अल्ज़ाइमर रोग की शुरुआतः क्या इसे रोका जा सकता है?

पिछले कुछ वर्षों में अल्ज़ाइमर रोग सबसे ख़तरनाक रोगों में एक के रूप में सामने आया है। इसकी शुरुआत की रोकथाम के लिए आपको अपने दैनिक जीवन में कुछ विशेष जोख़िम वाले कारकों से बचना होगा।
अल्ज़ाइमर रोग की शुरुआतः क्या इसे रोका जा सकता है?

आखिरी अपडेट: 01 अगस्त, 2018

अल्ज़ाइमर रोग यानी चीज़ें भूलने की बीमारी के मामले पिछले कुछ दशकों में लगातार बढ़े हैं। इसीलिए आज यह सबसे ज़्यााद परेशान करने वाले रोगों में से एक बन गया है।

हम अब तक यह नहीं जान पाए हैं कि इस रोग की शुरुआत कैसे होती है और इसके होने के कारण क्या हैं। हमें इतना ज़रूर पता है कि इसके लक्षण बहुत तेज़ी से बढ़ते हैं।

यह बीमारी मरीजों के साथ-साथ उनके घर के सदस्यों को भी बहुत परेशान करती है। यही कारण है कि बहुत से लोग यह पूछते हैं कि क्या नर्व कोशिकाओं के क्षय की प्रक्रिया को रोक पाना संभव है।

इस पोस्ट में हम इस सवाल का जवाब देकर आपकी सहायता करना चाहेंगे।

अल्ज़ाइमर रोग क्या है

अल्ज़ाइमर क्या है (What is Alzheimer’s)?

हमारा मस्तिष्क एक मल्टी-फंक्शनल सेंटर के रूप में कार्य करता है। कुल मिलाकर, यह शरीर के सभी अंगों पर नियंत्रण के लिए जिम्मेदार है।

यह बाहरी उत्तेजकों का विश्लेषण करके उन संकेतों को भेजता है जो मांसपेशियों, हड्डियों, अंगों और ग्रंथियों में प्रतिक्रिया पैदा करते हैं।

टहलना, तथ्यों को याद रखना और यहां तक कि प्यास महसूस होने का कारण भी आपका मस्तिष्क ही है। हाालांकि उम्र बढ़ने के साथ इस पर असर पड़ने लगता है।

अल्ज़ाइमर की बीमारी नर्व कोशिकाओं को प्रभावित करने वाली सबसे आम स्थिति है और इस कारण यह मस्तिष्क को भी प्रभावित करती है।

इस रोग में नर्व कोशिकाओं का क्षय होता है और स्मृति लोप (डिमेंशिया) के कई लक्षण नज़र आने लगते हैं। आम तौर पर यह बढ़ती उम्र में होता है। इसके बावजूद, जोख़िम वाले कारक मौजूद होने पर यह युवाओं को भी प्रभावित कर सकता है।

मेडिकल शब्दों में ‘डिमेंशिया’ वह क्लीनिकल स्थित है जिसमें संज्ञानात्मक कार्यों और याददाश्त में कमी के लक्षण नज़र आते हैं।

जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, हमारी तंत्रिकाएं धीरे-धीरे नष्ट होने लगती हैं। ये दोबारा विकसित नहीं हो पाती हैं और मर जाती हैं। इस कारण दिमाग की कार्यकुशलता में कमी आ जाती है। इसलिए बुजुर्गों में स्मृति लोप की संभावना ज़्यादा होती है।

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अल्ज़ाइमर के लक्षण (Symptoms of Alzheimer’s)

अल्ज़ाइमर रोग के लक्षण

नर्व और मस्तिष्क कोशिकाओं के लगातार ह्रास या पतन के कारण स्मृति लोप होना अल्ज़ाइमर रोग का मुख्य लक्षण है जो आम तौर पर नज़र आता है।

जैसे-जैसे यह विनाशकारी प्रक्रिया आगे बढ़ती है, बहुत से व्यक्तियों के सामान्य व्यवहार और व्यक्तित्व में स्पष्ट परिवर्तन दिखाई देते हैं। ज़्यादा गंभीर मामलों में उनमें व्यक्तित्व संबंधी गड़बड़ियाँ पैदा हो सकतीं हैं।

इंटरनेशनल अल्ज़ाइमर्स एसोसिएशन ने “अल्ज़ाइमर के 10 संकेत” नाम की एक सूची बनाई है। इसमें उन्होंने मरीजों में नज़र आने वाले 10 सबसे आम लक्षणों के बारे में जानकारी दी है।

