अपनी कहानी की हीरोइन बनें, कोई अबला नहीं
अपनी ज़िन्दगी के पर्दे पर आप हीरोइन बनेंगी या कोई अबला, यह पूरी तरह से आपके रवैये पर निर्भर करता है। ऐसा करना भले ही थोड़ा मुश्किल क्यों न हो, लेकिन आपको अपनी परवाह करते हुए किसी को भी अपने मान-सम्मान से खिलवाड़ करने का हक़ नहीं देना चाहिए।
मैंने बहुत से लोगों को कहते सुना है, ज़िन्दगी में केवल दो ही रास्ते होते हैं: या तो आप हीरोइन बन जाएँ या फिर कोई बेचारी। लेकिन खुद को इन दोनों ही सिरों तक धकेलने की आपको कोई ज़रूरत नहीं है।
आपको यह भी समझ लेना चाहिए कि दूसरों के फायदे-नुकसान की बात आने पर खुद अपना किरदार निभा पाना ही सबसे जटिल चुनौती बन जाती है।
दूसरों के साथ जीना आसान नहीं होता, लेकिन मुश्किलों और मतभेदों के बावजूद आपको कभी भी अपनी कहानी की अबला बन जाने के गर्त में नहीं कूदना चाहिए।
ज़िन्दगी में लगी ठोकरें आपको लड़ना सिखा जाती हैं। अगर आप अपनी ज़रूरतों को अपनी जुबान पर नहीं ला सकती या अपने खालीपन को नहीं भर सकती तो आपकी कश्ती मझधार में ही डूब जाएगी।
इसलिए इस बात को अपने मन में बिठा लें कि आपको हमेशा अपना किरदार खुद ही निभाना होगा। कल अपने प्रियजनों को अपनी कहानी सुना पाने के लिए सबसे पहले तो आपको उस कहानी की हीरोइन बनना होगा।
अबला होना एक रास्ता तो है, पर सबसे अच्छा रास्ता नहीं
सबसे पहले तो हमें बेचारा होने और बेचारा बनने में फर्क पता होना चाहिए। हमें पूरा यकीन है कि रिश्तों के अपने अनुभव से आप इतना तो समझ ही चुकी होंगी कि ज़्यादतर लोग सिर्फ़ बेचारे बनते हैं।
यही भावनात्मक हेरफेर वास्तव में सबसे घातक होता है। खुद को बेचारा दिखाने वाले लोग अपने साथ होती हर गलत चीज़, हर नाइंसाफ़ी का ठीकरा हमेशा किसी और के सिर पर फोड़ने की फिराक में रहते हैं।
- लगभग हर छोटी-मोटी बात के लिए वे अपने प्रियजनों को दोषी महसूस करवाते हैं।
- अपने सिरदर्द या असहजता का दोष वे अन्य लोगों की गलतियों पर मढ़ देते हैं।
- खुद को बेचारा दिखाना दूसरों को अपने इशारों पर नचाने का एक बेहद कारगर तरीका होता है।
“अगर मुझे किसी बात का बुरा लग रहा है और उसका दोष आपके सिर मढ़ पाने में मैं सफ़ल रहती हूँ तो आप अपने आत्मसम्मान से हाथ धो बैठते हैं। अब आपकी गरिमा मेरे काबू में है।”
- हमेशा खुद को किसी पीड़ित या बेचारे की तरह दिखाने का रवैया परिवार के परिवेश और कई प्रेम-संबंधों को उजाड़ कर रख देने वाली जटिल बीमारी की तरह होता है।
लेकिन अब जब हमने उस बारे में बात कर ही ली है तो हमें उन परिस्थितियों पर भी गौर करना चाहिए, जब कोई व्यक्ति सचमुच पीड़ित होता है। सच्चे दिल से प्यार करने वाले ये लोग अपने साफ़ इरादों के बावजूद भी अंत में कुचले जाते हैं।
आप कब अपनी कहानी की हीरोइन नहीं रहती
महिलाओं में यह एक बहुत आम बात है। बहुत सारी महिलाएं अपनी ही ज़िन्दगी में हीरोइन के अपने किरदार से हाथ धो बैठती हैं। लेकिन इससे भी ज़्यादा हैरतंगेज़ बात तो यह है कि ऐसा वे अपने करीबी लोगों की परवाह करते हुए, खुद अपनी मर्ज़ी से कर लेती हैं।
आइए वास्तविक जीवन के कुछ उदाहरणों पर एक नज़र डालते हैं:
