नाखूनों के फंगस को जड़ से ख़त्म करें, आज़माएँ ये 3 नेचुरल यौगिक
नाखूनों पर पनपने वाले फफूँद के कारण होने वाले संक्रमण को ऑनिकोमाइकोसिस कहा जाता है। नाखूनों के फंगस के शिकार ऐसे कई लोगों को आपने अपने इर्द-गिर्द जरूर देखा होगा।
यह संक्रमण डरमैटोफाइट, यीस्ट या फफूँद की सक्रियता के कारण होता है। ये सूक्ष्म जीव गर्म, नम वातावरण में आसानी से पनपते हैं।
इसे टिनिया अंगूंईयम के नाम से भी जाना जाता है। अनुमानित तौर पर यह स्थिति गोल्बल आबादी के 3 से 4 प्रतिशत लोगों को अपनी चपेट में लेती है। यह संक्रमण दोनों हाथों और पैरों के नाखूनों पर असर डालता है, हालांकि आम तौर पर पैर ज्यादा प्रभावित देखे जाते हैं, खासकर पुरूषों में। इसमें नाखून पीले और मोटे हो जाते हैं। नाखूनों के आसपास की त्वचा लाल हो जाती है और उसमें सूजन बनी रहती है।
नाखूनों के फंगस के इस संक्रमण में जो बात वाकई चिंताजनक है, वह यह कि अगर इसको बिना इलाज किये छोड़ दिया जाए, तो सारे नाखून गिर सकते हैं।
इसलिए अपने नाखूनों की स्थिति पर बारीकी से ध्यान देना और फंगल संक्रमण के शुरुआती लक्षण दिखते ही इसका इलाज ढूढ़ना ज़्यादा महत्वपूर्ण है।
नाख़ूनों को बचाने और इस फंगस से लड़ने के लिए नीचे हम पूरी तरह नेचुरल समाधान बताने जा रहे हैं जिसमें सिर्फ 3 सामग्रियों का इस्तेमाल हुआ है।
बेशक इसे आज ही आज़मा कर देखें!
नाखूनों के फंगस से लड़ने के नेचुरल ट्रीटमेंट
यह नेचुरल एंटी-फंगल उपचार स्थानिक तौर पर उपयोग किया जाता है। इसमें एंटीमायकॉटिक्स होते हैं जो कि संक्रमण फ़ैलाने वाले माइक्रोब्स को नष्ट कर देते हैं।
अधिकांश मामलों में इस उपचार में कम से कम दो महीने लगते हैं, लेकिन नाखूनों के फंगस से पूरी तरह से लड़ने और नाखून को फिर से पनपने देनेे के लिए इस इलाज को कम से कम 8 से 12 महीने तक जारी रखना पड़ सकता है।
शुरुआत में ही आपको यह समझ लेना चाहिए कि जहाँ तक इन उपायों की बात है, धैर्य ही समाधान की कुंजी है। तुरंत कोई असर होता नहीं दिखेगा, बल्कि लगातार इनका प्रयोग जारी रखना होगा।
यह प्रोडक्ट हाइड्रोजन पेरोक्साइड, 90% एथिल अल्कोहल और सफेद सिरका से बना है। ये तीनों सामग्रियाँ अपने प्राकृतिक एंटीफंगल और एंटीसेप्टिक गुणों के लिए जानी जाती हैं जो विभिन्न प्रकार की चोटों और त्वचा की समस्याओं का इलाज करती हैं।
हाइड्रोजन पेरोक्साइड के फायदे
हाइड्रोजन पेरोक्साइड में शक्तिशाली एंटी-बैक्टीरियल क्षमता मौजूद है इसलिए इसका इस्तेमाल घाव को जीवाणुमुक्त करने में किया जाता है।
अगर हाइड्रोजन पेरोक्साइड की तुलना पानी से करें तो फर्क सिर्फ यह है कि हाइड्रोजन पेरोक्साइड के अणु में ऑक्सीजन का एक एटम ज़्यादा होता है। आमतौर पर ज्यादातर दवा की दुकानों में यह 3% सोल्यूशन रूप में मिल जाता है।
यह एन्वायरमेंट फ्रेंडली संक्रमणरोधी है । इसके काम करने का अपना तरीका अनोखा है । यह बीमारी पैदा करने वाले कीटाणुओं को मारने के लिए उन्हें ऑक्सीकृत कर देता है।
इसलिए पैर के नाखूनों पर इसका प्रयोग करने से यह संक्रामक यीस्ट और डरमैटोफाइट को नष्ट कर देता है।
90% एथिल अल्कोहल के फायदे
एथिल अल्कोहल चिकित्सा संबंधी उद्देश्यों के लिए डिस्टिल किया जाता है और लगभग हर फर्स्ट ऐड किट में पाया जाता है। यह कीटाणुनाशक है जिसका इस्तेमाल त्वचा की चोटों पर किया जा सकता है।
यह ज्यादातर बैक्टीरिया और फफूँद के खिलाफ असरदार साबित हुआ है, लेकिन बैक्टीरिया के बीजाणुओं यानी बैक्टीरियल स्पोर के खिलाफ नहीं।
मैनीक्योर और पेडीक्योर में इसका इस्तेमाल कॉस्मेटिक के तौर पर नाखूनों के फंगस से मुकाबला करने और इस्तेमाल किये गए उपकरणों को कीटाणुमुक्त करने में किया जाता है।
श्वेत सिरका के फायदे
सफेद सिरके में मौजूद एसिड कम्पाउंड का उपयोग बहुत प्राचीन काल से ही स्किन पर फफूंद के संक्रमण के इलाज में किया गया है। यह एक उम्दा एंटीसेप्टिक और एंटीमाइकॉटिक है जो ऑनिकोमायकोसिस अर्थात एथलीट फूट के इलाज में कारगर होता है।
इसका लेप खुजली और पीलेपन के अलावा उन भद्दे घट्ठो को कम कर देता है जिनके कारण आपके पैर बदसूरत दीखते हैं।
नाखूनों के फंगस की इस औषधि को कैसे तैयार करें
अब जब हम यह जान चुके हैं कि इस औषधि में क्या सामग्रियां हैं, तो आइये इसे तैयार करने का तरीका भी जान लें जिससे उपचार शुरू किया जा सके।
सामग्रियाँ
- 5 चम्मच 90% एथिल अल्कोहल
- 5 चम्मच हाइड्रोजन पेरोक्साइड
- 2 चम्मच सफेद सिरका
बर्तन
- 1 शीशे का पात्र
दिशा-निर्देश
- शीशे के पात्र में अल्कोहल और हाइड्रोजन पेरोक्साइड को मिला लें।
- सफ़ेद सिरके को इसमें डालें और अच्छी तरह से पात्र को हिलाएँ।
- अब इसे ढँक दें और ठंडे, सूखे स्थान पर रख दें।
- प्रभावित नाखून को धोएँ और तौलिया से धीरे-धीरे सुखाएँ।
- किसी कॉटन बॉल या रूई के फाहे से इस सोल्यूशन का थोड़ा अंश लगाएं।
- अगर नाख़ून वास्तव में मोटा है तो पहले उसकी सतह को सावधानी से साफ़ कर लें और फिर घोल को लगाएँ।
- प्रतिदिन 2 बार इसका इस्तेमाल करें।
सर्वोत्तम परिणामों के लिए, जूते, मोज़े और निजी उपयोग के तमाम सामान जो संक्रमित नाखूनों के संपर्क में आ चुके हैं, उन्हें कीटाणुमुक्त जरूर कर लें।