डायबिटीज और नींद की गड़बड़ी में बहुत गहरा रिश्ता है
क्या आप जानते हैं, ब्लड शुगर लेवल में उतार-चढ़ाव आपकी नींद से जुड़ी समस्याओं और आराम की कमी के लिए जिम्मेदार हो सकता है? डायबिटीज और नींद की गड़बड़ी में बहुत गहरा रिश्ता है।
बेशक यह ऐसी समस्या है जिस पर बहुत ज्यादा बातें नहीं होती। फिर भी यह मधुमेह से पीड़ित आबादी के अच्छे-खासे हिस्से को प्रभावित करती है।
टाइप 2 डायबिटीज वाले लोगों में नींद की गड़बड़ी आम समस्या है और अक्सर यह कई तरीकों से उभरती है।
इन लक्षणों में क्लासिक रेस्टलेस पैरों से लेकर स्लीप एपनिया तक हो सकते हैं या रात को बाथरूम जाने की जरूरत बढ़ जाती है।
ये सभी फैक्टर कम आराम, दिन में थकान और यहां तक कि रोग की गम्भीरता की ओर ले जाते हैं।
अपने डॉक्टर से सलाह लेने के लिए ऐसी समस्याओं और लक्षणों को ध्यान में रखना जरूरी है। दरअसल इस तरह की रात की समस्याओं के लिए इलाज आसान भी हो सकता है।
नीचे हम आपको सभी जानकारी देंगे।
डायबिटीज और नींद की गड़बड़ी : इनके बीच किस तरह का लिंक है?
जैसा कि हम पहले से ही जानते हैं, मधुमेह ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर को पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन पैदा करने में कठिनाई होती है।
इसका नतीजा ग्लूकोज में उछाल के रूप में दिखता है, जो बेशक बहुत खतरनाक होता है।
टाइप 1 डायबिटीज के मामले में पैंक्रियाज इंसुलिन पैदा नहीं कर सकता है। टाइप 2 डायबिटीज में हालांकि हमारा शरीर इसे पैदा तो कर सकता है, लेकिन यह पर्याप्त मात्रा में नहीं कर पाता है।
टाइप 2 मधुमेह वाले रोगियों में शुगर लेवल में इस उतार-चढ़ाव की वजह से नींद की गड़बड़ी ज्यादा दिखती है।
आइए इस बात पर ध्यान दें कि आमतौर पर किस तरह की समस्याएं होती हैं और उनकी वजह क्या है।
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रात में ज्यादा पेशाब आना
डायबिटीज और नींद की समस्या कई तरह से जुड़ी हैं, लेकिन सबसे आम स्थिति वह होती है, जब किसी व्यक्ति को बाथरूम जाने या पानी पीने के लिए 2 से 3 बार उठने की जरूरत महसूस हो।
हाई ब्लड शुगर लेवल से हमें पेशाब जाने की जरूरत ज्यादा महसूस होती है।
जब हमारे शरीर में ब्लड शुगर लेवल हाई हो तो आमतौर पर टिशू से पानी निकालता है। जल्द ही, हम डिहाइड्रेट महसूस करते हैं, इसलिए हमें पानी पीने की ज़रूरत है।
रात में 1 या 2 गिलास पानी पीने पर फिर हमें बाथरूम जाने की जरूरत भी ज्यादा महसूस होगी। यह एक साइकल की तरह है!
