6 संभावित कारण जिनकी वजह से हो सकता है अनियमित पीरियड
आपके पीरियड में बदलाव और अनियमित पीरियड के पीछे कई अलग-अलग फैक्टर हो सकते हैं। इसलिए बड़ी समस्याओं की संभावना को ख़ारिज करने और सही डायग्नोसिस के लिए एक्सपर्ट से मिलना ही अच्छा होता है।
मेन्सट्रुल साइकल यानी मासिक धर्म एक जैविक हार्मोनल प्रक्रिया है जिससे महिलाओं को गुजरना होता है। इसमें शारीरिक और मानसिक सेहत से जुड़े कई पहलू शामिल होते हैं।
आम तौर पर यह साइकल हर 28 दिनों पर होता है। हार्मोनल एक्टिविटी पर निर्भर करते हुए स्वाभाविक रूप से यह 3 से 6 दिनों तक चलता है।
प्रत्येक साइकल के दौरान शरीर में बदलावों की एक पूरी श्रृंखला चलती है जो सेक्स और प्रजनन में सीधी भूमिका निभाती है। इसलिए यह इतना अहम होने पर भी कई लोग इसे अनदेखा करने की कोशिश करते हैं।
साथ ही, जीवन के अलग-अलग स्टेज में यह साइकल अलग-अलग रूप में आता है। क्योंकि यौवन की अवस्था और मेनोपाज के बीच हार्मोन स्राव के पैटर्न में अहम बदलाव आता रहता है।
फिर भी, अगर पीरियड के पैटर्न में कोई बदलाव, कोई अनियमितता आ रही है, तो यह समझ लेना ज़रूरी है कि इसकी व्याख्या कैसे करें। यह किसी स्वास्थ्य समस्या या हार्मोनल गड़बड़ी की ओर इशारा भी हो सकती है।
आपका पीरियड अगर बहुत जल्दी या बहुत देर से आया है तो यह दूसरी किसी संभावित गड़बड़ी का पता लगाने की चाबी भी बन सकता है।
इससे कतई इस नतीजे पर न पहुँचे कि आपके भीतर वाकई कुछ गंभीर हो रहा है। फिर भी ज्यादा जटिल समस्याओं से बचने के लिए इस ओर ध्यान देना भी अहम है।
जिनका पीरियड अनियमित है, उनमें कई लोग यह नहीं समझ पाते कि ऐसा क्यों हो रहा है। इसलिए हमने यहाँ 6 संभावित कारणों की जनकारी शेयर की है जिनके कारण आपके पीरियड अनियमित हो सकते हैं।
1. थायरॉइड रोग बन सकता है अनियमित पीरियड का कारण
थायरॉइड ग्लैंड डिसऑर्डर अनियमित पीरियड की समस्या के ट्रिगर का काम कर सकता है। यह अंग कई महत्वपूर्ण हार्मोन का स्राव करता है। ऋतुरोध (amenorrhea cases) के कम से कम 15% मामले थायरॉइड असंतुलन (thyroid imbalances) से जुड़े होते हैं।
कुछ लोग इसे “मास्टर ग्लैंड” भी मानते हैं। क्योंकि यह एंडोक्राइन तंत्र (endocrine system), मेटाबोलिज्म और सेक्स गतिविधियों को नियंत्रित करने का काम करता है।
2. बर्थ कंट्रोल को रोकना
ओरल गर्भ निरोधक बर्थ कंट्रोल के लिए डिज़ाइन किये गए हैं। ये गोलियां एस्ट्रोजन के स्तर (estrogen level) को ऊँचा रखती हैं। शरीर इसे प्रेगनेंसी की अवस्था मान लेता है और फर्टिलाइजेशन रोक देता है।
21 दिनों तक इन्हें खाने के बाद एक “रेस्ट वीक” होता है जब महिलाओं को पूरी तरह रेगुलर पीरियड आते हैं।
कई बार जब महिलाएं ये पिल्स खाना बंद कर देती हैं, तो पीरियड अनियमित हो जाता है। हार्मोन में बदलाव के कारण मेन्सट्रुएशन बिल्कुल बंद भी हो सकता है।
अनुमान है कि रेगुलर सेवन के बाद गोली बंद करने वाली 29% महिलाओं में अगले तीन महीने तक पीरियड नहीं आते हैं।
