यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन में एंटीबायोटिक्स कैसे काम करते हैं
यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन के लिए डॉक्टरों द्वारा एंटीबायोटिक दवाओं को लिखना आम है, क्योंकि एंटीबायोटिक्स उन्हें ठीक करने का काम करते हैं। एक मेडिकल सलाह और बैक्टीरियल कॉलोनी की पुष्टि करने वाली डायग्नोसिस के बाद डॉक्पेटर को कुछ दिनों के लिए रोगी को एंटीबायोटिक्स की सिफारिश करना चाहिए। ज्यादातर वक्त वह प्रोटोकॉल सही होता है और काम करता है।
दरअसल यूटीआई दुनिया भर में आम आउट पेशेंट प्रैक्टिस में सबसे आम बीमारियों में से एक है। इस स्थिति को नियंत्रित करने और जटिलताओं को रोकने के लिए एंटीबायोटिक्स ऐतिहासिक रूप से सबसे असरदार तरीका है।
यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन
यह स्थिति बहुत आम है, खासकर महिलाओं में। यह अनुमान लगाया गया है कि 20% महिला आबादी यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन से पीड़ित होगी जिसे जीवन में कम से कम एक बार एंटीबायोटिक दवाओं की जरूरत होती है।
हालांकि यह पुरुषों में कम आम है, पर एक जटिलता जिसका इलाज नहीं करने से होती है वह है, पुरानी प्रोस्टेटाइटिस (chronic prostatitis) है। बहुत से लोग यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन से शुरू करते हैं, जिन पर वे ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं। नतीजतन बैक्टीरिया प्रोस्टेट में चले जाते हैं और वहां बस जाते हैं, जिससे गंभीर सूजन होती है।
कुल मिलाकर आंकड़े बताते हैं कि यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन सबसे आम हैं। मूत्राशय और मूत्रमार्ग में लोअर यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन होता है, जबकि किडनी और युटेरस में अपर यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन होता है।
इसके अलावा उम्र बढ़ना एक रिस्क फैक्टर लगता है। नर्सिंग होम में भर्ती होने वाले पोस्टमेनोपॉज़ल महिलाओं और बुजुर्गों के संक्रमित होने की संभावना अधिक होती है।
यद्यपि यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन कम आम है, वे क्रोनिक प्रोस्टेटाइटिस के लिए ट्रिगर हो सकते हैं।
पढ़ना जारी रखें: यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन क्यों होते हैं
यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन के लिए एंटीबायोटिक्स कैसे काम करते हैं
जैसा कि हमने ऊपर बताया, बैक्टीरिया ऐसे माइक्रोब हैं हैं जो सबसे ज्यादा मूत्र संक्रमण से जुड़े हैं। वे वायरस और फंगस की तुलना में इन मामलों का ज्यादा कारण बनते हैं।
बैक्टीरिया में ई कोलाई (Escherichia coli ) सिस्टाइटीस और युरेथ्रा के 80% मामलों का कारण बनता है। यह जीवाणु नियमित रूप से पाचन तंत्र में रहता है, विशेषकर अंतिम आंतों के खंड में। इसलिए व्यक्ति खुद ही इसे अपने संक्रमण स्थल तक पहुंचाता है।
महिलाओं में यह उनके छोटे युरेथ्रा से जुड़ा हुआ है क्योंकि उनके मूत्र और पाचन तंत्र इतने करीब हैं। यह एनस और युरेथ्रा मुख के बीच एस्चेरिचिया कोलाई के जाने के लिए आसान है, जहां यह कॉलोनी बनाने के लिए चढ़ता है।
कुछ हद तक दूसरे सूक्ष्मजीव यूरिनरी इन्फेक्शन का कारण बन सकते हैं, जिनमें हम निम्नलिखित का जिक्र कर सकते हैं:
- प्रोटियस मिराबिलिस (Proteus mirabilis)
- क्लेबसिएला निमोनिया (Klebsiella pneumoniae)
- एंटेरोकोकस फिसेलिस (Enterococcus faecalis)
ये सभी बैक्टीरिया किसी तरह के एंटीबायोटिक के लिए संवेदनशील होते हैं। इसलिए इलाज शुरू करने से पहले एंटीबायोटिक की जरूरत हो सकती है। यह टेस्ट पैथोजेन की संवेदनशीलता को मापता है जो कि माइक्रोब को मारने में सक्षम हो।
मूत्र पथ के संक्रमण के लिए सबसे आम एंटीबायोटिक्स
डॉक्टर द्वारा इसके कारणों की पहचान कर लेने पर एंटीबायोग्राम से उस संक्रमण के लिए सबसे उपयुक्त एंटीबायोटिक तय करते हैं और सही ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल शुरू होता है। कोई भी दवा आदर्श नहीं है। इसके बजाय नुस्खे को मामले में अनुकूलित किया जाना चाहिए।
इस अर्थ में, रोगी की आयु, संभावित रोग, एलर्जी, और रेनल प्रणाली में उत्पन्न समस्या को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है।
तो सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली एंटीबायोटिक्स क्या हैं?
