह इन सबके अलावा, नाखूनों को कमज़ोर होने और टूटने से भी बचाता है।

सफ़ेद सिरका के फायदे

नाखूनों की फंगस: सफ़ेद सिरका

एक दूसरा प्राकृतिक प्रोडक्ट जिसका हम फायदा उठाएंगे वह है सफेद सिरका। खाना बनाने, दवाई के रूप में और घरेलू कामों में इस्तेमाल के लिए जाना जाने वाला यह कीटाणुनाशक प्रोडक्ट ऑनिकोमाइकोसिस के खिलाफ जबरदस्त काम करता है।

सफ़ेद सिरके में ऑर्गेनिक एसिड होते हैं। ये उस वातावरण में बदलाव ले आते हैं जो सूक्ष्म जीवों को पनपने के लिए चाहिए होता है। इस तरह इन्फेक्शन रुक जाता है। इसके एंटीसेप्टिक और एंटीफंगल गुण फंगस से लड़ने में मदद करते हैं और नाखूनों को खराब होने से बचाते हैं। इसलिए, यह खुजली, नाखूनों का सख़्त होना और दूसरे ऐसे भद्दे लक्षणों को घटाने के लिए बहुत बढ़िया होता है जो फंगस के इन्फेक्शन से फैलते हैं।

ऐसे बनायें नाखूनों की फंगस की प्रतिरोधी दवा

नाखूनों की फंगस का नेचुरल ट्रीटमेंट

नाखूनों को नुकसान पहुंचाने वाली नाखून की फंगस से लड़ने के लिए, ऊपर दी गई सभी सामग्रियों को एक ही ट्रीटमेंट में एक साथ इस्तेमाल कर लिया गया है। इसे बनाना बड़ा ही आसान है और आप इसे रोज़ इस्तेमाल कर सकते हैं जब तक कि आपकी परेशानी खत्म न हो जाए।

सामग्री

  • 2 बड़े चम्मच सफ़ेद सिरका

बर्तन

  • 1 काँच का बर्तन
  • रूई

बनाने की विधि

  • पहले, एथिल अल्कोहल को एक काँच के बर्तन में डालें और फिर उसे बेकिंग सोडा और सफ़ेद सिरके के साथ मिला लें।
  • फिर बर्तन को ढंक कर हिलायें जिससे तमाम सामग्री अच्छी तरह मिल जाए।
  • इसे ठंडी जगह पर रखें जहाँ नमी न हो।

इसे कैसे लगाएं

  • पहले, इन्फेक्शन वाले नाखून को अच्छी तरह पानी से धो लें। इसे सुखा लें और रूई की मदद से इस ट्रीटमेंट को उस पर मलें।
  • अगर नाखून बहुत ज़्यादा मोटा और पीला हो गया है तो इस दवा को लगाने से पहले उसकी सतह को फ़ाइल कर लें।
  • इसे हर दिन दो बार इस्तेमाल करें।
  • यह ध्यान रखें, इस दवा का असर एकदम नहीं होगा। इसलिए यह ज़रूरी है कि इसे कम-से-कम 2 महीनों तक इस्तेमाल किया जाए।
  • अगर इन्फेक्शन इसके बाद भी बना हुआ है तो इस ट्रीटमेंट को 8 से 12 महीनों तक बढ़ा दें।

अगर आपको नाखूनों की फंगस के इन्फेक्शन का कोई भी लक्षण दिखाई दे, तो उस फंगस से लड़ने के लिए इस इलाज को अपनाकर मध्यावधि या लम्बे समय तक की कम्प्लीकेशन से बच सकते हैं।

जब समस्या नाखूनों की फंगस से मुकाबले की हो, तो इसके संक्रमण के बारे में पता चलते ही तुरंत कार्रवाई करना बहुत ज़रूरी होता है। इस लेख में हम अल्कोहल और प्राकृतिक चीजों से बनी एक ख़ास रेसिपी आपके साथ शेयर करना चाहते हैं। यह ट्रीटमेंट नाखून में लगी फफूंद से लड़ने में आपकी मदद करेगा।

