सबएरेक्नॉइड और सबड्यूरल हेमरिज

कुछ स्ट्रोक गलत लाइफस्टाइल से होते हैं, और कुछ चोट की वजह से। सबएरेक्नॉइड और सबड्यूरल हेमरिज के बारे में अधिक जानने के लिए पढ़ते रहें।
सबएरेक्नॉइड और सबड्यूरल हेमरिज

आखिरी अपडेट: 01 अप्रैल, 2020

इंसानी ब्रेन में मौजूद तीन मेनिन्जेज में से दो का नाम है ड्यूरा और एरेक्नॉइड। मेनिनज ऐसी संरचनाएं हैं जो सेन्ट्रल नर्वस सिस्टम को ढकती हैं। सबएरेक्नॉइड और सबड्यूरल हेमरिज वह रक्तस्राव है जो इन दोनों हिस्सों में होता है।

मेनिंज (meninges)

खोपड़ी और स्पाइन मस्तिष्क और स्पाइनल कॉर्ड की हिफाजत करते हैं। हालांकि उनमें एक निजी सुरक्षा प्रणाली भी मौजूद है: इन्हें झिल्ली यानी मेनिंज कहते हैं। दरअसल ये तंत्रिकाओं के विकास में भी मदद करती हैं।

एनआईएच कैंसर डिक्शनरी के अनुसार : “मेनिंज टिशू की तीन परतें होती हैं जो मस्तिष्क और स्पाइन की हड्डी को ढकती हैं और उनकी हिफाजत करती हैं।” ये तीन परतें हैं:

  • ड्यूरा मैटर (Dura mater)
  • एरेक्नॉइड(Arachnoid)
  • पिया मैटर (Pia mater)

सबसे बाहरी और सबसे मोटी ड्यूरा मैटर एपिड्यूरल स्पेस के कारण हड्डी से अलग होती है। खोपड़ी में यह स्पेस नहीं होता क्योंकि ड्यूरा यहाँ हड्डी से जुड़ी हुई है। हालांकि यह रीढ़ की हड्डी में मौजूद होता है जहां वीन्स और फैट होता है।

ड्यूरा के नीचे एरेक्नॉइड है, जिसे सबड्यूरल स्पेस अलग करता है। ब्लीडिंग शुरू होने पर यह स्पेस भी वास्तविक हो जाता है और खून दोनों मेनिंज को अलग करता है।

एरेक्नॉइड इस स्पेस से होकर पिया मैटर तक फैलता है। सबएरेक्नॉइड स्पेस में सेरिब्रो स्पाइनल फ्लूइड होता है। दरअसल अचानक लगने वाले झटके और गति के कारण प्रेशर में होने वाले बदलाव के लिए यह कुशन का काम करता है।

आखिरकार पिया मैटर नर्व टिशू से चिपका होता है, यहां तक ​​कि इसके गड्ढों में भी। इसके अलावा वैज्ञानिक अभी भी यह पता लगा रहे हैं कि यह टिशू के अंदर भी जाता है या नहीं।

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सबएरेक्नॉइड और सबड्यूरल हेमरिज

सबएरेक्नॉइड और सबड्यूरल हेमरिज

सबएरेक्नॉइड और सबड्यूरल हेमरिज में जो पहली चीज है, वह है ब्लड वेसेल्स में बहने वाला खून है। ये वेसेल्स मेनिंज के बीच की जगह में होते हैं। इसलिए यह मस्तिष्क के टिशू को नुकसान पहुंचाता है।

रक्तस्राव की टाइप के आधार पर उनके अलग-अलग असर होंगे और इस तरह इलाज की ज़रूरत भी अलग-अलग होगी।

सबड्यूरल हेमरिज (Subarachnoid Hemorrhages)

सबड्यूरल हेमरिज में खून ड्यूरा और एरेक्नॉइड के बीच की जगह में इकट्ठा होता है। आमतौर पर यह खून चोट लगने के बाद नसों से आता है। तीन तरह का हेमेटोमा होता है:

  • एक्यूट सबड्यूरल हेमेटोमा (Acute Subdural Hemorrhages)
  • सबएक्यूट सबड्यूरल हेमेटोमा (Subacute subdural hematoma)
  • क्रोनिक सबड्यूरल हेमेटोमा (Chronic subdural hematoma)

