क्या आप आइडेंटिकल और फ्रेटरनल ट्विंस में अंतर जानते हैं?
कई बार दंपती यह चाहते हैं कि उन्हें ट्विंस या जुड़वां बच्चे हों। कारण स्पष्ट है, वे अपने दोनों बच्चों को एक साथ ज़िंदगी का आनंद उठाते और बड़ा होते देखना चाहते हैं। आपकी भी ऐसी इच्छा हो सकती है। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि एक समान (identical) और अलग-अलग दिखने वाले जुड़वां बच्चों (fraternal twins) में क्या अंतर होता है?
अगर नहीं तो हम आपको बताते हैं।
दरअसल दोनों के बीच सबसे बड़ा अंतर है इस बात का है कि एग्स यानी अंडाणु कैसे निषेचित (fertilized) हुआ है।
अभिन्न जुड़वां या एकसमान जुड़वां बच्चों (Identical Twins) का जन्म उस अंडे के विभाजन से होता है जो एक ही शुक्राणु से निषेचित होता है। वहीं भ्रातृ-जुड़वां या अलग-अलग दिखने वाले जुड़वां बच्चों (Fraternal Twins) के जीवन की शुरुआत दो अलग-अलग अंडों और शुक्राणुओं से होती है।
इस लेख में हम इस विषय पर विस्तार से रोशनी डालेंगे।
दोनों तरह के ट्विंस का अंतर जानना क्यों महत्वपूर्ण है?
एक समान और अलग-अलग दिखने वाले जुड़वां बच्चों के बीच अंतर जानना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रत्येक मामले में गर्भावस्था की देखभाल अलग तरीके से की जानी चाहिए।
वैसे तो इस तरह की अधिकांश गर्भावस्थाएं काफी हद तक विशिष्ट होती हैं, फिर भी इस बात की संभावना है कि कुछ जटिलताएं पैदा हो सकती हैं। उदाहरण के लिए फीटल फीटस ट्रांसफ्यूजन (Fetal fetus transfusion) और इंट्रायूटेराइन ग्रोथ रिटार्डेशन (Intrauterine growth retardation) होना संभव हैं।
इन कारणों से जुड़वां बच्चों की गर्भावस्था उचित ढंग से प्रबंधित करने के लिए जल्द से जल्द यह जानना बहुत ज़रूरी है कि आपको किस प्रकार की गर्भावस्था है।
सामान्यतः पहली तिमाही (ट्राइमेस्टर) में किया गया अल्ट्रासाउंड यह बता सकता है कि आपके जुड़वां एक समान हैं या फिर अलग-अलग। इसके साथ ही किसी भी भ्रूण विसंगति या अन्य जटिलताओं की भी सही समय पर पहचान की जा सकती है।
आपको किस प्रकार की गर्भावस्था है, यह पता लगाने के लिए आपको कुछ कारकों को ध्यान में रखना होगा। इन्हें समझना बहुत आसान है और ये आपकी यह तय करने में मदद करेंगे कि आपके जुड़वां एक समान हैं या फिर अलग-अलग।
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अलग-अलग तरह से निषेचन
डाइजाइगोटिक जुड़वां (Dizygotic twins) यानी अलग-अलग दिखने वाले जुड़वां वे होते हैं जो दो अलग-अलग अंडाणुओं के दो भिन्न शुक्राणुओं के निषेचन से पैदा होते हैं। निषेचन के समय अंडाशय दो अंडाणु छोड़ता है। चूंकि पुरुषों में लाखों शुक्राणु होते हैं, इसलिए दोनों का निषेचित होना आम है।
भ्रातृ जुड़वां वाली गर्भावस्था में प्रत्येक भ्रूण की अपनी अलग एमनियोटिक थैली और गर्भनाल होती है। इस कारण वे समान लिंग के हो सकते हैं या फिर अलग-अलग। वहीं देखने में वह वैसे ही दिखेंगे जैसे कि दो अलग-अलग जन्म लेने वाले बच्चे दिखते हैं।
दूसरी तरफ, मोनोजाइगोटिक जुड़वां (Monozygotic twins) एक समान दिखने वाले जुड़वां होते है जो तब पैदा होते हैं जब केवल एक अंडाणु एक शुक्राणु से निषेचित होता है। यह जाइगोट (Zygote) बनाता है जो फिर दो भागों में विभाजित होकर दो भ्रूण विकसित करता है।
अगर विभाजन निषेचन के पहले और चौथे दिन के बीच होता है तो दोनों भ्रूणों की अपनी खुद की गर्भनाल और एमनियोटिक थैली होगी। वहीं, अगर विभाजन चौथे और आठवें दिन के बीच होता है तो प्रत्येक भ्रूण की अपनी अलग थैली होगी लेकिन वह एक ही गर्भनाल साझा करेंगे।
अभिन्न जुड़वां बच्चों के मामले में असल में ‘प्राकृतिक क्लोनिंग’ होती है। यानि भले ही दोनों भ्रूण स्वतंत्र रूप से विकसित होते हैं पर वे एक ही अंडाणु और शुक्राणु से बनते हैं। इसलिए, इनमें एक जैसी अनुवांशिक सामग्री होती है और वे शारीरिक रूप से भी लगभग एकसमान होते हैं।
