शिस्टोसोमियासिस क्या है और यह कैसे होता है?
शिस्टोसोमियासिस शिस्टोसोमा पैरासाइट के कारण होने वाला एक परजीवी रोग है। इस स्थिति को बिलार्ज़ियासिस (bilharziasis) के रूप में भी जाना जाता है। बायोलॉजिकल क्लासिफिकेशन के अनुसार यह पैरासाइट एक ट्रेमाटोड यानी एक वॉर्म है।
इस बीमारी के प्रसार के बारे में ग्लोबल डेटा चौंकाने वाला है। शिस्टोसोमियासिस (Schistosomiasis) मुख्य रूप से अफ्रीका, ब्राजील और एशिया में होता है। हालांकि, 69 देशों ने अपने राष्ट्रीय सीमा में इस बीमारी के फैलाव की पुष्टि की है। 200 मिलियन लोगों को इस संक्रमण का शिकार माना जाता है और दूसरे 800 मिलियन लोगों को इस संक्रमण का खतरा होता है।
इस बीमारी से होने वाली मौतों की गणना करने वाला आखिरी अपेक्षाकृत विश्वसनीय स्टडी साल 2000 में हुई थी। उस समय, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अनुमान लगाया था कि इस बीमारी के कारण सालाना लगभग दो लाख मौतें होती हैं। एंटीपैरासिटिक दवा के उपयोग के कारण यह आंकड़ा अब घट गया है।
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शिस्टोसोमियासिस: एक पैरासाइटिक रोग
अपनी बायोलॉजिकल फैमिली में ये एकमात्र पैरासाइट हैं जो त्वचा को भेदने में सक्षम है। जब लोगों को इन्फेक्ट करने की बात आती है, तो यह इसके लिए एक फायदे वाली बात साबित होती है। शिस्टोसोमियासिस एक पैरासाइटिक रोग है, इसलिए इसे होस्ट यानी मेजबान की जरूरत होती है। इन “प्यारे मेहमानों” की मेजबानी करने वाली प्रजातियां पृथ्वी पर इंसान और मीठे पानी का घोंघा है।
छूत-चक्र में, मीठे पानी का घोंघा एक इंटरमीडिएट होस्ट का काम करता है। इस छोटे से जानवर के शरीर में शिस्टोसोमा अपनी ग्रोथ साइकल का हिस्सा पूरा करता है और फिर तैरते है और इंसानी शरीर के अंदर घर करता है।
अगर हमें इसके लाइफ-साइकल को संक्षेप में प्रस्तुत करना हो, तो निम्न चरण इसे बहुत अच्छी तरह से बताते हैं:
- संक्रमित इंसान के मल या मूत्र के साथ पैरासाइट के अंडे निकलते हैं और पानी के स्रोत तक पहुंचते हैं।
- अंडे पानी में मिरासिडियम (miracidium) नाम के स्टेज में पैरासाइट को छोड़ते हैं।
- मीरासिडिया मीठे पानी के किसी घोंघे की त्वचा को छेद कर उसके शरीर में घुस जाता है।
- घोंघा के अंदर परजीवी बढ़ता है और ‘सेरकेरिया’ (cercaria) नाम के स्टेज में पहुँचता है।
- सेरेकेरिया घोंघे के शरीर को छोड़कर मीठे पानी में तैरने लगता है, जब तक कि यह किसी ह्यूमन होस्ट से नहीं मिलता।
- यह परजीवी त्वचा को छेदकर मानव शरीर में घुस जाता है।
- शिस्टोसोमा इंसानी शरीर में रक्त वाहिकाओं तक पहुंचता है और फिर लिवर में घुस जाता है। लिवर में रहते हुए यह वयस्क पैरासाइट बनने के लिए मेच्योर होता है।
- वयस्क पैरासाइट इंसानी ब्लड स्ट्रीम में रहते हैं और अंडे देते हैं। ये अंडे इंसानी मल या मूत्र के साथ बाहर निकलकर साइकल को फिर से शुरू कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त यह परजीवी अलग-अलग अंगों में भी रह सकता है, और कई लग-अलग लक्षण पैदा करता है।
शिस्टोसोमियासिस के लक्षण
शिस्टोसोमियासिस का पहला संकेत घाव है जो उस स्थान पर दिखाई देता है जहां शिस्टोसोमा ने प्रवेश किया है, क्योंकि यह एक पैरासाइटिक रोग है। इस मामले में त्वचा पर रैश और फीकापन दिखाई देगा। कुछ मामलों में परजीवी के शरीर में प्रवेश करने के एक हफ्ते बाद तक रैश दिखाई दे सकते हैं।
