7 जटिल समस्याएं जो थायरॉइड डिसऑर्डर से जुड़ी होती हैं

थायरॉइड दरअसल मेटाबोलिक प्रक्रियाओं में भूमिका निभाने वाली एक ग्लैंडहै। इसलिए इसमें किसी भी तरह की खामी आने पर शरीर में ढेर सारे बदलाव आ सकते हैं। अपने इस पोस्ट में हम आपके लिए ऐसी ही कुछ गड़बड़ियों और उनके लिए ज़रूरी ट्रीटमेंट की हम व्याख्या करेंगे।
7 जटिल समस्याएं जो थायरॉइड डिसऑर्डर से जुड़ी होती हैं

आखिरी अपडेट: 13 जुलाई, 2018

थायरॉइड डिसऑर्डर से कई लक्षण और जटिलताएं उत्पन्न हो सकते हैं। आमतौर पर इनसे रोगी की ज़िन्दगी पर एक गहरा असर पड़ता है।

इसमें कोई शक नहीं कि आज यह सबसे आम स्वास्थ्य समस्याओं में है, खासकर बात अगर महिलाओं की हो। थायरॉइड डिसऑर्डर का इलाज तो संभव है लेकिन सर्जरी वाले दीर्घकालिक इलाज सहित अक्सर ये लंबी उपचार प्रक्रियाएं होती हैं

साथ ही, हम इस बात को भी अनदेखा नहीं कर सकते कि तितली जैसी आकार वाली यह ग्लैंड कई मेटाबोलिक प्रक्रियाओं में एक अहम भूमिका निभाती है। हॉर्मोन का किसी भी प्रकार का अभाव या अतिरेक हमारे शरीर में ऐसे कई बदलाव ला सकता है, जिन्हें हम किसी और बीमारी के लक्षण समझ लेने की भूल कर सकते हैं।

इसीलिए थायरॉइड रोगियों में अकारण ही थकान का अनुभव करना या फिर वज़न बढ़ने के लिए तनाव को दोष देना एक आम बात है

ऐसी बहुत ही कम बीमारियाँ हैं जिनसे थायरॉइड डिसऑर्डर जितनी जटिलताएं उत्पन्न होती हैं । इसलिए उनके बारे में जानकारी रखना हमारे काम आ सकता है। अपने स्वास्थ्य और तंदरुस्ती के लिए आपको उनकी जानकारी होनी ही चाहिए।

आज हम थायरॉइड डिसऑर्डर के सबसे आम लक्षणों पर एक नज़र डालेंगे।

1. कब्ज़, पाचन तंत्र की समस्याएं, कोलन में जलन

थायरॉइड डिसऑर्डर और कब्ज़

थायरॉइड डिसऑर्डर की वजह से अक्सर हमारे पाचन तंत्र में कई बदलाव आ जाते हैं

थायरॉइड डिसऑर्डर की डायग्नोसिस शुरू करने से पहले पाचन समस्याओं, यहाँ तक कि मलाशय (कोलन) में जलन का अनुभव होना भी एक आम बात है।

दूसरी तरफ, इन लक्षणों से हम इस बात का पता भी लगा सकते हैं कि आखिर हमें किस प्रकार की थायरॉइड समस्या है:

  • हाइपोथायरॉइडिज़्म:
    • कब्ज़
    • पोषक तत्वों को ठीक से न पचा पाना
    • बदहज़मी
  • हाइपरथायरॉइडिज़्म
    • दस्त
    • पेट दर्द
    • पेट निकलना
    • कभी-कभी उलटी आना

2. मासिक धर्म (मेंसट्रूएशन) से जुड़ी समस्याएं और संभावित बांझपन

थायरॉइड डिसऑर्डर से पीड़ित महिला रोगियों के लिए मासिक धर्म में अनियमितता होना एक आम बात है ।

  • हाइपोथायरॉइडिज़्म के मामलों में मासिक धर्म ज़्यादा लंबे और कष्टदायक होते हैं।
  • दूसरी तरफ, हाइपोथायरॉइडिज़्म से पीड़ित महिलाओं के मासिक धर्म छोटे होने के साथ-साथ अक्सर आते हैं। सबसे खराब मामलों में तो उनका मेनोपौज़ भी वक़्त से पहले आ सकता है ।

