जीन परिवर्तन, चाय, कैंसर और महिलाएं
स्वीडेन में, उप्साला विश्वविद्यालय ने एक रोचक अध्ययन प्रकाशित किया है। यह दर्शाता है कि नियमित रूप से चाय पीने से महिलाओं में जीन परिवर्तन होता है।
चाय के बारे में कुछ तथ्य
- चाय दुनिया का दूसरा सबसे लोकप्रिय पेय है। केवल पानी ही पेय के रूप में इससे ज्यादा पिया जाता है।
- इसकी कोई भी किस्म स्वस्थ है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि यह ग्रीन टी, कैमोमाइल टी या व्हाइट टी है।
- ग्रीन टी में ढेर सारा एंटीऑक्सीडेंट होता है। आपके शरीर में कई प्रक्रियाओं में सुधार के लिए यह बहुत अच्छा है।
- कैमेलिया सिनेंसिस (Camellia Sinensis) पत्तों पर बड़ी संख्या में अध्ययन किए गए हैं। ये वे पत्तियां हैं जिनका उपयोग हम ग्रीन टी बनाने के लिए करते हैं। इनमें से, हाल में किया गया एक अध्ययन निश्चित रूप से उभर कर आया है।
हम सिफारिश करते हैं कि आप पढ़ें : फ्लूइड रिटेंशन से बचने और सूजन को कम करने का तरीका
जीन परिवर्तन
एपिजेनेटिक (पश्चजनन संबंधी) परिवर्तन रासायनिक संशोधन ‘चालू करने’ या कुछ जीनों को ‘बंद करने’ में सक्षम है।
महिलाओं के लिए कुछ जीन को जाग्रत करना एक अच्छी बात है। कुछ जीन कार्सिनोजेनिक प्रक्रियाओं से रक्षा करने में सक्षम हैं और एस्ट्रोजेन के उचित मेटाबोलिज्म को सुनिश्चित करने में मदद करते हैं।
इस लेख में, हम आपको इस विषय के बारे में रोचक जानकारी देंगे।
नियमित रूप से चाय पीना महिलाओं में जीन परिवर्तन का कारण हो सकता है
डॉ. वेरोनिका एक ने अध्ययन का नेतृत्व किया है। वह उप्पला यूनिवर्सिटी के इम्यूनोलॉजी, जेनेटिक्स (आनुवंशिकी) और पैथोलॉजी विभाग में काम करती हैं।
यूरोप में विभिन्न आबादी पर 5 वर्षों के दौरान यह अध्ययन किया गया था। शोधकर्ताओं ने उन प्रभावों का विश्लेषण किया जो कॉफी और चाय दोनों के जीन पर हो सकते हैं। उन्होंने पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए ऐसा किया।
मुख्य परिणाम निम्नलिखित थे :
वैज्ञानिकों ने पहली बात यह देखी कि कॉफी पीने से जीन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
हालांकि, चाय के लिए परिणाम अलग थे। वहाँ कई दिलचस्प चीजें होती दिखाई पड़ीं। इसके अलावा, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि यह हरी काली या सफेद चाय थी।
सबसे पहले, उन्होंने गौर किया कि चाय महिलाओं में कई जीन परिवर्तन का कारण बनी है। हालाँकि, ये परिवर्तन पुरुषों में नहीं थे।
हैरानी की बात है कि कैंसर के विकास और रोकथाम में शामिल जीनों में कई बदलाव पाए गए थे। एस्ट्रोजन मेटाबोलिज्म को प्रभावित करने वाले जीन पर चाय का भी प्रभाव था।
पिछले अध्ययनों से पता चला कि चाय एस्ट्रोजन के स्तर को कम करती है। चाय में रासायनिक रूप से सक्रिय यौगिकों, जैसे कैटेचिन, कार्सिनोजेनिक कोशिकाओं पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है। कल्चर किये गए लैब टेस्ट ने पहले ही यह दिखाया है।
चाय में पॉलीफेनोल्स, थियाफ्लैविंस (theaflavins) और थीरुबिगिन्स (thearubigins) शामिल होते हैं। ये कोशीय प्रसार और एपोप्टोसिस (apoptosis) यानी कोशिका की मृत्यु के खिलाफ आपकी कोशिकाओं और डीएनए की सुरक्षा करने में मदद करते हैं।
यह भी देखें : सर्वाइकल कैंसर के 8 अहम लक्षणों की पहचान करें
चाय पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक फायदा क्यों पहुंचाती है?
