प्रोस्टेट टेस्ट कैसे किया जाता है
प्रोस्टेट टेस्ट को लेकर पुरुषों में अक्सर बड़े पूर्वाग्रह हैं। कई लोगों के लिए इसका मतलब उनकी प्राइवेसी पर हमला होता है। हालाँकि वक्त बीतने के साथ यह स्वीकृति पाता जा रहा है।
प्रोस्टेट ग्लैंड सिर्फ पुरुषों में होता है। यह ब्लैडर या मूत्राशय के नीचे होता है और युरेथ्रा (मूत्रमार्ग) को घेरे हुए रहता है। इसमें वह तरल पदार्थ बनता है जो बाद में वीर्य बन जाएगा।
वर्ष बीतते-बीतते प्रोस्टेट धीरे-धीरे आकार में बढ़ जाता है। यह सभी पुरुषों में होता है। हम जानते हैं कि 80 वर्ष की आयु में लगभग 70% पुरुषों में प्रोस्टेट की असामान्य वृद्धि होती है।
कैंसर के सबसे आक्रामक और घातक रूपों में प्रोस्टेट कैंसर आता है। यह पुरुषों में सबसे आम कैंसर में से एक है और इसमें मृत्यु दर बड़ी है।
महिलाओं में पैप स्मीयर और मैमोग्राफी ऑन्कोलॉजिकल रोगों की रोकथाम के अहम टूल हैं। उसी तरह प्रोस्टेट टेस्ट पुरुषों में एक अहम प्रिवेंटिव टूल है।
प्रोस्टेट जांच में शुरू में दो बातें शामिल होती हैं: PSA टेस्ट और डिजिटल रेक्टल टेस्ट। अगर इनमें से एक या दोनों में नतीजे संदिग्ध हों तो डॉक्टर दूसरे डायग्नोस्टिक टेस्ट के रूप में इमेजिंग और प्रोस्टेट बायोप्सी की ओर जाते हैं।
लेकिन सबसे पहले हम बता दें प्रोस्टेट टेस्ट किन लोगों को कराने की ज़रूरत होती है।
प्रोस्टेट टेस्ट के संकेत
यह साफ़ करना ज़रूरी है कि प्रोस्टेट टेस्ट सभी पुरुषों के लिए नहीं है। मेडिकल साइंस ने यह तय करने के लिए उम्र और प्रोटोकॉल निर्धारित किये हैं कि कौन इससे लाभान्वित होता है और कौन नहीं।
मुख्य पैरामीटर रोगी की आयु से जुड़ा है:
- 50 से ज्यादा – इन पुरुषों को हर साल या हर दो साल में एक बार प्रोस्टेट टेस्ट कराना होता है।
- 45 से 50 वर्ष की आयु के बीच – इस आयु वर्ग को यह टेस्ट उस स्थिति में करवाना पड़ता है अगर उन्हें प्रोस्टेट कैंसर के रिस्क फैक्टर हैं। उदाहरण के लिए काली नस्ल वाले लोगों के वंशजों या उन्हें जिनके परिवार के किसी सदस्य को प्रोस्टेट कैंसर हुआ हो।
- 40 के कम – चालीस से कम उम्र के व्यक्ति में प्रोस्टेट टेस्ट बहुत दुर्लभ है। फिर भी डॉक्टर ऐसे लोगों को जिनके परिवार में एकाधिक करीबी रिश्तेदार को प्रोस्टेट कैंसर हुआ हो, उन्हें यह टेस्ट कराने की सलाह देते हैं।
प्रोस्टेट टेस्ट की ज़रूरत तय करने पर डॉक्टर पीएसए टेस्ट और डिजिटल रेक्टल टेस्ट की सिफारिश करेंगे। यह लैब में ब्लड टेस्ट और डॉक्टर की क्लिनिक में डिजिटल रेक्टल एग्जाम करके किया जाता है।
अगर लैब टेस्ट नॉर्मल है, तो रोगी को एक साल में दोबारा इसे कराना होगा। कुछ मामलों में जहां रिस्क फैक्टर नहीं हैं, मरीज हर दो साल में पीएसए टेस्ट करवा सकते हैं।
