ट्रिगर फिंगर : मुख्य लक्षण और इलाज
ट्रिगर फिंगर एक ऐसी स्थिति है जो उंगली की गति को सीमित करती है और इसे लचीले होने से रोक सकती है। दरअसल यह आमतौर पर अटक जाती है।
लंबी टेंडन (tendon) में एक समस्या जिसे फ्लेक्सर्स भी कहा जाता है, इस समस्या का कारण बनता है। ये टेंडन एक तरह की सुरंग के रास्ते स्लाइड करते हैं, जिन्हें टेंडन शीद कहा जाता है, जो उनको घेरे हुए रहता है। उस शीद में सूजन होने पर टनेल पतली हो जाती है और इनकी गति को मुश्किल बना देती है।
सबसे गंभीर मामलों में ट्रिगर फिंगर फ्लेक्स की पोजीशन में लॉक हो जाती है और हिल-डुल नहीं सकती। इस स्थिति का दूसरा नाम टेनोसिनोवाइटिस (stenosing tenosynovitis) है, और यह महिलाओं और डायबिटीज के रोगियों में ज्यादा आम है।
ट्रिगर फिंगर के लक्षण
ट्रिगर फिंगर अंगूठे सहित हाथ की किसी भी उंगली में हो सकती है। दरअसल यह लगभग हमेशा कई उँगलियों पर असर डालता है। स्थिति और बिगड़ती है और आमतौर पर उंगली की जड़ों में लगातार होने वाले दर्द के साथ शुरू होती है।
ट्रिगर फिंगर के प्रारंभिक लक्षण आमतौर पर ये हैं:
- हाथ की हथेली की ओर उंगली की जड़ों में चारों ओर एक गांठ दिखाई देती है।
- उंगली के आधार में मसल सेंसिटिव हो जाती है जिसका अहसास छूने पर होता है।
- उंगली कठोर महसूस होती है, विशेष रूप से सुबह के घंटों में।
- हिलाते-डुलाते वक्त उंगली में चिटखने की आवाज होती है।
ट्रिगर फिंगर आगे बढ़ने पर फ्लेक्सिड पोजीशन में अटक जाती है। ज्यादा एडवांस स्टेज में यह अटक जाती है और फिर से फैल नहीं पाती।
एक वैकल्पिक इलाज स्टेरॉयड इंजेक्शन है, हालांकि यह हमेशा असरदार नहीं होता।
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डायग्नोसिस
ट्रिगर फिंगर की डायग्नोसिस के लिए एक फिजिकल टेस्ट किया जाता है। प्रभावित अंग को हिलाने-डुलाने पर इसमें क्लिक की आवाज होती है, जो इस समस्कीया की विशेषता है।
डॉक्टर रोगी को हाथ खोलने और बंद करने के लिए कहकर फिजिकल टेस्ट करेगा। वह हथेली और उंगलियों के आधार की भी जांच करेगा, दर्द और परेशानी के संकेतों के बारे में पूछताछ करेगा। इसके बाद ही डायग्नोसिस की पुष्टि करनी संभव है।
ट्रिगर फिंगर के लिए इलाज
ट्रिगर फिंगर का इलाज उंगली की स्थिति और उस समय पर निर्भर करेगा जो बीमारी की शुरुआत और डॉक्टर से मिलने के बीच गुजरा है। आम तौर पर इससे निपटने के तीन तरीके हैं: दवा, थेरेपी और सर्जरी।
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दवाएं
दवा दर्द को दूर करने और सूजन को कम करने में मदद करती है, इस तरह हिलना-डुलना थोडा सुविधाजनक बनता है। आम तौर पर डॉक्टर नॉन-स्टेरॉयड एंटी इन्फ्लेमेटरी दवाओं, जैसे आईबुप्रोफेन, नेप्रोक्सन और दूसरी दवाएं देते हैं। यह लक्षणों में सुधार लाता है, लेकिन समस्या को हल नहीं करता है।
