एक्सरसाइज में क्या बेहतर होगा: ज्यादा वेट लेना या ज्यादा दोहराव?
अपने टार्गेट के आधार पर एक या दूसरा विकल्प चुनना चाहिए, क्योंकि हमें कुछ मामले में मसल्स हासिल करने और वजन घटाने में अलग-अलग एक्सरसाइज रूटीन अपनाने की जरूरत होती है। जो भी जिम जाता है या घर पर एक्सरसाइज करता है उसने बेशक कभी न कभी यह सवाल खुद से पूछा होगा : व्यायाम करते वक्त क्या बेहतर होता है? ज्यादा वेट लेना या ज्यादा दोहराव?
सब कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि हमारा उद्देश्य क्या है। ज्यादा जानने के लिए इस आर्टिकल को पढ़ते रहें।
मुझे ज्यादा वेट लेना चाहिए या ज्यादा दोहराव करना चाहिए?
यह कहा जा सकता है कि यह मिलियन डॉलर का सवाल है, और यह दूसरे सवालों के साथ उठाता है, जैसे कि मसल्स हासिल करने, उन्हें मजबूत करने के लिए सबसे असरदार तरीका क्या है या मैं तेजी से वजन कैसे घटा सकता हूं।
- सबसे पहले हमें कुछ महत्वपूर्ण बातों को जान लेना चाहिए: जिम में प्रोग्रेस करने और अपने एथलेटिक और फिजिकल टार्गेट को पाने के लिए हम हमेशा एक ही तरीके से ट्रेनिंग नहीं ले सकते।
- इसका मतलब है कि कुछ दिनों के अन्तराल पर कुछ बादलाव या सुधार करना जरूरी होता है।
अगर हम हमेशा एक ही वेट उठाएंगे, एक ही उतने ही बार दोहराएंगे या हम एक ही स्पीड से दौड़ेंगे या वाकिंग करेंगे तो शरीर इसका आदी हो जाता है और एक “थ्रेशोल्ड” या सीमा तक पहुंच जाता है।
इसका मतलब है आपने टार्गेट पा लिया है और इससे ज्यादा मशक्कत की जरूरत नहीं है। इस तरह इस आदत का नतीजा यह होगा कि अब आगे कोई रिजल्ट या बदलाव देखने को नहीं मिलेगा।
वैसे तो शरीर एक्सरसाइज के लिए तेजी से रेजिस्टेंट होता है (और यह अच्छी खबर है) पर हम एक ही रूटीन पर टिक कर नहीं रह सकते हैं। क्योंकि सबसे ज्यादा दरअसल यह बहुत बोरिंग होता है।
वैरिवेशन जरूरी है क्योंकि वे हमें अपने टार्गेट को सुधारने, उसे पाने की सहूलियत देते हैं या कम से कम उनके करीब ले जाते हैं।
यदि हम ज्यादा मसल्स बढ़ाना चाहें तो हम जितना इस्तेमाल कर रहे हैं उससे ज्यादा वेट उठाना होगा।
हमारे द्वारा किए जाने वाले रेपिटेशन के नंबर से कोई फर्क नहीं पड़ता, बल्कि किलो के नंबर से पड़ता है जिसे हम बार में या मशीन में लगा सकते हैं। प्रोग्रेस बहुत महत्वपूर्ण है, यह देखते हुए कि शरीर इसका आदी हो जाता है।
पर सावधान रहें, इससे अ खुद पर बहुत स्ट्रेस नहीं देना चाहिए क्योंकि इससे मसल्स और जॉइन्ट जखमी हो सकते हैं, जो तकलीफदेह तो होगा ही, हमारे टार्गेट से हमें दूर कर देगा।
एक ही बार में बहुत ज्यादा वजन जोड़ लेना उचित नहीं है, धीरे-धीरे इसे बढ़ाना चाहिए।
ज्यादा रेपिटेशन = ज्यादा प्रोग्रेस?