निम्नलिखित स्थिति को कातायामा सिंड्रोम (Katayama Syndrome) के रूप में जाना जाता है। यह वयस्क पैरासाइट के उन अंडों के प्रति मानव शरीर के रिस्पांस का नतीजा है जो मानव देह के भीतर पैदा हुए हैं।
निम्नलिखित लक्षण दिखाई दे सकते हैं:
- बुखार
- अस्वस्थता की एक सामान्य भावना
- माएल्जिया (Myalgia) या मांसपेशियों में दर्द
- थकान
- दस्त
- मूत्र में रक्तमेह (Hematuria) या रक्त।
यहां से इंफेक्शन क्रोनिक हो सकता है, लगातार होने वाले पैरासाइटोसिस वर्जन में बदल सकता है। रोग के सबसे आम क्रोनिक वर्जन हैं:
- गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल : अंडे आंतों की दीवारों से जुड़ते हैं। इसके अलावा ह्यूमन होस्ट बारी-बारी से दस्त और कब्ज का शिकार होता है, साथ ही मल में खून देख सकता है। गंभीर मामलों में, होस्ट की आंतों में रुकावट का अनुभव हो सकता है।
- हेपाटिक : अंडे लिवर में रहते हैं, जिससे सूजन बढ़ जाती है। वे लिवर की ब्लड वेसल्स में रुकावट का कारण बन सकते हैं, जिससे पोर्टल ह्यपरटेंशन हो सकता है।
- जेनिटोयूरिनरी (Genitourinary): अंडे यूरिनरी ट्रैक्ट में सेटल हो जाते हैं और मूत्र में रक्त दिखाई देता है। यदि यह स्थिति एडवांस स्टेज में जाए तो नेफ्रोटिक सिंड्रोम संभव है, जिसमें किडनी प्रोटीन छोड़ती है। सबसे घातक नतीजे किडनी फेल्योर के रूप में देखा जा सकता है। यह तब होता है जब किडनी जरूरी काम नहीं कर पाती है।
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इलाज के तरीके
एक बार इस पैरासाइटिक रोग की डॉक्टर द्वारा डायग्नोसिस कर लेने पर शिस्टोसोमियासिस के लिए पसंद की दवा के रुप में पसंद एंटीपैरासिटिक मेडिकेशन ही है। मल या मूत्र का माइक्रोस्कोपिक टेस्ट इस डायग्नोसिस को अंजाम देगा।
माइक्रोस्कोप से बड़ी आसानी से शिस्टोसोमा के अंडों का पता लगा सकते हैं, जिनकी ख़ास शेप होती है। हालांकि, कुछ मामलों में पैरासाइट के होस्ट में प्रवेश करने के कम से कम दो महीने बाद तक अंडे दिखाई नहीं देते हैं।
एंटीपैरासिटिक प्राजिक्वेंटल (praziquantel ) आमतौर पर पसंदीदा दवा है, और विभिन्न स्टडी में इसके असर को सपोर्ट मिला है। इसके अलावा विश्व स्वास्थ्य संगठन इसे मुफ्त में बांटता है।
आइवरमेक्टिन (ivermectin) जैसे वैकल्पिक ट्रीटमेंट भी सुझाये गए हैं। हालांकि अभी तक किसी भी टेस्ट से पता नहीं चला है कि यह दवा ज्यादा असरदार है या नहीं।
रोकथाम
इस प्रकार का परजीवी संक्रमण अक्सर दूषित पानी पीने या उसमें नहाने से होता है।
अगर लोग तीस मिनट से अधिक समय तक पानी में तैरने या दूसरी एक्टिविटी के लिए उसमें रहें तो यह विशेष रूप से सच होता है। इसलिए इसे ध्यान में रखना और सही रोकथाम के उपाय करना अहम है।
उन क्षेत्रों में जहां यह रोग स्थानिक है, जैसे कि अफ्रीका या ब्राजील के कुछ हिस्सों में, जहां लोग तैरते हैं, स्नान करते हैं, मछली करते हैं या कपड़े धोने का काम करते हैं, वहाँ से पानी के सैम्पल लेना चाहिए। फसलों की सिंचाई के लिए उपयोग किए जाने वाले मीठे पानी को नियंत्रित करना और बार-बार उसकी जांचना भी महत्वपूर्ण है।
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