जानिये किडनी क्यों तकलीफ देती है?
इस सवाल का कोई अकेला जवाब नहीं है कि किडनी क्यों तकलीफ देती है। पहली बात जो हम कहना चाहेंगे कि इन अंगों में दर्द होना कोई आम बात नहीं है। इस कारण इस लक्षण को हमेशा गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
किडनी पेन या गुर्दे के दर्द के बारे में कई मिथ हैं। पहले यह लोकप्रिय मान्यता थी कि यह असुविधा आपकी पीठ को ठीक से नहीं ढकने का नतीजा है। यानी “ठंड आपके शरीर में समा जाती है” और दर्द का कारण बनती है। दरअसल यह और इससे जुड़ी दूसरी तमाम मान्यताएँ गलत हैं।
लोग अक्सर यह नहीं जानते कि उन्हें परेशान करने वाले अंगों की ठीक से पहचान कैसे करें। कभी-कभी लोग समझते हैं कि किडनी तकलीफ दे रही है, जबकि वास्तव में दर्द कहीं दूसरे अंग से पैदा हो रहा है।
किडनी क्यों तकलीफ देती है
किडनी बहुत महत्वपूर्ण अंग है जो शरीर में एक मौलिक भूमिका निभाती है। रासायनिक दृष्टिकोण से बाते करें तो मूल रूप से ये जुड़वा अंग शरीर को साफ और संतुलित रखने के लिए खून को छानने के लिए जिम्मेदार हैं। वे रोजाना करीब 190 लीटर खून छानते हैं और एक दिन में 2 लीटर कचरे को बाहर निकालते हैं।
गुर्दे पेट के पीछे होते हैं, रीढ़ की हड्डी के दोनों ओर पसलियों के ठीक नीचे। इन अंगों को क्षति होने पर रोगी पीठ या बगलों में उत्तेजना महसूस करता है। कभी-कभी सिर्फ एक तरफ दर्द होता है। इसका मतलब यह नहीं कि सभी तरह के पीठ दर्द किडनी पेन ही होते हैं।
कई तरह के किडनी रोग एडवांस स्टेज में जाने से पहले ध्यान नहीं खींचते। किडनी स्टोन से लेकर किडनी कैंसर तक की वजहों से किडनी तकलीफ दे सकती है। नीचे हम कुछ आम कारण बताएँगे कि क्यों ऐसा कष्टप्रद दर्द होता है।
पथरी (Kidney stones)
गुर्दे की पथरी जिसे “नेफ्रोलिथियॉसिस” या “यूरोलिथियॉसिस” के रूप में भी जाना जाता है, किडनी में तेज दर्द का कारण बनता है। मूत्र में कई पदार्थों के इकट्ठे होने से ये बनते हैं। कभी-कभी वे रेत के दाने की तरह छोटे होते हैं, लेकिन वे मोती के आकार तक बढ़ सकते हैं।
पत्थर बहुत छोटे होने पर मूत्र पथ के रास्ते स्वतंत्र रूप से आगे बढ़ते हैं और शरीर में आमतौर पर कोई लक्षण नहीं पैदा होता। हालांकि पत्थर बड़े होने पर तेज दर्द का कारण बनते हैं। यह दर्द लहरों की तरह आता है और मरीज अपनी पीठ या निचले पेट में उन्हें महसूस करता है और चलने-फिरने पर और तकलीफ़देह हो जाता है।
आमतौर पर दर्द एक बगल में होता है। हालांकि वक्त बीतने पर यह कमर और जननांग क्षेत्र में भी आ सकता है। कोई भी स्थिति इस तकलीफ से राहत नहीं देती। अक्सर इस स्थिति में मतली, उल्टी, खुजली या जलन होती है।
संक्रमण
संक्रमण के कारण भी गुर्दे की तकलीफ हो सकती है। आमतौर पर संक्रमण मूत्रमार्ग (urethra) या मूत्राशय (bladder) में शुरू होता है और फिर किडनी तक पहुंचता है। यह इन अंगों को हमेशा के लिए नुकसान पहुंचा सकता है या ब्लडस्ट्रीम में फैल सकता है और जानलेवा हो सकता है।
इसके लक्षणों में से एक लगातार होने वाला तेज पीठ दर्द है, साथ ही दर्दनाक और जलन के साथ पेशाब आना है। रोगी को अक्सर बाथरूम जाने की ज़रूरत महसूस करता है और मूत्र में काफी तेज बदबू होती है। रोगी को मतली, उल्टी, बुखार आना और ठंड लगना भी असामान्य नहीं है।
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पॉलीसिस्टिक किडनी रोग या अल्सर
आकार में बड़ा नहीं होने तक किडनी सिस्ट (kidney cyst) कोई लक्षण पैदा नहीं करता। ऐसा होने पर यह पीठ के निचले हिस्से में तेज पीठ दर्द और/या दर्द का कारण बनता है। इसके अलावा एक मरीज को सिरदर्द और पेशाब में ख़ून खून आने की शिकायत होना भी आम है।
पॉलीसिस्टिक किडनी रोग (Polycystic kidney disease) एक जेनेटिक समस्या है जिसके कारण सिस्ट ग्रुप में बढ़ते हैं और शरीर को ठीक से काम करने से रोकते हैं। वे बगलों या पीठ दर्द का कारण बनते हैं और अक्सर गुर्दे की पथरी और संक्रमण का नतीजा होते हैं।
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किडनी पेन के दूसरे कारण
गुर्दे हाइड्रोनफ्रोसिस (hydronephrosis) के कारण भी तकलीफ दे सकते हैं, जो यूरिन इकठ्ठा होने के कारण किडने की सूजन है। इसमें तेज पीठ दर्द होता है, साथ ही मूत्र में खून आन और बुखार के लक्षण दीखते हैं। दर्द रीनल वेन थ्रोम्बोसिस (RVT) के कारण भी हो सकता है। यह एक गंभीर समस्या है जो रोगी की पीठ में, पसलियों के नीचे और कूल्हों के पीछे तेज दर्द का कारण बनती है।
गर्भावस्था और चोट लगने से भी किडनी पेन हो सकता है। गर्भवती महिलाओं के मामले में पेट का वजन बढ़ने से रीढ़ की हड्डी में बदलाव के कारण यह दर्द होता है। पीठ और पेट के एक ओर गुर्दे में दर्द अगर हेम्च्यूरिया (hematuria) के साथ हो तो यह कैंसर का लक्षण भी हो सकता है।
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