इसी तरह, हम यह नहीं भूल सकते कि कम ब्लड शुगर लेवल से अस्वस्थता, चक्कर आने और पसीने से जुड़े हैं। यह हमारे बाकी की गुणवत्ता को प्रभावित करता है।
स्लीप एप्निया
स्लीप एप्निया आमतौर पर मधुमेह वाले लोगों में बहुत आम समस्या है।
इसका जड़ें मोटापे में होती है। टाइप 2 डायबिटीज वाले लोगों का मोटापे का शिकार होना आम है।
इससे चेस्ट पर ज्यादा दबाव पड़ता है और इस तरह रात में सांस लेते वक्त शरीर में हवा का मार्ग बाधित हो जात है।
खर्राटे हमेशा सुरक्षित नहीं होते हैं। इस मामले में हमें बहुत साफ़ होना चाहिए। डायबिटीज और नींद की गड़बड़ी आपस में जुड़ी होती हैं और हमें याद रखना चाहिए कि जो कोई भी रात में खर्राटे लेता है, वह ज्यादा गंभीर सेहत की समस्याओं से पीड़ित हो सकता है।
यह न भूलें कि एप्निया का अर्थ है सांस लेने में क्षणिक रुकावट। इसलिए ऐसे मामलों में जिनमें खर्राटे अक्सर आते हैं, हम खून में ऑक्सीजन की कम मात्रा से पीड़ित होते हैं।
रेस्टलेस लेग सिंड्रोम
संभव है कि डायबिटीज के साथ रेस्टलेस लेग सिंड्रोम को जोड़ना हमारे लिए मुश्किल हो। हालाँकि इनमें गहरा लिंक है।
रात की इस समस्या में आमतौर पर आयरन की कमी, खून में ग्लूकोज के हाई लेवल और किडनी समस्याओं सहित कई संभावित कारण होते हैं।
यदि आप स्मोकिंग करते हैं, तो रेस्टलेस लेग सिंड्रोम होने की संभावना बढ़ जाती है।
इस तरह यह जरूरी है कि आप अपने डॉक्टर से समय-समय पर जाँच करवाएँ।
कभी-कभी मामूली एनीमिया भी डायबिटीज के साथ इस सिंड्रोम को विकसित करने में तेजी ला सकती है।
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टाइप 2 मधुमेह से पीड़ित होने पर आराम की गुणवत्ता कैसे सुधारें
इन आसान हिदायतों पर अमल करके नींद की आदतों में सुधारने वाले तरीके पर ध्यान दें।
आपका आहार
- रेस्ट की क्वालिटी सुधारने और रात में बाथरूम जाने से बचने के लिए बिस्तर पर जाने से पहले कम पानी पीना ठीक रहेगा।
- उत्तेजक पेय जैसे कैफीन, कुछ तरह के शेक या अर्क से बचें।
दोपहर में थोड़ी एक्सरसाइज
- रेगुलर एक्सरसाइज करने से आपके आराम की गुणवत्ता में सुधार होता है।
इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से बचें
- रात को सोने से दो घंटे पहले सेल फोन, लैपटॉप, टैबलेट को दूर रख दें …
- ये डिवाइस आपके ब्रेन को ओवरएक्टिव करते हैं और नींद की गुणवत्ता पर असर डालते हैं।
एक विशेष शेड्यूल अपनाएँ
जहां तक हो सके हमेशा एक ही शेड्यूल का पालन करने की कोशिश करनी चाहिए : एक ही वक्त पर खाएं, एक ही टाइम स्लॉट में बिस्तर पर जाएं, आदि।
इन हिदायतों और रूटीन से हम अपने सर्कैडियन रिदम को बेहतर ढंग से एडजस्ट कर सकते हैं और उनके साथ, हमारी सेहत और रेस्ट पर ध्यान दे सकते हैं।
समय-समय पर मेडिकल चेक अप
डायबिटीज और नींद की समस्याओं का एक अंतरंग संबंध है, इसलिए किसी भी प्रश्न, समस्या या लक्षण के बारे में डॉक्टरों से सलाह-मशविरा करने के महत्व को नहीं भूलना चाहिए।
डायबिटीज मॉनिटरिंग के लिए और अपने वजन, पोषण की संभावित कमियों, कार्डियोवैस्कुलर हेल्थ, आदि की देखभाल के लिए उन महत्वपूर्ण पीरियाडिक चेक अप को न भूलें।
ये सभी फैक्टर आराम से संबंधित हैं, इसलिए अपने जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने का प्रयास करें। अपना ध्यान रखें जिससे डायबिटीज आपके जीवन की क्वालिटी पर असर न डाल सके।
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