हर किसी को खुश करने की जरूरत नहीं: सबकी रुचि भी स्वस्थ नहीं होती
हमारी यह सोच कि हर कोई हमें पसंद करे, बेवजह की तकलीफों का एक बड़ा कारण है। क्योंकि इसमें हमारी रुचि का टकराव दूसरों की रुचियों से होता है।
मुमकिन है, अभी आप खुद को समझा रहे हों, यह बात आप पर लागू नहीं होती और अन्य लोगों की पसंद और वरीयताओं के अनुसार खुद को ढालने में आपको कोई समस्या नहीं है।
लेकिन एक तरह से, यह ऐसा है जो हमने कभी न कभी किया है और इसे एक छोटे पैमाने पर हम हमेशा करना जारी रखते हैं।
अपने सोशल और इमोशनल वातवरण का हिस्सा बनने के लिए इंसान दूसरों के साथ सामंजस्य बनाने, उनके साथ तालमेल बैठाने के लिए प्रोग्राम किए जाते हैं; इसके लिए अक्सर दूसरों को खुश करने, सौजन्यता से भरे होने और जब हम “नहीं” कहना चाहते हैं उस समय “हां” कहने की जरूरत होती है।
इसकी कुंजी संतुलन स्थापित करने और अपनी इमोशनल इंटेलिजेंस की दृढ़ता में छिपी हुई है। हम सभी दूसरों को खुश करना चाहते हैं, यह जानना चाहते हैं कि लोग हमें सुलभ मानें। लेकिन इससे आपको यह महसूस नहीं होना चाहिए कि आप हर समय सबको खुश करने के चक्कर में फंसे हुए हैं।
आज की पोस्ट में हम इस पर विचार करना चाहते हैं।
सबको खुश करने और सबके द्वारा पसंद किये जाने की बेकरारी
लोगों को इस बात की जरूरत होती है कि उनको “पसंद किया जाना चाहिए।” जो कोई ऐसा नहीं सोचता, वह गलत है। मसलन पसंद किये जाने का मतलब है, जिस संभावित साथी की ओर आप खिंचते हैं उसको आकर्षित करने के लिए तमाम कौशल को अपनाना।
पसंद किये जाने का अर्थ है, जॉब इंटरव्यू में अपनी एक अच्छी इमेज प्रोजेक्ट करना जिससे आप अपने मनचाहे भविष्य को सुरक्षित कर सकें।
आप ऐसे लोगों को पसंद करते हैं जो आपके जैसे हैं और जिनसे दोस्ती करना आसान है। आप इस बात से इंकार नहीं कर सकते कि कभी-कभी आपको सद्भाव बनाये रखने के लिए अपने परिवार के साथ थोड़ा-बहुत समझौता करना पड़ता है।
इसे भी पढ़ें: निश्चयात्मक बनें और “अब बस” कहना सीखें
फिर भी, थोड़ा छोड़ने का अर्थ बहुत खोना नहीं है। इसका मतलब सिर्फ स्वस्थ संतुलन बनाये रखना है ताकि हर कोई साथ में मिल-जुल कर जी सके। उदाहरण के तौर पर, यदि हम सभी सीमाएं और दीवारें खड़ी करके सिर्फ अपने-अपने फायदे के लिए कार्य करेंगे तो हम समाज का अर्थ खो देंगे।
अब शायद आपके मन में यह सवाल उठ रहा होगा, सीमा कहां है? मेरी पहचान और समाज में फिट होने के लिए वह मुझसे जो चाहता है उसके बीच की यह सीमा कहां है?
