नींद की कमी से परेशान लोगों के लिए मददगार टिप्स
दिन में 7 घंटे से कम सोने से होने वाली नींद की स्थायी कमी से आपकी सेहत पर बुरा असर पड़ता है।
धीरे-धीरे उस कमी का असर आपके तन और मन पर भी दिखाई देने लगता है।
सेहतमंद और आरामदायक नींद लेने के लिए आपको 7-9 घंटे का आराम करना चाहिए। यह सच है, हम सभी की ज़रूरतें अलग-अलग होती हैं। बच्चों, बड़ों और बुज़ुर्गों को एक जितनी नींद नहीं चाहिए।
हमें कम से कम 7 घंटे की नींद की ज़रूरत होती है।
जब हम नियमित रूप से 4-6 घंटे की नींद लेते हैं (कभी-कभार कम सो लेने में कोई हर्ज़ नहीं होता), तो समझ लीजिए कि आपको जल्द से जल्द अपनी दिनचर्या में बदलाव लाने की या फ़िर किसी डॉक्टर के पास जाने की ज़रूरत आन पड़ी है।
हम आपको रोज़मर्रा की अपनी आदतों में छोटे-छोटे बदलाव लाने की सलाह देंगे। भले ही हमें चैन की नींद आती हो या नहीं, वे आदतें हम सभी के लिए फायदेमंद साबित हो सकती हैं।
उन्हें अपनाने से आपका कोई नुकसान भी नहीं होगा और आपको ज़्यादा आराम भी मिल जाएगा!
अगर आप नींद की कमी से परेशान हैं तो इन छोटे-मोटे स्टेप्स को अपनी दिनचर्या में शामिल कर लें
नीचे बतायी गयी बातें थोड़ी अजीब भले ही लगें, लेकिन यह सच है, अच्छी नींद के फायदों को एक अंतरिक्ष यात्री से बेहतर कोई नहीं समझ सकता।
- बाहरी अंतरिक्ष में लंबे वक़्त तक रहकर अपनी सर्केर्डियन रिदम्स को बनाए रखने के लिए उन्हें सही आदतें बनानी होती हैं।
- किसी स्पेस स्टेशन में बैठकर वे पृथ्वी को साफ़-साफ़ देख सकते हैं। दुनिया के किस हिस्से में कब सुबह हो रही है और किस हिस्से में रात, वे देख सकते हैं।
- गुरुत्वाकर्षण-रहित अपने छोटे-छोटे ख़ास क्यूब्स में सोने-जागने के अपने चक्र को नियमित करने वाली रोशनी और अँधेरे से उनका सारा संपर्क टूट जाता है।
खराब नींद के कई गंभीर नतीजे हो सकते हैं। हम उन्हें गंभीर इसलिए कह रहे हैं कि हमारी नींद के ज़रूरी कार्यों के मद्देनज़र उसके साथ हुआ कोई भी फेरबदल हमें सुधार की सीमा के परे ले जा सकता है।
इसीलिए हमारे बायोलॉजिकल क्लॉक को लेकर किए गए अपने कई दिलचस्प अध्ययनों के आधार पर खुद नासा भी हमें अच्छी नींद लेने की सलाह देता है।
आइए इस पर गौर करते हैं।
इसे भी पढ़ें: क्या करें अगर देर रात अचानक नींद टूट जाए
सोने के अपने समय से छेड़छाड़ न करें। आपके शरीर में एक बायोलॉजिकल क्लॉक जो होता है!
