बहस के बीच अपने को कूल रखने का आर्ट
निश्चित रूप से आप ऐसे पलों को याद कर सकते हैं जब आप किसी बहस में उलझ गए थे और अपना संतुलन खो बैठे थे। आपकी भावनाओं ने आपको बेहतर पक्ष को ढक दिया और आप सही ढंग से और क्रिएटिव रूप से अपने पक्ष का बचाव कर पाने में कामयाब नहीं हो पाए थे।
यह जानना कि कैसे बहस करनी है – यदि कोई दूसरा विकल्प नहीं है — तो यह आसान नहीं है। यह कुछ ऐसा नहीं है जिसे आपने पढ़ा है।
दुर्भाग्य से, आपके व्यक्तिगत या व्यावसायिक जीवन में ऐसे लमहे होते हैं जहां इन तनावपूर्ण, जटिल संवादों को शुरू करने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं होता है।
हालांकि अगर आप सीख लें कि संयम और बुद्धिमत्ता से ठीक से बहस कैसे करें तो शांति खोये बिना अपने दिमाग को स्वच्छ रखते हुए अपना पक्ष अच्छी तरह रख सकते हैं।
तर्क के दौरान आपकी भावनाओं को जितना संभव हो सके संयमित करने में मदद करने के लिए आज हम 5 स्ट्रेटजी बताना चाहते हैं।
“अज्ञानी इंसान से तर्क-बहस करना असंभव है।”
-इम्मैनुएल कांट-
बहस के दौरान अपने को कूल रखने की 5 टिप्स
1. सामने खड़े इंसान को जानें, पर उससे बढ़कर खुद को जानें
दूसरों को जानना ज्ञान है, लेकिन स्वयं को जानना आत्मज्ञान है।
अच्छी तरह से बहस करने के लिए आपको खुद को जानने की जरूरत क्यों है?
- अपने को शांत रखने के लिए आपको अपनी अंदरूनी ताकत, सुरक्षा और आत्म-विश्वास का इस्तेमाल करना चाहिए।
- दूसरे इंसान यह कहने की गलती कर सकता है कि “आप नहीं जानते कि आप किस बारे में बात कर रहे हैं” या यहां तक कि “आपका इगो बहुत बड़ा है।” पर अगर आप पहले से जानते हैं कि ये कमेंट आप पर असर नहीं डाल सकते हैं। इसलिए जो सही नहीं है वह आपको नुकसान नहीं पहुंचाएगा।
तर्क में टॉप पर आने के लिए आपको दूसरे आदमी के कमजोर पक्षों को भी जानना चाहिए। मिसाल के लिए यह जानना कि सामने वाले व्यक्ति में आत्म-विश्वास की कमी है या अपने एग्रेसिव ऐटिटूड में अपनी असुरक्षा को दर्शाता है, तो इससे आप खुद को तनावमुक्त और आश्वस्त कर पाएंगे।
खुद को और सामने के व्यक्ति से साथ जुड़ने का तरीका जानने से आपको हालात पर ज्यादा कंट्रोल हासिल होगा।
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2. आर्गुमेंट होने पर अपने नेगेटिव इमोशन को बंद रखें
अगर आप बहस को शांत रखना चाहते हैं, तो आपको उन नकारात्मक चीजों पर काबू पाना सीखना चाहिए जिन्हें आप महसूस कर रहे हैं, जैसे:
- गुस्सा
- घमंड
- नाराज़गी
- विद्वेष
- एंग्जायटी
ये सभी बातें आपको रक्षात्मक मूड में दाल देती हैं।
एक वक्त आता है जब आप अपने आप को “अटैक मोड” में लाते हैं। यह तब होता है जब आप अपना आपा खो देते हैं, तार्किक रूप से बहस करना बंद कर देते हैं और बस आरोपों-अभियोगों का सहारा लेते हैं जो आपको कहीं नहीं ले जाते हैं।
इस तरह के हालात में बहस की बागडोर वापस अपने हाथों में लेने के लिए ये काम करें:
