बार-बार होने वाले कूल्हों के दर्द के 6 संभावित कारण
हालांकि बार-बार होने वाले कूल्हों के दर्द के पीछे किसी गंभीर बीमारी का भी हाथ हो सकता है, उसके लिए अक्सर आपकी खराब मुद्रा या तनाव ही ज़िम्मेदार होते हैं।
आप मानें या न मानें, पर कूल्हों के दर्द (Hip Pain) का नाम डॉक्टर के पास जाने के सबसे आम कारणों की सूची में आता है, खासकर बात जब 60 या उससे ज़्यादा उम्र के लोगों की हो।
इस अवस्था में आपके कूल्हों के आसपास के जोड़ों में बहुत तेज़ दर्द होता है। साथ ही, लगभग हमेशा ही आपको भारीपन का एक ऐसा एहसास होता है, जो आपका चलना-फिरना दूभर कर देता है।
कभी-कभी इसके लक्षण आपके पेट और कमर के निचले हिस्से तक भी फ़ैल जाते हैं। नतीजतन आपके लिए रोज़मर्रा के अपने कामकाज निपटाना नामुमकिन-सा हो जाता है।
सूजन-संबंधी रोग, ज़ख्म और जोड़ों का टूटना कूल्हों के दर्द के प्रमुख कारण होते हैं।
मगर ज़्यादातर लोग उसके कारणों और नतीजों से अनजान होते हैं। तो आइए, एक नज़र डालते हैं उसके सबसे आम कारणों पर।
बार-बार होने वाले कूल्हों के दर्द के कारण
1. खराब मुद्रा (Bad posture)
चलते और बैठते हुए हमारी खराब मुद्रा कूल्हों के दर्द के सबसे आम कारणों में से एक होती है। जैसाकि आप कल्पना कर सकते हैं, उसका असर आपकी मांसपेशियों और जोड़ों पर पड़ता है।
कुछ कुर्सियों का आकार, ऊंची हील वाले जूते पहनना, या फ़िर कुछ विशिष्ट शारीरिक गतिविधियों का भी हमारे कूल्हों पर एक गहरा असर पड़ सकता है।
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2. हिप बर्साइटिस (Hip bursitis)
बर्साइटिस नाम की अवस्था में हमारी हड्डियों, मांसपेशियों और टेंडन्स के लिए गद्दियों की तरह काम करने वाली तरल से भरी छोटी-छोटी थैलियों में सूजन हो जाती है। घुटनों, कंधों और कूल्हों जैसे हमारे शरीर के प्रमुख जोड़ों के आसपास मौजूद छोटी-छोटी थैलियों को ही बर्से कहा जाता है।
हमारे जोड़ों की हरकतों के दौरान घर्षण को कम करने की ज़िम्मेदारी हमारे शरीर में मौजूद बर्से की ही होती है। लगातार चोट खाते रहने के कारण बार-बार उठने वाले कूल्हों के दर्द के पीछे आमतौर पर उनका भी हाथ होता है।
3. ऑस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis)
ऑस्टियोआर्थराइटिस नाम की इस अवस्था में आमतौर पर हमारी हड्डियों और जोड़ों में सूजन हो जाती है। इसके लिए ज़िम्मेदार होती है उन्हें घर्षण से बचाने वाले कार्टिलेज में धीरे-धीरे आने वाली खराबी। ऐसा हमारे शरीर के किसी भी जोड़ में हो सकता है। हाँ, आमतौर पर हमारे हाथ, घुटने और कूल्हे ही इससे प्रभावित होते हैं।
इसके लक्षण एक-एक करके सामने आते हैं। हालांकि दवाइयों की मदद से उनपर काबू तो पाया जा सकता है, अभी तक उनका कोई पुख्ता इलाज मौजूद नहीं है।