भ्रातृ जुड़वां (Fraternal Twins) विपरीत लिंग के हो सकते हैं
यह बहुत सामान्य बात है कि भ्रातृ जुड़वां की प्रत्येक 100 गर्भावस्थाओं में से 50 में लिंग अलग-अलग हो सकते हैं। अलग-अलग लिंगों के भ्रातृ जुड़वां भिन्न तरीके से विकसित होते हैं, न केवल इसलिए कि वे अलग-अलग व्यक्ति होते हैं, बल्कि उनका लिंग कई और बातों को भी प्रभावित करता है।
जन्म होने के बाद, लड़के अक्सर अपनी शारीरिक क्षमताएं बेहतर तरीके से विकसित करते हैं। यानि वे घिसटना, दौड़ना और कूदना पहले सीखते हैं।
इसके उलट, लड़कियां ज़्यादा संवाद में आगे रहती हैं। घिसटना या चलना शुरू करने से पहले वे अपने पहले शब्द बोलना शुरू कर देती हैं।
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अभिन्न जुड़वां (Identical Twins) काफी मिलते-जुलते होते हैं
मोनोजाइगोटिक जुड़वां बच्चों में एक समान आनुवांशिक सामग्री होती है क्योंकि वे एक ही निषेचित अंडाणु से विकसित होते हैं। यह अंडाणु गर्भधारण के बाद दो भागों में विभाजित हो जाता है। इस तरह, जन्म लेने के बाद उनके बीच कोई भी अंतर बाहरी कारणों जैसे कि भोजन या व्यायाम के कारण होता है।
हालांकि एक समान दिखने के बावजूद कई लक्षण ऐसे हैं जो एकसमान नहीं होेते हैं जैसे कि फिंगरप्रिंट्स। जब एक समान जुड़वां विकसित हो रहे होते हैं, तब उनमें से प्रत्येक एमनियोटिक थैली को अलग-अलग स्थानों पर छूता है जिससे उनकी अंगुलियों पर अलग-अलग रेखाएं बनती हैं। इस कारण उनके फिंगरप्रिंट्स एकसमान नहीं होते हैं।
जुड़वां बच्चे मां के गर्भाशय में संपर्क भी करते हैं। यानी वे सहज बोध से एक-दूसरे को समझने की कोशिश करते हैं। मां के गर्भ के अंदर वे आम तौर पर एक-दूसरे को तलाशते हैं और अपने से ज़्यादा दूसरे को छूते रहते हैं। इस तरह वे अपनी मां के पेट में ही एक अटूट बंधन बना लेते हैं।
सामान्य तौर पर, वे ऐसे विकसित होते हैं जैसे कि एक-दूसरे की प्रतिमूर्ति हों। यानी एक में दूसरे का प्रतिबिंब दिखाई देता है। इस तरह, अगर एक दायें हाथ का इस्तेमाल करता है तो दूसरा बायें हाथ का करेगा। अगर एक की दायीं बांह पर निशान है तो दूसरे के भी ठीक उसी स्थान पर निशान होगा, हालांकि यह बायीं बांह पर दिखेगा।
यह अभिन्न और भ्रातृ जुड़वां बच्चों के बीच एक और बड़ा अंतर है।
फ्रेटर्नल ट्विंस अपना केवल 50% डीएनए साझा करते हैं
अनुवांशिक रूप से, प्रत्येक जीव में जीन की दो जोड़ियां होती हैं। इनमें से एक मां से आती है और एक पिता से वंशानुगत होती है। यानी आधे जीन अंडाणु से आते हैं जबकि बाकी आधे शुक्राणु से।
इसलिए अलग-अलग शुक्राणुओं और अंडाणुओं से विकसित होने वाले भ्रातृ जुड़वां अपना केवल 50% डीएनए ही साझा करते हैं। उनका रक्त समूह भी अलग-अलग हो सकता है। इस तरह, भ्रातृ जुड़वां एक साथ पैदा हुए बच्चे (Siblings) होते हैं और उनमें कोई और समानता नहीं होती है।
अंत में
गर्भाशय में दो बच्चों के गर्भधारण से अक्सर असमंजस की स्थिति पैदा हो जाती है।
जुड़वां बच्चों का पैदा होना कोई वंशागत बात नहीं है। हालांकि जुड़वां बच्चे पैदा करने की क्षमता वंशागत या अनुवांशिक ज़रूर होती है। अगर किसी परिवार में जुड़वां बच्चों के मामले सामने आ चुके हैं तो प्रत्येक दूसरी या तीसरी पीढ़ी में ऐसा फिर होने की संभावना रहती है।
दूसरी ओर, वैज्ञानिक अभी तक उन कारणों को लेकर सुनिश्चित नहीं है जो यह तय करते हैं किसी महिला में एक साथ दो अंडाणु छोड़ने की क्षमता है या नहीं। हालांकि डॉ. गैरी स्टेनमैन के एक अध्ययन में यह देखा गया है कि ज़्यादा मात्रा में दूध से बने उत्पादों का सेवन करने से जुड़वां बच्चों के गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है। इसका निर्धारण वीगन मांओं ने कितने जुड़वां बच्चे पैदा किए और मानक डाइट पर मांओं ने कितने जुड़वां बच्चों का गर्भधारण किया के बीच तुलना करके किया गया था।
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