जहां तक बात रेपिटेशन की है, तो शायद हमें इसकी “अनुमति” होती है कि हम उन्हें अपनी पसंद के अनुसार बदल सकें और अगर हम ज्यादा वेट उठा रहे हैं तो रेपिटेशन को घटा भी सकते हैं।
समस्या यह है कि, इसके ठीक बाद शरीर फिर से आराम की स्थिति में आ जाता है (एक सीमा पर पहुंच जाता है) और अगर हम कोई बदलाव या सुधार नहीं करेंगे तो उससे आगे नहीं बढ़ेंगे।
लोड बढ़ाने के बजाय एक ही वेट के साथ ज्यादा बार दोहराने की सलाह दी जाती है। जब वह वेट और वे रेपिटेशन आपके लिए चैलेन्ज न रह जाएँ तो एक या दूसरे वैरिएबल को बदल दें।
दोहराव की बदौलत आप मजबूत हो जायेंगे क्योंकि मसल्स डेवेलप होंगे और आप थकान के प्रति ज्यादा रेजिस्टेंट हो जायेंगे। इसके अलावा, आप ज्यादा फैट और कैलोरी जलाएंगे।
दोहराव बढ़ाना हमेशा वजन बढाने के साथ नहीं होता बल्कि इन्हें अदल-बदल कर कर सकते हैं।
वेट लिफ्टिंग की एक अच्छी टेकनीक यह है कि लोड कम हो लेकिन दोहराव ज्यादा बार किया जाए। इस तरह हम मूवमेंट पर फोकस करेंगे और बिना किसी तैयारी के ज्यादा वजन से होने वाली चोटों से भी बचेंगे।
वेट लिफ्टिंग में 16 रेपिटेशन से ज्यादा न करने की सिफारिश की जाती है। यदि यह कम लगे तो इसका कारण यह है कि आपको वजन बढ़ाने की जरूरत है।
स्टेप दर स्टेप आगे बढ़ने के लिए अहम बात अदल-बदल कर करना है। जैसे कि आप ज्यादा वजन उठा सकते हैं आप दोहराव की संख्या बढ़ा सकते हैं और इसके उलट।
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स्ट्रेंथ हासिल करने के लिए क्या : ज्यादा वजन या ज्यादा दोहराव?
फिटनेस की दुनिया में हाइपरट्रॉफी (ज्यादा मसल्स) मुख्य लक्ष्यों में से एक है।
इसके लिए हमें मसल डैमेज की स्थिति पैदा करनी चाहिए, जो प्रोटीन सिंथेसिस और मसल फाइबर के निर्माण (वसूली प्रक्रिया के दौरान) की ओर ले जाता है।
- इस प्रक्रिया को तीन फैक्टर प्रभावित करते हैं: मेकेनिकल स्ट्रेस, मेटाबोलिक स्ट्रेस और मसल डैमेजे।
- मसल मास डेवेलप करने के लिए हमें 1 से 3 मिनट के ब्रेक पर 3 और 5 के बीच सेट वाले 12 रेपिटेशन करने चाहिए।
स्ट्रेंथ और रेपिटेशन वे दूसरे दो पिलर हैं जो एथलीटों का लक्ष्य होते हैं।
वेट सीरीज का कॉम्बिनेशन इस बात पर निर्भर करता है कि हम क्या हासिल करना चाहते हैं।
- स्ट्रेंथ पैदा करने के लिए अधिकतम क्षमता के साथ 1 से 3 दोहराव वाले 4 से 8 से तक उठाने की सिफारिश की जाती है।
- दूसरी ओर रेजिस्टेंस बढाने के लिए भार कम किया जाना चाहिए और दोहराव बढ़ाना चाहिए (12 और 16 के बीच)।
हाई लोड वाले सेशन स्ट्रेंथ बढ़ाते हैं, लेकिन ऐसी ट्रेनिंग के अपने नतीजे और रिस्क हो सकते हैं। उदाहरण के लिए यह चोटों या नेगेटिव एडाप्टेशन का कारण बनता है।
कम लोड कम “नुकसानदेह” होते हैं, लेकिन नतीजे छोटे हैं।
जब तक वे प्लानिंग और गाइडेंस के साथ किए जाएँ दोनों में से कोई भी एक्सरसाइज हेल्दी हो सकती है।
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फैट जलाने के लिए: ज्यादा वेट या ज्यादा रेपिटेशन?
जिम में उठाने वाला यह भी सबसे आम सवाल है।
हालाँकि इस मामले में कई मिथक हैं, सच्चाई यह है कि सही वजन और दोहराव के साथ एक्सरसाइज करना और कुछ हफ्तों में बढ़ाना (हमारी प्रोग्रेस के अनुसार) ठीक होता है।
बहुत से लोग एरोबिक एक्सरसाइज (उदाहरण के लिए ट्रेडमिल या साइकिल) के कैलोरी बर्न को जोड़ते हैं, वेट लिफ्टिंग के सेशन से नहीं।
वास्तविकता यह है कि दोनों आपके वेट लॉस टार्गेट को पाने के लिए एक-दूसरे के कॉम्प्लीमेंट हो सकते हैं।
यह सच नहीं है कि हम ज्यादा रेपिटेशन करके ज्यादा फैट जलाएंगे। सब कुछ उस तीव्रता पर निर्भर करता है जो हम ट्रेनिंग में लगा रहे हैं।
- हाई लोड और कुछ दोहराव के परिणाम ज्यादा मसल्स बनने और कम फैट के रूप में दिखता है।
अगर कैलोरी जलाना और मसल्स हासिल करना चाहते हैं, तो बेहतर है कि कम वजन के बजाय हाई लोड के साथ दोहराव करें।
हालांकि अगर आपका एकमात्र लक्ष्य वजन घटाना है, तो कम भार वाले ज्यादा सेट की सिफारिश की जाती है।
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