मनोवैज्ञानिक दुर्व्यवहार के 6 प्रभाव जिन्हें आपको जानना चाहिए

यह सोचना कि आपके साथ हो रहे दुर्व्यवहार की वजह आप खुद हैं, गलत है। आपकी निजता का उलंघन करने का हक़ किसी को नहीं है; मनोवैज्ञानिक दुर्व्यवहार बेहत ही खतरनाक बात है।
मनोवैज्ञानिक दुर्व्यवहार के 6 प्रभाव जिन्हें आपको जानना चाहिए

आखिरी अपडेट: 21 मार्च, 2019

शारीरिक शोषण के प्रभाव को देखना आसान है। आखिरकार, कोई भी व्यक्ति अपनी टूटी बांह, काली आंख, जलना, सूजे होंठ या जख्म नहीं छिपा सकता। हालांकि, जब मनोवैज्ञानिक दुर्व्यवहार, छल चतुराई, दुराचार और भावनात्मक हमले की बात आती है, तो चीजें बदल जाती हैं।

आप इसे छू नहीं सकते, न तो देख सकते हैं या न ही इसका फोटो कर सकते हैं। इसका प्रभाव इतना जटिल है‌ कि पीड़ित प्रायः मदद मांगने में भी असमर्थता महसूस करता है।

आप इसे कैसे स्पष्ट करेंगे? आप उनसे कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि आप पर विश्वास ‌करे, अगर आपके आत्मसम्मान और आपकी पहचान को चोट पहुंचे, जो कि आपकी देह का भीतरी अंग‌ है?

यह आसान नहीं है। औरतों या पुरुषों ‌के लिए भी की बार वहाँ की व्यवस्थाएँ इतनी अच्छी और मददगार साबित नहीं होती ‌कि दुर्व्यवहार की रिपोर्ट करें।

कभी-कभी वे हिम्मत नहीं कर पाते। उन्हें भय होता है और वे संभावित परिणामों से डरे होते हैं– खासतौर से लोगों द्वारा उनका विश्वास नहीं करने पर।

मनोवैज्ञानिक दुर्व्यवहार एक बहुत ही ठोस कारण है जिंदगी को तबाह और कम कर देने का : यह बिल्कुल करीबी लोग करते हैं, जिन पर आप यकीन करते हैं यहां तक कि जिनसे अकसर प्यार भी करते हैं।

आइए इस‌ पर एक नजर डालते हैं कि इसका‌ आपके दिल ओ दिमाग पर क्या ‌असर‌ पड़ सकता है।

1. मनोवैज्ञानिक दुर्व्यवहार : लज्जा और अपराध महसूस करना

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सबसे हृदय विदारक‌‌ और नकारात्मक बातें ये होती हैं कि आपके ‌साथ होने वाली ‌हर‌ घटना के लिए आप स्वंय को दोषी मानना शुरू कर देते हैं।

यह बहुत ही सामान्य बात है, जो मनोवैज्ञानिक जोड़-तोड़ बाहर से कैसे दिखता है से संबंधित है।

एक उदाहरण है :  ‘व्यक्ति का दुरुपयोग हो रहा है, और वह अपने को दुरुपयोग होने दे रहा है।’ या ‘उसकी कमजोरी है, उसने अपने को उसके हवाले कर दिया है, चोट पाने के लिए, स्वयं पर नियंत्रण के लिए।’

इन कथनों के प्रति बहुत सावधान रहें : जो व्यक्ति प्रताड़ित हो रहा है वह‌ भावनात्मक अराजकता और अत्यंत जटिल स्थिति में है, इससे बाहर निकलना इतना आसान नहीं है।

जब भी आप सोचते हैं कि आप कैसे इस स्थिति में घिर गए तब स्वंय पर लज्जा महसूस करना स्वाभाविक है।

दूसरी चीज जो अधिकतर घटित ‌होती है वह‌ है प्रतिक्रिया देने में आपकी असमर्थता। आप अपने को बहुत ही अलग और पृथक महसूस करने लगते हैं। इस सुराख से बाहर निकलने के काबिल अपने को नहीं पाते।

हालांकि, यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि यह आपका दोष नहीं है और इससे बाहर निकलने की राह हमेशा मौजूद है।

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2. स्मरण शक्ति का नाश या अवास्तविक अनुभूतियाँ

जब आप उच्च स्तर की व्याकुलता, तनाव और लगातार पीड़ा महसूस महसूस करने लगते हैं, तो आमतौर पर आपके मस्तिष्क में स्मृति से जुड़ी संरचनाएँ जैसे कि हिप्पो कैम्पस आमतौर पर तीव्रता और क्रियान्विति को खो देती है।

