क्या ग्लूटेन और फाइब्रोमायेल्जिया के बीच कोई सम्बन्ध है?
फाइब्रोमायेल्जिया एक ऐसी समस्या है जो आपके स्वास्थ्य पर बुरा असर डालती है। जब आप इस समस्या का शिकार होते हैं, तब आपको मासपेशियों के दर्द और लगातार बनी रहने वाली थकान का सामना करना पड़ता है।
फाइब्रोमायेल्जिया (Fibromyalgia) से पीड़ित लोगों शरीर के ज्यादातर अंगों में तनाव और कोमलता का अनुभव करते हैं। इसके अलावा उन्हें कभी-कभी अकड़न, सिरदर्द, और हाथ-पैरों में झुनझुनी जैसे अन्य लक्षणों का सामना भी करना पड़ता है।
इसे क्रॉनिक सिंड्रोम के रूप में देखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि लगभग 3% आबादी इससे पीड़ित है और पुरुषों की तुलना में महिलाएँ इससे 10 गुना ज्यादा प्रभावित होती है।
इस बीमारी के सबसे गंभीर उदाहरण वयस्कों में और ऐसे रोगियों में देखने को मिलते हैं जिन्हें रूमेटोइड आर्थराइटिस (rheumatoid arthritis), आर्थराइटिस (arthritis), ल्यूपस (lupus) और रीढ़ के हड्डियों में असमय बुढ़ापे की परेशनियाँ पहले से हैं।
कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस समस्या का मुख्य कारण जेनेटिक है। लेकिन फाइब्रोमायेल्जिया को एक्सीडेंट, शारीरिक गतिविधि और अन्य बीमारियों से पहुचने वाली चोट से भी जोड़ा जाता है।
हाल ही में हुई कई स्टडी इस बात की ओर इशारा करती हैं कि ग्लूटेन (Gluten) का सेवन फाइब्रोमायेल्जिया से पीड़ित लोगों की तकलीफ और बढ़ा देता है।
गेहूं में पाया जाने वाला तह तत्व शरीर में सूजन के स्तर को बढ़ाता है और फाइब्रोमायेल्जिया की समस्या को बढ़ावा देता है।
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फाइब्रोमायेल्जिया और ग्लूटेन के बीच क्या सम्बन्ध है?
बीएमसी गैस्ट्रोएंटेरोलॉजी (BMC Gastroenterology) द्वारा प्रकाशित एक स्टडी में ये पाया गया कि जिन महिलाओं में इर्रिटेबल बॉवेल सिंड्रोम ( irritable bowel syndrome) और फाइब्रोमायेल्जिया की डायग्नोसिस की गयी थी, उनमें ग्लूटेन फ्री डाइट के सेवन से ख़ास सुधार देखने को मिला।
स्टडी में स्वीकार किया गया है कि जहाँ एक तरफ फाइब्रोमाइल्जिया का सही कारण समझ पाना हेल्थ प्रोफेशनल्स के लिए रहस्य बना हुआ है, वहीं दूसरी तरफ इस बीमारी से पीड़ित लोगों के इलाज के आशाजनक परिणाम भी सामने आए हैं।
उनकी स्टडी इस बात की ओर इशारा करती है कि आंतों (intestinal tract) में ग्लूटेन के कारण उत्पन्न होने वाली सूजन प्रक्रिया सेंट्रल नर्वस सिस्टम की संवेदनशीलता बढ़ा देती है, या इसकी शुरुआत कर सकती है जो कि फाइब्रोमाइल्जिया के विकास के लिए मुख्य जिम्मेदार है।
ग्लूटेन एक प्रोटीन है जो गेहूं, राई (rye), जौ (barley) और अन्य अनाजों में पाया जाता है।
फाइब्रोमाइल्जिया का सूजन सम्बंधित परेशानियों के साथ अक्सर अध्ययन किया जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस बीमारी के प्रति संवेदनशील लोगों में सूजन प्रतिक्रिया देखने को मिलती हैं।
फाइब्रोमाइल्जिया और ग्लूटेन के बीच संबंध स्थापित होने का कारण शरीर के सेल्स में होने वाली सूजन को देखकर समझा जा सकता है। इस वजह से जोड़ों, मांसपेशियों और अन्य टिश्यू पर प्रभाव पड़ता है।
बहुत से लोगों को यह भी पता नहीं है कि वे ग्लूटेन के सेवन के प्रति इनटॉलेरेंट हैं। इससे उनकी परेशानियाँ बढ़ सकती हैं।
इसलिए विशेषज्ञ यह सलाह देते हैं कि वे इस सिंड्रोम के इलाज के लिए मरीज की डाइट से उन सभी चीज़ों को हटा देते हैं जिससे इस परेशानी से छुटकारा मिल सके।
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फाइब्रोमाइल्जिया से लड़ने के लिए और क्या उपाय किए जा सकते हैं?
