पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम के 7 लक्षण: इन्हें नज़रंदाज़ न करें
पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पी.सी.ओ.एस.) का कारण हॉर्मोन का असंतुलन है। स्वास्थ्य पर इसके असर की वजह से किसी औरत की ज़िन्दगी पर एक गहरा प्रभाव पड़ सकता है।
अंडाशय (ओवरी) में छोटे-छोटे सिस्ट या फॉलिकल के बनने की वजह से उसकी दीवार के मोटे होने की अवस्था को पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम कहा जाता है। यह किशोरावस्था के दौरान होता है, हालांकि यह प्रजनन काल के दौरान किसी अन्य समय में भी विकसित हो सकता है।
चूंकि यह सिंड्रोम एंड्रोजेन के ऊँचे स्तर के फलस्वरूप होता है, इससे पीड़ित महिलाएं इन्फर्टिलिटी यानी बांझपन की चपेट में आ सकती हैं ।
इस अंसतुलन के कारण एक स्वस्थ-संपूर्ण जीवन में बाधा डालने वाले दूसरे तकलीफ़देह सिंड्रोम भी हो सकते हैं ।
खुशकिस्मती से, इसके लक्षणों का पता लग जाने पर मेडिकल ट्रीटमेंट की मदद से रोगी इस पर काबू पा सकता है।
चूंकि कुछ महिलायें इन लक्षणों को अनदेखा कर सकती हैं, हम आपको पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम की चेतावनी देने वाले 6 संकेतों के बारे में बताना चाहेंगे।
1. चित्तियाँ पड़ना (Freckling)
चित्तियाँ पड़ने के अनेक कारण होते हैं। लेकिन जब वे अचानक ही दिखाई देने लगें तो हॉर्मोन का असंतुलन संभावित कारणों में से एक होता है।
जिन महिलाओं के शरीर में एंड्रोजेन अनियमित रूप से बनता है, उनके खून में इंसुलिन अक्सर बड़ी मात्रा में पाया जाता है, जिससे इन जगहों पर चित्तियाँ पड़ जाती हैं:
- गर्दन
- बाज़ुओं के नीचे
- चेहरा
- हाथ
- जांघ का ऊपरी हिस्सा
2. माँ बनने और इन्फर्टिलिटी-संबंधी समस्याएं
पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम से पीड़ित होने के बावजूद भी ऐसी कई महिलाएं होती हैं, जिनके गर्भाशय व अंडाशय स्वस्थ होते हैं।
लेकिन अधिकतम मामलों में इस अवस्था का पहला ही नतीजा ओव्यूलेशन में गिरावट होती है, जिसके फलस्वरूप माँ बनने में मुश्किलें आ सकती हैं।
हॉर्मोन में आई अनियमितताओं की वजह से गर्भधारण मुश्किल हो जाता है। अगर पीड़ित महिला माँ बन भी जाए तो भी उसकी प्रेगनेंसी अक्सर कई जटिलताएं व जोखिम अपने साथ लाती है।
हालांकि चिकित्सा-पद्धति में हुई तरक्की की बदौलत एक सामान्य ओव्यूलेशन लाने के लिए आजकल कई प्रकार के उपचार उपलब्ध हैं।
3. वज़न बढ़ना
वज़न का बेकाबू ढंग से बढ़ना हॉर्मोन के असंतुलन का लक्षण हो सकता है, जो कि पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम को दर्शाता है।
बदकिस्मती से, पी.सी.ओ.डी. के लगभग आधे मरीजों की समस्या बढ़ने के साथ-साथ उनका वज़न भी बढ़ता जाता है।
एक संतुलित आहार व नियमित एक्सरसाइज भी आपको इस सिंड्रोम से नहीं बचा सकती। इसीलिए हॉर्मोन के अत्यधिक स्राव को नियंत्रण में रखने के लिए मेडिकल सहायता लेना अत्यंत महत्त्वपूर्ण हो जाता है।
4. लंबे समय तक रहने वाले कील-मुहांसे
कील-मुहांसे त्वचा की एक ऐसी समस्या हैं, जिनकी गंभीरता उनके कारण पर निर्भर करती है।
चूंकि यह लक्षण ठीक हमारी आँखों के सामने होता है, इससे हमारे आत्मसम्मान में कमी व एक असुरक्षा की भावना उत्पन्न हो सकती है।
पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम की बात करें तो टेस्टोस्टेरोन का अत्यधिक प्रोडक्शन लंबे वक़्त तक रहने वाले कील-मुहांसों का कारण बन जाता है। जबकि आमतौर पर महिलाओं में इस हॉर्मोन का स्राव कम मात्रा में ही होता है।
5. देह पर हद से ज़्यादा बालों का उगना
पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम से पीड़ित महिलाओं को अक्सर अतिरोमता (Hirsutism) की समस्या होती है। इसका मतलब शरीर पर बालों का अत्यधिक मात्रा में उगना होता है ।
हालांकि शरीर की अलग-अलग जगह थोड़े-बहुत बालों का होना हम सभी के लिए एक आम बात है, लेकिन हिर्सूटिस्म से जुड़े मोटे-मोटे बालों का अत्यधिक मात्र में होना कोई सामान्य बात नहीं है।
बालों की इस असाधारण वृद्धि के लिए टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन की ऊँची मात्रा ज़िम्मेदार होती है, क्योंकि इससे औरतों की त्वचा व बालों के फॉलिकलों पर असर पड़ता है ।
6. बालों का झड़ना
बालों के झड़ने के कई कारण हो सकते हैं और इसीलिए यह पता लगाना अत्यावश्यक होता है कि वह कारण शरीर के अंदर है या बाहर।
कुछ मामलों में बालों के झड़ने का कारण खून या पौष्टिक तत्वों की कमी भी हो सकती है, क्योंकि हमारे बालों को मज़बूत बने रहने के लिए पौष्टिक तत्वों की ज़रूरत होती है ।
कुछ कॉस्मेटिक प्रोडक्ट या हीटिंग उपकरणों के प्रयोग से भी बाल झड़ सकते हैं क्योंकि वे कैपिलरी फाइबर्स पर सीधा असर डालते हैं।
लेकिन अगर बाल झड़ने के साथ-साथ आपको कोई भी उपर्युक्त लक्षण महसूस हो रहा हो तो हमारी आपको यही सलाह है कि आप यह जाँच करवाएं कि कहीं इसका पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम से कुछ लेना-देना तो नहीं है।
कारण की पुष्टि होना बहुत आवश्यक सिर्फ इसलिए ही नहीं है कि हॉर्मोन के असंतुलन से कैपिलरी पर असर पड़ता है, बल्कि इसलिए भी कि वह पौष्टिक तत्वों के सोखे जाने में बाधा डाल सकता है ।
7. एंग्जायटी और डिप्रेशन
पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम के मरीजों में हार्मोनल गतिविधि अक्सर मूड स्विंग्स, आसानी से गुस्सा आने और चिड़चिड़ेपन का कारण बन जाती है।
पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम से ग्रस्त महिलाएं अक्सर आसानी से डिप्रेशन और एंग्जायटी का शिकार हो जाती हैं । ऐसा इसलिए होता है कि उसके लक्षण शरीर की बनावट, सेक्स लाइफ और फर्टिलिटी को प्रभावित करते हैं।
हमें इन बातों को हल्के तौर पर नहीं लेना चाहिए । इन लक्षणों से उबरने के लिए मेडिकल उपचार के साथ-साथ मनोवैज्ञानिक मदद की ज़रूरत भी पड़ती है।
हालांकि इस आर्टिकल में दिए लक्षण अन्य अवस्थाओं की ओर भी इशारा कर सकते हैं, लेकिन संक्षेप में कहें, तो थोड़ा समय लेकर हमें यह देख लेना चाहिए कि कहीं किसी प्रकार से ये लक्षण पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम से संबंधित तो नहीं हैं।
मेडिकल टेस्ट के माध्यम से डॉक्टर इसका पता लगा सकते हैं और आपकी हालत को ध्यान में रखते हुए इसका इलाज भी कर सकते हैं।
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