नीचे, हम इसे विस्तार से बताएंगे।
पेनिसिलिन और डेरिवेटिव (Penicillins and derivatives)
बैक्टीरिया के खिलाफ लड़ाई में सबसे पुराने ग्रुप में एक है पेनिसिलिन है। अमोक्सिसिलिन (Amoxicillin) और एम्पीसिलीन (ampicillin) इस परिवार से जुड़े हैं और कई अलग-अलग सूक्ष्मजीवों के खिलाफ असरदार हैं। इसी तरह सेफैलेक्सिन (cephalexin), सेफलोथिन (cephalothin) और सीफ्रीएक्सोन (ceftriaxone) जैसे सेफालोस्पोरिनक (cephalosporins) भी हैं।
अधिकांश एस्चेरिचिया कोलाई और प्रोटीन इन एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति संवेदनशील हैं। वे गर्भवती महिलाओं के लिए एक बढ़िया विकल्प हैं क्योंकि अध्ययन में भ्रूण पर इसका असर नहीं पाया गया है। इस प्रकार वे गर्भावस्था के दौरान काफी सुरक्षित हैं।
पेनिसिलिन और इसके डेरिवेटिव बैक्टीरिया मूत्र पथ के संक्रमण के मामलों में सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं हैं।
एमिनोग्लीकोसाइड्स (Aminoglycosides)
यह ग्रुप जिसका प्रतिनिधि जेंटामाइसिन (gentamicin) है, जो ग्राम-नेगेटिव बैक्टीरिया से लड़ सकता है। इसका मतलब है कि वे बैक्टीरिया के विकास को रोकते नहीं हैं बल्कि ग्राम-नेगेटिव माइक्रोब को मारते हैं। इस कारण डॉक्टर उन्हें एंटरोकोकी (enterococci) के लिए प्रीस्क्राइब करते हैं।
हालांकि उनके कई साइड एफ़ेक्ट हैं, जो उनके उपयोग को सीमित करते हैं। उन्हें प्रेग्नेंट महिलाओं और शिशुओं के लिए नहीं दिया जाना चाहिए जो सेलुलर गठन प्रक्रियाओं में हस्तक्षेप करने की संभावना के कारण अभी भी अपने टिशू विकसित कर रहे हैं।
क़ुइनोलोन (Quinolones)
वक्त बीतने और नई दवाओं की खोज के साथ कुछ नई दवाओं पॉपुलर हुई हैं और मूत्र पथ के संक्रमण के खिलाफ पसंददीदा एंटीबायोटिक बन गए। क़ुइनोलोन ऐसा ही है जो एमोक्सिसिलिन और पेनिसिलिन की जगह लेता है।
हालाँकि यह हमेशा वैज्ञानिक प्रमाणों पर आधारित नहीं होता है, यह संभवतः इन दवाओं के उपयोग में आसानी के कारण हुआ, क्योंकि कम दिनों के लिए इनकी कम डोज की जरूरत होती है।
इस ग्रुप के कुछ सदस्य नॉरफ्लोक्सासिन (norfloxacin), सिप्रोफ्लोक्सासिन (ciprofloxacin), पेफ्लोक्सासिन (pefloxacin) और गैटिफ्लॉक्सासिन (gatifloxacin) हैं। अपने एंटीबैक्टीरियल एक्शन के कारण पहले दो इस स्थिति के इंडिकेटर हैं। इस समूह का एक फायदा यह है कि क़ुइनोलोन उन टिशू में ज्यादा केंद्रित होते हैं जहां उन्हें हमला करना चाहिए।
उदाहरण के लिए पुरुषों में प्रोस्टेट को भेदने की उनकी शक्ति उन्हें इस स्थिति को और अधिक क्रोनिक होने से रोकने के लिए फर्स्ट लाइन ट्रीटमेंट बनाती है। दवा लिए जाने के बाद नॉनफ्लोक्सासिन मूत्र में ऊँची मात्रा में पाया जाता है।
यहां और अधिक जानें: यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन के लिए 7 प्राकृतिक नुस्ख़े
ट्राईमेथोप्रिम-सल्फा मथोक्सज़ोल (Trimethoprim-sulfamethoxazole)
इस ड्रग कम्पोजीशन को अपने आपमें एक एंटीबायोटिक माना जाता है। हालांकि इसका उपयोग हमेशा नहीं किया जा सकता है क्योंकि यूरिन ट्रैक्ट इन्फेक्शन में पाए जाने वाले बैक्टीरिया के मामले में इसकी कार्यक्षमता सीमित है। फिर भी अगर एंटीबायोग्राम इसकी अनुमति दे तो यह एक बुरा विकल्प नहीं है।