3. हाई इंटेंसिटी वाली एक्सरसाइज
हाई इंटेंसिटी एक्सरसाइज एड्रिनल, थायरॉइड और पिट्यूटरी ग्लैंड में बदलाव ला सकती है, जो आमतौर पर मासिक धर्म में बदलाव के साथ जुड़ा होता है।
मैराथन दौड़ने वाली या दूसरी एथलेटिक एक्टिविटी में भाग लेने वाली महिलायें इसकी मिसाल हैं। हार्मोनल एक्टिविटी में बदलाव के कारण उनमें एक या दो महीने तक पीरियड रुक सकते हैं। तथ्य है कि 81% महिला बॉडी बिल्डर जीवन में कभी न कभी अनियमित पीरियड का शिकार हुई हैं।
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4. हार्मोन असंतुलन अनियमित पीरियड का कारण हो सकता है
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (Polycystic Ovary Syndrome – PCOS) जैसे रोगों से होने वाले हार्मोन असंतुलन मासिक धर्म में अनियमितता के आम कारणों में आते हैं।
यह स्थिति एस्ट्रोजन ( estrogen ), प्रोजेस्टेरोन ( progesterone ) और टेस्टोस्टेरोन ( testosterone ) सहित तमाम सेक्स हार्मोन का लेवल बदल सकती है।
नतीजतन मेन्सट्रुल साइकल (menstrual cycle) भी बदल सकता है। बॉडी हेयर ग्रोथ, मुँहासे ( acne ) और अचानक वजन में बदलाव जैसे असामान्य शारीरिक लक्षण भी दिख सकते हैं। एक अन्य हार्मोन समस्या भी इसका कारण हो सकती है। इसे “असमय मेनोपाज (premature menopause)” कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह वह मेनोपाज है, जो 40 साल की उम्र से पहले शुरू होता है।
इस मामले में, अनियमित पीरियड के साथ ये लक्षण भी जुड़े हो सकते हैं:
- योनि शुष्कता (Vaginal dryness)।
- रात में पसीना आना।
- लगातार मिजाज बिगड़ना (mood swing)।
5. एलर्जी और कई खाद्यों के प्रति संवेदनशीलता
फ़ूड इनटॉलेरेंस और एलर्जी (Food intolerance and allergies) भी मासिक धर्म चक्र में गड़बड़ी का कारण हो सकता है। यह करीब-करीब हमेशा ही एड्रिनल ग्लैंड के कार्यों में समस्या खड़ी करती है। इससे स्ट्रेस लेवल बढ़ सकता है और सेक्स हार्मोन में असंतुलन आ सकता है।
6. पोषण की कमी
पोषण की कमी भी थायरॉइड और एड्रिनल ग्रंथियों के कामकाज पर असर डाल सकती है।
एंटीऑक्सिडेंट, विटामिन, मिनरल और प्रोबायोटिक्स की कमी वाली डाइट कोर्टिसोल स्तर ( cortisol levels ) बढ़ा सकती है और हाइपोथायरॉइडिज्म और एड्रिनल की थकान जैसी गड़बड़ियों का कारण बन सकती है।
हालांकि कोर्टिसोल का ऊँचा स्तर महज तनाव को ही नहीं बढ़ाता, यह कई अहम हार्मोन की गतिविधि को भी रोक सकता है। यौन गतिविधि के लिए जिम्मेदार हॉर्मोन भी इनमें शामिल हैं।
मासिक धर्म की अनियमितता के पहले संकेत मिलते ही कई किस्म के अति पौष्टिक आहार खाना शुरू कर देना बहुत अहम होता है।
निष्कर्ष के तौर पर, मेन्सट्रुअल अनियमितता के लिए जिम्मेदार संभावित फैक्टर को जानना बहुत ज़रूरी होता है। इससे इसका सटीक इलाज हो सकता है। हार्मोन के स्तर की सटीक जांच के लिए डॉक्टर को दिखाना भी ज़रूरी है।
मुख्य इमेज: wikiHow.com के सौजन्य से।
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