इसमें कोई शक नहीं कि मेंसट्रूएशन और संभावित इनफर्टिलिटी थायरॉइड डिसऑर्डर से जुड़ी सबसे गंभीर समस्याओं में से हैं। लेकिन आमतौर पर ऐसा तभी होता है जब पीड़ित महिला की बीमारी की समय रहते पहचान न की गई हो या उसका कोई कारगर इलाज न किया गया हो।

3. मांसपेशियों और जोड़ों की समस्याएं

थायरॉइड डिसऑर्डर: जोड़ों और मांसपेशियों के दर्द

यह थायरॉइड डिसऑर्डर की सबसे आम समस्याओं में से एक होने के साथ-साथ सबसे कम जानी-मानी समस्या भी है। आपको इन बातों के प्रति जागरूक होना चाहिए:

  • भले ही वे बूढ़े हों या जवान, स्त्री हों या पुरुष, हाइपोथायरॉइडिज़्म से ग्रस्त लोगों की मांसपेशियों और जोड़ों में अक्सर निरंतर दर्द रहता है। इस लक्षण के कारण उनकी हालत इतनी खराब हो जाती है कि कभी-कभी उनके रोग की ठीक से पहचान भी नहीं हो पाती, जैसे कि फाइब्रोमायेल्जिया डिसऑर्डर के मामले में होता है। लेकिन इलाज के साथ इस लक्षण में काफी सुधार आ जाता है। थायरॉइड समस्याओं से ग्रस्त लोगों को अक्सर कार्पेल टनल सिंड्रोम या प्लान्टर फासीटिस हो जाता है।
  • हाइपरथायरॉइडिज़्म से पीड़ित लोगों को सामन्यतः बाज़ुओं और पैरों में दर्द और कमज़ोरी महसूस होती है

4. बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल

इस लक्षण को देखकर भी हमें हैरानी हो सकती है। थायरॉइड डिसऑर्डर से हमारा कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल) स्तर बढ़ सकता है, जिसका उपचार ज़्यादा मुश्किल होता है

  • ऐसा आमतौर पर उन मरीजों में देखा जाता है जो डाइट, एक्सरसाइज और स्टाटिन के बावजूद भी अपने कोलेस्ट्रॉल स्तर को घटा पाने में असफल रहते है। आमतौर पर कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का संबंध हाइपोथायरॉइडिज़्म से होता है।
  • दूसरी तरफ, कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होना (ऐसा ज़रूरी नहीं कि यह हमेशा ही कोई अच्छी बात हो) हाइपरथायरॉइडिज़्म की ओर इशारा करता है ।

5. थायरॉइड डिसऑर्डर के कारण आराम करने की आदतों में आए बदलाव

थायरॉइड डिसऑर्डर: नींद

थायरॉइड की बीमारियों का हमारी ज़िन्दगी पर पड़ने वाले प्रभावों में से एक है हमें ठीक से नींद न आना। लेकिन इससे इस बात पर कोई असर नहीं पड़ता कि हम कितने घंटे सोते हैं।

  • कभी-कभी मरीजों को नींद से उठने पर थकान और कमज़ोरी महसूस होती है, भले ही वे एक रात पहले 10 घंटे ही क्यों न सोए हों।
  • कभी-कभी पर्याप्त आराम न करने के एहसास के कारण मरीज़ झपकियाँ लेता है या पूरा वीकेंड बिस्तर में बिता देता है। यह चिंता का एक विषय होता है।

अन्य मामलों में रोगी सोने तो जाता है पर टैकीकार्डिया, घबराहट या बेचैनी के कारण सो नहीं पाता