हमारे कूल्हों को प्रभावित करने वाला ऑस्टियोआर्थराइटिस हमारे शरीर के अग्रिम जोड़ों और ग्रोइन में विकसित होता है। इस अवस्था से होने वाली सूजन और दर्द हर व्यक्ति के लिए अलग हो सकते हैं।
4. कूल्हों में फ्रैक्चर
कूल्हों में आए फ्रैक्चरों को फ़ौरन इलाज की ज़रूरत होती है। वह इसलिए कि उनके फलस्वरूप होनी वाली जटिलतायें स्थायी रूप से आपकी चाल पर असर डाल सकती हैं। कुछ मामलों में तो वे आपकी ज़िन्दगी के लिए एक खतरा भी बन सकती हैं।
उम्र बढ़ने के साथ-साथ कूल्हों में फ्रैक्चर आने का खतरा भी बढ़ता रहता है। इसके पीछे कारण यह होता है कि पोषक तत्वों को सोखने में हमारे शरीर को आने वाली परेशानी के चलते हमारे स्केलेटल सिस्टम की सघनता लगातार कम होती चली जाती है।
पर इसका यह मतलब नहीं कि इसकी चपेट में जवान लोग नहीं आ सकते। किसी स्थायी रोग के विकास या फ़िर किसी चोट के चलते कम उम्र में भी हमें इससे जूझना पड़ सकता है।
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5. टेंडिनाइटिस (Tendonitis)
टेंडनाइटिस में हमारी मांसपेशियों को हड्डियों से जोड़ने वाले टेंडन्स में सूजन हो जाती है। इस अवस्था की चपेट में हमारे शरीर का कोई भी टेंडन आ सकता है। हाँ, आमतौर पर इसके शिकार हमारी कोहनियों, घुटनों और कूल्हों में मौजूद टेंडन्स ही होते हैं।
खिलाड़ियों व कठोर शारीरिक श्रम करने वाले लोगों में यह समस्या बेहद आम होती है। लेकिन चोट या बीमारी के प्रति होने वाली प्रतिक्रिया को भी नज़रंदाज़ नहीं किया जा सकता।
कूल्हों वाली जगह में होने वाले टेंडनाइटिस को इलियाक मांसपेशी के टेंडनाइटिस के नाम से जाना जाता है। इस टेंडनाइटिस में कुछ विशिष्ट हरकतों के दौरान दर्द के साथ कभी-कभी एक असहज-सी कड़क भी होती है।
6. साएटिका (Sciatica)
साइटिका के पीछे हाथ होता है हमारी साएटिक नस में होने वाली सूजन का। यह हमारे शरीर की सबसे बड़ी नस होती है। उसमें चोट लगने पर हमारी कमर के निचले हिस्से से लेकर हमारे कूल्हों और टांग के पिछले हिस्से तक दर्द होता है।
साएटिका को अपने आप में कोई विकार नहीं समझा जाता क्योंकि वह तो हमारी बुनियादी अवस्था का एक लक्षण मात्र होती है। इसमें हर्नियेटिड डिस्क, स्पाइनल स्टेनोसिस या डीजेनरेटिव डिस्क रोग शामिल हो सकते हैं।
कूल्हों में उठने वाले दर्द के साथ-साथ साएटिका के लिए हमारे हाथ-पैरों के निचले हिस्सों में उठने वाली सिहरन का एहसास भी ज़िम्मेदार हो सकता है। लेकिन आराम करने से, पेन रिलीवर लेने से व स्ट्रेचिंग की कुछेक कसरतें करने से हमारी स्थिति में जल्द ही सुधार आ सकता है।
कुल मिलाकर देखा जाए तो बार-बार होने वाले कूल्हों के दर्द के कई कारण हो सकते हैं। वह हमेशा ही किसी गंभीर रोग की तरफ़ इशारा नहीं करता। ख़ासकर बार-बार होने वाले दर्द से निपटने के लिए तो आपको अपने डॉक्टर की सहायता और फिज़िकल थेरेपी का सहारा ज़रूर लेना चाहिए।
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