सतर्कता बरतने के लिए हाइपोथायरॉइडिज्म के 9 शुरुआती लक्षण
हाइपोथायरॉइडिज्म एक ऐसा रोग है जो थॉयराइड को प्रभावित करता है। यह ग्रंथि आपके चयापचय (metabolism) को नियंत्रित करती है, कुछ हॉर्मोन का स्राव करती है और शरीर की कई महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं का नियंत्रण करती है। इसलिए हाइपोथायरॉइडिज्म के शुरुआती लक्षणों को जान लेना जरूरी है। जितनी जल्दी से जल्दी संभव हो परिस्थिति पर नियंत्रण ही आपको इससे बचाए रखेगा।
हालांकि यह आम रोग है फिर भी यह पुरुषों की तुलना में महिलाओं को ज्यादा ग्रसित करता है। यह साधारणतः तब आक्रमण करता है जब थॉयराइड का लेवल काफी कम हो जाता है। इससे सही वजन को बनाए रखना कठिन हो जाता है।
शरीर में होने वाली दाहक प्रक्रियाओं (inflammatory processes) में परिवर्तन ही इसके प्राथमिक कारण हैं। ये बदलाव थायरॉइड ग्रंथि की कोशिकाओं की हालत बिगड़ने में मदद करते हैं।
हालांकि हरेक व्यक्ति में यह अलग-अलग विकसित होता है। अतः स्पष्ट लक्षण के अभाव में रोग की पहचान भी थोड़ी कठिन हो सकती है।
यह भी एक वजह है कि अगर जल्दी कोई लक्षण दिख जाए तो सावधान हो जाना बेहद जरूरी हो जाता है। इनमें से कुछ तो सामान्य होते हैं। लेकिन कुछ मामलों में ये संकेत दे सकते हैं कि आपमें समस्या शुरू हो रही है।
पढ़ें और इनके संबंध में जानें!
हाइपोथायरॉइडिज्म के शुरुआती लक्षण
1. थकान (Fatigue)
शारीरिक और मानसिक थकान किसी भी प्रकार की गड़बड़ी एवं स्वास्थ्य की समस्याओं से हो सकती है। लेकिन यदि आप लगातार इस स्थिति को झेल रहे हैं, तो आपको हाइपोथायरॉइडिज्म की संभावना से इनकार नहीं करना चाहिए।
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2. वजन बढ़ना (Weight gain)
आमतौर पर वजन बढ़ने के मुख्य कारण होते हैं, कुपोषण और अस्वस्थ जीवन शैली। यदि स्वास्थ्य के प्रति आपकी आदतें अच्छी हैं, फिर भी आपका वजन बढ़ रहा है तो यह थॉयराइड की समस्या हो सकती है।
यह बीमारी आपके मेटाबोलिज्म को बदल देती है। यह स्थिति जैसे-जैसे बढ़ती है वैसे ही आपमें ऊर्जा की खपत कम होने लगती है।
3. भूलने की बीमारी (Memory Loss)
जब आपका थॉयराइड उस तरह काम नहीं करता, जैसा इसे करना चाहिए, तो यह आपके संज्ञानात्म कार्य (cognitive function) के लिए गंभीर समस्या हो सकती है।
हाइपोथायरॉइडिज्म के कारण ही हार्मोन प्रणाली में असंतुलन आता है। इसके कारण आपकी मानसिक योग्यता और याददाश्त में बदलाव आ सकता है।
जैसे ही हार्मोनल का स्राव घटता है, वैसे ही आपका मस्तिष्क बड़ी सहजता से कुंद पड़ने लगता है। इससे आप अपने भीतर पनप रहे गंभीर रोगों की गिरफ्त में पहुँच सकते हैं।
4. उच्च कोलेस्ट्राल (High cholesterol)