नाखून में फंगस लगने की स्थिति को ऑनिकोमाइकोसिस (onychomycosis) कहते हैं। यह डर्मैटोफाईट, यीस्ट या गैर डर्मैटोफाईट के हमले के कारण होता है। ये परजीवी उमस भरे गर्म वातावरण में तेजी से फैलते हैं।

वैसे तो नाखूनों की फंगस के लक्षण शुरुआत में नहीं दिखते। धीरे-धीरे पता चलता है कि नाखूनों में पीलापन आ गया है और वे कुछ मोटे हो गए हैं। उनके आसपास की त्वचा सूजी हुई दिखाई पड़ती है। इस फंगस का ट्रीटमेंट जरूरी होता है। वरना आप अपने नाखूनों से ही हाथ धो सकते हैं।

इसे भी पढ़ें:

पैरों के फंगस को जड़ से खत्म करने के 3 शानदार नुस्ख़े

नाखूनों की फंगस से लड़ने के लिए एक सलाह

यह दवा एंटीसेप्टिक और एंटीटिफंगल गुणों वाली ऐसी प्रोडक्ट है जो बाहरी इस्तेमाल के लिए होती है। यह इंफेक्शन करने वाले सूक्ष्म जीवों को खत्म करने में मदद करती है। कुल मिलाकर, यह कुछ पारंपरिक एंटीफंगल ट्रीटमेंट की तरह ही काम करती है।

अल्कोहल के फायदे

नाखूनों की फंगस: अल्कोहल

इस प्राकृतिक ट्रीटमेंट में ज्यादा जान डालने के लिए हम 90% एथिल अल्कोहल इस्तेमाल करेंगे। इसे आमतौर पर सभी फर्स्ट एड किट में इस्तेमाल किया जाता है। इसमें इन्फेक्शन और बैक्टीरिया को खत्म करने वाले ऐसे गुण होते हैं जो जख्म पर लगाए जाने से इन्फेक्शन होने से रोकते हैं। यह कई तरह के बैक्टीरिया और फफूंद के विरुद्ध काफी प्रभावशाली होता है, हालांकि यह बैक्टीरिया के स्पोर से नहीं लड़ता।

इसके अलावा, यह ऑनिकोमाइकोसिस की ट्रीटमेंट में एक सहायक की तरह इस्तेमाल होता है। इसके प्रभाव को बढ़ाने के लिए आपको इसे दूसरी सामग्रियों के साथ मिलाना पड़ता है।

पढ़ें:

पैर पर लगे फंगस और घट्ठे को इस अद्भुत घरेलू ट्रीटमेंट से दूर करें

हाइड्रोजन पेरॉक्साइड के फायदे

हाइड्रोजन पेरॉक्साइड एक ऐसा प्राकृतिक प्रोडक्ट है जिसे इन्फेक्शन से बचाव के लिए बाहरी चोटों पर इस्तेमाल किया जाता है। इसके बैक्टीरिया और फफूंद नाशक गुण नाखूनों और पैरों में लगी फफूंद से लड़ने में बहुत ही कारगर हैं। इसलिए अक्सर इसे नाखूनों की फंगस के ट्रीटमेंट में इस्तेमाल किया जाता है।

हाइड्रोजन पेरॉक्साइड फंगस की वजह से आए पीलेपन को भी कम करने में मदद करता है। साथ ही, यह इन सबके अलावा, नाखूनों को कमज़ोर होने और टूटने से भी बचाता है।

सफ़ेद सिरका के फायदे

नाखूनों की फंगस: सफ़ेद सिरका

एक दूसरा प्राकृतिक प्रोडक्ट जिसका हम फायदा उठाएंगे वह है सफेद सिरका। खाना बनाने, दवाई के रूप में और घरेलू कामों में इस्तेमाल के लिए जाना जाने वाला यह कीटाणुनाशक प्रोडक्ट ऑनिकोमाइकोसिस के खिलाफ जबरदस्त काम करता है।