- अपने को बाहर से देखें। कल्पना कीजिए कि आप तर्क को बाहर से शांति से देख रहे हैं। कोई भी आपको वहां चोट नहीं पहुंचा सकता है। आप बिलकुल सुरक्षित हैं।
- अब सोचें कि आप इस स्थिति को कहीं और ले जाने के लिए क्या कर सकते हैं।
3. तुरंत जवाब न दें
जब तर्क कहीं नहीं जा रहा हो और दोनों पक्षों में से कोई भी एक-दूसरे को नहीं सुन रहा है, तो उन्हें अपशब्दों और कड़ी आलोचना का आदान-प्रदान शुरू करने में लंबे वक्त नहीं लगेगा। जल्दी या बाद में वे ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करेंगे जिन पर उन्हें बाद में पछतावा होगा।
ऐसा व्यवहार करने की क्या जरूरत है? इसका कोई मतलब नहीं है।
यहां दिए गए सुझाव आपको जवाब देने से पहले थोड़ा वक्त लेने में मदद कर सकते हैं जिससे तर्क प्रोडक्टिव हो सके और आप खुद को ठंडा रखें:
- दूसरा इंसान क्या कह रहा है, ध्यान से सुनें। उसे एनालाइज़ करें।
- देखें कि यह आप पर क्या असर डालता है और फिर ध्यान से अपनी प्रतिक्रिया के बारे में सोचें।
- याद रखें, आपको स्ट्रेस बढ़ाने वाले तरीके से जवाब नहीं देना है।
अगर आप पाएं कि तर्क कहीं नहीं जा रहा है, और बस एक-दूसरे को चोट पहुंचाने और अपनी नेगेटिव भावनाओं को बाहर निकालने का एक बहाना बन गया है तो इसे रोक दें।
यह न भूलें कि कुछ करने लायक नहीं होते हैं।
4. गहरी सांस लें
जब आप सतर्क होकर किसी तर्क के बीच में होते हैं, तो आपका मस्तिष्क इसकी व्याख्या करता है जैसे कि यह एक खतरा हो।
तब यह शारीरिक प्रतिक्रियाओं की पूरी एक श्रृंखला को शुरू कर देता है:
- धड़कन तेज है।
- आप कांपने लगते हैं।
- श्वास बिगड़ जाती है।
- मुँह सूख जाता है।
तर्क को शांत रखने के लिए अपनी सांस पर काबू पाने से बेहतर कुछ नहीं है।
अच्छा तरीका यह है कि गहराई से साँस लें और धीरे-धीरे साँस छोड़ें।
एक शांत दिमाग हमेशा ही बेहतर तर्क करता है।
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5. अपनी अंदरूनी शांति को ट्रेंड करें : डेली लाइफ चैलेंज के लिए तैयार हो जाइए
अंदर से तैयार रहने से हमें बाहर आने वाले चैलेन्ज का सामना करने में मदद मिलेगी।
ऐसा करने के लिए निम्नलिखित एक्सरसाइज की प्रैक्टिस करनी बहुत सहायक हो सकती है:
- माइंडफुलनेस की प्रैक्टिस करें।
- एक्सरसाइज करें।
- अपने इमोशन को आर्ट के जरिये चैनल करें: लेखन, डांस और पेंटिंग इसके कुछ उदाहरण हैं।
- अपनई अंदरूनी संसार को समृद्ध करें: अपने आत्मविश्वास और आत्मसम्मान को बढ़ावा दें; अपने वैल्यू सिस्टम पर भी काम करें।
- सक्रिय, मुखर संवाद का अभ्यास करें।
- अपनी शब्दावली बढ़ाएँ।
- अपने लॉजिक पर काम करें।
- उन स्ट्रेटजी का अभ्यास करें जिनका उपयोग आप सभी तरह के डायलाग में कर सकते हैं।
कुल मिलाकर, इन आसान टिप्स को अमल में लाने में देरी न करें। हम आश्वस्त हैं की अगली बार ऐसे किसी बहस के बीच आप ज्यादा संयमित और बेहतर ढंग से तर्क कर पाएंगे।
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