प्रोस्टेट पर इस दवा का अच्छा प्रभाव पड़ता है, यही कारण है कि यह नॉरफ्लॉक्सासिन के बाद पुरुषों के लिए दूसरी पसंद है। साथ ही इसके कम साइड इफेक्ट इसे सुरक्षित बनाते हैं जो लगभग किसी भी उम्र और स्थिति के लिए उपयुक्त है।
एक प्रकार की एंटीबायोटिक या किसी अन्य के बीच डॉक्टर की पसंद सूक्ष्मजीव के आधार पर भिन्न होती है जो संक्रमण और इसकी गंभीरता का कारण बनती है।
मूत्र पथ के संक्रमण के लिए एंटीबायोटिक दवाओं का सुरक्षित उपयोग
संक्रमण की टाइप के बावजूद एंटीबायोटिक दवाओं का सुरक्षित उपयोग जरूरी है। क्योंकि अंधाधुंध तरीके से उनका सेवन करने पर बैक्टीरिया स्ट्रेन रेजिस्टेंट हो जाते हैं और उनका इलाज कठिन हो जाता है।
इसलिए यदि डॉक्टर की सलाह और केस की तात्कालिकता अनुमति दे तो एंटीबायोग्राम लेना आवश्यक है। इस प्रकार एंटीबायोटिक का विकल्प बैक्टीरिया को मारने और प्रतिरोधी उपभेदों की उपस्थिति को कम करने में इसकी प्रभावशीलता के प्रमाण पर आधारित है।
- Orrego-Marin, Claudia Patricia, Claudia Patricia Henao-Mejia, and Jaiberth Antonio Cardona-Arias. “Prevalencia de infección urinaria, uropatógenos y perfil de susceptibilidad antimicrobiana.” Acta Médica Colombiana 39.4 (2014): 352-358.
- Tandogdu, Zafer, and Florian ME Wagenlehner. “Global epidemiology of urinary tract infections.” Current opinion in infectious diseases 29.1 (2016): 73-79.
- Medina, Martha, and Edgardo Castillo-Pino. “An introduction to the epidemiology and burden of urinary tract infections.” Therapeutic advances in urology 11 (2019): 1756287219832172.
- Barker, Charlotte I., Eva Germovsek, and Mike Sharland. “What do I need to know about penicillin antibiotics?.” Archives of Disease in Childhood-Education and Practice 102.1 (2017): 44-50.
- Hanif, Shamayela. “Frequency and pattern of urinary complaints among pregnant women.” Journal of the College of Physicians and Surgeons–pakistan: Jcpsp 16.8 (2006): 514-517.
- Alinejad, Saeed, et al. “Nephrotoxic effect of gentamicin and amikacin in neonates with infection.” Nephro-Urology Monthly 10.2 (2018).
- Tayebi, Zahra, et al. “Comparison of quinolone and β-lactam resistance among Escherichia coli strains isolated from urinary tract infections.” Infezioni in Medicina 24.4 (2016): 326-330.
- Talan, David A., et al. “Extended-release ciprofloxacin (Cipro XR) for treatment of urinary tract infections.” International journal of antimicrobial agents 23 (2004): 54-66.
- Stamatiou, Konstantinos, and Nikolaos Pierris. “Mounting resistance of uropathogens to antimicrobial agents: A retrospective study in patients with chronic bacterial prostatitis relapse.” Investigative and clinical urology 58.4 (2017): 271-280.
- NEMIROVSKY, CORINA, et al. “Consenso Argentino Intersociedades de Infección Urinaria 2018-2019-Parte I.” MEDICINA (Buenos Aires) 80.3 (2020): 229-240.