अपनी डाइट से सभी तरह की ग्लूटेन युक्त खाद्य सामग्री हटाने के अलावा आप यहाँ दिए गए तरीकों को अपनाकर इस परेशानी पर काबू पा सकते हैं।
मुख्य रूप से इनमें डाइट और व्यायाम से जुड़ी आदतों में परिवर्तन लाना शामिल है।
अपने खाने में मैग्नीशियम की मात्रा बढ़ायें
मैग्नीशियम से समृद्ध खाने से आपकी मासपेशियों और नसों को सुरक्षा मिलती है, जिससे जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है।
अपनी डाइट में इन चीज़ों का सेवन बढाएं:
- पालक (Spinach)
- सलाद (Lettuce)
- एस्परैगस (Asparagus)
- कद्दू के बीज (Pumpkin seeds)
- गुड़रस या गुड़ (Molasses)
विटामिन D खाएँ
विटामिन D की कमी होना फाइब्रोमाइल्जिया से जूझ रहे मरीज़ों की दिक्कत और समस्या बढ़ने का शुरूआती कारण माना जाता है।
विटामिन D के सीमित सेवन से आपके सदियों पुराने दर्द पर काबू पाया जा सकता है। इससे आपके शारीरिक प्रदर्शन में भी सुधार आता है।
विटामिन D के मुख्य स्रोत ये हैं:
- तेल वाली मछलियाँ (Fatty fish)
- बीफ़ लीवर (Beef liver)
- पनीर
- अंडे की जर्दी
- मशरूम
- ज़्यादा गाढ़ा दूध
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अपनी डाइट में कैल्शियम का सेवन बढाएं
कैल्शियम से समृद्ध खानपान से मांसपेशियों की ऐंठन कम होती है और हड्डियाँ मज़बूत होती हैं।
आप इन चीज़ों से कैल्शियम प्राप्त कर सकते हैं:
- दूध
- पनीर
- दही
- सोया दूध (Soy Milk)
- बीन्स
- ब्रोकली
शारीरिक व्यायाम
व्यायाम करने से आपके ब्लड फ्लो में सुधार आता है, मासपेशियाँ मज़बूत होती हैं और आप स्वस्थ्य शारीरिक वजन बनाए रखने में सफ़ल हो पाते हैं। इस प्रकार आपके शरीर पर किसी प्रकार का अनचाहा भार नहीं पड़ता।
इस परेशानी से ग्रस्त मरीज़ों के लिए टहलना, साइकिल चलाना और तैरना लाभकारी साबित होता है।
मालिश करना
आराम पहुँचाने वाले तेल से मालिश करने से दर्द में कमी आती है और इस परेशानी के अन्य जटिल लक्षणों से निपटने में आराम मिलता है।
इस बात की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए कि आप किसी भी तरह की मासपेशियों की चोट (muscle injuries) से बचें। अगर ज़रूरी हो तो किसी प्रोफेशनल की सलाह लें।
आज इस विषय की समीक्षा में हम इतना ही कह सकते हैं कि ग्लूटेन और फाइब्रोमायेल्जिया के बीच आपसी सम्बन्ध को समझने के लिए अभी और अधिक साइंटिफिक खोज की ज़रूरत है। अपनी डाइट में बदलाव लाकर आप इस बीमारी के लक्षणों पर कुछ काबू पा सकते हैं।
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