6. त्वचा में बदलाव

बाल झड़ने के साथ-साथ त्वचा में बदलाव आना भी सामान्य बात है।

  • विशेषतः टखनों, घुटनों और कोहनियों की त्वचा ज़्यादा खुरदरी, सूखी और पपड़ीदार लग सकती है। ये हाइपोथायरॉइडिज़्म के लक्षण होते हैं ।
  • दूसरी तरफ, हाइपरथायरॉइडिज़्म के मामलों में त्वचा तापमान में बदलाव के प्रति नाज़ुक और अतिसंवेदनशील हो सकती है।

7. डिप्रेशन और चिंता

थायरॉइड डिसऑर्डर: अवसाद

कम सक्रिय थायरॉइड की वजह से हाइपोथायरॉइडिज़्म होता है, जिसके फलस्वरूप हमारे न्यूरोट्रांसमिटर में बदलाव आ सकता है। सेरोटोनिन या डोपामिन में गिरावट के कारण हम अवसादग्रस्त हो सकते हैं।

दूसरी तरफ, डिप्रेसिव डिसऑर्डर वाला कोई रोगी जब साइकियाट्रिक ड्रग्स का प्रतिरोध करता है तो यह मुमकिन है कि वह किसी थायरॉइड-संबंधित समस्या से ग्रस्त है

इस तरह अनेक लोगों की थायरॉइड की बीमारी उनके मूड स्विंग, रात की नींद और जोड़ों के दर्द से जुड़ी समस्याओं का कारना होती हैं। ये ऐसे थायरॉइड डिसऑर्डर हो सकते हैं जिनकी डायग्नोसिस या इलाज नहीं किया गया था।

इन लक्षणों को ध्यान में रखें ।



  • Kline, G., & Sadrzadeh, H. (2017). Thyroid disorders. In Endocrine Biomarkers: Clinicians and Clinical Chemists in Partnership. https://doi.org/10.1016/B978-0-12-803412-5.00002-1
  • Mintziori, G., Anagnostis, P., Toulis, K. A., & Goulis, D. G. (2012). Thyroid diseases and female reproduction. Minerva Medica. https://doi.org/10.1111/j.1365-2265.2007.02752.x
  • Squizzato, A., Gerdes, V. E. A., Brandjes, D. P. M., Büller, H. R., & Stam, J. (2005). Thyroid diseases and cerebrovascular disease. Stroke. https://doi.org/10.1161/01.STR.0000181772.78492.07
  • Ebert EC. The thyroid and the gut. Journal of Clinical Gastroenterology. 2010.
  • Ajmani, N. S., Sarbhai, V., Yadav, N., Paul, M., Ahmad, A., & Ajmani, A. K. (2016). Role of Thyroid Dysfunction in Patients with Menstrual Disorders in Tertiary Care Center of Walled City of Delhi. Journal of obstetrics and gynaecology of India, 66(2), 115–119. https://doi.org/10.1007/s13224-014-0650-0
  • Aydın, H., Fındıklı, H. A., Tutak, A. S., Aydın, B., & Algın, A. (2017). MUSCULAR HYPERTROPHY AS ATYPICAL INITIAL PRESENTATION OF HYPOTHYROIDISM. Acta endocrinologica (Bucharest, Romania : 2005), 13(4), 506–508. https://doi.org/10.4183/aeb.2017.506
  • Rizos, C. V., Elisaf, M. S., & Liberopoulos, E. N. (2011). Effects of thyroid dysfunction on lipid profile. The open cardiovascular medicine journal, 5, 76–84. https://doi.org/10.2174/1874192401105010076
  • Louwerens M, Appelhof BC, Verloop H, Medici M, Peeters RP, Visser TJ, et al. Fatigue and fatigue-related symptoms in patients treated for different causes of hypothyroidism. Eur J Endocrinol. 2012;
  • Puri N. A study on cutaneous manifestations of thyroid disease. Indian Journal of Dermatology. 2012.
  • Bauer M, Heinz A, Whybrow PC. Thyroid hormones, serotonin and mood: Of synergy and significance in the adult brain. Molecular Psychiatry. 2002.

यह पाठ केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए प्रदान किया जाता है और किसी पेशेवर के साथ परामर्श की जगह नहीं लेता है। संदेह होने पर, अपने विशेषज्ञ से परामर्श करें।