एंग्जायटी अटैक: इससे उबरने के लिए ज़रूरी सुझाव
यदि आप अक्सर बेचैन रहते हैं, या घबराते हैं, या आप किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हैं जो एंग्जायटी अटैक से परेशान रहता है, तो इस पोस्ट पर ध्यान दें। आगे बताए गए जरूरी सुझावों से ऐसे व्यक्ति को शांत करने में काफी मदद मिल सकती है।
एंग्जायटी अटैक क्या है
सबसे पहले और सबसे जरूरी तौर पर हम यह समझाने जा रहे हैं कि एंग्जायटी अटैक कैसे होते हैं। इन्हें जानकर हमें यह समझने में मदद मिलेगी कि क्या कोई व्यक्ति वाकई एंग्जायटी अटैक से परेशान है?
- एंग्जायटी अटैक आमतौर पर आपकी सोच से कहीं अधिक पाया जाता है। साधारणतया ऐसा तब होता है जब शरीर में अतिरिक्त मात्रा में एड्रेनलिन पैदा होता हैजो रक्त प्रवाह में प्रवेश करता है।
- यह आमतौर पर डर से होता है। हमें ध्यान रखना चाहिए कि अधिकांश समय किसी तर्कशून्य विचारों के कारणों का या कैसे इनका नियंत्रण किया जाए, इसका साफ-साफ पता नहीं होता।
- संकट की स्तिथि में वे 15 से 30 मिनट तक रहते हैं। पैनिक अटैक भी इतना ही समय लेते हैं।
1 . लक्षणों को कैसे पहचानें
जब कोई व्यक्ति घबराहट का शिकार होता है, तो आमतौर पर इसके पीछे कई वजहें होती है, जो अंततः उस व्यक्ति पर दबाव डालती हैं। एक वक्त आने पर यह दबाव और ज्यादा झेला नहीं जाता। हालांकि, हम पहले ही इसका ज़िक्र कर चुके हैं, हमेशा इनके पीछे कोई तार्किक या वास्तविक वजह हो, यह जरूरी नहीं है।
तो, यह सच है कि इस अटैक के कुछ शारीरिक लक्षण होते हैं। विशेष रूप से एंग्जायटी अटैक से पीड़ित व्यक्ति महसूस करते हैं:
- टैकीकार्डिया (Tachycardia)
- नकारात्मक विचार
- दम घुटना या हृदय गति रुकना
- पेट में दर्द
- चक्कर आना
- पसीना आना
2. साँस पर नियंत्रण करें
लक्षणों का पता लगाना बेहद जरूरी है। साथ ही, यह भी सीखना कि कैसे सही ढंग से साँस लेनी है। एंग्जायटी अटैक को नियंत्रित करने में हमारी साँसें अहम भूमिका निभाती हैं।
अगर हम अपनी साँसों को नियंत्रित करते हैं, तो अपनी हार्ट बीट की दर को भी नियंत्रण में रख सकते हैं।
- सही ढंग से साँस लेने के लिए आगे बताए गए चरणों का पालन करें: 5 सेकंड तक साँस भीतर खीचें, 7 सेकंड के लिए साँस भीतर रोके रहें, इसे बाहर छोड़ने में 8 सेकंड लगाएं और इस चक्र को 5 मिनटों तक दोहराएं, या जितनी बार जरूरत के हिसाब से करना चाहें।
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3. नकारात्मक विचारों को किनारे करने की कोशिश करें
अक्सर एंग्जायटी अटैक को बार-बार आनेवाले नकारात्मक विचारों से जोड़कर देखा जाता है। तो यह बेहद जरूरी है कि नकारात्मक ढंग से सोचना कैसे बंद करना है।
सकारात्मक ढंग से सोचने और नकारात्मक विचारों के बार-बार दोहराने से उत्पन्न ऊर्जा को बदलने के लिए आपको पहले बताई गयी साँस प्रक्रिया का अभ्यास करना चाहिए।
4. सुकून दिलाने वाले वाक्यांशों को दोहराएं
खुद को या एंग्जायटी अटैक से पीड़ित किसी और व्यक्ति को शांत करने के लिए सुकून दिलाने वाले वाक्यांशों का प्रयोग करें। हर व्यक्ति के पास कुछ ऐसे वाक्यांश हो सकते हैं जो उनके लिए बेहतर काम कर सकते हैं। हालांकि, इसके पीछे ख़ास विचार यह है कि आपके पास ऐसा वाक्यांश हो जो एंग्जायटी अटैक को रोकने के लिए आपको तसल्ली दिला सके ।
- उदाहरण के लिए, बार-बार खुद को दिलासा दें कि सबकुछ ठीक है और घबराने जैसी कोई बात नहीं है।
- यह सोच काफी असरदार होती है और आप कुछ सेकंड में ही शांत हो जाएंगे।
- याद रखें कि वास्तव में आप ही अपनी मौजूदा स्थिति के इंचार्ज हैं।
5. किसी सुरक्षित जगह की तलाश करें
यदि आप अपने घर पर या एकांत स्थान में नहीं हैं, तो ऐसी जगह की तलाश करें जहां आप चिंता का सामना कर सकें। यदि ऐसे वक्त आप लोगों के सामने आते हैं , तो यह आपके लिए और ज्यादा दिक्कत पैदा कर देगा ।
- इस प्रकार, किसी एकांत जगह की तलाश करना बहुत जरूरी है जहां आप जितनी जल्दी हो सके एंग्जायटी अटैक को झेल सकें।
6. भागें नहीं, डटे रहें
एंग्जायटी अटैक के दौरान क्या करना है, यह जानना जरूरी है। हमें इसे अनदेखा नहीं करना चाहिए और न ही इससे दूर भागने की कोशिश करनी चाहिए।
- भागें नहीं। हालात से दूर भागना सिर्फ आपके डर को बड़ा करता है।
- आपको केवल साँस लेने पर ध्यान देना चाहिए और कुछ मिनटों में यह अटैक गुजर जाएगा और आप फिर से अच्छा महसूस करने लगेंगे।
7. किसी भी गैर-वैज्ञानिक क्रिया का सहारा न लें
वैज्ञानिक समर्थन की कमी वाले किसी भी प्रकार की क्रिया के साथ एंग्जायटी अटैक पर काबू पाने की कोशिश न करें। देखा जाए तो ऐसे संकट खुद-ब-खुद दूर हो जाते हैं। एंग्जायटी अटैक को समय देना और सही तरीके से साँस लेने के बारे में जानकारी, उन्हें शांत करने में महत्वपूर्ण होती है।
- ऐसी तर्कहीन क्रियाओं का सहारा लेकर आप केवल अंधविश्वास को बढ़ावा देंगे, जिसके परिणामस्वरूप आप अधिक चिंता के हक़दार हो जाएंगे।
एंग्जायटी अटैक को पहचानने और उन्हें नियंत्रित करने के लिए आपको बस इन ठोस कदमों को उठाने की जरूरत है।
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