ऑस्टियोआर्थराइटिस के इलाज में मददगार कुछ अच्छी आदतें
ऑस्टियोआर्थराइटिस एक क्रॉनिक बीमारी है जो जॉइंट की सेहत से समझौता करती है। अक्सर यह 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को प्रभावित करता है, हालांकि यह किसी भी उम्र के वयस्कों में उभर सकता है। इसका कोई इलाज नहीं है, लेकिन कुछ अच्छी आदतें इसको बढ़ने से रोक सकती हैं।
ऑस्टियोआर्थराइटिस का इलाज कैसे किया जाना चाहिए?
सौभाग्य से इस बीमारी के इलाज में अहम प्रगति हुई है। इस प्रकार पेन किलर जैसी दवाओं के अलावा विशेषज्ञों के पास इसके लक्षणों का मैनेजमेंट करने के लिए दूसरी सिफारिशें भी हैं।
उनमें से कुछ की खोज यहाँ करें!
ऑस्टियोआर्थराइटिस के इलाज में मददगार होने वाली आदतें
जॉइंट्स में लागातार होने वाली क्षति के कारण ऑस्टियोआर्थराइटिस विकसित होता है। समय के साथ यह और बिगड़ सकता है। उम्र बढ़ने या पिछली चोट के कारण भी ऐसा हो सकता है। यह दर्द, कठोरता और चाल-ढाल में बाधा जैसे लक्षण पैदा करता है।
अलग-अलग रोगियों में इसकी गंभीरता अलग हो सकती है। पर यह आम तौर पर जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है। इसलिए ऑस्टियोआर्थराइटिस के इलाज का उद्देश्य रोग की बढ़त को कम करना और लक्षणों का मैनेजमेंट करना है।
1. ऑस्टियोआर्थराइटिस के इलाज में मददगार है फिजिकल एक्सरसाइज
आम तौर पर एक्सरसाइज शरीर की बेहतरी को बढ़ावा देती है, विशेष रूप से जॉइंट्स की। इससे जॉइंट्स की गतिशीलता में सुधार आती है।
ऑस्टियोआर्थराइटिस के कारण होने वाला दर्द अक्सर कुछ विशेष एक्सरसाइज करने की क्षमता को कम कर देता है। पर एक सुस्त गतिहीन लाइफस्टाइल की सिफारिश नहीं की जाती है। रेहुलर कम इंटेंसिटी वाली एक्सरसाइज रोग की जटिलताओं को रोकने के लिए जोड़ों के आसपास की मांसपेशियों को मजबूत करती है।
लगभग 20 से 30 मिनट की डेली फिजिकल एक्सरसाइज शरीर की स्कटिफनेस को दूर करने और दर्द के जोखिम को कम करने में मददगार होती है। आपको स्विमिंग, वाकिंग या स्ट्रेचिंग जैसी एक्टिविटी करनी चाहिए। योग या ताई ची को भी आजमा सकते हैं।
2. मोटापा घटाना
ज्यादा वजन या मोटापा क्रॉनिक ऑस्टियोआर्थराइटिस के रोगियों में जॉइंट्स की समस्या के बिगड़ने में तेजी ला सकता है। वास्तव में, इन दोनों को रोग का संभावित ट्रिगर माना जाता है। इस कारण जो लोग ज्यादा वजन वाले हैं, उन्हें कुछ किलो वजन घटाने का प्रयास करना चाहिए।
स्वस्थ वजन जोड़ों पर कम दबाव डालता है और दर्द को कम करने में मदद करता है। यह मेटाबोलिक सिंड्रोम या कार्डियोवैस्कुलर स्वास्थ्य जटिलताओं का जोखिम कम करता है।
3. रात में अच्छी नींद सोना
नींद की समस्याएँ बिगड़ती हुई बीमारी और जीवन की गुणवत्ता को घटा सकती हैं।
कभी-कभी ऑस्टियोआर्थराइटिस के कारण होने वाला दर्द नींद की गुणवत्ता पर असर डाल सकता है। इसके बावजूद हर रात अच्छी नींद सोने की कोशिश करना ज़रूरी है, क्योंकि आराम जॉइंट की सूजन को कम करने के लिए महत्वपूर्ण है।
आपको नींद न आने की समस्या है, तो निम्न प्रयास करें:
- निश्चित करें कि आपका कमरा सोने के लिए आरामदेह हो।
- अपने कमरे में काम करने से बचें।
- सोने से पहले कंप्यूटर, सेल फोन या टैबलेट जैसे भटकाने वाली बातों से दूर रहें।
- नींद को बढ़ावा देने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करें।
- कम कैलोरी वाले स्वस्थ भोजन खाएं।
- पैशन फ्लावर या वैलेरियन टी पियें।
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4. नेचुरल टी पिएं
मेडिसिनल टी आपके डॉक्टर द्वारा निर्धारित औषधीय इलाज की जगह नहीं ले सकती। हालांकि, इन्हें पीने से ऑस्टियोआर्थराइटिस के इलाज में सहायता मिल सकती है।
एंटी-इन्फ्लेमेटरी कुछ चाय में अदरक की चाय, ग्रीन टी और हल्दी की चाय अहम हैं।
5. हॉट एंड कोल्ड थेरेपी
यह थेरेपी जोड़ों की सूजन प्रक्रिया पर काबू पाने का एक प्रभावी तरीका है।
गर्मी ब्लड वेसेल्स को खोलने में मदद करती है, ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करती है। नतीजतन प्रभावित टिशू तक पोषक तत्व पहुँचाने में भी सुधार आता है। गर्मी एक शांतिदायक असर भी पैदा करती है जो कठोरता को कम करने वाली है।
दूसरी ओर, बर्फ लगाने से ब्लड वेसेल्स बंद हो जाती है और सूजन और दर्द में कमी आती हैं। इस कारण यह गर्मी के असर के परिपूरक के रूप में एक अच्छा विकल्प है।
- गर्म पानी या एक हीटिंग पैड लगाएं। आप गर्म पानी में एक टॉवल भी गीला कर सकते हैं (सावधानी बरतें कि कहीं खुद को जला न लें)।
- फिर इसे प्रभावित क्षेत्र पर 20 मिनट के लिए लगाएं और छोड़ दें।
- अगर आप कोल्ड थेरेपी पसंद करते हैं, तो कपड़े या बैग में कई आइस क्यूब्स लपेटें। इसे 20 मिनट के लिए लगाएं।
सावधानी: बर्फ को सीधे त्वचा पर लगाने से बचें क्योंकि यह नुकसानदेह हो सकती है। इसे एक टॉवल में लपेटना निश्चित करें। इसके अलावा हीट एप्गलाई करते समय निश्चित करें कि तापमान सहनसीमा में हो।
निष्कर्ष के तौर पर
क्रॉनिक ऑस्टियोआर्थराइटिस सही वक्त पर इलाज न होने से बिगड़ सकती है।
इस कारण अगर आपको संदेह है कि आप इस बीमारी से पीड़ित हैं, तो इसके लक्षणों से निपटना और किसी डॉक्टर को दिखाना ज़रूरी है। दवाओं और अच्छी आदतों के संयोग से शानदार नतीजे मिल सकते हैं।
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