जानिए कि हल्दी कैंसर‌ का‌ प्रतिरोध ‌कैसे करती है

अपने चमकीले रंग और विशिष्ट स्वाद के साथ हल्दी महज एक मसाला नहीं है। इस पर हुए रिसर्च इसके कुछ गुणों की ओर इशारा करते हैं जो कैंसर की रोकथाम और उससे लड़ने में ताकतवर हथियार हो सकते हैं।
जानिए कि हल्दी कैंसर‌ का‌ प्रतिरोध ‌कैसे करती है

आखिरी अपडेट: 01 मार्च, 2019

आप‌‌ हल्दी के चमकदार ‌पीले रंग और तेज, विशिष्ट स्वाद से परिचित हैं जो आपके ‌भोजन‌ को खास रंगत देती है। फिर भी, क्या आप जानते हैं कि हल्दी में कैंसर‌ से लड़ने की क्षमता है?

आज, हम आपको हल्दी (Turmeric) में मौजूद एक मुख्य अवयव, करक्यूमिन (curcumin) के गुणों को लेकर हुई कुछ दिलचस्प स्टडी के बारे में बताएंगे।

हल्दी, एक प्राचीन औषधि (Turmeric, an ancient remedy)

मूलतः भारत‌ में पाए ‌जाने वाले करक्यूमा लोंगा  (Curcuma longa) नाम के पौधे ‌से हल्दी उत्पन्न ‌होती है। भारत के लोग सैकड़ों सालों से हल्दी का उपयोग अपने भोजन को स्वादिष्ट बनाने के लिए करते आए हैं। अब इसका उपयोग आपको पूरी दुनिया में हर तरह के भोजन में देखने को मिल सकता है।

इसके अलावा, यह‌ अपने औषधीय गुणों के कारण भी ‌विख्यात है। विविध वैज्ञानिक शोधों से इसमें छिपे एक खास गुण की झलक मिलती है– वह है कैंसर से लड़ने की योग्यता।

हालांकि,‌‌ इसमें आपके लीवर को विभिन्न रोगों से रक्षा करने की भी क्षमता है। खासतौर से  सिरोसिस (cirrhosis) से जिससे लीवर प्रभावित होता है। ऐसा इसलिए कि हल्दी में सूजनरोधी (anti-inflammatory) गुण पाया जाता है।

फ्रंटियर्स पत्रिका में प्रकाशित एक लेख से यह पता चलता है कि इस मसाले में काफी चिकित्सकीय गुण मौजूद हैं। यह रोगाणुरोधी, एंटीऑक्सिडेंट और वायरसरोधी है। इसके अतिरिक्त, यह अल्जाइमर्स जैसी अपक्षयी बीमारी (Alzheimer’s disease) के इलाज में भी सहायक है

करक्यूमिन : गांठरोधी क्षमता (Curcumin: anti-tumor power)

हल्दी का लगातार उपयोग कैंसर रोकने में सहायक हो सकता है।

यह‌ चमत्कारी मसाला आपके शरीर में जो एक आश्चर्यजनक काम करता है, वह है, क्रॉनिक सूजन और डीएनए की क्षति को रोकना। केवल इतना ही नहीं, यह आपकी कोशिकाओं में संभावित समस्याओं को भी कम करता है।

शोध से पता चलता है कि करक्यूमिन कैंसर के विकास में बाधक है। हालांकि, वैज्ञानिकों को इसकी खुराक के बारे में अभी तक पता नहीं है। कुछ डाॅक्टरों का कहना है कि कैंसर की कोशिकाओं को खत्म करने, रोग के विकसित होने‌ और फैलने से रोकने के लिए दिन भर में 3.6 ग्राम लेना चाहिए।

नई खोज के अनुसार, कैंसर की कोशिकाओं के आक्रमण को रोकने और फैलने से बचाने में इस मसाले की क्षमता बेजोड़ है। इनके अलावा, यह प्रोटीन को सक्रिय करके रोग को प्राकृतिक रूप से बढ़ने से रोकता है और ट्यूमर को बनने से रोकता है। अतः जिन्हें पहले से ही कैंसर है वे मेटास्टेसिस को रोकने के लिए हल्दी ‌का उपयोग कर सकते हैं।

पहले से ही करक्यूमिन से किया गया उपचार कीमोथेरेपी या रेडिएशन के असर को बढ़ाता है खासतौर से अंडाशय (ovarian cancer) और लीवर कैंसर में।

पूरी तरह फैले हुए अग्नाशय (pancreas) कैंसर से ग्रस्त रोगियों के एक समूह को चिकित्सा पूरक के तौर पर हर दिन 400 मिलिग्राम करक्यूमिन की खुराक दी गई। इस मसाले के उपयोग से उनका ट्यूमर सिकुड़ कर सामान्य हो गया‌ और विषैलेपन का कोई चिह्न ‌नहीं बचा।

