अपेन्डिसाइटिस : 7 लक्षण जिन्हें जानकर रखना अहम है
अपेन्डिसाइटिस जिस अंग में होता है वह अपेंडिक्स (appendix) है। यह बड़ी आंत के शुरू में ही जुड़ा हुआ छोटी नली के आकार का एक अंग है। यह पेट के निचले हिस्से में दाहिनी तरफ स्थित होता है। इसकी उपयोग क्या है, इसकी कोई जानकारी अभी नहीं है।
अपेन्डिसाइटिस तब होता है जब इसकी छोटी सी थैली में कुछ फंस जाता है। इस प्रकार दबाव बढ़ जाता है और खून के बहाव में बाधा पहुंचती है जिससे इसमें सूजन होने लगती है।
वक्त पर इसका इलाज न करवाया गया तो वह अंग फट सकता है और संक्रमण पूरे पेट में फैल सकता है। इससे जीवन के खतरे में पड़ जाने की संभावना बढ़ जाती है।
फिर भी, इस स्थिति में पहुँचने से पहले ही डॉक्टर सर्जरी द्वारा इसके खतरे को रोक सकते हैं।
10 से 30 तक की उम्र के लोगों में होना यह आम बात है। मगर यह किसी भी उम्र में हो सकता है। वैसे यह 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चे को कम ही होता है।
पेट में दर्द होना ही अपेन्डिसाइटिस की मुख्य पहचान है। हालांकि जैसे-जैसे यह बीमारी गंभीर होती जाती है, अन्य लक्षण भी प्रकट होने लगते हैं। यह बात ध्यान में रखें कि खतरनाक स्तर तक पहुँचने से पहले ही इसका इलाज जरूरी है।
अब हम इसके 7 लक्षणों पर नज़र डालेंगे जिन पर सबको ध्यान देना चाहिए
1. तेज दर्द हो सकता अपेन्डिसाइटिस का लक्षण
इस बीमारी में अक्सर पेट के निचले हिस्से में दाहिनी तरफ दर्द शुरू होता है। प्रायः इसकी तीव्रता बदलती रहती है।
यद्यपि कई मामलों में यह दर्द नाभि के आसपास या फिर पीठ के निचले हिस्से में उठता है।
यह दर्द तब और भी भयानक स्थिति में पहुंच जाता है जब छींकने या खांसने के कारण पैर या पेट हिलते हैं।
2. बुखार और सर्दी जुकाम
इस बीमारी का लक्षण पेट में वायरस होने के लक्षण से मिलता-जुलता हो सकता है। पेट दर्द के साथ साथ आपको बुखार, सर्दी जुकाम और कंपकंपी का भी अनुभव हो सकता है।
शारीरिक तापमान के अत्यधिक बढ़ जाने के साथ – साथ असहनीय पेट दर्द होने लगे तो डॉक्टर आपको आपात चिकित्सा करने की चेतावनी देते हैं। इससे पेट की भीतरी दीवार पर होने वाली सूजन और जलन, पेरिटोनिटिस आदि की जटिलताओं को रोका जा सकता है।
वैसे आप जान लें कि इसकी अधिकांश घटनाएं औसतन 99.5 या 100.5 डिग्री फारेनहाइट में ही घटित होती हैं।
3. जी मिचलाना, उल्टी और भूख में कमी
जब अपेन्डिसाइटिस बढ़ रहा होता है तब जी मिचलाना, उल्टी और भूख में कमी जैसे तीन लक्षण एक साथ प्रकट होते हैं।
90% मामलों के लक्षण एक जैसे होते हैं। साधारण तौर पर इसकी शुरुआत पेट के निचले हिस्से में दर्द से होती है।
मुश्किल यह है कि ज्यादातर लोग इस बीमारी को नजरअंदाज कर देते हैं। ऐसा इसलिए होता है कि अन्य मेडिकल मामलों जैसे ही इसके लक्षण मिलते – जुलते होते हैं।
अगर आपको ये लक्षण बार-बार महसूस हो या दिन भर इससे परेशान हैं, तो तुरंत डॉक्टर से रोग की पहचान करवाएं।
4. कब्ज या दस्त हो सकता है अपेन्डिसाइटिस का लक्षण
अपेन्डिसाइटिस के रोगी को कब्ज या दस्त होना आम बात है।
अन्य लक्षणों की तरह ये भी सामान्य हो सकते हैं। जरूरी नहीं कि निश्चित रूप से खतरनाक हों। फिर भी दूसरी शिकायतों के साथ ये लक्षण दिखें तो बेहतर यही होगा कि किसी पेशेवर डॉक्टर से जांच करवा लें।
5. गैस और सूजन
विभिन्न प्रकार के भोजन ही आंतों में गैस और सूजन होने के कारण होते हैं। लेकिन किसी स्पष्ट कारण के बिना गैस और सूजन एक ही साथ सताने लगे तो, सावधान हो जाइए।
अपेंडिक्स में लगातार सूजन, जलन और गैस के साथ पेट में दर्द का कारण हो सकता है।
6. भूख की कमी
अच्छा-खासा खाते रहने वाले व्यक्ति की भूख अचानक कम हो जाए, तो उन्हें अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए कि उन्हें भूख क्यों नहीं लग रही है।
कई पुरानी बीमारियों जैसे – कोलोन कैंसर, अपेन्डिसाइटिस के कारण भी भूख में कमी आ सकती है।
यद्यपि हमेशा इसका ये मतलब नहीं है कि आपको कोई गंभीर समस्या है। लेकिन बेहतर यही होता है कि आप इस ओर से सजग रहें और अपने डॉक्टर से मिलें।
7. पेट पर हाथ से दबाने पर होनेवाला दर्द
जब आप पेट के निचले हिस्से में दाहिनी तरफ ठीक वहां जहां दर्द केंद्रित है हाथ से दबाते हैं तब हाथ हटाने के बाद भी वहां दर्द उभरता रहे तो यह अपेंडिसाइटिस का ही लक्षण है।
यह बहुत जरूरी है कि आप दर्द वाली जगह पर अत्यधिक दबाव न डालें। नहीं तो अपेंडिक्स की समस्या अधिक गंभीर हो सकती है।
प्रभावित जगह को दबाव से मुक्त करने के बाद भी दर्द होता रहे तो तुरंत आपको डॉक्टर के पास जाना चाहिए।
अगर उन्हें लगता है कि आपको अपेन्डिसाइटिस है, तो तत्काल किसी विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए। वे ही आपको उचित जांच और इलाज की सलाह देंगे। अगर अपेंडिक्स के सूजन का पता चल जाए तो सर्जिकल प्रक्रिया को ही अपनाना चाहिए। इस प्रक्रिया द्वारा एक हल्के चीरा के साथ उसे निकाल दिया जाता है।
इसके सिवाय, खतरनाक संक्रमण को रोकने के लिए इंट्रावेनस एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग किया जा सकता है।
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