तकिये को धोने और कीटाणुमुक्त बनाने के चार तरीके
एक्सपर्ट्स सलाह देते हैं कि आपको महीने में कम से कम एक बार अपने तकिये को धोना और उसे कीटाणुरहित करना चाहिये। क्या आप ऐसा करते हैं?
अपने तकिये को घरेलू बैक्टीरिया और खतरनाक कीटाणुओं से बचाने के लिए हम आपको उन्हें साफ करने के कुछ आसान तरीके बतायेंगे।
बहुत से लोग अपने बिस्तर को लेकर बहुत सावधान रहते हैं। इसे रोज़ाना हवा में सुखाने के अलावा, चादरों और बिस्तर को हर दिन साफ़-सफाई और उचित रख-रखाव की जरूरत होती है। इस तरह आप धूल और दूसरी चीजों को बिस्तर पर जमने से रोकते हैं।
ज्यादातर लोग आमतौर पर केवल पिलो कवर को धोते हैं। इस तरह, हम अक्सर तकिये को भूल जाते हैं। यह एक बहुत बड़ी ग़लती है। उनमें बहुत ज्यादा, यहाँ तक कि चादरों और कंबलों से भी ज्यादा गंदगी जमा रहती हैं।
दरवाज़े और खिड़कियां खुली होने पर तकियों के साथ-साथ बिस्तर पर धूल-मिट्टी लग जाती है। जब आप सोने के लिये बिस्तर पर जाते हैं तो आप भी अपने बिस्तर पर गंदगी लगाते हैं।
तो क्यों न उन्हें एक बार अच्छे से धोया जाये?
तकिये को धोने और कीटाणुमुक्त बनाने के आसान तरीके (How to Wash and Disinfect Pillows Easily)
नीचे हम आपको बतायेंगे, अपने तकियों की धुलाई और उसे कीटाणुमुक्त कैसे करें। आप अपनी व्यस्त दिनचर्या पर और ज्यादा दबाव डाले बिना इसे नियमित रूप से कर सकते हैं।
1. वॉशिंग मशीन में
आप अधिकांश तकियों को वॉशिंग मशीन में बिना किसी परेशानी के धो सकते हैं। हालांकि आपको हमेशा सबसे पहले उनका लेबल देखना चाहिए।
उसके बाद निम्नलिखित बातों का पालन करें:
- पावडर के बजाय लिक्विड सोप का इस्तेमाल करें। इससे आप यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि क्लीनर के अंदर रखे सभी कपड़ों की सफाई होगी।
- तकियों के साथ दूसरे हल्के कपड़ों को भी धोएं। इस तरह आपकी वॉशिंग मशीन संतुलित रहती है और ख़राब नहीं होती है।
- उन्हें दो बार निचोड़ें। ऐसा करने से निश्चित रूप से सारा डिटर्जेंट बाहर निकल जाएगा।
इस प्रक्रिया को पूरा कर लें, तो उन्हें पूरे दिन भर धूप में सूखने दें। यह बहुत जरूरी है। अगर वे अंदर से गीले रह जाते हैं, तो वे ख़राब हो सकते हैं।
2. क्विक वाश
तकिये के अन्दर की भराई बार-बार धुलाई का सामना करने के लायक नहीं होती है। इसलिए हो सके तो हर बार पूरे तकिये को धोने के बजाय केवल तकिये की खोल को ही धोयें।
कुछ तकियों में अन्दर की भराई को हटाया जा सकता है। आप तो उस पर लगे बटनों को खोल सकते हैं या उसे अनज़िप कर सकते हैं। असल में, वे आमतौर पर फ्ल्फ़ (fluff) या फोम रबर से भरे होते हैं।
इसका फ़ायदा यह है कि आप उन्हें चादरों के साथ आसानी से धो सकते हैं। इस तरह आप यह मान कर चल सकते हैं कि आपके तकिये कीटाणुरहित और पिस्सुओं (mites) से मुक्त हों जायेंगे।
3. गहरी सफाई के लिए सिरका और बेकिंग सोडा
अगर आपको लगता है कि आपके तकियों को गहराई से साफ करने की जरूरत है, तो आप बेकिंग सोडा और सिरके का इस्तेमाल कर सकते हैं।
इन दोनों चीजों का प्रयोग करके अपने तकिये को कीटाणुरहित करने के लिए जरूरी कदम इस प्रकार हैं:
- सबसे पहले, आधा कप बेकिंग सोडा को आधा कप सफेद सिरका के साथ मिलाएं।
- फिर, अपने तकिये को वॉशिंग मशीन में डालें।
- जब वे अच्छी तरह से गीले हो जाएँ तो मिश्रण को डाल दें।
- अंत में सबसे पहली विधि में बताये तरीके से आगे की धुलाई करें।
तकियों की सफाई करने और उन्हें कीटाणुरहित बनाने के अलावा, यह तकनीक उन्हें नये जैसा चमकदार भी बनाती है। हमेशा की तरह, इन पदार्थों का ब्लीचिंग इफ़ेक्ट कभी बेअसर नहीं जायेगा। उस हिसाब से, बेकिंग सोडा और सिरका के बजाय डिटर्जेंट में बोरेक्स (borax) मिलाने से भी आपको ठीक इसी तरह के नतीजे देखने को मिलेंगे।
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4. दाग-धब्बों के लिए ऑक्सीजन युक्त पानी (Oxygenated water for stains)
भले ही यह सुनने में अजीब लगे, तकिये को धोने और कीटाणुमुक्त बनाने के लिए ऑक्सीजन युक्त पानी (oxygenated water) भी उपयोगी साबित हो सकता है। हालाँकि ऊपर बताई गयी बाकी तकनीकों की तुलना में इसकी कुछ सीमाएँ हैं।
सबसे पहले, यह केवल सफेद कपड़ों के लिए कारगर है। इसके शक्तिशाली वाइटनिंग इफ़ेक्ट को देखते हुए, हम इसे गहरे रंगों के साथ इस्तेमाल नहीं करने की सलाह देते हैं।
दूसरी ओर आप इससे केवल दाग-धब्बे हटा सकते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस विधि में केवल उसी जगह पर थोड़ा सा ऑक्सीजन युक्त पानी लगाया जाता है जिसे आप साफ करना चाहते हैं।
इन सब के बावजूद भी यह एक उपयोगी तरीका है। अक्सर तकियों पर क्रीम, मेकअप, खून या यहाँ तक कि पसीने के दाग लगे होते हैं। इसलिए, इस तकनीक आपको उन सब से पूरी तरह से छुटकारा पाने में मदद करती है।
इन आसान तरीकों की मदद से, आप अपने कमरे को और भी स्वस्थ और साफ़-सुथरा बना सकते हैं। याद रखें, आप अपने दिन का कम से कम एक चौथाई समय अपने बिस्तर में बिताते हैं। इसलिए, तकियों को धोना और कीटाणुमुक्त करना, जितना उचित लगता है, बहुत ज़रूरी है।