ब्रक्सिज्म: दांत पीसने की एक मनोदैहिक बीमारी
अनजाने में दांत पीसने की आदत (Bruxism), खासकर रात को, युवकों में तो बहुत आम है ही, कुछ व्यस्क भी इससे पीड़ित होते हैं। यह मनोदैहिक बीमारी (Psychosomaticm Disorder) सिरदर्द, जबड़े और कान में दर्द पैदा करने के अलावा हमारे दांतों को भी नुकसान पहुंचा सकती है।
इस लेख में हम आपको इस साइकोसोमैटिक डिसऑर्डर यानी मनोदैहिक बीमारी के बारे में बताने जा रहे हैं। इसे गौर से पढ़ें!
इस मनोदैहिक बीमारी के बारे में आपको क्या-क्या पता होना चाहिए?
हम ज़िन्दगी के किसी भी मोड़ पर दांत पीसने की इस आदत की चपेट में आ सकते हैं। हाँ, ज़्यादातर लोग इसके शिकार 17 से 20 साल की उम्र में होते हैं।
जहाँ तक इसके इलाज का सवाल है, जिस तरह यह आदत आपको अपने आप ही लग जाती है, उसी तरह बिना किसी इलाज के यह खुद ब खुद गायब भी हो सकती है। दूसरी तरफ, यह कई सालों तक बेरोक-टोक आपके साथ भी रह सकती है (स्थायी ब्रक्सिज्म)।
आमतौर पर यह आदत बेचैनी, जेनेटिक कारण, यहाँ तक कि एलर्जी से भी पनप सकती है। इस संबंध में सबसे मान्य मत यही है कि इसकी जड़ स्ट्रेस में होती है।
कुछ लोगों की मान्यता के विपरीत, ब्रक्सिज्म का पेट के कीड़ों से कुछ भी लेना-देना नहीं होता।
ब्रक्सिज्म कई प्रकार का हो सकता है:
केन्द्रित ब्रक्सिज्म (Centric bruxism)
इस अवस्था में व्यक्ति दांत इतनी कसकर भींच लेता है कि उसकी गर्दन में दर्द होने लगता है। इसका सबसे ज़्यादा नुकसान उसके प्रीमोलर दांतों को होता है। तनाव भरा सिरदर्द इसके आम लक्षणों में एक है।
एक्सेंट्रिक ब्रक्सिज्म (Excentric bruxism)
इसमें व्यक्ति अपने ऊपरी और निचले दांतों को पीसता है। जबड़े की तेज़ हरकतों से शोर पैदा होता है। ऐसा करने से उसके दांत (खासकर इन्सिजर्स) घिस जाते हैं और वे टूटकर गिर भी सकते हैं।
रात का ब्रक्सिज्म
ज़ाहिर है, नींद में घटने वाली इस हरकत से इसके शिकार वाकिफ़ नहीं होते। यह आदत आर.ई.एम. के दौरान न घटकर नींद के दूसरे और तीसरे स्टेज में सामने आती है। रात को 8 घंटे सोने वाला ब्रक्सिज्म का मरीज़ औसतन 15 से 40 मिनट तक अपने दांत पीसता रहता है।
चलने या फ़िर दिन वाला ब्रक्सिज्म
भले ही हमारा ध्यान उस ओर न जाता हो, लेकिन काम या पढ़ाई के दबाव में हम कसकर अपने दांत पीस या भींच लेते हैं। इसका संबंध काम के तनाव और व्यक्तिगत समस्याओं से होता है।
ब्रक्सिज्म को एक मनोदैहिक समस्या क्यों कहा जाता है?