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प्रोस्टेट-विशिष्ट एंटीजेन या पीएसए
PSA प्रोस्टेट जांच का एक अहम हिस्सा है। इसमें खून में मौजू प्रोस्टेट ग्लैंड द्वारा उत्पादित पदार्थ को मापा जाता है। यदि रोगी को कैंसर है, तो यह एंटीजेन ज्यादा हो जाएगा और यह जानकारी बीमारी का संकेत देगी।
हालांकि बिना कैंसर के भी दूसरे कई कारणों से भी पीएसए लेवल बढ़ सकता है। निम्नलिखित बातें पीएसए लेवल बढ़ा सकती हैं :
- ट्रांसरेक्टल अल्ट्रासाउंड
- प्रोस्टेटाइटिस (Prostatitis) – प्रोस्टेट इन्फेक्शन भी पीएसए स्तर को बढ़ाते हैं
- प्रोस्टेट वृद्धि – इसे सौम्य प्रोस्टेटिक हाइपरप्लासिया (benign prostatic hyperplasia) भी कहा जाता है, यह पीएसए लेवल को बदलता है, लेकिन कैंसर के मुकाबले कम आक्रामक ढंग से।
पुरुषों में पीएसए का स्टैण्डर्ड वैल्यू 4 ng/mL से कम होता है। 4 और 10 ng/mL के बीच प्रोस्टेट कैंसर की संभावना होती है। यदि पीएसए 10 से ज्यादा है, तो कैंसर की संभावना बहुत ज्यादा है।
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डिजिटल रेक्टल एग्जाम (DRE)
डिजिटल रेक्टल एग्जाम प्रोस्टेट टेस्ट का अहम हिसा है। इस टेस्ट में ग्रंथि को फैलाने के लिए रोगी के मलाशय में एक उंगली डाली जाती है।
असुविधा कम करने के लिए प्रक्रिया को दस्ताने पहनकर और लुब्रिकेंट लगाकर किया जाता है। डॉक्टर रोगी को लेट जाने का सुझाव देते हैं और संभव हो तो भ्रूण की स्थिति में आने के लिए जिससे दर्द या असुविधा कम हो।
परीक्षक, डॉक्टर या नर्स प्रोस्टेट ग्रंथि को फैलाने का प्रयास करता है, जो मलाशय के करीब होता है। यह परीक्षा उन्हें इस तक पहुंचने की सुविधा देती है। पैल्पेशन के दौरान मेडिकल प्रोफेशनल किसी असामान्य प्रक्रिया, एक गांठ या सख्त हिस्से का पता लगाने का प्रयास करता है।
असामान्यता का पता चलने पर उन्हें ज्यादा स्टडी की ज़रूरत होगी। इससे भी ऊपर अगर यह हाई PSA रिजल्ट से जुड़ा हो।
एब्नार्मल प्रोस्टेट एग्जाम के बाद क्या करना है
एब्नार्मल प्रोस्टेट एग्जाम रिजल्ट का अगला स्टेज डायग्नोसिस को स्पष्ट करने के लिए इमेजिंग स्टडी की ज़रूरत होती है। डॉक्टर अल्ट्रासाउंड का अनुरोध कर सकते हैं और अगर आवश्यक हो तो ग्लैंड की एक बायोप्सी भी।
पहले पता लगाना ज़रूरी है। यदि बहुत पहले पता चल गया तो यह ट्यूमर पूरी तरह से इलाज योग्य है। प्रोस्टेट कैंसर के घातक मामलों को कम करने के लिए डॉक्टर इसकी प्रभावशीलता के कारण प्रोस्टेट एग्जाम लेने पर जोर देते हैं।
पुरुषों के लिए यह ज़रूरी है कि वे अपना डर छोड़ें और कोई संकेत मिलते ही यह जांच कराएं। सालाना चेकअप उनके जीवन को कई साल आगे ले जा सकता है।
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