हल्दी और वक्ष कैंसर (Turmeric and breast cancer)

हल्दी जो वक्ष कैंसर का प्रतिरोध करे

इस ख़तरनाक रोग के बारे में अमेरिकन कैंसर ‌सोसायटी ने कई‌ शोध प्रकाशित किए हैं। इस शोध में हल्दी को कैंसर से लड़ने के लिए ‘सूपरस्टार्स’ की संज्ञा दी गई है।

शोधार्थियों ने स्पष्ट किया है कि करक्यूमिन में ऐसी क्षमता है जो एपाॅपटोसिस (कार्यक्रम बद्ध सेल डेथ) की प्रक्रिया को प्रभावित करता है। मूलतः इसका अर्थ यह हुआ कि जब कैंसर को विकसित होने का समुचित वातावरण नहीं मिलता तो वह स्वयं नष्ट होने लगता है। यहां हल्दी के साथ चलने वाली क्रियाविधि काफी जटिल है क्योंकि इसमें तात्कालिक मॉलिक्यूलर रिएक्शन धारण करने की क्षमता होती है। फिर भी, हम सारांश के रूप में कह सकते हैं : ‘अगर सूजन (inflammation) घटने लगे, तो समझिए कि कैंसर की स्थिति से सुधार हो रहा है।’

डाॅक्टरों का कहना है कि यह मसाला इस रोग के निवारक‌ के रूप में उल्लेखनीय है। हालांकि, यह उनलोगों के लिए भी कारगर है जो कैंसर ग्रस्त हैं। ऐसा इसीलिए है क्योंकि यह आपके शरीर को कैंसर के इलाज से बचाने का‌ काम करता है।

हम हल्दी के उपकार का फायदा कैसे ले सकते हैं?

आप हर तरह के व्यंजन में इस मसाले का उपयोग कर सकते हैं। यह न केवल अधिक सुस्वादु है, बल्कि उचित मात्रा में करक्यूमिन का उपयोग करके कैंसर को रोकने में भी‌ समर्थ है।

विकल्प के तौर पर :

चावल

हल्दी : चावल के साथ मिलाकर खा सकते हैं

यह भारतीय व्यंजन का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है। फिर भी, हम आपको बासमती और उबले चावल की सिफारिश करेंगे क्योंकि ये अधिक पौष्टिक और आसानी से पचने वाले होते हैं।

चावल पक जाने के बाद उसमें एक‌ चम्मच हल्दी मिला लें। आप चाहें तो इसमें धनिया और काली मिर्च भी मिला सकते हैं।

अंडे

तले हुए अंडे या आमलेट‌‌ को स्वादिष्ट बनाने के लिए इसमें थोड़ा ऑलिव ऑयल (जैतून का तेल), एक चुटकी नमक, थोड़ी सी काली मिर्च और हल्दी मिला सकते हैं।

फलियां

मसालेदार फलियों का तड़का भारत में बहुत प्रचलित है। पकने के बाद इसमें नारियल का तेल, काली मिर्च और हल्दी मिला लें। यह गरबैनज़ोस (garbanzos) अथवा अन्य फलियाें के साथ भी मिलाया ‌जा सकता है।

चाय

गर्म दिनों के लिए हल्दी के साथ ताजा बर्फ वाली चाय बनाएँ। फिर इसमें शहद या नींबू का रस और बर्फ का क्यूब डाल दें। अगर आप पसंद करते हों तो इसमें थोड़ी ‌काली मिर्च भी ‌मिला‌ दें।

स्मूदी

हल्दी : स्मूदी बनाकर पीएं

आपको चाहिए कि केला, शहद, नींबू और हल्दी और आपके पास तैयार है स्वादिष्ट और पौष्टिक स्मूदी।

गोल्डन मिल्क (सुनहरा दूध) :

यह पेय हल्दी पेस्ट, पानी और बादाम तेल (almond oil) से तैयार है। फिर इसे दूध (बादाम का दूध ‌सबसे अच्छा है),‌ शहद और दालचीनी में मिला ‌दें। सोने से पहले इसे पियें और मांसपेशी एवं जोड़ों के दर्द से आराम पाएँ।



  • Shishodia, S., Chaturvedi, M. M., & Aggarwal, B. B. (2007). Role of Curcumin in Cancer Therapy. Current Problems in Cancer. https://doi.org/10.1016/j.currproblcancer.2007.04.001

  • Jurenka, J. S. (2009). Anti-inflammatory properties of curcumin, a major constituent of Curcuma longa: A review of preclinical and clinical research. Alternative Medicine Review.

  • Kuttan, R., Bhanumathy, P., Nirmala, K., & George, M. C. (1985). Potential anticancer activity of turmeric (Curcuma longa). Cancer Letters. https://doi.org/10.1016/0304-3835(85)90159-4


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