एंडोमेट्रिऑसिस के लक्षण और इलाज
एंडोमेट्रिऑसिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें ओवेरी या अंडाशय में छोटे इम्प्लांट या सिस्ट उभरते हैं। हालाँकि, यह स्थानीयकृत नॉड्यूल्स के साथ भी मौजूद हो सकता है।
ऐसा तब होता है जब एंडोमेट्रियल टिशू गर्भाशय के बाहर बढ़ता है। यह अंडाशय, गर्भाशय के लिगामेंट, मूत्राशय या इंटेसटाइन जैसे अंगों में हो सकता है। इसलिए इलाज के लिए एंडोमेट्रिऑसिस के लक्षणों को जल्दी पहचानना बहुत महत्वपूर्ण है।
यह महिलाओं में बांझपन के मुख्य कारणों में से एक माना जाता है। दरअसल एंडोमेट्रिऑसिस वाले 40% से अधिक लोगों को गर्भ धारण करने में कठिनाई होती है। एंडोमेट्रियम वहाँ बढ़ता है जहां इसे नहीं होना चाहिए, यह अपनी हार्मोन एक्टिविटी को बनाए रखता है। मेंसट्रुएशन के दौरान यह टिशू को बहा देता है। जो समस्याएं पैदा कर सकता है।
एंडोमेट्रिऑसिस की किस्में
अपनी बनावट और स्थान के आधार पर एंडोमेट्रिऑसिस की तीन किस्में हैं:
सतह पर : इसे पेरिटोनियल एंडोमेट्रिऑसिस (peritoneal endometriosis) भी कहा जाता है, यह वह जगह है जहां एंडोमेट्रियल टिशू अंडाशय और पेरिटोनियम के सबसे सतही हिस्से में होता है। यह लाल घावों के साथ उभरता है और समय के साथ छोटे निशान बनाता है।
डिम्बग्रंथि में : यहां छोटे सिस्ट अंडाशय में देखे जाते हैं। इस कारण इन्हें “चॉकलेट सिस्ट” के रूप में भी जाना जाता है। कभी-कभी वे फैलोपियन ट्यूब (fallopian tubes) और पेरिटोनियम जैसे आस-पास के टिशू से सट जाते हैं।
गहरे: यह सबसे जटिल रूप है और महिला की सेहत के लिए गंभीर है। यह पेरिटोनियम और पैल्विक कैविटी की सबसे गहरी परतों में छोटे एंडोमेट्रियोटिक नॉड्यूल बनाता है। इसके अलावा यह किडनी, युरेटर, ब्लैडर और अन्य अंगों के लिए समस्या पैदा कर सकता है।
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कारण
ऐसा कोई सटीक कारण नहीं है जिससे पता चले कि एंडोमेट्रिऑसिस क्यों उभरता है। लेकिन कई हाइपोथीसिस हैं जो इसके कारण को समझाने की कोशिश करती हैं। इनमें से जिन्हें सबसे व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है:
मेटाप्लासिया (Metaplasia): यह दर्शाता है कि एंडोमेट्रियम में पेल्विक क्षेत्र के दूसरे टिशू को बदल डालने की क्षमता होती है।
वैस्कुलर ट्रांसप्लान्टेशन (Vascular transplantation): यह ब्लड वैसेल और लिम्फैटिक सिस्टम के रास्ते यात्रा करते हुए दूरस्थ क्षेत्रों में एंडोमेट्रियम के टुकड़ों के पहुँचने और ट्रांसप्लांट होने की संभावना को दर्शाता है।
प्रतिगामी मेंसट्रुएशन (etrograde menstruation): यह तब होता है जब मेंसट्रुएशन के दौरान बाहर निकल जान के बजाय युटेरस का आवरण फैलोपियन ट्यूब के माध्यम से और पेट की ओर बह जाता है। यह टिशू पेल्विक एरिया में जमा होता है और बढ़ता रहता है।
जोखिम
ऊपर बताये गए सिद्धांतों को संभावित कारण के रूप में स्वीकार किया गया है। हालांकि एंडोमेट्रिऑसिस से जुड़े दूसरे रिस्क फैक्टर भी हैं।
- जेनेटिक प्रवृति
- फैमिली हिस्ट्री
- कम उम्र में पीरियड शुरू होना
- लगातार पीरियड्स 7 दिन या उससे ज्यादा दिनों तक
- जननांग क्षेत्र में कोई शारीरिक बदलाव
- युटेरस पर हुई कोई सर्जरी
- संतान न होना
एंडोमेट्रिऑसिस के लक्षण
गर्भ धारण करने में असमर्थता या कठिनाई एंडोमेट्रिऑसिस के सबसे आम लक्षणों में से एक है। हालांकि हार्मोन असंतुलन के कारण यह ऐसी समस्यायें भी पैदा करता है:
दर्द
- पीरियड से पहले और बाद में पेट दर्द
- पीरियड से पहले और बाद में एक या दो सप्ताह के लिए ऐंठन
- सेक्स के दौरान और उसके बाद
- पीठ के निचले हिस्से में
- मल त्याग करते समय
- लंबा मेंसट्रुएशन
- पीरियड्स के बीच ब्लीडिंग
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एंडोमेट्रिऑसिस की डायग्नोसिस
जब डॉक्टर एंडोमेट्रिऑसिस के लक्षणों के कारण इसका संदेह करता है, तो वह एक फिजिकल टेस्ट करके डायग्नोसिस शुरू करेंगी। इस तरह के टेस्ट के साथ वह पुष्टि कर सकती हैं : ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड, एमआरआई या पैल्विक लेप्रोस्कोपी।
इलाज
एंडोमेट्रिऑसिस के लिए कई ट्रीटमेंट ऑप्शन हैं। ये विकल्प कारकों पर निर्भर करते हैं जैसे: आयु, रोगी की गर्भवती होने की इच्छा, लक्षण (और गंभीरता), स्थान और विस्तार।
इलाज का लक्ष्य एंडोमेट्रियोसिस के लक्षणों से राहत देने, घाव को दूर करने और महिलाओं की प्रजनन क्षमता बहाल करने पर केंद्रित है।
इलाज में दवा शामिल हो सकती है। यह ओवर-द-काउंटर दवाएं भी हो सकती हैं और प्रेसक्रिप्शन के आधार पर पेन रिलीवर, गर्भनिरोधक गोलियां, प्रोजेस्टेरोन इंजेक्शन या गोलियां या विशेष दवा हो सकती है। सर्जरी सिर्फ सबसे गंभीर मामलों में की जायेगी। सर्जरी मामूली से लेकर कम्पलीट हो सकती है।
ट्रीटमेंट के अलावा रोगी को अपने खाने की आदतों में सुधार करना चाहिए और एक्सरसाइज और रिलैक्सेशन की प्रैक्टिस करना चाहिए। हालांकि ये इलाज नहीं हैं, पर वे एंडोमेट्रिऑसिस लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद करेंगे।
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