इस सवाल का अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है। यह एक ऐसा विषय है जिसके लिए अधिक शोध की आवश्यकता है। क्या सच है कि पुरुषों की तुलना में महिलाएं अधिक चाय पीती हैं? दुर्भाग्य से, इस अध्ययन में यही एक समस्या खड़ी है।
इसलिए, क्या हो अगर पुरुष महिलाओं की तरह समान मात्रा में चाय पीने लगे? यह कुछ है जिसे अभी तक हमें देखना है।
हालांकि, वैज्ञानिक एक बार फिर यह दिखाने में सफल रहे कि चाय एस्ट्रोजन को सकारात्मक रूप से नियंत्रित करती है। जो भी हो, यह कुछ ऐसा है जो अपने आप में बहुत रोचक है।
एस्ट्रोजेन महिला सेक्स हार्मोन का एक समूह है। ये हार्मोन कुछ शारीरिक क्रियाओं का पालन करते हैं।
मेनोपाज के इलाज के लिए बहुत सी महिलाएं संयुक्त हार्मोनल थेरेपी से गुजरती हैं। इस उपचार में एस्ट्रोजन (estrogen) और प्रोजेस्टिन (progestin) शामिल हैं।
हालांकि, इन हार्मोन को भी कैंसर प्रक्रियाओं में फंसाया जाता है। यह सच है कि महिलाओं के स्तन या अंतरगर्भाशय संबंधी कैंसर से पीड़ित होने के खतरे को बढ़ा सकता है। आगे चलकर यही गर्भाशय कैंसर का रूप लेता है।
निष्कर्ष
निष्कर्ष निकालने के लिए, यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि वैज्ञानिकों को अभी भी अपने निष्कर्षों का ब्यौरा देने के लिए ज्यादा अध्ययन करने की ज़रूरत है। आखिरकार वे यह देखना चाहते हैं कि कैसे बदलाव पाए जाते हैं। इसके अलावा वे देखना चाहते हैं कि क्या ये पुरुष शरीर में भी हो सकते हैं।
यह भी याद रखना बहुत महत्वपूर्ण है कि चाय पीने से कैंसर ठीक नहीं होता है। इसी तरह, यह पूरी तरह से इसको उभरने से नहीं रोक सकता।
इन सब के बावजूद, आपको इसे संयम से ही पीना चाहिए। लिंग या उम्र की परवाह किए बिना प्रति दिन दो कप चाय का आनंद लेने से बेहतर कुछ नहीं हो सकता है। आपको संतुलित आहार भी खाना चाहिए और तम्बाकू सेवन और निष्क्रिय लाइफस्टाइल को तुरंत छोड़ देना चाहिए।
- Grønbæk, K., Hother, C., & Jones, P. A. (2007). Epigenetic changes in cancer. APMIS. https://doi.org/10.1111/j.1600-0463.2007.apm_636.xml.x
- Jones, P. A., & Baylin, S. B. (2002). The fundamental role of epigenetic events in cancer. Nature Reviews Genetics. https://doi.org/10.1038/nrg816
- Kanwal, R., & Gupta, S. (2012). Epigenetic modifications in cancer. Clinical Genetics. https://doi.org/10.1111/j.1399-0004.2011.01809.x
- Yuan, J. M., Sun, C., & Butler, L. M. (2011). Tea and cancer prevention: Epidemiological studies. Pharmacological Research. https://doi.org/10.1016/j.phrs.2011.03.002
- Fuhrman, B. J., Pfeiffer, R. M., Wu, A. H., Xu, X., Keefer, L. K., Veenstra, T. D., & Ziegler, R. G. (2013). Green tea intake is associated with urinary estrogen profiles in Japanese-American women. Nutrition Journal. https://doi.org/10.1186/1475-2891-12-25