एक्यूट सबड्यूरल हेमेटोमा

यह टाइप जल्द ही उभरता है। यह आम तौर पर गंभीर चोट लगने के कारण सेरिब्रल कॉर्टेक्स से मेनिंज तक जाने वाली नसों के फटने के कारण होता है।

इस मामले में व्यक्ति तुरंत कोमा में चला जाता है। इसके अलावा मस्तिष्क के कुछ हिस्से काम करना बंद कर देते हैं। इसके कुछ उदाहरण हैं:

  • हेमिपैरिसिस (Hemiparesis): इसमें आंशिक रूप से चलने-फिरने में कठिनाई होती है। दरअसल इस मामल इमं चोट मस्तिष्क के उस हिस्से में लगी थी जो मोटर स्किल को संभालता है।
  • मायड्रायसिस (Mydriasis): इस मामल में प्यूपिल्स बड़े हो जाते हैं। क्योंकि चोट उस हिस्से में लगी है जो आईरिस की मांसपेशियों को नियंत्रित करता है।

सबएक्यूट सबड्यूरल हेमेटोमा

यह टाइप धीरे-धीरे उभरती है और आमतौर पर कम गंभीर होती है। इसका कारण खून कम होना है। इसके अलावा खून जमना भी शुरू हो जाता है। हालाँकि यह चोट से भी हो सकता है।

आम तौर पर व्यक्ति की चेतना लुप्त हो जाती लेकिन वह फिर ठीक हो जाता है। फिर कई दिनों तक व्यक्ति को असुविधा महसूस होगी और वह ध्यान केंद्रित करने में मुश्किल महसूस करेगा।

क्रोनिक सबड्यूरल हेमेटोमा

यह समय के साथ कई तरह की चोट लगने के कारण होता है। इसमें वेसेल्स से रक्त के छोटे-छोटे बहाव होते हैं। उनके सोख नहीं लिए जाने पर नतीजा हेमेटोमा या रक्तगुल्म के रूप में सामने आता है। यह बुजुर्गों में बहुत आम है।

इसका पहला लक्षण आमतौर पर सिरदर्द होता है, फिर व्यवहार और मनोदशा में बदलाव दिखता है। ऐसा बहुत कम होता है। इस मामले में लोगों को ज्यादा नींद आने लगती है, सोचने में तकलीफ़ होती है, और दूसरे लक्षण भी दीखते हैं।

सबएरेक्नॉइड हेमरिज

सबएरेक्नॉइड हेमरिज में एरेक्नॉइड और पिया मैटर के बीच खून का पूल इकठ्ठा हो जाता है। खून आमतौर पर धमनियों से आता है और इसके कई कारण हो सकते हैं। सबसे आम एन्यूरिज्म (aneurysm) का फटना है। हालाँकि इसके दूसरे कारण भी हो सकते हैं।

एन्यूरिज्म फटने से पहले सिरदर्द या मिर्गी के दौरे (epileptic seizures) भी आ सकते हैं। एक तिहाई मामलों में इसका ट्रिगर भावनात्मक बातों के साथ कुछ शारीरिक कारण भी हो सकते हैं। इसके अलावा बहुत लंबे समय तक धूप में रहने से भी यह हो सकता है।

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एक बार उनके फटने पर रक्तस्राव शुरू हो जाता है। आमतौर पर ये 40 और 60 की उम्र के बीच वाले लोगों में होता है, और निम्नलिखित लक्षणों से जुड़ा होता है।
  • उल्टी (Vomiting)
  • मेघाछन्न विचार (Clouded thoughts)
  • तीखा सिरदर्द
  • रोशनी से दर्द या तकलीफ

लगभग 48 घंटे बाद मेनिन्जियल सिंड्रोम उभरता है, क्योंकि मेनिंज में समस्या होती है और फिर गर्दन अकड़ जाती है। इसके अलावा आंखों से जुड़ी तकलीफ महसूस हो सकती है, जैसे आंखों के मूवमेंट की पैरालाइसिस।

60% मामलों में सबएरेक्नॉइड हेमरिज रोगोत्तर लक्षण पैदा करता है। इसके अलावा बचे हुए 40% लोग किसी न किसी तरह से स्थायी रूप से दूसरों पर आश्रित होजाते हैं।




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