लाइम रोग का इलाज

लाइम रोग एक संक्रमण है जो पहले सिर्फ त्वचा पर त्वग्रक्तिमा (एरिथेमा) का कारण बनता है। हालांकि अगर इलाज न कराया जाए तो यह गंभीर जटिलतायें पैदा कर सकता है। इस आर्टिकल में लाइम रोग के इलाज की जानकारी लें।
लाइम रोग का इलाज

आखिरी अपडेट: 23 नवंबर, 2020

लाइम रोग का इलाज बहुत हाल में शुरू हुआ है, क्योंकि इस रोग को पहली बार 1975 में पहचाना गया था। यह ऐसा संक्रमण है जो बोरेलिया (Borrelia) फैमिली के एक बैक्टीरिया के कारण होता है। यह बैक्टीरिया टिक या कुटकी के काटने से फैलता है।

इसलिए यह बीमारी पकड़ने के लिए आपको इन आर्थ्रोपोड्स (arthropods) के संपर्क में आना होगा। यह बीमारी ग्रामीण इलाकों में ज्यादा आम है, जहां विशाल खेत, जंगल या पेड़-पौधे होते हैं। पर इसका मतलब यह नहीं है कि सभी कुटकी लाइम रोग फैलाती हैं।

यदि इस बीमारी का जल्द इलाज नहीं किया जाए तो यह गंभीर न्यूरो समस्याओं का कारण बनती है। इसके अलावा दवाएं उम्र और स्थिति की गंभीरता के अनुसार बदलती हैं। इस आर्टिकल में हम आपको लाइम रोग के इलाज के बारे में जरूरी चीजों की व्याख्या करेंगे।

लाइम रोग क्या है?

इससे पहले कि हम लाइम रोग के इलाज के बारे में बात शुरू करें, आपको इस स्थिति के बारे में जानना होगा। जैसा कि हमने पहले ही बताया है, यह ऐसा संक्रमण है जो कुछ तरह की कुटकी के काटने से फैलता है।

काटने के बाद उस क्षेत्र में एक छोटी सी गांठ दिखाई देती है, जो कुछ दिनों में चली जाती है। बाद में त्वचा पर एक दाना दिखाई देता है और लगातार फैलता है। यह दाने खुजली या जख्म नहीं करते लेकिन स्थान बदलते हैं (डॉक्टर इसे “erythema migrans” कहते हैं)।

इसके अलावा कई लोग बुखार और सिरदर्द का अनुभव करते हैं। समस्या यह है कि इन लक्षणों के गायब होने के बाद भी जटिलताएं दिखाई देती हैं।

उदाहरण के लिए रोगियों में जोड़ों का दर्द आम है, खासकर घुटनों में। इसी तरह वे मेनिन्जाइटिस, चेहरे के एक तरफ पक्षाघात या अंग की कमजोरी की ओर भी जा सकते हैं। कुछ मामलों में वे हृदय गति में बदलाव या मेमोरी लॉस का शिकार होते हैं।

लाइम रोग का इलाज

ये निशान टिक के काटने के कुछ समय बाद गायब हो जाते हैं लेकिन जटिलताएं महीनों या वर्षों बाद दिखाई दे सकती हैं।

इसे भी पढ़ें : लाइम रोग के लक्षण जिन्हें जान लेना ज़रूरी है

लाइम रोग का इलाज

लाइम रोग का इलाज जल्दी शुरू किया जाना चाहिए, क्योंकि यह उन सभी जटिलताओं से बचने का सबसे अच्छा तरीका है जिनके बारे में हमने ऊपर बताया है। चूंकि यह एक बैक्टीरियल संक्रमण है, इसलिए डॉक्टर एंटीबायोटिक दवाओं की सिफारिश करते हैं।

दोनों तरह का इलाज और इससे हासिल नतीजे संक्रमण की गंभीरता पर निर्भर करते हैं और इस बात पर कि कब इसका पता चला था। कोलम्बियन मेडिसिन एक्ट का एक रिव्यू आर्टिकल यह बताता है, और यह भी पुष्टि करता है कि जब बीमारी एडवांस हो तो परिणाम आम तौर पर संतोषजनक नहीं होते हैं।

शुरुआती स्टेज में लाइम रोग का इलाज

संक्रमण का पता जल्दी  पाए जाने पर रोगी मौखिक दवाएं ले सकता है। सबसे व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले एंटीबायोटिक्स टेट्रासाइक्लिन (tetracyclines) हैं, आमतौर पर डॉक्सीसाइक्लिन (doxycycline)। इसकी डोज डॉक्टर 21 से 30 दिनों तक रोजाना 200 मिलीग्राम बताते हैं।

हालांकि, फैमिली मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार विशेष स्थितियों में डॉक्सीसाइक्लिन का उपयोग नहीं किया जा सकता है। उदाहरण के लिए बच्चों और गर्भवती महिलाओं में। नौ वर्ष से कम उम्र के बच्चों के मामले में एक्सपर्ट दूसरे तरह के एंटीबायोटिक का इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं, जैसे कि पेनिसिलिन।

दूसरी ओर, गर्भवती महिलाओं में या जो स्तनपान करा रही हैं, उनके लिए एमोक्सिसिलिन या सेफ़्यूरिक्स का उपयोग करना सबसे अच्छा है। हाल के प्रकाशन बताते हैं कि 21 दिनों से कम समय में लाइम रोग का इलाज भी प्रभावी है।

आप इस लेख को पसंद कर सकते हैं: क्या होते हैं एंटीबॉडी?