स्मरण शक्ति खो देने वाले व्यक्ति, ध्यान केंद्रित नहीं कर सकते और विवेकपूर्ण कोई फैसला भी नहीं ले सकते।

दूसरी तरफ, अवास्तविक चीजों के प्रति अनुभूति एक सामान्य सी बात है।

यह एक रक्षात्मक तंत्र है जहाँ अपने को विलग (de-personalize) कर लेने के उद्देश्य से आपका दिमाग वास्तविकता से एक दूरी बना लेता है।‌ इसलिए आप सोच सकते हैं कि ‘यह आपके साथ नहीं हो रहा है।’

3. भावनात्मक अस्थिरता और मन का बदलना

जब आप सोचते हैं कि चीजें सुधर सकती हैं और खुशी, पूर्णता और संतुलन आपकी पहुँच‌ में हैं तब ऐसे समय में ‌आप चीजों के बदलने की उम्मीद करने लगते हैं।

हालांकि, आपके फिर से गड्ढे में गिरने से पहले ज्यादा कुछ  समय नहीं लगता। निराशा, क्रोध, बार बार क्रोध आने के साथ ही भय और लाचारी आ घेरती हैं।

भावनाओं और अनुभूतियों की संपूर्ण बहुमूर्तिदर्शी का अनुभव करना आम बात है। आपको ऐसा महसूस होगा कि आपका अपने जीवन पर ही कोई नियंत्रण नहीं है।

4. प्रताड़ना और बार-बार‌ होने वाला शारीरिक दर्द

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मनोवैज्ञानिक प्रताड़ना से पीड़ित शारीरिक रूप से प्रताड़ित नहीं होता, लेकिन देर-सबेर इसकी पीड़ा ‌उसे शारीरिक रूप से भी झेलनी पड़ती ही है।

स्थायी भावनात्मक परेशानियां कई रूपों में प्रकट होने लगती हैं। कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण थकान, अनिद्रा, सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, पाचन की समस्या और बार-बार संक्रमण जैसे विशिष्ट लक्षण उभरने लगते हैं।

इसमें कोई संदेह नहीं कि ऐसा प्रभाव पड़ता ही है।

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5. ऐसा अनुभव होना जैसे ‘बाहर निकलने का रास्ता नहीं’

ओढ़ी हुई लाचारी व्यक्त करना दूसरा आम लक्षण है। इस तरह से प्रताड़ित व्यक्ति एक बिंदु पर यह सोच कर समाप्त हो जाएगा कि वे कुछ भी नहीं कर सकते हैं।

अक्सर वे खुद को यह कहते हुए समाप्त कर देते हैं कि वे कुछ भी नहीं करते हैं या इस अपमान को रोक नहीं पाएंगे।

यह किसी भी व्यक्ति के इलाज के मूल आवश्यक महत्व का एक और स्मरण है, जो संवेदनशीलता गर्मजोशी के साथ किसी भी प्रकार अपव्यवहार के लक्षण दिखा रहा है

कभी भी कोई संदेहजनक बात न करें, जैसे ‘लेकिन आप क्या कह रहे हैं? क्या आपको यकीन है कि वह आपके साथ ऐसा कर रही है, या आपके साथ कोई नाटक तो नहीं हो रहा है?’

इस तरह की बातें ही उस व्यक्ति को और भी घोर निराशा में डूबो देगी, उसे दूर कर देगी, उसके अकेलेपन की अनुभूति को और बढ़ा देगी।

6. आत्महत्या के विचार

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जब व्यक्ति अपने आप से यह कहना शुरू कर देता है कि अब कोई रास्ता नहीं है तब आत्महत्या के विचार शुरू हो सकते हैं। सबसे पहले, वे अस्पष्ट विचार हैं, एक उत्कट इच्छा।

लेकिन एक घातक क्षण ऐसा आता है जब लगता है कि यही एक मात्र समाधान है।

इस तरह के व्यक्ति के आसपास रहने वाले लोगों को हर लक्षण, अपने शब्दों, शारीरिक भाषा और व्यवहार के प्रति बहुत ही संवेदनशील होना चाहिए।

मनोवैज्ञानिक प्रताड़ना एक निशान छोड़ती है। यह‌ व्यक्ति के व्यवहार में कुछ संकेत छोड़ती है।

इस वास्तविकता के प्रति सावधान रहें ‌और उन्हें ‌मदद करें जिन्हें इसकी सख्त जरूरत है, क्योंकि लोगों के सोच से भी अधिक ख़तरनाक है मनोवैज्ञानिक प्रताड़ना।

मुख्य चित्र wikiHow.com के सौजन्य से।




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