समय से पहले मेनोपॉज आने से डिमेंशिया का खतरा बढ़ जाता है

क्या आप जानती हैं, समय से पहले आने वाले मेनोपॉज से डिमेंशिया का सम्बन्ध हो सकता है। इस आर्टिकल में जानें क्यों और इसे रोकने के संभावित तरीकों का पता लगायें।
समय से पहले मेनोपॉज आने से डिमेंशिया का खतरा बढ़ जाता है

आखिरी अपडेट: 27 अगस्त, 2019

डिमेंशिया का जोखिम हमेशा डिजेनेरेटिव या संक्रामक रोगों या सिर के आघात से जुड़ा हुआ होता है। पर आजकल समय से पहले आने वाला मेनोपॉज भी इस ग्रुप में शामिल है।

कई महिलाओं को मेनोपॉज की शुरुआत का डर होता है। सिर्फ इसलिए नहीं कि यह उनके रिप्रोडक्टिव लाइफ का अंत है, बल्कि उन नतीजों के कारण जो इस नए स्टेज में आते हैं, जैसे कि ऑस्टियोपोरोसिस का जोखिम।

आम तौर पर यह स्टेज करीब 45 साल की उम्र में शुरू होना चाहिए। पर कुछ मामलों में यह पहले शुरू हो जाता है।

समय से पहले या प्रीमेच्योर मेनोपॉज

समय से पहले मेनोपॉज 40 वर्ष की उम्र से पहले होता है। यह अलग-अलग कई कारणों से हो सकता है, जैसे:

  • फैमिली हिस्ट्री : यदि आपके परिवार में किसी को समय से पहले मेनोपॉज का अनुभव हुआ है, तो इसके होने की संभावना बहुत ज्यादा है।
  • कैंसर ट्रीटमेंट : कैंसर का इलाज करने के लिए कीमोथेरेपी से गुजरना, विशेष रूप से पेल्विक एरिया में, समय से पहले मेनोपॉज का कारण बन सकता है।
  • ऑटो इम्यून रोग : थायरॉइड के कारण भी समय से पहले मेनोपॉज हो सकता है।

जब मेनोपॉज होता है, तो शरीर में एस्ट्रोजन का लेवल कम हो जाता है। यह इस स्टेज के लक्षणों को दर्शाता है, जैसे कि हड्डियों की समस्याएं। हालांकि महिलाएं हाई ब्लड प्रेशर और दूसरी समस्याओं से भी पीड़ित हो सकती हैं, जैसा कि हाल ही में एक स्टडी में बताया गया है।

मेनोपॉज से डिमेंशिया का जोखिम

मेनोपॉज से डिमेंशिया का जोखिम

समय से पहले मेनोपॉज और डिमेंशिया के जोखिम के बीच क्या संबंध है?

कई स्टडी में पता चलता है कि जोखिम दरअसल एस्ट्रोजन लेवल में कमी के कारण होता है। इसके कारण मस्तिष्क के एस्ट्रोजन रिसेप्टर्स गायब हो जाते हैं और डिमेंशिया का खतरा बढ़ जाता है।

मेनोपॉज से जुड़े सभी लक्षणों और अंतर्निहित समस्याओं के लिए एस्ट्रोजन लेवल में कमी आना ही जिम्मेदार है। इस कारण हेल्थ प्रोफेशनल इसे रोकने के तरीकों की स्टडी कर रहे हैं।

एस्ट्रोजन का सेवन

समय से पहले मेनोपॉज से होने वाली महिलाओं की समस्या में रुचि रखने वाले रिसर्चरों का मानना ​​है कि एस्ट्रोजन का सेवन मददगार साबित हो सकता है। इसे “हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी” के रूप में जाना जाता है।

इस तरह के इलाज का उपयोग न केवल जीवन के इस स्टेज से जुड़े सभी असुविधाजनक लक्षणों को रोकने के लिए किया जाता है, जैसे कि हॉट फ़्लैश, रात को पसीना आना, वेजाइनल ड्राईनेस, बल्कि डिमेंशिया का जोखिम कम करने के लिए भी। एस्ट्रोजन को आमतौर पर बर्थ कंट्रोल पिल्स के रूप में लिया जाता है, जो सिम्पटम में सुधार लाते हैं और डिमेंशिया का जोखिम रोकते हैं।

हालांकि आपके डॉक्टर को यह तय करना चाहिए कि क्या यह आपके लिए एक सही इलाज है और आपको इसे कैसे लेना चाहिए।

एस्ट्रोजन को ओरल रूप से लेने से समय से पहले मेनोपॉज की शुरुआत से जुड़े सिम्पटम को कम किया जा सकता है।

डिमेंशिया का खतरा

समय से पहले मेनोपॉज के लिए इस हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी को शुरू करने की सबसे अच्छी बात यह है कि यह उस बीमारी के जोखिम को भी कम कर सकता है जो इससे जुड़ी होती है और जिसकी पहले डायग्नोसिस करनी मुश्किल होती है।

दरअसल डिमेंशिया एक बीमारी है जो लगातार विकसित होती है। इसका मतलब है कि यह एक डिजेनेरेटिव समस्या है। हालांकि सही इलाज इस प्रक्रिया को धीमा कर सकता है और रोगियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार ला सकता है।

कमजोर मस्तिष्क

जैसा कि आपने देखा, मस्तिष्क बेहद कमजोर और संवेदनशील है। मेनोपॉज एक ऐसी स्थिति है, जिसमें ज्यादातर लोग मानते हैं कि सिर्फ हॉट फ़्लैशेस और इमोशनल चेंज का कारण बनता है, लेकिन वास्तव में कई और बदलाव शामिल हैं।

मेनोपॉज आने पर आपका शरीर और स्वास्थ्य बदल जाता है। आपकी हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और आप डिमेंशिया का जोखिम भी बढ़ा लेती हैं, खासकर अगर समय से पहले मेनोपॉज में जाती हैं। इसलिए अपने आपको एक भरोसेमंद डॉक्टर के संपर्क में रखना और हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी की संभावना के बारे में उनसे बात करना अहम है।

निष्कर्ष

हमें उम्मीद है, यह आर्टिकल आपको यह समझने में मदद करेगा कि इस तरह की डिजेनेरेटिव बीमारी को रोकने के तरीके मौजूद हैं। हालांकि समय से पहले मेनोपॉज हमेशा डिमेंशिया का कारण नहीं होता है, पर यह जोखिम को बढ़ाता ज़रूर है।



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