10 लक्षण ल्यूकेमिया के, जिन्हें हम कर देते हैं नज़रअंदाज
ल्यूकेमिया एक तरह का कैंसर है जो शरीर में ख़ून बनाने वाले टिश्यू को प्रभावित करता है। इसका व्हाइट ब्लड सेल यानी श्वेत रक्त कोशिकाओं पर सीधा प्रभाव पड़ता है क्योंकि इसके कारण पर्याप्त संख्या में व्हाइट ब्लड सेल नहीं बनती हैं।
व्हाइट ब्लड सेल शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली का अहम अंग हैं। वे शरीर की आवश्यकता अनुसार विभाजित होती हैं और वृद्धि करती हैं।
वहीं, ल्यूकेमिया (Leukemia) के रोगियों में बोन मैरो इनका अनियमित रूप से निर्माण करने लगती है। निर्माण हने के बावजूद व्हाइट ब्लड सेल शरीर की सुरक्षा नहीं कर पाती हैं क्योंकि वे दोषपूर्ण होती हैं।
जैसे-जैसे कैंसर फैलता जाता है, अन्य रक्त कोशिकाओं जैसे कि रेड ब्लड सेल और प्लैटलेट्स में भी गड़बड़ी शुरू हो जाती है।
यह वह चरण है जिसमें एनीमिया (ख़ून की कमी), रक्तस्राव (hemorrhages) की समस्या गंभीर हो जाती है। इसके अलावा कई अन्य तरह के संक्रमणों के संपर्क में आने का जोख़िम भी बढ़ जाता है।
सबसे ज़्यादा चिंता वाली बात यह है कि अधिकतर लोग या तो ल्यूकेमिया के लक्षणों के बारे में जानते नहीं हैं या फिर उन्हें किसी और रोग का लक्षण मान बैठते हैं।
इसी कारण हम यहां आप के साथ एक लिस्ट शेयर कर रहे हैं। आपको इन 10 क्लिनिकल लक्षणों को नज़रअंदाज नहीं करना चाहिए।
1. त्वचा पर बैंगनी या लाल चकत्ते
इसे चिकित्सा की दुनिया में पेटेकिया (petechiae) के नाम से जाना जाता है। ये समूह में पाए जाने वाले बैंगनी या लाल चकत्ते होते हैं जो आम तौर पर छाती, पीठ या बांहों पर नज़र आते हैं।
ये तब बनते हैं जब ख़ून का थक्का जम जाता है और उसका प्रवाह सामान्य रूप से नहीं होता है। लोग अक्सर इन्हें त्वचा पर बने चकत्ते मानने की भूल कर बैठते हैं।
2. हड्डी या जोड़ में दर्द
कई बीमारियां ऐसी हैं जिनके कारण हड्डी या जोड़ों में दर्द हो सकता है। ल्यूकेमिया के मामले में दर्द का कारण दोषपूर्ण व्हाइट ब्लड सेल का एकत्र होना होता है।
इसमें प्रभावित हिस्से पर निर्भर करते हुए रोगी अलग-अलग तीव्रता का तेज़ या हल्का दर्द महसूस करते हैं।
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3. सिर दर्द
सिर का दर्द भी ल्यूकेमिया का सबसे ज़्यादा नज़रअंदाज किया जाने वाला लक्षण है। गंभीर ल्यूकेमिया के मामलों में यह विशेष तौर पर होता है। यह अक्सर बहुत तेज़ और देर तक रहता है।
सिर दर्द तब होता है जब मस्तिष्क और मेरुदण्ड (spinal chord) तक रक्त प्रवाह बाधित हो जाता है। कुछ वैसा ही जैसा माइग्रेन के मामले में रक्त वाहिकाओं के सिकुड़ने के कारण होता है।
4. ग्रंथियों में सूजन
जब ल्यूकेमिया में व्हाइट ब्लड सेल और रेड ब्लड सेल का उत्पादन प्रभावित हो जाता है तो शरीर की संक्रमणों से लड़ने की क्षमता भी कमज़ोर पड़ जाती है।