सफ़ेद सिरके में ऑर्गेनिक एसिड होते हैं। ये उस वातावरण में बदलाव ले आते हैं जो सूक्ष्म जीवों को पनपने के लिए चाहिए होता है। इस तरह इन्फेक्शन रुक जाता है। इसके एंटीसेप्टिक और एंटीफंगल गुण फंगस से लड़ने में मदद करते हैं और नाखूनों को खराब होने से बचाते हैं। इसलिए, यह खुजली, नाखूनों का सख़्त होना और दूसरे ऐसे भद्दे लक्षणों को घटाने के लिए बहुत बढ़िया होता है जो फंगस के इन्फेक्शन से फैलते हैं।

ऐसे बनायें नाखूनों की फंगस की प्रतिरोधी दवा

नाखूनों की फंगस का नेचुरल ट्रीटमेंट

नाखूनों को नुकसान पहुंचाने वाली नाखून की फंगस से लड़ने के लिए, ऊपर दी गई सभी सामग्रियों को एक ही ट्रीटमेंट में एक साथ इस्तेमाल कर लिया गया है। इसे बनाना बड़ा ही आसान है और आप इसे रोज़ इस्तेमाल कर सकते हैं जब तक कि आपकी परेशानी खत्म न हो जाए।

सामग्री

  • 2 बड़े चम्मच सफ़ेद सिरका

बर्तन

  • 1 काँच का बर्तन
  • रूई

बनाने की विधि

  • पहले, एथिल अल्कोहल को एक काँच के बर्तन में डालें और फिर उसे बेकिंग सोडा और सफ़ेद सिरके के साथ मिला लें।
  • फिर बर्तन को ढंक कर हिलायें जिससे तमाम सामग्री अच्छी तरह मिल जाए।
  • इसे ठंडी जगह पर रखें जहाँ नमी न हो।

इसे कैसे लगाएं

  • पहले, इन्फेक्शन वाले नाखून को अच्छी तरह पानी से धो लें। इसे सुखा लें और रूई की मदद से इस ट्रीटमेंट को उस पर मलें।
  • अगर नाखून बहुत ज़्यादा मोटा और पीला हो गया है तो इस दवा को लगाने से पहले उसकी सतह को फ़ाइल कर लें।
  • इसे हर दिन दो बार इस्तेमाल करें।
  • यह ध्यान रखें, इस दवा का असर एकदम नहीं होगा। इसलिए यह ज़रूरी है कि इसे कम-से-कम 2 महीनों तक इस्तेमाल किया जाए।
  • अगर इन्फेक्शन इसके बाद भी बना हुआ है तो इस ट्रीटमेंट को 8 से 12 महीनों तक बढ़ा दें।

अगर आपको नाखूनों की फंगस के इन्फेक्शन का कोई भी लक्षण दिखाई दे, तो उस फंगस से लड़ने के लिए इस इलाज को अपनाकर मध्यावधि या लम्बे समय तक की कम्प्लीकेशन से बच सकते हैं।



  • Singal, A., & Khanna, D. (2011). Onychomycosis: Diagnosis and management. Indian Journal of Dermatology, Venereology, and Leprology. https://doi.org/10.4103/0378-6323.86475
  • Elewski, B. E., Rich, P., Tosti, A., Pariser, D. M. D., Scher, R., Daniel, R. R. C., & Gupta, A. (2013). Onchomycosis: An Overview. Journal of Drugs in Dermatology : JDD.
  • Piraccini, B., & Alessandrini, A. (2015). Onychomycosis: A Review. Journal of Fungi. https://doi.org/10.3390/jof1010030
  • Carrillo-Munoz, A. J., Peman, J., & Gobernado, M. (1999). Nuevos antifungicos. Presente y futuro. Revista Espanola de Quimioterapia.

यह पाठ केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए प्रदान किया जाता है और किसी पेशेवर के साथ परामर्श की जगह नहीं लेता है। संदेह होने पर, अपने विशेषज्ञ से परामर्श करें।