अल्ज़ाइमर रोग के ये लक्षण हैंः

  • याददाश्त से जुड़ी समस्याएं जिससे रोज़मर्रा के कामकाज करना मुश्किल हो जाता है,
  • आसान समस्याएं हल करने में कठिनाई,
  • रोज़मर्रा के सामान्य कामकाज करने में मुश्किल,
  • स्थान और समय का ज्ञान न रहना,
  • तस्वीरों को समझने में परेशानी,
  • भाषा लिखने या बोलने में समस्या
  • चीज़ों को अनचाही जगह रखना और उन्हें ढूंढ़ते समय परेशान होना,
  • निर्णय लेने में मुश्किल या सही निर्णय न ले पाना,
  • पहल करने या प्रेरणा लेने की इच्छा खो बैठना,
  • मनोदशा, व्यवहार और व्यक्तित्व में परिवर्तन।

अल्ज़ाइमर रोग के कारण (The Causes of Alzheimer’s)

अल्ज़ाइमर रोग के कारण

अल्ज़ाइमर रोग के मुख्य कारणों को लेकर आज भी मेडिकल प्रोफेशन में एक राय नहीं है। फिर भी, उनकी नज़र में उम्र बढ़ने के अलावा अन्य जोख़िम वाले कारक हैंः

  • तंबाकू,
  • शराब का सेवन,
  • विषाक्त पदार्थों का सेवन जैसे कि ड्रग्स,
  • असंतुलित आहार लेना,
  • बैठे-बैठे काम करना,
  • अधिक वजन या मोटापा,
  • नींद संबंधी गलत आदतें (ख़राब गुणवत्ता वाली नींद या अपर्याप्त नींद),
  • आहार लेने से संबंधित विकार जैसे कि भोजन करने से अरुचि (नर्वस एनोरेक्सिया),
  • हृदय से संबंधित समस्याएं जैसे कि आर्टेरियल हाईपरटेंशन,
  • किसी दुर्घटना, सदमा लगने या बीमारी के कारण मस्तिष्क क्षति।

क्या अल्ज़ाइमर रोग को रोका जा सकता है?

अल्ज़ाइमर रोग को क्या रोका जा सकता है

जब हम अल्ज़ाइमर रोग की शुरुआत को रोकने की बात आती है तो आम तौर पर हमारा आशय लक्षणों के बढ़ने की गति को कम करना होता है

वैसे, ह्रास की प्रक्रिया की रफ़्तार कम करने से भी ज़्यादा महत्वपूर्ण है पहले लक्षण नज़र आने पर इसकी रोकथाम करना है। ऐसा इसलिए क्योंकि डिमेंशिया के मामले में ह्रास की प्रक्रिया बहुत तेज़ी से बढ़ती है।

अल्ज़ाइमर रोग से बचाव का सीधा अर्थ अपनी रूटीन में जोख़िम वाले कारकों से बचना है।

इसीलिए, नीचे हमने कुछ बदलाव करने के सुझाव दिए हैं, जिन्हें आप अपनी रोज़मर्रा की आदतों में शुमार करके अपने मस्तिष्क और शरीर को स्वस्थ रख सकते हैंः

  • संतुलित आहार लें। न ज़रूरत से ज़्यादा खाएं और न ही कैलोरीज़ की कमी होने दें।
  • नियमित रूप से कसरत करें (रोज़ाना कम से कम 30 मिनट तक)।
  • अपना वजन संतुलित रखें। वजन न तो ज़्यादा हो और न ही इतना कम कि हृदय से संबंधित समस्याएं हो जाएं।
  • विटामिन C और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर चीज़ें खाएं। ये नींबू परिवार के फल, रेड बेरीज़, हरी पत्तेदार सब्जियां, ओमेगा 3 और 9 की उच्च मात्रा वाली मछलियों आदि में ख़ूब पाए जाते हैं।
  • दैनिक जीवन में तनाव कम करें। इसके लिए कसरत करें, ध्यान लगाएं या योग अपनाएं या फिर अपनी हॉबी के लिए समय दें।
  • तनावमुक्त होने और खुद को एंटरटेन करने के लिए समय निकालें। वैसे भी, ज़रूरत से ज़्यादा काम का बोझ आपके स्वास्थ्य और संज्ञानात्मक क्षमताओं के लिए नुकसानदेह है।
  • दिन भर में आठ घंटे की गहरी नींद लें।
  • लोगों के साथ स्वस्थ संबंध रखें और सकारात्मक माहौल में समय बिताएं।
  • अपना आत्म-विश्वास बनाए रखें और नकारात्मक विचारों से दूर रहें। अगर ज़रूरी समझें तो मनोवैज्ञानिक उपचार करवाने से न घबराएं।
  • शराब पीते समय संयम बरतें। धूम्रपान न करें और नशीले पदार्थों का सेवन न करें।

इसके अलावा, जो महिलाएं रजोनिवृत्ति से गुज़र रहीं हैं, उन्हें ईस्ट्रोजन हार्मोन सप्लीमेंट्स के संबंध में डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। वैज्ञानिकों का मानना है कि ईस्ट्रोजन के प्राकृतिक उत्पादन में कमी के कारण अल्ज़ाइमर रोग की शुरुआत होने की संभावना बढ़ सकती है।

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