रोज़मर्रा ज़िन्दगी की ज़िम्मेदारियों, दबाव और परेशानियों के बोझ के तले दबे लोग अक्सर अपने दांत पीसकर तनावमुक्त महसूस करते हैं।
हालांकि बहुत से लोगों का यह मानना है कि किसी डेंटिस्ट से मिलकर ब्रक्सिज्म का इलाज करवाया जा सकता है, दरअसल आपको किसी मनोवैज्ञानिक से मिलना चाहिए।
सच तो यह है कि आपको दोनों ही की ज़रूरत होती है।
जहाँ एक तरफ दांतों का डॉक्टर आपके घिस चुके या टूटे हुए दांतों में सुधार लाकर उनका इलाज करता है, वहीं दूसरी तरफ़ कोई मनोवैज्ञानिक आपकी उस आदत के कारण का पता लगाता है।
ज़ाहिर है, ऐसा करने के लिए वह रोगी के मन में तनाव, बेचैनी और चिंता पैदा करने वाली स्तिथियों का विश्लेषण करता है।
ब्रक्सिज्म से ग्रस्त लोग न ही अपनी आदत से वाकिफ़ होते हैं और न ही उसके कारण से। यह किसी मनोदैहिक विकार के लक्षण होते हैं। कभी-कभी उसका निदान तो आसान होता है, लेकिन इलाज थोड़ा जटिल।
चूंकि ब्रक्सिज्म तनाव की वजह से उत्पन्न होता है, सिरदर्द और गर्दन के दर्द आदि जैसे उसके अन्य लक्षण भी हो सकते हैं।
यूनिवर्सिटी ऑफ़ चिली ने लोगों के जीवन पर ब्रक्सिज्म के असर के बारे में एक शोध किया है।
उनके अध्ययन से यह बात सामने आई है कि कोई व्यक्ति कई वर्षों तक ब्रक्सिज्म के साये में रह सकता है। उसकी तीव्रता का सीधा संबंध उसके जीवन के दबाव या समस्याओं से होता है।
यहाँ अच्छी बात यह है कि एक बार इस बीमारी का पता चल जाने पर आपके घरवाले या यार-दोस्त दांत पीसने की आपकी आवाज़ को सुन सकते हैं या फ़िर ब्रक्सिज्म से प्रभावित व्यक्ति अपने लक्षणों का विश्लेषण कर अपना मनोवैज्ञानिक इलाज करवा सकता है।
थेरेपी के माध्यम से अपनी शंकाओं, असहजता और चिंताओं को भी वह बेझिझक व्यक्त कर सकता है। ऐसा करके अपनी ज़िन्दगी की परेशानियों से प्रभावित हुए बगैर वह उन्हें सुलझा सकता है, ताकि कहीं वह दुबारा ब्रक्सिज्म की चपेट में न आ जाए।
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ब्रक्सिज्म का इलाज और रोकथाम
दुनिया भर में ब्रक्सिज्म के ये इलाज हैं:
दांतों का इलाज
ऑक्लुसल सुधार (Occlusal adjustment) या बाईट स्पलिंट ( bite splint): रात को सोने से पहले आप बाईट स्पलिंट को अपने मुंह में रख लेते हैं। इससे आपके दांत टूटने या खराब होने से तो बच जाते हैं, पर आपकी आदत पहले जैसी ही रहती है।
मनोवैज्ञानिक ट्रीटमेंट
थेरेपी लेते व्यक्ति के लिए यह समझना बहुत ज़रूरी है कि उसके ब्रक्सिज्म के पीछे किसका हाथ है। मुश्किलों या जिम्मेदारियों का सामना करने के अपने रवैये में बदलाव लाना इस परेशानी से पार पाने की दिशा में उठाया उसका सबसे पहला कदम होता है।
दवाइयों वाला ट्रीटमेंट
अत्यधिक तनाव से पैदा होने वाले ब्रूसिस्म के मामलों में डॉक्टर चिंता भगाने वाली दवाइयों के अलावा ट्रैंक्विलाइज़र या हमारी मांसपेशियों को आराम देने वाली दवाओं का इस्तेमाल भी करते हैं।
शारीरिक ट्रीटमेंट
जब अपने दांतों को भींचने से आपके चेहरे में एक असहनीय दर्द उठने लगे तो डॉक्टर अक्सर मालिश या गर्दन और सिर वाली विश्राम तकनीकें सुझा सकते हैं।
आप दर्द को कम करने वाला इलाज भी अपनाकर देख सकते हैं, लेकिन उससे आपके ब्रक्सिज्म में कोई कमी नहीं आएगी।
ऐक्यूपंक्चर ट्रीटमेंट
छोटी-छोटी सूइयों का इस्तमाल कर कुछेक भावनाओं में सुधार लाया जा सकता है, या हमारी ऊर्जा को कोई दिशा दी जा सकती है, जिससे रोगी को आराम भी मिलता है व सोते वक़्त वह दांत भी नहीं पीसता।
रिलैक्सेशन ट्रीटमेंट
ब्रक्सिज्म से ग्रस्त किसी व्यक्ति के इलाज में योग, मेडिटेशन और ताई ची बेहद कारगर साबित हो सकते हैं। इनसे तन-मन को आराम मिलता है, और तनाव, घबराहट और बेचैनी में कमी आती है।
अंत में, अपने दांतों को दुबारा पीसने या उन पर दबाव डालने से बचने के लिए आप ये काम कर सकते हैं:
- गहरी नींद दिलाने वाले खेलकूद का अभ्यास करना।
- दोपहर में सोना।
- सोने से पहले गाने सुनने या किताब पढ़ने जैसी मनोरंजक काम करना।
- कैफीन का सेवन कम कर देना।
- रात को आरामदायक स्नान लेना।
- अपने चेहरे और गर्दन पर नम भाप सेंकना।
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