इस स्थिति में सूजन की प्रक्रिया में बदलाव आ जाता है और ग्रंथियां (glands) और लिम्फ नोड सूज जाते हैं। लिम्फ नोड छोटी, दर्दरहित गांठें हैं जो कि नीले या बैंगनी रंग की होती हैं।
5. कमजोरी और थकावट
जब आप कमज़ोरी और थकान महसूस करते हैं तो शायद ही आपके ज़ेहन में ल्यूकेमिया का खयाल आता है। लेकिन इन संकेतों को हल्के में नहीं लेना चाहिए क्योंकि ये भी बीमारी के संकेत हैं।
स्वस्थ रेड ब्लड सेल में बीमारी लग जाने से शरीर की ऑक्सीजन और पोषक तत्वों को ट्रांसपोर्ट करने की क्षमता प्रभावित होती है जिससे ख़ून की कमी (Anemia) हो जाती है और लगातार थकान का अनुभव होता है।
6. असामान्य रक्तस्राव
कई तरह के असामान्य और अकारण रक्तस्राव ल्यूकेमिया के स्पष्ट संकेत हो सकते हैं। ब्लड प्लैटलेट्स की कम संख्या ख़ून का थक्का जमने (Blood coagulation) की क्षमता को प्रभावित करती है जिससे रक्तस्राव की आशंका बढ़ जाती है।
7. बुखार और बार-बार संक्रमण होना
ल्यूकेमिया के कारण प्रतिरक्षा प्रणाली की रोगाणुओं से लड़ने की क्षमता कमज़ोर हो जाती है। इससे संक्रमण होने लगते हैं।
इसी कारण, ल्यूकेमिया के रोगियों को लगातार बुखार और श्वसन से संबंधित संक्रमण जैसे कि ज़ुकाम (फ्लू) रहता है।
मूल बात यह है कि कैंसरयुक्त ब्लड सेल के कारण व्हाइट ब्लड सेल वायरस या बैक्टीरिया से लड़ना बंद कर देती हैं।
8.अकारण वज़न घटना
जैसा कि कैंसर के अन्य मामलों में होता है, ल्यूकेमिया के रोगियों का वज़न अकारण बहुत तेज़ी से घट सकता है।
ऐसा रोगी को होने वाले साइड इफेक्ट जैसे कि अत्यधिक थकान और भूख न लगने के कारण भी हो सकता है।
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9. सांस फूलना
सांस फूलना या सांस लेने में परेशानी कोशिकाओं तक कम ऑक्सीजन पहुंचने के कारण होती है। ऐसा रक्त प्रवाह में गड़बड़ी के कारण होता है।
कुछ लोग सांसों की लय ठीक नहीं कर पाते हैं। वहीं, कुछ लोगों को लगता है कि वे अपनी पूरी क्षमता से सांस नहीं ले पाते हैं।
10. पेट दर्द या सूजन
ल्यूकेमिया का फैलाव होने पर लीवर या स्प्लीन में सूजन आ जाती है जिससे बार-बार पेट दर्द (abdominal pain) होता है या फिर पसलियों के नीचे भारीपन महसूस होता है।
यहां तक कि कुछ रोगियों को कमर (lower back area ) में दर्द हो सकता है या मतली (nausea), उल्टी और आंत की गतिविधियों में बदलाव महसूस होता है।
हाल के वर्षों में ल्यूकेमिया के ट्रीटमेंट ने महत्वपूर्ण प्रगति की है। हालांकि उपचार की सफलता बहुत हद तक कैंसर का जल्द पता लगने पर निर्भर है।
इसी कारण आपको ऊपर बताए गए लक्षणों पर बारीकी से नज़र रखनी चाहिए, चाहे वे किसी कम गंभीर समस्या के कारण ही क्यों न हुए हों।
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