हमारी सर्केर्डियन रिदम्स को बरक़रार रखने के लिए हम सभी के अंदर एक “बायोलॉजिकल क्लॉक” होता है। हमारे शरीर में आए बदलावों को नियमित हो जाने में 24 घंटे तक लग जाते हैं।
- रोज़ाना एक ही वक़्त पर खाने-सोने जैसी अच्छी दिनचर्या अपना लेने से आपके शारीरिक बदलावों में एक तालमेल बना रहता है।
- जितना ज़्यादा इस चक्र और दिनचर्या का हम पालन करेंगे, उतना ही बेहतर हमारा स्वास्थ्य और नींद होंगे।
हम समझ सकते हैं कि इस दिनचर्या पर टिके रहना हमेशा मुमकिन नहीं होता। उदहारण के तौर पर, शिफ्ट में काम करने वाले लोगों को अपने क्लॉक को एडजस्ट करना पड़ता है।
जब-जब भी आपके पास मौका हो, आपको 7 से 9 घंटे की नींद ले लेनी चाहिए। नीचे दिया सुझाव आपकी काफ़ी मदद कर सकता है।
हमारे आसपास मौजूद संकेत
सोने के लिए आपको अँधेरे की ज़रूरत होती है। नींद के हमारे पैटर्न को नियमित करने के लिए हमारा दिमाग अँधेरे का ही तो सहारा लेता है। अगर आपको दिन में सोना पड़ता है तो अच्छी तरह से परदे लगाकर यह सुनिश्चित कर लें कि सूरज की रोशनी अंदर न आ रही हो।
- इसके अलावा बाकी सभी संकेत इलेक्ट्रॉनिक ही होते हैं। एक अच्छी नींद का मज़ा लेने के लिए आपको सोने से एक घंटा पहले अपना फ़ोन, कंप्यूटर और टीवी बंद कर देना चाहिए। ऐसा करना मुश्किल ज़रूर होता है पर इसके लिए आपका दिमाग आपका एहसानमंद रहेगा।
कमरे का तापमान और गंध
यह बात कितनी भी अटपटी क्यों न लगे लेकिन आपको इसकी अनदेखी नहीं करनी चाहिए। सोने के लिए आदर्श तापमान 15-22 डिग्री सेल्सियस (59-72 फ़ारेनहाइट) होता है।
- किसी बदबू से आपकी नींद ख़राब भी हो सकती है और आपको बुरे सपने भी आ सकते हैं।
- लैवेंडर या वैनिला की खुशबू हमारे लिए काफ़ी आरामदायक होती है।
सोने से पहले एक घंटा थोड़ा सुस्ता लें
7 घंटे से कम की नींद लेने वाले लोगों को इस सुझाव से फायदा होगा। जैसाकि हमने पहले कहा, सोने से एक घंटा पहले तक आपको अपने सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को बंद कर देना चाहिए।
- कोई किताब पढ़ें। इस हड़बड़ाहट में न आएं कि “मुझे अभी सोना है” या फ़िर “मुझे कल ये करना है, वह करना है”। अपनी चिंताओं की वॉल्यूम को कम कर किसी मज़ेदार किताब का लुत्फ़ उठाएं।
अपनी परेशानियों को दरकिनार कर शांत हो जाएँ। धीरे-धीरे सुस्ती आपके दिमाग पर छाने लगेगी और आप नींद के आगोश में समा जाएंगे। उसके सामने हथियार डाल दें।
छोटी-मोटी झपकी इनसोम्निया के खिलाफ़ कारगर होती है
परस्पर विरोधी लगने वाली इन दोनों बातों का आइए एक छोटा-सा विश्लेषण करते हैं।
- 15-20 मिनट की झपकी सबसे ज़्यादा फायदेमंद होती है और हमें इस समय सीमा का उल्लंघन नहीं करना चाहिए।
- अधिक सतर्क और चुस्त होने के लिए हमें इतनी ही देर की झपकी लेनी चाहिए।
- ज़्यादा सो लेने से हमारे शरीर पर उल्टा असर पड़ता है: हम थके-थके तो उठते ही हैं, बाद में हमारा सोने का मन भी नहीं करता।
दोपहर में एक झपकी ले लेना हमारे शारीरिक चक्र और बायोलॉजिकल क्लॉक के लिए भी अच्छा होता है।
संक्षेप में कहें तो अगर आप 7 घंटे से कम सो रहे हैं तो आपको अपने दिमाग को खुद को नियमित करना “सिखाना” होगा। इस सलाह का आपको लगातार पालन करते रहना होगा।
लेकिन इस बारे में अपने डॉक्टर से बात करने में शर्म महसूस न करें। नींद न आने की इस परेशानी के पीछे की वजह और स्थायी इंसोम्निया (अनिद्रा) का मुकाबला करने की क्लिनिकल रणनीतियों को समझने के लिए यह बहुत ज़रूरी जो होता है।
यह आपकी रुचि हो सकती है ...