फिजियोथेरेपी
इस समस्या का इलाज फिजियोथेरेपी से भी किया जा सकता है, जैसे कि:
- आराम : चार से छह सप्ताह तक पकड़ने, हिलाने-डुलाने या मेकेनिकल एक्टिविटी से परहेज। यदि आराम संभव नहीं है, तो एक गद्देदार दस्ताने का उपयोग किया जाना चाहिए।
- स्प्लिन्टिंग : यह उंगली को खुला रखने की सहूलियत देता है और सिर्फ रात में इसे पहना जाता है। यह आमतौर पर डेढ़ महीने के लिए पहना जाता है।
- हल्की एक्सरसाइज : गति की सीमा में सुधार करने के लिए कुछ हाथ फैलाने वाले व्यायाम निर्धारित किए जा सकते हैं।
- हॉट एंड कोल्ड : बारी-बारी से गर्मी और बर्फ सूजन और दर्द को कम करने में मदद करता है।
- गर्म पानी में डुबोना : दिन में कई बार गर्म पानी में हाथ डुबोने से टेंडन को आराम मिलता है और लक्षणों से राहत मिलती है।
ट्रिगर उंगली की सर्जरी
जब दवा और थेरेपी काम नहीं करते तो सर्जरी की जानी चाहिए। कभी-कभी सर्जरी से पहले नीचे बताये प्रोसीजर को आजमाया जाता है:
- स्टेरॉयड इंजेक्शन: टेंडन शीद पर लगाने से यह सूजन को कम करने में मदद करता है। यह एक साल या उससे ज्यादा वक्त के लिए असरदार हो सकता है, लेकिन कभी-कभी इसे एक से ज्यादा सेशन में लगाना जरूरी होता है।
- पर्क्यूटेनियस रिलीज (Percutaneous release): इसमें एनेस्थेसिया दिये जाने के बाद सूजन वाली टेंडन में एक मोटी सुई डाली जाती है, और टेंडन को रोकने वाले कम्प्रेशन को ठीक किया जाता है।
यदि ये प्रक्रियाएँ काम न करें तो रोगी को सर्जरी की जरूरत होगी। यह आउट पेशेंट प्रोसीजर है जिसमें टेंडन शीद को काटने के लिए संपीड़ित क्षेत्र में एक चीरा शामिल है। सबसे बड़ा जोखिम संक्रमण या ऑपरेशन की अप्रभावीता है।
ट्रिगर फिंगर के लिए रिस्क फैक्टर
कुछ लोग हैं जिनमें ट्रिगर फिंगर आसानी से विकसित होती है। ज्ञात रिस्क फैक्टर हैं:
- उम्र : 40 से अधिक और 60 से कम उम्र के लोग।
- रोग: डायबिटीज, हाइपोथायरायडिज्म, रुमेटाईड ऑर्थराइटिस या टीबी होना।
- कार्पल टनल सिंड्रोम के लिए सर्जरी होना।
- बार-बार की जाने वाली एक्टिविटी : ऐसे काम करना जिनमें बार-बार पकड़ने की जरूरत हो।
कई ट्रीटमेंट वाली स्थिति
ट्रिगर फिंगर ऐसी स्थिति है जो जीवन की गुणवत्ता को गंभीर रूप से बदल सकती है। इसलिए इन मामलों में सबसे ठीक बात यह है कि नई परिस्थितियों के अनुकूल होने के लिए पकड़ने वाली एक्टिविटी से बचें। यदि उन गतिविधियों से बचना असंभव है, तो सुरक्षात्मक उपायों का मूल्यांकन करना महत्वपूर्ण है।
यह ध्यान रखना चाहिए कि उपलब्ध इलाजों में से कोई भी सौ फीसदी असरदार नहीं है। हालांकि, कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स इंजेक्शन के बाद रोगियों में बेहतर स्थिति देखी जाती है, और सर्जरी से भी सफल इलाज होता है। यह अप्रोच अच्छा है।
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