- कोई रिलेशनशिप शुरू कर आप उसमें अपनी सारी जान फूंक देती हैं।
- आपका एक परिवार है और आप उनके लिए… अपने बच्चों और अपने पति के लिए अपनी सभी खुशियों को दांव पर लगा देती हैं…
- आपको अपने माता-पिता, अपने भाई-बहनों से बहुत लगाव है…
- अनजाने में ही आप अपनी सारी ऊर्जा, भावनाएं, वक़्त और मेहनत दूसरों को खुश रखने में ही खपा देती हैं… और फिर, कुछ साल बाद एक ऐसा वक़्त आता है कि आपको एक बात की चिंता सताने लगती है: लोगों को आपकी एक आदत-सी हो चुकी है। वे आपकी कीमत को भूल चुके हैं… आप खुद अपनी कीमत को भूल चुकी हैं। आपका पर्सनल स्पेस ख़त्म हो चुका है, आपके पास अपने लिए कोई वक़्त ही नहीं है, और आप अपनी ही ज़िन्दगी में एक अबला नारी बनकर रह गई हैं।
आपने अपने परिजनों को हमेशा तवज्जो दी है, लेकिन कभी-कभी उनका प्यार स्वार्थी व दमघोंटू भी हो सकता है।
तो यहाँ सवाल यह उठता है कि ऐसे हालातों में आप आख़िर कर क्या सकती हैं?
भले ही अभी आप कोई अबला हों, पर एक कवच पहनकर आप हालात को बदल सकती हैं
आप आत्मसम्मान और सराहना की कमी की शिकार हैं। आप प्यार और स्नेहमय शब्दों की कमी की शिकार हैं। आसपास देखते हुए किसी चीज़ के इंतज़ार में आप आगे बढ़ती जाती हैं।
आप दिलासा, समर्थन, लाड़-प्यार और साभार शब्दों के लिए बेताब हैं।
अगर इस वक़्त आपको भी यही महसूस हो रहा है तो अब कोई ठोस कदम उठाने की घड़ी आ चुकी है।
पीड़ितों को एक बात का फायदा ज़रूर मिलता है: चुपचाप दुःख-दर्द भोगने का मतलब उन्हें पता होता है। इसमें सबसे अच्छी बात यह होती है कि आपको पता रहता है, आपको किन-किन चीज़ों से बचना है।
अपने डर का सामना करने से उसकी पहचान कर पाना हमारे लिए और भी आसान हो जाता है।
- अगर आप जानती हैं, ज़िन्दगी में आपको क्या नहीं चाहिए, तो उस चीज़ की मांग करें जो आपको चाहिए।
- एक नया कवच पहन लें। इसका मतलब यह कतई नहीं है कि गदाधारी भीम बनकर आप सब कुछ तहस-नहस कर डालें। अपने रिश्ते-नातों और ज़िन्दगी में दरारें डालने की आपको कोई ज़रूरत नहीं है।
- एक अच्छा योद्धा समझदार व बुलंद हौसले वाला होता है। अपनी सीमाएं निर्धारित करें। अपने प्यार का इज़हार तो करें, पर अपनी गरिमा के साथ कोई समझौता न करें।
- अपने स्पेस के लिए लड़ना सीखें। उन पलों के लिए लड़ना सीखें, जब अकेलेपन में आप चैन के कुछ पल बिता सकती हैं व दूसरों से कटकर खुद से जुड़ सकती हैं।
- अगर आप किसी पर कोई एहसान करती हैं तो यह ज़रूरी नहीं कि देर-सवेर वह भी आप पर कोई एहसान करे। आपको किसी के एहसान की नहीं, उसकी सराहना की ज़रूरत है: आप जो भी कर रही हैं, अपने दिल से कर रही हैं, और दिल से किए काम में शर्मिंदगी या अनादर जैसी चीज़ों की कोई जगह नहीं होती।
किसी बेचारी के किरदार से बाहर आने के लिए थोड़ी देर बैठकर अपने नियमों को लिख लेने से बेहतर और कुछ नहीं होता।
उन चीज़ों की एक सूची बना लें, जो आप बर्दाश्त नहीं करेंगी। उसी पल से उस सूची पर अपनी व्यक्तिगत गाइड के तौर पर अमल करना शुरू कर दें।
अपनी कहानी की हीरोइन बनें।
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