अपने व्यक्तिगत संबंध पर लिमिट लगाना सीखें
अगर आप अपने आपसे पूछें, क्या अपने व्यक्तिगत संबंध के मामले में कोई सीमा निर्धारित करते हैं, तो सबसे ज्यादा संभावना यह है कि जवाब “नहीं” में मिलेगा। क्यों? इसलिए कि आप रिश्तों को उस संबंध के रूप में देखते हैं जिसमें आपको अपना सबकुछ देने की जरूरत होती है। इससे आपको खुद को नुकसान पहुंचाने या खुद को जोखिम में डालने का खतरा होता है।
व्यक्तिगत संबंध के लिए सीमा तय करना हेल्दी रिलेशन के रास्ते में नहीं आता। इससे उलट उसे और बढ़ाने में मदद मिलेगी।
दरअसल सीमाएँ न रखने से आप सभी के लिए द्वार खोल देती हैं। इसमें मैनिपुलेटर, टॉक्सिक लोग और इमोशनल वैम्पायर शामिल हैं। ये आपमें कड़वाहट भर सकते हैं और बहुत नुकसान पहुंचाते हैं।
अपने व्यक्तिगत संबंध पर लिमिट लगाना इतना मुश्किल क्यों है?
हम अक्सर अपने व्यक्तिगत संबंध में सीमायें इसलिए नहीं रखते क्योंकि यह बहुत जटिल मसला है। यह अलग-अलग आशंकायें, असुरक्षा और यहां तक कि विभिन्न मान्यताओं के कारण होता है।
उदाहरण के लिए अगर आपमें आत्मविश्वास की कमी है, तो आपको लगता है कि आप दूसरों जितने महत्वपूर्ण नहीं हैं। इस वजह से आप अपमान, उपेक्षा और यहां तक कि मैनिपुलेशन का शिकार हो सकती हैं।
अक्सर आप सीमायें इसलिए नहीं लगातीं कि आपको लगता है, आपको वे नहीं चाहिये।
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आपको दूसरे लोगों से बहस और तकरार का एक निराधार डर भी हो सकता है। यहां डर यह है कि वे खारिज कर दिए जायेंगे और आपकी केयर करना बंद कर देंगे, या यह टकराव आपकी सुरक्षा को कम करेगा।
इन सबके बावजूद बड़ी समस्या यह नहीं है कि आपमें आत्मविश्वास की कमी है। यह भी नहीं कि आप दूसरों के साथ बहस नहीं करना चाहते हैं। समस्या यह है कि आप यह नहीं जानते कि अपने व्यक्तिगत संबंध में सीमाएँ कैसे बनायी जाएँ।
आपको खुल कर बोलना नहीं सिखाया गया है। आपको अपनी जरूरत के बारे में बताना या बचाव करना सिखाया नहीं जाता है। इस वजह से आपको इन्हें सीखने की जरूरत है। लेकिन कैसे?
- जो भी आप नहीं करना चाहतीं, या जिसके लिए आपके पास वक्त नहीं है उन्हें “नहीं” कहना शुरू करें। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि दूसरे लोग क्या कहेंगे, या भले ही वे गुस्से से पागल हो जाएँ, यहां तक कि आपको भले ही बहुत बुरा समझा जाए। वह करें जिसको आपको प्राथमिकता देनी है।
- जो आप महसूस करते हैं और जो चाहते हैं, उसके लिए “मैं” कहना सीखें। उदाहरण के लिए, “मैं इस मीटिंग में जाकर मैं थक गयी हूँ” बहाने का इस्तेमाल न करें। साफगोई बरतें।
- हर बार खेद प्रकट न करें। उदाहरण के लिए, “आई एम सॉरी, लेकिन मैं घर रहना चाहती हूं” की जगह कहें कि, “मैं घर पर रहना चाहती हूँ।”
- कोई राय देने या फैसला देते वक्त अपने आपको जस्टिफाई न करें। आपको ऐसा करने की जरूरत नहीं है, भले ही दूसरा व्यक्ति परेशान हो। आपको अपने आप पर भरोसा रखना चाहिए।
अपनी पहचान को लेकर सजग रहें
अपने व्यक्तिगत संबंधों पर संयम लागू करने के लिए कभी-कभी अपने प्रति सचेत रहना सीखना जरूरी होता है। इसका मतलब है, अपने आप पर भरोसा न करना, दूसरे लोगों को खुश करना और उनकी मंजूरी की तलाश करना।
यह बहुत मुश्किल है। आखिरकार एक बच्चे के रूप में आपको आसपास के लोगों को खुश करना सिखाया गया है।
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हालाँकि, छोटे स्टेप जैसे कि “नहीं” कहना, और किसी को वह करवाने से रोकना जो वह चाहता है, आपकी मदद कर सकते हैं।
आपको निजी संबंधों में सीमाएं निर्धारित करने की जरूरत कब होती है?
जवाब है जब आप असहज महसूस करने लगें।
वह क्षण जब आपकी एनर्जी को कम होने लगती है, आपको बुरा महसूस होता है या आपका ध्यान बहुत ज्यादा खींचता है, तब आपको बाउंडरी लगाने की जरूरत होती है।
ऐसा हर तरह के रिश्तों के साथ होता है। यह फैमिली, फ्रेंड्स और अपने पार्टनर के साथ होता है। कभी-कभी जब आप एक इंच की जगह छोड़ती हैं, तो मील तक छीन लेते हैं।
इसलिए आपको खुद को अभिव्यक्त करना सीखना चाहिए।
इसमें कुछ भी ऐसा करने से इंकार करना है, जो आप नहीं करना चाहती, बिना दोषी महसूस किए या दूसरे लोग क्या सोचते हैं उसकी फ़िक्र किये बिना।
आपको अपनी सेहत पर ध्यान देना सीखना होगा। यह दूसरों पर निर्भर नहीं है, अपने आप पर निर्भर करता है।
ऐसा करके आप यह देखेंगी कि आप चीजों को बदल सकती हैं। आप देखेंगी, कि आप खुल कर बोलना सीख रही हैं, दूसरे लोग आपका इस्तेमाल नहीं कर सकते और बिना किसी अपराधबोध के आप जो चाहती हैं, उसे कहना सीख रही हैं।
क्या आज से आप अपने निजी रिश्तों में संयम लगाना शुरू करेंगी?
- Gaeta González, Laura., Agris Galvanovskis, Kasparane. (2009).ASERTIVIDAD: UN ANÁLISIS TEÓRICO-EMPÍRICO. https://www.redalyc.org/pdf/292/29211992013.pdf