ये 10 संकेत एंग्जायटी की समस्या की ओर इशारा करते हैं
एंग्जायटी की समस्या एक मनोवैज्ञानिक बीमारी है। इसके चलते हम हमेशा अपनी अंदरूनी और बाहरी ज़िन्दगी को लेकर चिंतित रहते हैं और हर स्थिति का पूर्वानुमान लगाना शुरू कर देते हैं।
जाने-अनजाने हमारी भावनाएँ हमारे मानसिक रूप से चिंतित होने का संकेत दे जाती हैं। इसका कारण हार्मोनल बदलाव हो सकते हैं।
एंग्जायटी की समस्या होने पर हर व्यक्ति अपनी क्षमता के अनुसार प्रतिक्रिया व्यक्त करता है।
ज़्यादातर लोगों के लिए यह प्रतिक्रिया अस्थाई होती हैं। वे थोड़ी ही देर में सामान्य भी महसूस करने लगते हैं।
अक्सर लोग मानसिक चिंता से जूझते तो रहते हैं, फिर भी इसे अनदेखा करते चले जाते हैं।
ऐसे में इसके हानिकारक प्रभावों से बचना मुश्किल हो जाता है। यह स्थिति एक गंभीर समस्या का रूप ले लेती है।
एंग्जायटी की समस्या से जुड़े सभी संकेतों को ठीक से समझना ज़रूरी है।
आज हम ऐसे ही 10 लक्षणों के बारे में बात करेंगे। इनके मुसीबत बनने से पहले इन्हें समझिए और इनका हल ढूँढ़िए।
1. एंग्जायटी की समस्या के कारण सीने में दर्द होता है
चिंता से सीने में दर्द होना एक सामान्य लक्षण है। यह दर्द मासपेशियों में तनाव होने के कारण उठता है।
लोग इस तेज़ दर्द को दिल का दौरा समझ लेते हैं। लेकिन यह दर्द केवल अस्थाई समय के लिए ही रहता है।
2. अपने गले में गाँठ का महसूस होना या साँस लेने में दिक्कत होना
इस लक्षण को “ग्लोबस फेरनजीस”कहते हैं। तनाव होने पर गले की मासपेशियाँ सिकुड़ जाती हैं। गले में गाँठ सी महसूस होती है।
गाँठ का महसूस होना या खाना निगलने में दिक्कत होना भावनात्मक असंतुलन का संकेत हैं।
3. ज़रूरत से ज्यादा पसीना आना
पसीना आना एक सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है। सही शारीरिक तापमान बनाए रखने के लिए पसीना आना ज़रूरी है।
लेकिन एंग्जायटी की समस्या के दौरान, स्वेद ग्रंथियों की गतिविधि में बदलाव आने लगता है। ऐसे में हमारे शरीर से असामान्य मात्रा में पसीना निकलना शुरू हो जाता है।
4. गरदन और कंधे का दर्द
एंग्जायटी की समस्या से मासपेशियों में तनाव बढ़ने लगता है। इसका सीधा असर आपकी गरदन और कन्धों पर होता है।
कई बार तो चेहरा भी सुन्न होने लगता है। हो सकता है कि यह दिक्कत कुछ समय तक बनी रहे।
5. कब्ज़ की शिकायत
एंग्जायटी की समस्या से पाचन प्रक्रिया पर प्रभाव पड़ता है। चिंता की वजह से आपको कब्ज़ की परेशानी झेलनी पड़ सकती है।
ऐसे में बदहजमी, पेट में ज़रूरत से ज़्यादा एसिड बनाना और कब्ज़ जैसी कुछ परेशानियाँ होना एक आम बात है।
6. त्वचा में बदलाव आना
चिंता के समय आपकी त्वचा को भी कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
त्वचा पर मुंहासे निकलना, धाग धब्बे पड़ना और इसका रूखा होना आम लक्षण हैं।
ये सारे बदलाव भावनात्मक असंतुलन के कारण होते हैं।
पहले तो ये सभी लक्षण आपके चेहरे पर दिखने शूरू होते हैं। और फिर ये परेशानियाँ शरीर के अन्य हिस्सों में भी होने लगती हैं। उदहारण के लिए बाँह, पीठ और शरीर के कई अन्य हिस्से में।
लेकिन, मानसिक चिंता के खत्म होते ही त्वचा फिर से सामान्य हो जाती है।
7. झुनझुनी महसूस होना
चिंतित होने के कारण शरीर में कमजोरी और झुनझुनी महसूस हो सकती है।
ये दोनों लक्षण दिखाते हैं कि हमारा शरीर चिंता और तनाव से लड़ने का प्रयास कर रहा है।
ऐसा तब होता है, जब कम ऑक्सीजन बनने के कारण हमारे हाथ-पैर में बहते रक्त में कार्बन डाइऑक्साइड जमा होनी शुरू हो जाए।
8. इनसोम्निया या अनिद्रा
मानसिक चिंता से गुज़र रहे लोगों के लिए अनिद्रा से पीड़ित होना एक सामान्य बात है।
किसी भी व्यक्ति को नींद न आना या नींद आने पर भी सो न पाना भावनात्मक समस्याओं की ओर इशारा करता है।
समय के साथ-साथ इस बीमारी के अन्य शारीरिक और मानसिक दुष्प्रभाव दिखने लगते हैं।
9. आँखों में दर्द होना
मानसिक चिंता के कारण कुछ तरल पदार्थ शरीर के बाकी टिश्यू या ऊतकों तक नहीं पहुँच पाते हैं।
इस कारण आँखों की लूब्रिकैशन प्रक्रिया पर असर पड़ता है, जो लाली, जलन और सूखापन का कारण बन सकती है।
10. माइग्रैन या सिर दर्द की बीमारी
माइग्रैन मानसिक चिंता का ही एक लक्षण है। यह लम्बे समय से चली आ रही चिंता की ओर इशारा करता है।
- माइग्रैन मुख्य रूप से तनाव होने पर और ब्लड सर्कुलेशन से जुड़ी समस्याओं में होता है।
क्या आप भी इस तरह की घबराहट, चिंता यानी एंग्जायटी की समस्या से जूझ रहें हैं? अगर हाँ, तो बेहतर होगा कि आप अपना भावनात्मक संतुलन संभालें।
आखिर आपको एक बेहतर जीवन जीने का प्रयास जो करना है!