हम नीचे समझायेंगे।
आत्म-खोज की वह इंटिमेट प्रोसेस
हर व्यक्ति का अपना सार होता है, और यह सार आपके उस व्यक्तिगत सामान के अलावा कुछ नहीं है जिसमें आपके मूल्य, भावनायें, आत्म सम्मान और आत्म-जागरूकता शामिल हैं।
- यह व्यक्तिगत यात्रा जिसके दौरान आप पता करते हैं कि आप कौन हैं, एक ऐसी प्रक्रिया है जो जिंदगी भर जारी रहती है।
- जवानी में सबको खुश करने की इस जरूरत को विकसित करना एक आम बात है। आप अपने पहले अनुभवों की खोज में एक सोशल बीइंग के रूप में दुनिया में आ गए हैं तो आपको अपने को उसका एक अभिन्न अंग महसूस करने की जरूरत है।
- युवकों को कभी-कभी वे क्या हैं या महसूस करते हैं और दूसरे लोग उनसे क्या चाहते हैं के बीच एक गंभीर दूरी महसूस हो सकती है।
- समाज आपको आकर्षक, परफेक्ट और स्वतंत्र होने के लिए कहता है। जो फैशन में है उसे सम्मिलित किया जाता है और आपकी खासियत और सार को हटा दिया जाता है। ये गलत है।
आखिरकार आंतरिक संतुलन पाने के लिए हर एक व्यक्ति इन अवस्थाओं से गुजरा है, जहां आपको पता चलता है कि आप यूनिक, स्पेशल और बाकी लोगों से अलग होना पसंद करते हैं।
आप जो हैं वह होने का एडवेंचर
आम धारणा के विपरीत, आप जो हैं वह होना कोई आसान काम नहीं है। एक तरफ, आपके आस-पास, आपके परिवार, समाज और आपकी नौकरी की अपेक्षाएं हैं।
- आप से एक अच्छा बच्चा, प्यार करने वाला साथी और एक मेहनती कर्मचारी होने की उम्मीद की जाती है।
- हालांकि कभी-कभी आप केवल इस बात को एक्सपेरिमेंट करके देख रहे होते हैं कि आप कौन हैं। ब्लैकमेल और दूसरों की अपेक्षाएं आप से कुछ ऐसे काम करवा सकती हैं जो आपके मूल्यों के खिलाफ हैं।
- आप जो हैं वह होने के एडवेंचर के लिए, चाहें आपको अच्छा लगे या नहीं, आपको छोटे-मोटे टकरावों को अनुभव करना पड़ेगा। लेकिन इसे गलत रूप में नहीं देखना चाहिए।
हर किसी की रुचि इतनी ऊँची नहीं कि वे आपकी कद्र करें
दुनिया “नहीं, मैं आपको पसंद नहीं करता” के साथ खत्म नहीं होगी। दरअसल यह बेहतर अवसरों को खोलता है।
- यदि आप हर दिन यह कोशिश करते हैं कि सब लोग आपको पसंद करें, तो आप अपने आप से और उस व्यक्तिगत यात्रा से जिसमें आपका आत्म-सम्मान, संतुलन और पहचान है, दूर हो जाते हैं ।
- अगर किसी के पास आपके चरित्र, आपका ठहाका मारकर हंसना, आपका हंसी-मजाक और उपहास करने का तरीका और जीवन के लिए आपका पैशन की सराहना करने लायक अच्छी रुचि नहीं है, तो आप चिंता न करें।
जितने लोग आपको देखकर चिढ़ते हैं, और मुंह बनाते हैं उतने ही दर्जनों दूसरे लोग हैं जो आप जो हैं, उसके साथ सहानुभूति रखते हैं। आप जो हैं वह होने के एडवेंचर का हर दिन आनंद लेने में संकोच न करें।
- Velasco Bernal, J. J. (2014). LA INTELIGENCIA EMOCIONAL. Industrial Data. https://doi.org/10.15381/idata.v4i1.6677
- Castanyer Mayer-Spiess, O. (2014). LA ASERTIVIDAD, EXPRESIÓN DE UNA SANA AUTOESTIMA. DESCLEE DE BROUWER. https://doi.org/10.1039/C7IB00070G
- Payá, M. (2014). El autoconocimiento como condición para construir una personalidad moral y autónoma. The Online Platform for Taylor & Francis Group Content. https://doi.org/10.1080/02147033.1992.10821034
- Naranjo, C. R., & González, A. C. (2012). Autoestima en la adolescencia: Análisis y estrategias de intervención. International Journal of Psychology and Psychological Therapy. https://doi.org/10.1603/0022-0493-101.6.1831