5 लक्षण जो बताते हैं, आपकी आँखें खराब हैं

5 लक्षण जो बताते हैं, आपकी आँखें खराब हैं

आखिरी अपडेट: 21 नवंबर, 2018

अपने रोज़मर्रा के काम-काज में हमारी आँखें अहम भूमिका निभाती हैं।

कोई आवश्यक अंग (वाइटल ऑर्गन) न होने की वजह से दृष्टिहीन लोग भी सामान्य जीवन जी सकते हैं। लेकिन जिन लोगों को अपनी आँखों के बगैर जीने की कोई आदत ही नहीं है, उनके लिए तो आँखें उनके शरीर के सबसे ज़रूरी अंगों में से एक होती हैं

इस बात पर हम ख़ास ज़ोर इसलिए दे रहे हैं कि अपनी आँखों की रोशनी को पूरी तरह से खो चुके लोग धीरे-धीरे अपनी आँखों का इस्तेमाल न करने के आदी हो चुके हैं। लेकिन उन लोगों की बात कुछ और है, जिनकी आँखें ठीक हैं या फ़िर जिन्हें अभी भी थोड़ा-बहुत दिखाई देता है।

बोलचाल की भाषा में कहें तो कि ठीक से देख सकने वाले लोगों की सबसे बड़ी इच्छा यही होती है कि उनकी आँखें सही-सलामत रहें।

टेक्नोलॉजिकल उपकरणों समेत मौजूदा जीवन की कई परेशानियों की वजह से यह काम एक टेढ़ी खीर हो गया है।

ये डिवाइस हमारी आँखों को नुकसान पहुंचाती हैं। जैसे-जैसे वक़्त बीतता जाता है, कंप्यूटर की स्क्रीन की वजह से हमारी आँखों की हालत बाद से बदतर होती जाती है।

लेकिन बात बस इतनी-सी ही नहीं है। यह बेमिसाल अंग आपके शरीर में पनपती और बीमारियों की तरफ़ भी इशारा करता है

इसलिए आपको उसे नज़रंदाज़ नहीं करना चाहिए। इन्हीं सब बातों के आधार पर आँखें खराब हो जाने के कुछ लक्षणों पर आइए एक नज़र डालते हैं।

1. धुंधली आँखें (Cloudy eyes)

बहुत से लोगों को धुंधला दिखाई देता है। उस धुंधलेपन के कारण वे चीज़ों को ठीक से देख-समझ नहीं पाते।

आँखों के विशेषज्ञों की मानें तो इसका आम लक्षण आँख में होने वाली परेशानी होती है, मानो उसके अंदर धूल-मिट्टी चली गई हो।

यह परेशानी मोतियाबिंद की तरफ़ इशारा करती है। बुज़ुर्ग मरीज़ों में यह एक आम समस्या होती है। लेकिन छोटी उम्र के लोग भी इस बीमारी की चपेट में आ सकते हैं।

2. पीली आँखें (Yellow eyes)

पिलपिली आँखें

हालांकि आईरिस (आँखों का वह हिस्सा जिसकी मदद से हमें रंग दिखाई देते हैं। आईरिस का सबसे आम रंग भूरा होता है) का पीलापन कोई आम बात नहीं है, कई लोग इस परेशानी से ग्रस्त होते हैं।

लेकिन जहाँ तक बीमारी के लक्षणों की बात है, पीला रंग हमारी सारी की सारी आँख में मौजूद होता है। वह तो ज़्यादातर सफ़ेद रहने वाले स्क्लेरा में भी मौजूद होता है

रंग की यह समस्या लीवर की परेशानी की ओर इशारा करती है। आमतौर पर इसका मतलब होता है, हमारा लीवर ज़रूरत से ज़्यादा मात्रा में बिलीरुबिन को हमारे शरीर में छोड़ रहा है।

3. चमकीले तारे दिखाई देना (Seeing stars)

बिस्तर से उठ खड़े होने जैसी कोई भी तेज़-तर्रार हरकत करने पर आपके रक्तसंचार में अचानक आए बदलाव की वजह से आपका सिर चकरा जाता है और आपको तारे दिखाई देने लगते हैं। वे तारे केवल आप ही को दिखाई देते हैं।

हालांकि हमें खीझ दिलाने वाली उन छोटी-छोटी लाइट्स के पीछे यह एक कारण होता है, उनके पीछे किसी और चीज़ का हाथ भी हो सकता है। इस तरह तारों को दिखाई देना मायोपिया या ग्लूकोमा जैसी आँखों की बीमारियों का लक्षण हो सकता है।

ऐसे ही अचानक तारों का दिखाई देने लगना इन बीमारियों के शुरुआती लक्षण होते हैं। इसका मतलब यह होता है कि हमारा रेटिना हमारी आँखों के बाकी हिस्से से अलग होने लगा है।

4. झुकी पलकें (Fallen eyelids)

झुकी हुई पलकें

बुज़ुर्ग लोगों में चेहरे की त्वचा की झुर्रियां और पोषक तत्वों की कमी एक आम बात होती है। गंदगी और कई अन्य कारणों की वजह से होने वाली इस प्रक्रिया में आमतौर पर कई साल लग जाते हैं।

आपकी त्वचा में पोषक तत्वों की कमी की वजह से आपकी पलकें झुकने लगती हैं। आपकी आँखें ख़राब हो जाने पर भी यह लक्षण सामने आ सकता है।

प्टोसिस  नाम के रोग में हमारी पलकें अनियमित रूप से झुकने लगती हैं, फिर भले ही हमारी उम्र कुछ भी हो।

इस समस्या के और भी कई कारण होते हैं। उदहारण के तौर पर, हमारे इम्यून सिस्टम या दिमाग में मौजूद ट्यूमर में मौजूद अनियमिततायें इसके लिए ज़िम्मेदार हो सकती हैं।

5. अनियमित नज़रें (Irregular vision)

मोबाइल फ़ोन और कंप्यूटर की स्क्रीन जैसे अत्यधिक ब्राइटनेस वाली उपकरणों के इस्तेमाल की वजह से होने वाली आँखों की थकान इस लक्षण को जन्म दे सकती है।

लेकिन हमारी नज़रों में आई अनियमिततायें कई और परेशानियां भी पैदा कर सकती हैं।

आसान शब्दों में कहें तो आमतौर पर सामान्य नज़रों का एकदम से धुंधलाकर पेरिफेरल विज़न में तब्दील हो जाना आँखों की सूजन की तरफ़ इशारा करता है।

गंभीर मामलों में कुछ मिनटों के लिए आपकी आँखों के आगे अंधेरा भी छा सकता है। यह सेरेब्रोवैस्कुलर समस्याओं का संकेत होता है।




यह पाठ केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए प्रदान किया जाता है और किसी पेशेवर के साथ परामर्श की जगह नहीं लेता है। संदेह होने पर, अपने विशेषज्ञ से परामर्श करें।