वैसे तो विशेष तौर पर कोई डॉक्टर थॉयराइड की समस्या को हाई कोलेस्ट्रॉल के लिए दोषी नहीं मानता। फिर भी ध्यान में रखना जरूरी है कि यह हाइपोथायरॉइडिज्म का संभावित पूर्व लक्षण हो सकता है।
ऐसी स्थिति में आपका शरीर धमनियों से कोलेस्ट्रॉल को निकाल फेंकने की क्षमता खो देता है जो अंततः हाइपोथायरॉइडिज्म के बढ़ने का कारण बन जाता है।
5. कामेच्छा में कमी (decreased libido)
आपकी कामेच्छा में कमी या स्वभाविक यौन उत्साह का कम हो जाना थॉयराइड की गड़बड़ी का संकेत हो सकता है। हार्मोन के बनने में कमी अथवा अन्य परिवर्तनों के कारण यौन क्रियाओं के प्रति उदासीनता आ सकती है।
साथ ही, थॉयराइड और एड्रेनल ग्लैंड के कामकाज एक-दूसरे से घनिष्ठता से जुड़े हुए हैं। सेक्स हार्मोंन के निर्माण और नियंत्रण करने वाली कुंजी ये ही हैं।
6. मनोदशा में परिवर्तन (Changes in mood)
थॉयराइड हार्मोन के निर्माण में कमी आने से एक और दुष्प्रभाव पड़ता है। यह आपकी मनोदशा को अवसाद और तनाव की ओर धकेल देता है।
जब अन्य कारकों के कारण आपकी मनोदशा बदलने लगे, तो आप हाइपोथायरॉइडिज्म को संभावित दोषी होने से खारिज नहीं कर सकते।
7. रूखी त्वचा (Dry skin)
जिन लोगों की थॉयराइड ग्लैंड में समस्या होती है उनकी त्वचा हाइड्रेट नहीं रह सकती। खुरदरी और रूखी त्वचा सुस्त थॉयराइड एक्टिविटी का परिणाम हो सकती है।
अगर नाखून बहुत नाजुक हो गए हैं, बाल झड़ रहे हों, मामूली सा घाव न भर रहे हों तो समझ लीजिए समस्या गंभीर है।
8. धीमी पाचनक्रिया (slow digestion)
थॉयराइड हार्मोन के निर्माण में कमी के परिणामस्वरूप भी पाचनक्रिया धीमी या कब्ज हो सकती है। आपके मेटाबोलिज्म को नियंत्रित करने के लिए थॉयराइड ग्रंथि ही जिम्मेवार है। इसकी गतिविधि में कोई भी कमी आपके पाचन के लिए समस्या पैदा कर सकती है।
धीमा मेटाबोलिज्म आपके पाचन तंत्र की मांशपेशियों को कमजोर कर सकता है। इससे मलाशय (colon) में वेस्ट जमने लगते हैं।
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9. मांशपेशी का खिंचाव (muscle tension)
तनाव और मांशपेशियों में खिंचाव हेवी एक्सरसाइज करने वाले लोगों के लिए मामूली बाते हैं। अगर आपको लगता है, यह खिंचाव व्यायाम के कारण नहीं है तो यह थॉयराइड का भी लक्षण हो सकता है।
अगर आपको हाइपोथायरॉइडिज्म है तो मेटाबोलिज्म को नियंत्रित करने वाले हार्मोंन में तेजी से गिरावट आ सकती है। जॉइंट और मांशपेशियाँ कमजोर होने लगती हैं। इस पर भी निर्भर करता है कि यह कितना कष्टमय है। आप कुछ हल्के-फुल्के व्यायाम से इस दर्द पर काबू पा सकते हैं। कुछ निश्चित आहार द्वारा भी थॉयराइड को संतुलित कर सकते हैं।
इस बात का ध्यान रखें कि ये लक्षण अलग-अलग लोगों में अलग तरह से प्रकट हो सकते हैं। सारे खतरनाक लक्षणों को समझ पाना वाकई कठिन काम है। खासतौर पर जब एकाधिक लक्षण आपको एक साथ अनुभव होने लगें।
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