लेट स्टेज में या अधिक गंभीर मामलों में इलाज

डायग्नोसिस देर से होने पर बीमारी एडवांस होती है, और डॉक्टर अन्य दवाओं का विकल्प चुनते हैं। इन मामलों में सबसे अधिक उपयोग किया जाता है डॉक्सीसाइक्लिन (doxycycline)। अंतर यह है कि ट्रीटमेंट इंट्रावीनस होगा और लंबे समय तक होना चाहिए, क्योंकि संक्रमण टिशू  में जड़ जमा चुका है और फल-फूल रहा है।

जटिलताओं के उभरने पर वही होता है, विशेष रूप से सेन्ट्रल नर्वस सिस्टम में। उदाहरण के लिए, जैसा कि हमने ऊपर बताया है, इससे चेहरे का पक्षाघात या मेनिन्जाइटिस हो सकता है। इस स्थिति में डॉक्टर इंट्रावीनस एंटीबायोटिक दवाओं का विकल्प चुनते हैं।

इन जटिलताओं के लिए सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं सेफलोस्पोरिन (cephalosporins) हैं। हालांकि रोग का निदान अच्छा है, रोगी को जितनी जल्दी हो सके इलाज होना चाहिए। लेकिन यहां तक ​​कि जिन रोगियों का जल्दी इलाज किया जाता है, वे भी कुछ समय के लिए लक्षणों से पीड़ित हो सकते हैं।

शुरुआती लाईम रोग ट्रीटमेंट

लाइम रोग का टिक ट्रांसमिशन गर्मियों के दौरान इसे ज्यादा आम बनाता है।

जटिलताओं को कम करने के लिए शुरुआती लाईम रोग ट्रीटमेंट

संक्षेप में रोगियों को लाइम रोग ट्रीटमेंट जल्दी शुरू करना चाहिए, क्योंकि न्यूरोलॉजिकल या जॉइन्ट समस्याओं का हाई रिस्क होता है। इसके लिए जो दवाएं डॉक्टर लिखते हैं, वे एंटीबायोटिक्स हैं।

संक्रमण का जल्दी पता लगा लेने पर इसकी अभिव्यक्तियाँ हल्की हो जाती हैं, तो डॉक्टर आमतौर पर ओरल डॉक्सीसाइक्लिन लिखते हैं। हालाँकि, बच्चों और गर्भवती महिलाओं में पेनिसिलिन का विकल्प चुनना सबसे अच्छा है, जैसे कि एमोक्सिसिलिन। रोग के अंतिम चरणों के लिए दवाओं को इंट्रावीनस रूप से ही लिया जाना चाहिए।

इसकी मुख्य बात रोकथाम है। आपको कुटकी वाले वातावरण से बचना चाहिए, उन्हें अपने घर से खत्म करना चाहिए और गर्मियों के पिकनिक स्पॉट में सावधानी बरतनी चाहिए। इसका आसान उपाय संक्रमित होने के जोखिम को कम करना है।



  • Fajardo, M., Fajardo, L., & Fajardo, D. M. (n.d.). La enfermedad de Lyme.
  • García Meléndez, M. E., Skinner Taylor, C., César, J., Alanís, S., & Candiani, J. O. (2014). Enfermedad de Lyme: actualizaciones Gaceta Médica de México. 2014;150:84-95 ARTÍCULO DE REVISIÓN Correspondencia. Gaceta Médica de México (Vol. 150).
  • Treatment | Lyme Disease | CDC. (n.d.). Retrieved August 13, 2020, from https://www.cdc.gov/lyme/treatment/index.html
  • Alonso Fernández, M. (2012). Enfermedad de Lyme. ¿Es tan infrecuente? Semergen, 38(2), 118–121. https://doi.org/10.1016/j.semerg.2011.06.007
  • Olmo Montes, F. J., Sojo Dorado, J., Peñas Espinar, C., & Muniáin Ezcurra, M. A. (2014). Infecciones producidas por borrelias: enfermedad de Lyme y fiebre recurrente. Medicine (Spain), 11(51), 3009–3017. https://doi.org/10.1016/S0304-5412(14)70731-0
  • Portillo, A., Santibáñez, S., & Oteo, J. A. (2014). Enfermedad de Lyme. Enfermedades Infecciosas y Microbiologia Clinica, 32(SUPPL.1), 37–42. https://doi.org/10.1016/S0213-005X(14)70148-X
  • Sanchez, Edgar, et al. “Diagnosis, treatment, and prevention of Lyme disease, human granulocytic anaplasmosis, and babesiosis: a review.” Jama 315.16 (2016): 1767-1777.
  • Touradji, Pegah, et al. “Cognitive decline in post-treatment Lyme disease syndrome.” Archives of Clinical Neuropsychology 34.4 (2018): 455-465.

यह पाठ केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए प्रदान किया जाता है और किसी पेशेवर के साथ परामर्श की जगह नहीं लेता है। संदेह होने पर, अपने विशेषज्ञ से परामर्श करें।