6 लक्षण त्वचा कैंसर के जिन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए
त्वचा कैंसर के लक्षणों को नजरअंदाज न करना बहुत ही अहम है। हाल के वर्षों में त्वचा कैंसर के रोगियों की संख्या खतरनाक रूप से बढ़ी है। यह अक्सर 50 से ऊपर के वयस्कों को प्रभावित करता है। पर कम उम्र के लोगों में भी इसके विकसित होने का खतरा होता है।
त्वचा कैंसर सूरज की किरणों में मौजूद रेडिएशन के लगातार संपर्क से जुड़ा है, लेकिन यह एपिथेलियल सेल में डीएनए म्यूटेशन के कारण भी हो सकता है।
त्वचा कैंसर सबसे आम किस्म के कैंसर में से एक होने के बावजूद इसमें मृत्यु दर में काफी गिरावट आई है। इससे जुड़े इलाज अब विकसित और उन्नत हुए हैं और आप सही समय पर आसानी से डायग्नोसिस कर सकते हैं। इसे जल्दी पकड़ने के लिए त्वचा कैंसर के लक्षणों पर ध्यान दें।
त्वचा कैंसर के ज्यादातर मामले गैर-मेलानोमा (non-melanoma) किस्म के होते हैं। इन्हें ज्यादा प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है क्योंकि यह सेलुलर बेस को नहीं बदलता है।
जितनी जल्दी हो सके त्वचा कैंसर के लक्षणों को पहचानना ज़रूरी होता है। त्वचा कैंसर के ज्यादा खतरनाक रूप लेने से बचने का रहस्य इसका जल्द से जल्द पता लगाने में है।
इस कारण हम त्वचा कैंसर के 6 लक्षणों की चर्चा करेंगे जिन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
आइये शुरू करते हैं!
1. तिल या मस्से का उभरना (Appearance of moles)
नए मस्से का उभरना, खासकर अनियमित आकार वाले मस्से का, त्वचा कैंसर के मुख्य लक्षणों में से एक है।
ये आमतौर पर अचानक दिखाई देते हैं, आकार, रंग-रूप और बनावट में अस्वाभाविक, ध्यान देने योग्य बदलावों के साथ ।
इनमें कुछ तो लाल रंग के धब्बे के रूप में दिखाई दे सकते हैं, पर दूसरे कुछ फूले हुए टेक्सचर और और गहरे रंग के साथ।
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2. मौजूदा मस्सों में बदलाव (Changes in existing moles)
किसी भी परिस्थिति में पहले से मौजूद मस्सों या तिल में किसी किस्म के बदलाव को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। जैसा कि पहले बताया गया है, समय के साथ इनमें होने वाले किसी भी बदलाव पर ध्यान दें।
डॉक्टरों ने “अल्फाबेट रूल” या “ABCDE” बनया है जिसमें उन अहम बदलावों का उल्लेख किया गया है जिस पर ध्यान रखा जाना चाहिए।
- असमानता के लिए A (A for asymmetry): यह उस मोल्स का जिक्र करता है, जहां उसका आधा हिस्सा दूसरे आधे हिस्से से मेल नहीं खाता है।
- बॉर्डर के लिए B (B for border): मोल्स के किनारे अनियमित, विकृत या अस्पष्ट दिखाई देते हैं।
- रंग के लिए C (C for color): मोल्स रंग में ध्यान देने योग्य बदलाव दिखेंगे। वे गहरे रंग के हो सकते हैं, बहुरंगी या फीके दिखाई पड़ सकते हैं। आपको उसमें अलग-अलग रंगों के शेड्स भी दिख सकते हैं, जैसे नीला, लाल, गुलाबी या ग्रे।
- डायमीटर के लिए D (D for diameter): मेलानोमा 6 मिलीमीटर तक चौड़े हो सकते हैं। वे कभी-कभी बहुत छोटे दिखाई दे सकते हैं।
- ऊंचाई के लिए E (E for elevation): तिल की सतह उभरी हुई या अनियमित हो सकती है।
3. न भरने वाले घाव त्वचा कैंसर के लक्षण हो सकते हैं
स्वस्थ स्किन सेल्स के मामले में डर्मिस में कुछ ही समय में चोटों या घावों को फिर से भरने और ठीक करने की क्षमता होती है।
लेकिन ऐसा तब नहीं होता जब स्किन सेल्स मेलिग्नैंट हो जाती हैं। उनकी हीलिंग क्षमता कम हो जाती है और यहां तक कि सबसे छोटे घावों को पूरी तरह से ठीक करना मुश्किल हो जाता है।
यदि आपको खुले घाव दिखाई दें जो कुछ समय बाद ठीक नहीं हो रहे हैं, तो यह त्वचा कैंसर का लक्षण हो सकता है।
4. ऐसे धब्बे जो फैलते हैं (Spots that spread)
त्वचा पर धब्बे का उभरना कई बाहरी और अंदरूनी कारणों से हो सकता है। हालांकि जिस तरह से वे विकसित होते हैं वह संकेत दे सकता है कि क्या वे इस प्रकार के कैंसर से जुड़े हैं।
उदाहरण के लिए अगर धब्बे तिल से आसपास की त्वचा पर फैलने लगें तो इसकी जाँच कराना ज़रूरी है। यह आपकी सेल्स की सेहत में बदलाव के कारण हो सकता है।
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5. लाली और सूजन (Redness and swelling)
मैलिग्नैंट सेल्स एक एंटी इन्फ्लेमेटरी रिएक्शन को ट्रिगर करती हैं जो मोल्स और आसपास के क्षेत्र में ध्यान देने योग्य बदलाव लाता है।
यह आमतौर पर तिल के बॉर्डर से बाहर जाता है और लालिमा समेत ऐसे लक्षणों के साथ होता है जो अक्सर आम स्किन इर्रिटेशन के समान होते हैं।
हालांकि आम स्किन इर्रिटेशन से अलग वे लगातार बने रहते हैं हर दिन और बदतर होते जाते हैं।
6. संवेदनशीलता और दर्द
दूसरी स्थितियों में भी त्वचा की संवेदनशीलता में बदलाव ला सकती है, पर यह त्वचा कैंसर का लक्षण भी हो सकती हैं।
डॉक्टर को एब्नार्मल सेल डेवलपमेंट के संकेतों का मूल्यांकन करना चाहिए जैसे कि बार-बार होने वाली खुजली, स्पर्श करने पर दर्द और जलन।
ऊपर बताये गए लक्षणों में से किसी को भी नोटिस करने पर तुरंत अपने डॉक्टर से सलाह लें यह जानने के लिए कि कहीं वे वे इस बीमारी से तो नहीं जुड़ी हैं।
याद रखें, शुरू में ही समय पर पहचान करना असरदार इलाज की कुंजी है।
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